वाराणसी में बनाने वाले पुल ‘लक्ष्मण झूला’ ने पकड़ी रफ़्तार
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वाराणसी के काशी विश्वनाथ के भक्तों व काशीवासियों के लिए एक शुभ समाचार आया है, काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए अब गंगा नदी पर एक ससपेंशन ब्रिज के निर्माण के लिए विभाग कार्यवाही ने गति पकड़ ली है।
वाराणसी (Varanasi) के गले का हार माँ गंगा हैं। तथा वाराणसी आने वाला प्रत्येक व्यक्ति काशी के गंगा घाट (Ganga Ghat) व काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) के दर्शन को अवश्य आता है तथा यह वाराणसी की पहचान भी हैइस नगर के लोगों का जीवनयापन का स्रोत भी।
इन्हीं महत्ता को ध्यान में रखते हुए काशी विश्वनाथ धाम का जीर्णोद्धार किया गया है जिससे की अब भोलेनाथ के दर्शन के लिए आने वाले लोगों की संख्या भी अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है तथा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के गंगा द्वार के खुलने के पश्चात अब बड़ी संख्या में लोग गंगा छोर से ही बाबा के दर्शन के लिए जा रहे हैं। एवं कॉरिडोर निर्माण के समयावधि में ही इस विषय पर भी विचार हुआ कि चंदौली व बिहार की ओर से आने वाले लोगों को सुगम दर्शन के लिए मंदिर के गंगा द्वार के सामने गंगा उस पार से भी सीधी व्यवस्था की जाए जिससे कि दर्शनार्थीयों को भी सुविधा होगी तथा नगर में सड़क पर ट्रैफिक जाम की समस्या भी कम होगी।
आपको स्मरण होगा की हमने आपको पहले भी बताया था की किस प्रकार से वाराणसी के गंगा उसपार रामनगर से पड़ाव के मध्य में एक माॅडल सड़क बनाने की योजना पर कार्य संचालित है। इस आपको हम आज की शुभ समाचार बताते हुए बता दें की गंगा नदी पर जो पुल बनना है उसपर नवीन जानकारी सामने आई है। और कार्य ने गति पकड़ ली है।
इस परियोजना की अधिक जानकारी के लिए बति दें की काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शन परियोजना के अंतर्गत दशाश्वमेघ घाट से कटेसर (गंगा पार) तक प्रस्तावित सस्पेंशन पुल की डिजाइन के लिए लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता की टीम मार्च के पहले सप्ताह में डोबरा-चांठी और जानकी झूला पुल (उत्तराखंड) का निरीक्षण करेगी। टीम वहां के इंजीनियरों से भी मिलेगी।
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आप सोच रहे होंगे की डोबरा चांटी पुल ही क्यों नहीं अथवा आप इस डोबरा चांटी पुल (Dobra Chanti Pul) अवगत नहीं हैं तो हम आपको बता दें की उत्तराखंड के टिहरी झील पर बने डोबरा-चांठी मोटरेबल झूला पुल देश का सबसे बड़ा ससपेंशन पुल है। इसकी डिजाइन भारत, कोरिया और चीन के इंजीनियरों ने मिलकर तैयार की थी।
अधिक जानकारी के लिए बता दें की डोबरा-चंटी पुल 42 किमी लंबी टिहरी झील पर बना है। इस पुल का निर्माण लगभग 296 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। यह पुल कुल 725 मीटर लंबा है जिसमें से 440 मीटर के सस्पेंशन ब्रिज का भाग है।
उत्तराखंड का यह डोबरा-चांटी पुल देश का सबसे लंबा सस्पेंशन ब्रिज होने के साथ-साथ अत्यंत सुंदर भी है। इस पुल पर 6 करोड़ रुपये की आधुनिक तकनीक से बहुरंगे प्रकाश की व्यवस्था भी किया गई है, जो झील की सुंदरता में चार चांद लगाती है और रात में पर्यटकों को अधिक आकर्षित करती है।
अब आते हैं वाराणसी और बता दें की उत्तराखंड के पुलों की निरिक्षण करने के पश्चात विशेषज्ञों की टीम दिल्ली में प्रेजेंटेशन करेगी। इसमें पुल की डिजाइन और मजबूती पर विस्तार से बताएगी। साथ ही सस्पेंशन पुल निर्माण की एनओसी लेने के लिए विभिन्न विभागों के निदेशक से मिलेगी। दिल्ली में यदि डोबरा-चांठी पुल की डिजाइन फाइनल होगी तो पीडब्ल्यूडी को इंटरनेशनल मीटिंग करनी होगी। साथ ही पुल और सड़क निर्माण के लिए अलग से टेंडर निकालना होगा। इसके लिए लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर विपुल प्रकाश से संपर्क किया हैं। प्रोफेसर ने पहले उत्तराखंड के दोनों पुल देखने और उसकी जानकारी लेने की सलाह दी है। लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता संजय तिवारी के अनुसार शीघ्र ही पुल की डिजाइन फाइनल होगी।
