CM योगी की काशी को टेंट सिटी की नई सौगात
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विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर काशी अर्थात वाराणसी के विकास में एक नवीन अध्याय जुड़ने वाला है। वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम के पश्चात अब गंगा उस पार बसने वाली है पहली टेंट सिटी (Varanasi Tent City).
यूपी की योगी सरकार ने नई पहल की है। जी हां, मां गंगा किनारे अर्धचंद्राकार स्वरूप में बसी विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर काशी अर्थात वाराणसी (Varanasi) के पर्यटन को मिलने वाली है संजीवनी, क्योंकि घाटों का नगर के रूप में विश्व विख्यात काशी के संपूर्ण घाटों की छटा एक बार में देखने को मिलेगा वो भी सूर्य की उगती किरणों के साथ।
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सप्तपुरीयों में सम्मिलित काशी में दर्शनार्थियों व श्रद्धालुओं की संख्या सदैव अधिक रहती है। तथा इस प्राचीन नगर के अल्हणपन जीवन का अनुभव करने हेतु भी कई पर्यटक यहां आते हैं तथा मोदी जी के वाराणसी का सांसद बनने के पश्चात तथा नित्य नवीन विकास कार्यों से विकास अंगड़ाई लेती काशी में यह संख्या तीव्र गति से बढ़ी है।
इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने नवीन पहल की है जिसके अंतर्गत नव्य भव्य काशी विश्वनाथ धाम के ठीक सामने ही श्रद्धालु व पर्यटकों को सुविधाओं से लैस टेंट सिटी (Tent City) को बसाने का निर्णय लिया है।
बता दें कि गुजरात की कच्छ की तर्ज पर यहां वाराणसी में भी टेंट सिटी में रहने का अवसर प्राप्त होगा। प्रशासन की ओर से इसमें पयर्टन, विद्युत, केंद्रीय जल आयोग, जल निगम, गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, रामनगर पालिका प्रशासन के साथ ही 13 अन्य विभाग भी अपना दायित्व पूरा करने में जुट गए हैं।
महीनों चले सर्वे में तय हुआ कि गुजरात की कच्छ की तर्ज पर यहां गंगा किनारे धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसमें कच्छ महोत्सव की ही प्रकार से काशी महोत्सव में स्थानीय लोक कलाकारों को बड़ा मंच देने की तैयारी है।
वाराणसी विकास प्राधिकरण के अनुसार वीडीए की ओर से टेंट सिटी परियोजना के लिए विकास प्राधिकरण की वेबसाइट पर एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट आमंत्रित किया गया है। पर्यटकों के लिए पैकेज की भी घोषणा होगी। तथा सबसे महत्वपूर्ण की नवंबर से फरवरी तकर हर वर्ष टेंट सिटी की सुविधा मिलेगी।
सुविधाओं की जानकारी देते हुए बता दें कि तारांकित होटल की सुविधाओं को समेटने वाली टेंट सिटी के आसपास पर्यटन सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। गंगा की रेती पर ऊंट व घोड़े की सवारी का आनंद भी पर्यटक उठा सकेंगे। इसके अतिरिक्त रात को बनारस घराने की संगीत से सजी संध्या होगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ कलाकार अपनी प्रतिभा का हुनर दिखाएंगे।
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वास्तव में, काशी विश्वनाथ धाम के नए स्वरुप में विकसित होने के पश्चात पर्यटकों की संख्या में कई गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में यहां अधिकतर दिनों में पर्यटकों को होटल्स के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि वर्तमान में ठहरने की कमी को ध्यान में रखते हुए गंगा पार रेती परियोजना को धरातल पर उतारा जा रहा है।
यह टेंट सिटी मानसून के पश्चात नवंबर से फरवरी माह के मध्य संचालित होने का प्रवधान किया गया है। टेंट सिटी में ठहरने के लिए स्विस काटेज, गेमिंग जोन, रेस्टोरेंट, डायनिंग एरिया, कांफ्रेंस स्पाॅट, योगा केंद्र, लाइब्रेरी, आर्ट गैलरी के अतिरिक्त वाटर स्पोर्ट्स, कैमल व हार्स राइडिंग आदि भी रहेगा।
