अब काशी के मणिकर्णिका घाट बदलेगा भव्य स्वरुप

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Manikarnika Ghat Redevelopment : महादेव की नगरी वाराणसी जहां पर जीवन के आशिर्वाद के साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। उसके संपूर्ण विकास का समय आ गया है अर्थात काशी विश्वनाथ धाम के कायाकल्प के पश्चात अब मणिकर्णिका घाट का भी पुनरुद्धार हो रहा है।

Manikarnika Ghat Redevelopment
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मित्रों जैसा की हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में श्मशान घाट का बहुत महत्व होता है तथा यह स्थान आत्मा का परमात्मा के मिलन का द्वार भी माना जाता है एवं यदि बात पुराणों में वर्णित काशी के महाश्मशान घाट की हो तो आप समझ ही सकते उसकी महत्ता।

कहा जाता है काशी के मणिकर्णिका घाट पर स्वयं भगवान शिव मरने वालों को तारक मंत्र प्रदान करते हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म में अधिकांश लोग यही चाहते हैं कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनका दाह-संस्कार काशी के मणिकर्णिका घाट पर ही हो। यह भी एक कारण है कि यह विश्व का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां की अग्नि कभी बुझती नहीं। एवं आस पास के प्रांत व राज्यों से भी लोग शवदाह के लिए यहां पर आते हैं।

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जानकारी के लिए बता दें की काशी के मणिकर्णिका घाट पर लकड़ी से ही अब तक शवदाह संस्कार होते थे परंतु समय की आवश्यकताओं के अनुसार अब यहाँ पर बने शवदाह के लिए प्लेटफार्मों की संख्या कम पड़ने लगी थी तथा उन्हें आधुनिक बनाने के उद्देश्य से 2 वर्ष पूर्व काशी के मणिकर्णिका घाट के सीढ़ियों को आवश्यकतानुसार बनाया गया था। जिसकी जानकारी हमने आपको पहले भी दी थी।

आधुनिक होती काशी में बहुत से विकास कार्य हुए हैं तथा‌ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर से लेकर नमो घाट व फ्लाईओवर व कई मल्टीलेवल पार्किंग भी बने हैं परंतु मोक्ष जिसके लिए भी लोग काशी आते हैं वह स्थान अभी भी विकास की आस संजोए हुए था। जहां पर अब‌ विकास कार्य संचालित है।

Manikarnika Ghat Redevelopment
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आपको हम यहां हुए ध्वस्तीकरण व वर्तमान परिस्थिति की दृश्य प्रदर्शित करते हुए बता दें कि काशी का विश्व प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट गंगा नदी किनारे ललिता घाट के निकट स्थित है तथा यहाँ पर पहुँचने के लिए दो मार्ग उपलब्ध हैं जिनमें से एक स्वयं गंगा नदी जहाँ आप नाँव के माध्यम से पहुँच सकते हैं तथा दूसरा सड़क मार्ग है, जोकी काशी के काशी विश्वनाथ के प्रवेश द्वार व ज्ञानवापी क्षेत्र के समीप मणिकर्णिका द्वार से आरंभ होता है एवं बनारस की तंग गलियों में से होकर गुजरता है जिसे की लाहौरी टोला व मणिकर्णिका गली के नाम से जाना है।

अब आपको मणिकर्णिका घाट के नवीनीकरण परियोजना की अधिक जानकारी देते हुए बता दें की हिंदूओं के सबसे पवित्र श्मशान घाटों में से एक मणिकर्णिका घाट पर अब 18 करोड़ रुपये की लागत से विकास कार्य संचालित है।

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वर्तमान समय में यहां काम अतिक्रमण हटाने और सीवेज, पेयजल पाइपलाइन, बिजली के केबल और अन्य सहित उपयोगिताओं को स्थानांतरित करने के पश्चात ध्वस्तीकरण आदि का संचालित है।

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस परियोजना के मानचित्र के अनुसार साइट को स्वीकृति दे दी गई है। परियोजना मुंबई स्थित कंसल्टेंसी कंपनी द्वारा उनके डिजाइन को अंतिम रूप देने के बाद, रूपा फाउंडेशन और जेएसडब्ल्यू के सौजन्य से जिंदल के कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड से की जा रही हैं।

