देव भूमि के हरिद्वार रिंग रोड प्रोजेक्ट ने पकड़ी रफ़्तार

देव भूमि हरिद्वार के ड्रीम प्रोजेक्ट रिंग रोड (Haridwar Ring Road Project) की आखिरी चरण की बाधा भी दूर हो गई। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण हरिद्वार में प्रदेश का सबसे लंबा पुल बनाने का जा रहा है। यह हरिद्वार-दिल्ली व हल्द्वानी-दिल्ली राजमार्ग को आपस में जोड़ेगा।

देवताओं की भूमि कहा जाने वाला राज्य उत्तराखंड अपने अंदर ना जाने कितने रहस्य समेटे हुए हैं। उत्तराखंड हिंदू धर्म के लिए ना केवल अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है अपितु देवभूमि उत्तराखंड में हिंदू आस्था से जुड़े बड़े धार्मिक स्थल उपस्थित हैं। उत्तराखंड में ही चारों धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम स्थित हैं। ऐसी ही कुछ महत्वता है हरिद्वार की जहाँ पर स्थित हर की पौड़ी। तथा हरिद्वार सक्षी है समुद्र मंथन में कलश से छलके अमृत की तथा कुंभ मेले की भी जहाँ सभी सनातनी अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य आना चाहते हैं।

इन्हीं महत्ता को ध्यान में रखते हुए तथा जन सुविधाओं को बढ़ाने के उद्देश्य से अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हरिद्वार के गंगा पर बनने वाले प्रदेश के सबसे लंबे पुल को स्वीकृति दे दी है। जिसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अर्थात एनएचएआइ हरिद्वार में प्रदेश का सबसे लंबा भारी वाहन पुल बनाने का जा रहा है। इसकी पुल की लंबाई 2.5 किलोमीटर होगी और यह हरिद्वार-दिल्ली व हल्द्वानी-दिल्ली राजमार्ग को आपस में जोड़ेगा।

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परियोजना की अधिक जानकारी के लिए बता दें की हरिद्वार रिंग रोड के पहले चरण में 15 किमी व 300 मीटर लंबे फोरलेन मार्ग निर्माण के लिए रेल मंत्रालय के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड का चयन हो गया है। और अप्रैल माह से निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा।

बता दें की वर्तमान समय में रुड़की से बिजनौर की यातायात के लिए वाया हरिद्वार होकर आनाजाना पड़ता है। इससे हरिद्वार में वाहनों का भार बढ़ता है। तथा पर्व स्नानों पर चंडी पुल पर हर समय जाम लगता है। जाम की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रिंग रोड निर्माण की दूरगामी योजना बनाई है।

जानकारी के लिए बता दें की यह रिंग रोड दो चरणों में तैयार होगा। रिंग रोड का पहला चरण बहादराबाद बाईपास से आरंभ होगा और श्यामपुर थाना क्षेत्र के अंजनी चौकी एनएच 74 पर समाप्त होगा। इससे हरिद्वार-दिल्ली हाईवे के वाहन सीधे नजीबाबाद-हरिद्वार हाईवे के लिए यातायात कर पाएंगे।

इस परियोजना के लागत की जानकारी देने के लिए बता दें की एनएचएआई के अनुसार रिंग रोड के पहले चरण के निर्माण के लिए रेल मंत्रालय के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड का चयन हो गया है। इसकी लागत 1100 करोड़ होगी। हालांकि, पूर्व में 1566 करोड़ इसकी अनुमानित लागत थी। एजेंसी से अनुबंध होते ही अप्रैल से निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी।

इसमें यह भी बता दें की एनएचएआई के अनुसार गंगा पर 3.5 किमी लंबा (एप्रोच समेत) पुल बनेगा। पुल को मेजर ब्रिज नाम दिया गया है। एप्रोच छोड़कर पुल की लंबाई 2.561 किमी होगी। यह पुल उत्तराखंड में सबसे लंबा भारी वाहनों के यातायात करने वाला पुल होगा।