स्थान विशेष की जानकारी देने हेतु बता दें कि यह रामनगर से लेकर काशी विश्वनाथ धाम के सामने तक के पूरे 5 किलोमीटर क्षेत्र में बनाया जाएगा जिसके हम आपको ड्रोन व्यू की सहायता से पूरे परिक्षेत्र का अवलोकन करवा रहे हैं ताकि आपको समझने में सरलता हो।
वाराणसी का प्राचीन तीर्थ नगर, जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर सहित कई विकासात्मक गतिविधियों को देख रहा है वहां पर गंगा के विशाल रेतीले पूर्वी तट पर प्रतिष्ठित नगर घाटों के सामने एक तम्बू नगर होगा, जो विदेशी और घरेलू पर्यटकों शांति प्रदान करेगा।
यदि सब कुछ ठीक रहा, तो टेंट सिटी के अक्टूबर 2022 तक तैयार होने की संभावना है और यह तीन से पांच महीने तक रहेगा, जिसके बाद इसे ध्वस्त कर अगले वर्ष फिर से इकट्ठा किया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, यह ओडिशा के कोणार्क में प्रकृति शिविरों की तर्ज पर नदी के पांच किलोमीटर के हिस्से में बनेगा।
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बाढ़ के कारण टेंट सिटी को मानसून में चालू रखना संभव नहीं है। इसलिए टेंट सिटी की अवधि पर्यटन सीजन के साथ मेल खाएगी। वाराणसी में सितंबर के अंतिम सप्ताह से बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटकों का आगमन आरंभ हो जाता है।
जानकारी हेतु बता दें कि पर्यटन विभाग द्वारा इस परियोजना का डीपीआर अर्थात विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सज्ज किया गया है। टेंट सिटी में 500 बेड होने की संभावना है और प्रत्येक में बिजली की आपूर्ति, पानी की आपूर्ति, एक वॉशरूम और एक बायो-टॉयलेट होने की संभावना है। मोटे तौर पर, प्रत्येक तम्बू आवास 200 से 300 वर्ग फुट क्षेत्र में होगा। तथा इसमें तीन प्रकार के टेंट होंगे- डीलक्स, सेमी डीलक्स और सामान्य।
वर्तमान समय में टेंट सिटी के विकास और संचालन के लिए एक फर्म का चयन करने के लिए निविदाएं मंगाई जाएंगी। चयन के पश्चात फर्म पर्यटन विभाग के समन्वय से निगरानी समिति की देखरेख में टेंट सिटी का विकास करेगी। यह तय किया जाना है कि कंपनी पानी और बिजली की आपूर्ति और नगर पालिका द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य सुविधाओं के बिल और जिला प्रशासन द्वारा प्रदान की जाने वाली भूमि के किराए का भुगतान करेगी या यदि वह परियोजना से राजस्व साझा करेगी।
सबसे बड़ी बात की इस परियोजना के साथ 4,000 स्थानीय लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पैदा होने की संभावना है।
वाराणसी के टेंट सिटी बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटकों और घरेलू पर्यटकों को पर्याप्त संख्या में आकर्षित करके वाराणसी में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने में सहायता करेगी, जिससे वे सभी अपने तंबू में बैठकर घाटों के सुंदर दृश्य का आनंद ले सकेंगे। जो लोग गंगा के किनारे, घंटों चुपचाप बैठकर और नदी को शांति से बहते हुए देखना चाहते थे उनके लिए तो यह एक स्वर्णिम अवसर होगा।
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वर्तमान समय में वाराणसी विकास प्राधिकरण ने इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ़ इंटरेस्ट जारी किया है। काशी के घाटों का आकर्षण पूरी दुनिया में है। काशी का अल्हड़पन व गंगा किनारे बसे घाटों की जीवन,उनके जीवन का दर्शन व गंगा के अनुभव के लिए यहां पूरे विश्व से लोग आते है।
वास्तव में, प्रवासी भारतीय सम्मेलन (2019) के पश्चात ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेंट सिटी का प्रस्ताव दिया था। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल लगातार इस परियोजना को धरातल पर उतारने में जुटे थे और इसके डीपीआर का दायित्व वीडीए को सौंपी थी। विकास प्राधिकरण ने इसके डीपीआर के साथ ही टेंट सिटी की निविदा जारी की है।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई वाराणसी टेंट सिटी की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें।
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