Manikarnika Ghat Redevelopment
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बता दें कि मणिकर्णिका घाट कायाकल्प योजना के विवरण के अनुसार, घाट के निचले मंच पर 18 और ऊपरी मंजिल पर 18 चिताओं के लिए स्थान बनाई जाएगी। जहां पर विभिन्न अनुष्ठानों को करने सहित सभी सुविधाएं लाने के अतिरिक्त, व्यापारियों द्वारा चिता-लकड़ी के भंडारण की उचित व्यवस्था का भी ध्यान रखा जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि किसी भी परंपरा या स्थान के सार को संशोधित किए बिना यहां सभी कायाकल्प कार्य किए जाएंगे।

परियोजना के अनुसार में राख के उचित निपटान, फूलों आदि को तत्काल अलग करने और उनके निपटान पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। तथा श्मशान घाट का स्वरूप काशी विश्वनाथ धाम से मेल भी खाएगा। इस ‘मुक्ति की नगरी’ के महाश्मशान का कायाकल्प शीघ्र ही मणिकर्णिका घाट पर स्पष्ट होगा।

Manikarnika Ghat Redevelopment
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बता दें कि इस‌ परियोजना का प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष 7 जुलाई की अपनी यात्रा के समयावधि में नींव रखी थी। और अब मणिकर्णिका घाट के पुनरुद्धार की तैयारी आरंभ हो गई है। लगभग 18 करोड़ रुपये खर्च कर मोक्ष तीर्थ को नया स्वरूप दिया जाएगा।

यही नहीं, मणिकर्णिका घाट के पुनरोद्धार पर कुल 18 करोड़ रुपये खर्च होंगे। भू-तल का कुल क्षेत्रफल 29350 वर्ग फीट, दाह संस्कार का क्षेत्रफल 12,250 वर्गफीट तय है। प्रथम तल 20, 200 वर्गफीट रखा गया है। तथा दाह संस्कार का क्षेत्रफल 9100 वर्गफीट होगा। इसके चुनार के पत्थर व जयपुर के गुलाबी पत्थरों से संवरने वाले इस महाश्माशन क्षेत्र में स्थित मणिकर्णिका कुंड व रत्नेश्वर महादेव मंदिर को सजाया संवारा जाएगा।

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इसके अतिरिक्त शव स्नान के लिए पवित्र जल कुंड, प्रतिक्षालय आदि भी होंगे। इसके भूतल पर पंजीकरण कक्ष, नीचे के खुले में दाह संस्कार के 19 बर्थ, लकड़ी भंडारण क्षेत्र, सामुदायिक प्रतिक्षा कक्ष, दो सामुदायिक शौचालय, अपशिष्ट ट्रालियां का स्थापन मुंडन क्षेत्र होंगे। तथा आसपास के क्षेत्र को भी विकसित किया जाएगा।

सबसे बड़ी बात यह है कि हाई फ्लड लेबल को ध्यान में रखकर कार्य कराया जा रहा है। जी हां, काशी में 1978 में आई अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ को मानक मानकर काम कराया जा रहा है। 1978 में गंगा का जलस्तर 73.90 मीटर तक पहुंच गया था। इसे ही बाढ़ का उच्चतम बिंदु माना गया है। 2013 और 2016 की गंगा बाढ़ में जब जलस्तर 72 मीटर से ऊपर गया तो शवदाह गृहों पर शवदाह की क्रिया बाधित हुई थी। इसे ध्यान में रखते हुए शवदाह स्थलों का कायाकल्प कराया जा रहा है। मणिकर्णिका घाट की ऊंचाई 73.90 मीटर की जा रही है। 

Manikarnika Ghat Redevelopment
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बता दें कि मणिकर्णिका घाट के आसपास के हेरिटेज स्थलों को भी नया लुक दिया जाएगा। इसमें चक्र पुष्करिणी, रत्नेश्वर महादेव मंदिर, तारकेश्वर मंदिर और दत्तात्रेय पादुका का भी जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। घाट पर सीढ़ियों और सड़क का निर्माण कराया जा रहा है।

आशा करते हैं कि जिस काशी की एक झलक पाने के लिए लाखों श्रद्धालु वाराणसी प्रतिदिन आते हैं वहां पर अब काशी का मोक्ष स्थल भी अपनी व्यवस्थित व भावपूर्ण छाप विश्व के समक्ष प्रस्तुत करेगा।

Manikarnika Ghat Varanasi Redevelopment
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मित्रों यदि आपको दी हुई मणिकर्णिका घाट रीडेवेलपमेंट प्रोजेक्ट की जानकारी पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में अपने गांव अथवा जिले का नाम लिखें। हम आगे भी ऐसी जानकारी आपतक पहुँचाते रहेंगे।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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