काशी का नया बवाल, अब यहाँ से बनेगी नयी एक्सप्रेसवे – Varanasi Ranchi Kolkata Expressway
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Varanasi Ranchi Kolkata Expressway : उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लेकर पश्चिम बंगाल के कोलकाता तक एक नवीन एक्सप्रेसवे (Varanasi Kolkata Expressway) का निर्माण किया जा रहा है। जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी को कनेक्टीविटी की बड़ी सौगात देने वाली है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भारत के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा निर्देशन में उत्तर प्रदेश एक एक्सप्रेस प्रदेश बन करके समस्त भारत को एक नई ऊंचाई पर ले जाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। और इसी क्रम में अब वाराणसी को भी एक्सप्रेसवे की सौगात मिली है और वाराणसी अब बिहार होते हुए सीधा कोलकाता से जा मिलेगी।
निर्माण कार्य की ग्राउंड व्यू प्रदर्शित करते हुए बता दें कि यह वाराणसी-रांची-कोलकाता सिक्सलेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे भारतमाला परियोजना के द्वितीय चरण का भाग है। और इसके अंतर्गत देश के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में उच्च गति कनेक्टिविटी प्रदान करने की योजना बनाई गई है। जिसमें कि वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे भी सम्मिलित है।
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परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस परियोजना की आधारशिला 23 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे को 13 पैकेज में विभाजित करके निर्माण किया जाएग। इस एक्सप्रेस वे की अनुमानित लागत 35000 करोड़ है। यह 610 किमी लंबाई के साथ चार राज्यों को कवर करेगा। एक्सप्रेसवे 4 राज्यों से होकर गुजरेगा, जिसका 159 किमी लंबा हिस्सा बिहार के भाग आएगा।
एक्सप्रेसवे सड़क का आरंभिक बिंदु वाराणसी रिंग रोड के चंदौली स्थित वाराणसी रिंग रोड का समापन बिंदु है। यहीं से आरंभ हकर यह बिहार में प्रवेश के साथ ही कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जिले से होते हुए आगे बढ़ जाएगा। तत्पश्चात बिहार के चार जिलों को पार करते हुए यह झारखंड में प्रवेश करेगा। यहां के पांच जिले चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, पीटरबार और बोकारो से होते हुए एक्सप्रेसवे पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगा। बंगाल के पुरुलिया, बांकुरा और आरामबाग से होकर एक्सप्रेसवे उलुबेरिया में राष्ट्रीय राजमार्ग 19 पर समाप्त होगा। झारखंड में इसकी लंबाई 187 किमी होगी। वहीं, पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक 242 किमी लंबाई तय करेगा।

आपको हम इस पूरे परिक्षेत्र का ड्रोन व्यू दर्शाते हुए बता दें कि वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेस के पहले पैकेज में यूपी के चंदौली से आरंभ होकर बिहार के कुछ भाग में समाप्त होगा, जो कि लगभग 22 किमी लंबा होगा। पर्यावरण मंत्रालय ने बीते 12 नवंबर को एनओसी मिलने के पश्चात कार्यदायी एजेंसी को कार्य आरंभ करने के लिए पत्र जारी कर दिया गया है।
आरंभिक कुछ पैकेजों की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस सड़क के पहले पैकेज में उत्तर प्रदेश में केवल 22 किमी लंबाई में निर्माण होगा। इसी पैकेज में बिहार में लगभग पांच किमी लंबाई में सड़क का भाग सम्मिलित है। अर्थात पहले पैकेज में करीब 1317 करोड़ रुपए की लागत से लगभग 27 किमी सड़क का निर्माण होना है, जिसका निर्माण NKC प्रोजेक्ट्स नामक कंपनी कर रही है। वहीं, दूसरे पैकेज में 851 करोड़ की लागत से करीब 27 किमी लंबाई में सड़क बनेगी। तीसरे पैकेज में करीब 1113.43 करोड़ की लागत से लगभग 36 किमी लंबाई में सड़क बनेगी जिनका टेंडर PNC Infratech नामक कंपनी को मिला है।
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निर्माण कार्य की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि दिसंबर 2024 से भूमि की सफाई और समतलीकरण का कार्य आरंभ किया गया है। और नवंबर 2026 तक में यह छह लेन सड़क बनाई जाएगी। एनएचएआइ (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की वाराणसी इकाई को चंदौली में 160 हेक्टेयर भूमि मिल चुकी है। किसानों को 220 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति दिया जा चुका है। आरंभिक समय में 60 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी और फ्लाईएश से सड़क की स्ट्रेच तैयार किया जा रहा है।
पहले पैकेज में 14 अंडरपास, दो फ्लाईओवर और कर्मनाशा नदी में एक पुल बनेगा। एक्सेस कंट्रोल तकनीक होने के कारण पहले चरण में केवल दो इंटरचेंज बनाया जाएगा। अर्थात, रेवासा और खैती गांव में ही वाहनों को एक्सप्रेसवे पर चढ़ने और उतरने की सुविधा दी जाएगी। निर्माण एजेंसियां चंदौली, कैमूर और रोहतास में कुल 90 किलोमीटर सिक्स लेन का निर्माण कार्य कर रही हैं। जिसमें 4 बड़े व 28 छोटे पुल बनाए जाएंगे। 6 फ्लाईओवर, 44 अंडरपास व माइनर ब्रिज, 6 इंटरचेंज और 3 टोल प्लाजा बनाने के लिए स्थान चिह्नित किया गया है।