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कहा जाए तो धर्म नगरी काशी आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को अति शीघ्र सुबह-ए-बनारस का अवलोकन मां गंगा की मध्य धारा में खड़े हो कर मिल सकेगा। तथा बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का अवलोकन भी होगा। उत्तर वाहिनी मां गंगा के सुरम्य तट पर बने घाटों का मनोरम दृश्य अपने नत्रों में सदा के लिए संजो सकेंगे, क्योंकि यहां भी होगा ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला की तर्ज पर सस्पेंशन पुल।
इस पुल के स्थान विशेष की जानकारी के लिए बता दें की यह सस्पेंशन पुल काशी के प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर बनेगा जो गंगा पार कटेसर तक जाएगा। इस पुल क निर्माण का दायित्व लोक निर्माण विभाग अर्थात पीडब्ल्यूडी को सौंपी गई है। पीडब्ल्यूडी, पुल की डिजाइन तैयार करने के लिए सरकारी कार्यदायी एजेंसियों से संपर्क साधने में जुट गई है। डिजाइन तैयार होते ही उसकी गुणवत्ता की परख के लिए आईआईटी रुड़की के इंजीनियरों को भेजा जाएगा ताकि विशेषज्ञों की सटीक राय मिल सके।
इस बीच पीडब्ल्यूडी, इस सस्पेंशन पुल के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जुटाने में जुट गई है। इसके अंतर्गत 14 विभागों को पत्र भेज कर संपर्क साधा गया है। यही नहीं केंद्रीय जल बोर्ड से तो अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल भी गया है।
बताया जा रहा है कि इस सस्पेंशन पुल के निर्माण के पश्चात पर्यटक व तीर्थयात्री न केवल मां गंगा तट के अर्द्धचंद्राकार विश्वविख्यात मनोरम घाटों का आनंद उठा पाएंगे अपितु गंगा पार भी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही इस परियोजना के अंतर्गत मॉडल सड़क, जेटी, हेलीपैड, हुनर हार्ट, फूड प्लाजा भी होगा आकर्षण का केंद्र।
इस परियोजना के लागत की जानकारी के लिए बता दें की प्राचीन दशाश्वमेध घाट से गंगा पार कटेसर तक जो सस्पेंशन पुल का निर्माण होगा। उसके विधानसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता हटने के पश्चात काम में तेजी आ जाएगी। पुल की डिजाइन तैयार करने से लेकर अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। और इस पुल के निर्माण पर कुल 368 करोड़ 20 लाख रुपये खर्च होंगे।
इसके साथ ही आपको बता दें की वाराणसी के राजघाट स्थित मालवीय पुल के समीप एक सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण भी होना है। इस सिग्नेचर ब्रिज की ऊंचाई से संबंधित अड़चनें दूर होने के पश्चात इस दिशा में भी प्रयास तेज हो गए हैं।
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बता दें की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने एनओसी जारी कर दिया है। और अब एनएचएआइ से डीपीआर फाइनल होना शेष है। इसके पश्चात परियोजना को मूर्त रूप देने का कार्य आरंभ हो जाएगा। जानकारी के अनुसार नए ब्रिज की ऊंचाई पुराने मालवीय ब्रिज के समान ही होगी। तथा दोनों पुलों के मध्य में 45 मीटर का फासला होगा।
अर्थात सबकुछ ठिक रहा तो शीघ्र ही काशीवासियों को दशाश्वमेध से राजघाट के मध्य में ही दो और पुल की सौगात मिलेगी जो काशी दर्शन को तो सुविधायुक्त बनाएगी ही साथ ही नगर यातायात को सुगम कर वाराणसी की पहचान भी बनेगी।
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