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इसकी विशेषताओं की जानकारी देने के लिए बता दें की यह पुल और रिंग रोड 45 मीटर चौड़ी होगा। यही नहीं फोरलेन मार्ग पर दोनों ओर सर्विस रोड बनेगी। सर्विस रोड में जगह-जगह शॉपिंग सेंटर निर्माण की योजना भी है। इसके अतिरिक्त वाहनों की रिपेयरिंग की दुकानें तथा फास्ट फूड कार्नर भी खुलेंगे। इनका निर्माण और आवंटन एनएचएआई करेगी। अर्थात यदि कोई व्यक्ति इस परियोजना के अंतर्गत व्यवसाय करना चाहता है तो उसे NHAI से संपर्क करना होगा।

बता दें की यह रिंग रोड मार्ग कई गांवों से होकर के गुजरेगी। इसके लिए किसानों की भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। तथा सबसे महत्वपूर्ण की चालीस प्रतिशत किसानों को 120 करोड़ की क्षतिपूर्ति वितरण भी हो चुकी है।

यही कारण है कि प्रस्तावित रिंग रोड ने क्षेत्र में भूमि की कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है। बता दें की बहादराबाद से जिन गांवों से होकर रिंग रोड प्रस्तावित है, वहां पर भूमि की कीमतों में तेजी है। क्योंकि रिंग रोड से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और गांवों को जोड़ने वाले रिंग रोड के कट के आसपास तरह-तरह की दुकानें खुल भी सकेंगी इस लिए इस प्रकार के भूमि की माँग में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

इस परियोजना के निर्माण और पुल बन जाने के पश्चात दिल्ली राजमार्ग पर यातायात सुगम हो जाएगा। जिन वाहनों को हरिद्वार या हल्द्वानी से दिल्ली राजमार्ग की ओर जाना है, वह पुल के माध्यम से आराम से गुजर सकेंगे।

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वैसे इसमें एक और रोचक जानकारी यह है कि देश का पैसा भी इस परियोजना में बच रहा है। जी हाँ आपको हम बता दें की रिंग रोड के पहले चरण का बजट 1566 करोड़ रुपये था। बजट में कटौती करके इसे 1100 करोड़ किया गया। अर्थात एनएचएआइ ने रिग रोड परियोजना की लागत 1100 करोड़ रुपये आंकी थी। परंतु जब इसी के अनुरूप टेंडर आमंत्रित किए गए। तो इसमें, सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी एरकोन इंटरनेशनल रही। इस कंपनी ने 25 प्रतिशत कम दर पर अर्थात 800 करोड़ रुपये में यह टेंडर प्राप्त कर लिया है।

जानकारी के लिए बता दें की एरकोन इंटरनेशनल रेल मंत्रालय के अधीन एक सरकारी उपक्रम है। इसी कारण प्राधिकरण अधिकारियों ने भी अत्यंत कम दर पर टेंडर को हरी झंडी दे दी है। अन्यथा निजी कंपनी होने की दशा में इतनी कम दर पर काम दिया जाना संभव ही नहीं हो पाता।

सरल शब्दों में कहें तो हरिद्वार में लगभग 15 किलोमीटर लंबी रिग रोड का निर्माण होना है तथा परियोजना के अंतर्गत हरिद्वार-दिल्ली हाइवे को नजीबाबाद-हरिद्वार को जोड़ने के लिए गंगा पर 3.5 किमी लंबा (एप्रोच समेत) पुल बनाया जाएगा। यह पुल प्रदेश का सबसे लंबा पुल होगा।

पहले चरण में 15 किमी 300 मीटर मार्ग के निर्माण के लिए रेल मंत्रालय के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड को टेंडर जारी हो गया है। परियोजना बहादराबाद से आरम्भ होगी और हरिद्वार-हल्द्वानी राजमार्ग पर जुड़ेगी। टेंडर जारी किए जाने के पश्चात अब अनुबंध की तैयारी की जा रही है। इस रिंग रोड का निर्माण अप्रैल माह से आरम्भ हो जाएगा। एवं दो चरणों में रिंग रोड बनाई जाएगी। तथा इस परियोजना को दो वर्ष में पूरा करना है।

महत्वपूर्ण है कि हरिद्वार रिंग रोड के निर्माण के पश्चात जहाँ यह रिंग रोड हरिद्वार के संपर्क को सुदृढ़ कर यातायात को सुगम बनाएगा जिससे की धन ईंधन व समय की बचत होगी। तो वहीं दूसरी ओर इस रिंग रोड के साथ मिलने वाले रोजगार के अवसर क्षेत्रीय विकास व समृद्धि के कारक भी बनेंगे।

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