3 पैकेज में लगभग 2998 करोड़ लागत से परियोजना दो वर्ष में पूरी करनी होगी। चंदौली से प्रोजेक्ट आरंभ होगा, जो रोहतास के कोनकी गांव में समाप्त होगा। और 3 जिलों के 89 गांवों में लगभग 338 करोड़ रुपये से भूमी अधिग्रहण हुआ है।
बता दें कि एक्सप्रेसवे पर वाहनों की अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी। जिससे लगभग 6 घंटे में बनारस से कोलकाता तक दूरी तय की जा सकेगी। यह एक्सप्रेसवे पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग दो के समानांतर बनेगा। और इसमें कैमूर में 5 किलोमीटर लंबा टनल भी बनेगा। यह सुरंग कैमूर जिला स्थित कैमूर की पहाड़ी अर्थात Kaimur Hills में निर्मित की जाएगी, जो सोन नदी (Sone River) को पार करके सासाराम से औरंगाबाद को जोड़गी। कैमूर टनल (Kamoor Tunnel) देश की टॉप-10 लंबाई वाली सुरंगों (Top-10 Tunnel) में छठवें स्थान पर दर्ज होगी।
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परियोजना से मिलने वाले लाभ की जानकारी देने हेतु बता दें इस एक्सप्रेसवे से ट्रैफिक में कमी आएगी। विभिन्न नगरों के मध्य यात्रा का समय कम होगा, इससे उन नगरों के संपर्क में सुधार होगा जिससे होकर यह गुजरेगा। पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार व झारखंड में समुद्री व्यापार के लिए कोलकाता और हल्दिया बंदरगाहों का प्रयोग होता है। एक्सप्रेसवे से माल की यातायात का समय कम होगा। इससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। उद्योगों का विकास होगा और रोजगार का भी सृजन होगा।
बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे का कैमूर जिले में निर्माण कार्य आरंभ होने में लगातार हो रहे विलंब के कारण का भी समाधान हो गया है। फरवरी में ही आर्बिट्रेटर के द्वारा अधिग्रहित की जाने वाली भूमि का सर्किल रेट दोगुना करने का निर्णय सुनाया गया और उसके अनुसार लगभग चार गुना क्षतिपूर्ति राशि के भुगतान के लिए नयी दर को एनएचएआइ के द्वारा स्वीकृति दे दी गयी हैं। अब शीघ्र ही भूस्वामियों को भुगतान की प्रक्रिया भी नयी दर आरंभ हो जायेगी।

महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 फरवरी 2024 को अपने वाराणसी आगमन के अवसर पर इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का शिलान्यास किया था और नवंबर दिसंबर में अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त होने के पश्चात निर्माण कर्ता कंपनियों ने निर्माण आरंभ किया है 2-3 माह में इस एक्सप्रेसवे ने आकार लेना आरंभ भी कर दिया है। जो विकसित भारत की छवि प्रदर्शित करने को आतुर है।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में गांव अथवा जिले का नाम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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