और बढ़ेगी यूपी के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेसवे की लंबाई

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भारत में सबसे तीव्र गति से विकास करने वाला एक्सप्रेस प्रदेश बन रहा है उत्तर प्रदेश। प्रदेश की सड़कों पर गाड़ीयाँ ही नहीं अपितु लड़ाकू विमान भी दौड़ते हैं तथा प्रदेश के सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेसवे (Ganga Expressway) की लंबाई अब और भी बढ़ाने वाली है।

देश के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे में से एक तथा उत्तर प्रदेश की अति प्रतीक्षित परियोजना प्रवेश नियंत्रित मार्ग गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण को लेकर कार्य ने गति पकड़ ली है।

बता दें कि गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश (यूपी) राज्य में एक महत्वाकांक्षी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना है। गंगा एक्सप्रेसवे का पहला चरण मेरठ जिले के बिजौली गांव को प्रयागराज जिले के जुदापुर दांडू गांव से जोड़ेगा।

इस मार्ग को छह लेन का बनाया जाएगा तथा इस प्रकार से बनाया जाएगा की इसे आवश्यकता पड़ने पर 8 लेन तक बढ़ाया जा सके। परियोजना के पहले चरण की कुल लंबाई 594 किमी है।

गंगा एक्सप्रेसवे मार्ग पहले चरण के अंतर्गत जिन जिलों से होकर क गुजरेगा। उनके नाम हैं:

1. मेरठ
2. हापुड़
3. बुलंदशहर
4. अमरोहा
5. संभल
6. बदायूं
7. शाहजहांपुर
8. हरदोई
9. उन्नाव
10. रायबरेली
11. प्रतापगढ़
12. प्रयागराज

जानकारी के लिए बता दें कि गंगा एक्सप्रेसवे की परिकल्पना वर्ष 2007 में की गई थी। हालाँकि, इस परियोजना ने वर्ष 2019 में काम आरंभ किया। गंगा एक्सप्रेसवे के विकास की समय-सीमा आपके स्क्रीन पर उपलब्ध है।

बता दें कि गंगा एक्सप्रेसवे की नोडल एजेंसी है उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA)। एवं गंगा एक्सप्रेसवे के चरण 1 के निर्माण को 12 अलग-अलग पैकेजों में विभाजित किया गया है।

गंगा एक्सप्रेसवे को उत्तर प्रदेश के 12 से अधिक जिलों को जोड़ने के लिए डिजाइन किया गया है। गंगा एक्सप्रेसवे कॉरिडोर का अत्यधिक महत्व है क्योंकि यह पूर्वी यूपी को राज्य के पश्चिमी हिस्से से जोड़ने वाला एक प्रमुख कॉरिडोर होगा। राज्य के पूर्वी और पश्चिमी नोड्स को जोड़ने से पूरे कॉरिडोर का ढांचागत और आर्थिक विकास हो सकेगा।

गंगा एक्सप्रेसवे का उद्देश्य गंगा नदी के किनारे ग्रामीण क्षेत्रों को अंतिम मील तक कनेक्टिविटी प्रदान करना है। गंगा एक्सप्रेसवे कॉरिडोर के पहले चरण की कुल निर्माण लागत 37,350 करोड़ रुपये है। इसमें 9500 करोड़ रुपये से अधिक की भूमि अधिग्रहण लागत भी सम्मिलित है।

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गंगा एक्सप्रेसवे की विशेषताएं और लाभ की जानकारी हेतु बता दें कि संपूर्ण गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के डीबीएफओटी मॉडल पर विकसित किया जा रहा है। डीबीएफओटी‌ अर्थात मॉडल विकास, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण है, जो आधारभूत संरचना परियोजना के विकास के लिए विश्व भर में अपनाया गया एक बहुत ही प्रभावी मॉडल है।

बता दें कि गंगा एक्सप्रेसवे में मेरठ और प्रयागराज में मुख्य टोल प्लाजा होंगे। मुख्य टोल प्लाजा के अतिरिक्त 12 और रैंप टोल प्लाजा होंगे। एवं गंगा एक्सप्रेसवे को हवाई संपर्क प्रदान करने के लिए शाहजहांपुर के पास 3.5 किमी लंबी एक हवाई पट्टी भी बनाई जानी है जहां से आपात स्थिति में वायुसेना के विमान उड़ान भर सकेंगे।

गंगा एक्सप्रेसवे पर लोगों की सुविधाओं के लिए इस एक्सप्रेसवे पर नौ जनसुविधा केंद्र, सात रेलवे ओवर ब्रिज, 14 दीर्घ सेतु, 126 लघु सेतु और 381 अंडरपास बनाया जाएगा। एक्सप्रेस-वे पर प्रवेश और निकासी के लिए 17 स्थानों पर इंटरचेंज सुविधा भी दी जाएगी। इसके अतिरिक्त परियोजना के आस-पास के गांवों के निवासियों की सुविधा के लिए सर्विस रोड भी बनाया जाएगा।

मेरठ से प्रयागराज तक बनने वाले गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण का दायित्व अडानी समूह और आईआरबी को दिया गया है। इस प्रक्रिया में कुल तीन कंपनियों ने बोली लगाई थी। जिसमें कि पहले चरण में मेरठ से अमरोहा तक का काम आईआरबी को मिला है। अमरोहा से प्रयागराज तक तीन चरणों का काम अडानी समूह करेगा। उप्र एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने पूरे प्रोजेक्ट को 12 पैकेज और चार ग्रुप में बांटा है। तथा इसका निर्माण चार चरणों में होगा जो है :

Highway

ग्रुप 1 – मेरठ से अमरोहा, 129 किमी (आईआरबी)
ग्रुप 2 – बदायूं से हरदोई, 151 किमी (अडानी इंटरप्राइजेज)
ग्रुप 3 – हरदोई से उन्नाव, 155 किमी (अडानी इंटरप्राइजेज)
ग्रुप 4 – उन्नाव से प्रयागराज, 156 किमी (अडानी इंटरप्राइजेज)
गंगा एक्सप्रेसवे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को निर्बाध कनेक्टिविटी लिंक प्रदान करेगा।

वर्तमान परिस्थिति की जानकारी हेतु बता दें कि गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए आधिकारिक रूप से 93 प्रतिशत से अधिक भूमि 4 अप्रैल तक अधिग्रहित की जा चुकी है।

उन्नाव साइड में बनने वाले गंगा एक्सप्रेसवे के लिए मिट्टी की टेस्टिंग चल रही है। संभावित एलाइनमेन्ट तैयार हो गया है। गंगा एक्सप्रेसवे को कानपुर से भी जोड़ा जाना है जो कि सोनिक जंक्शन के साथ ही बदरका और आजाद मोड़ पर संभावित है। इससे रायबरेली, लखनऊ हाईवे, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे को जोड़ने का मार्ग मिल सके।

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गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे उपयुक्त स्थानों पर औद्योगिक क्लस्टर बनाए जाएंगे। जिसमें से एक बुलंदशहर में प्रस्तावित है।

विशेषज्ञों का मानना है कि गंगा एक्सप्रेस-वे से विभिन्न औद्योगिक इकाइयों और यूपी के किसानों द्वारा किए गए उत्‍पादन को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए एक कॉरिडोर का भी विकास होगा। यह खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडार गृह, मंडी और दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना की मार्ग प्रशस्त करेगा।

मेरठ से प्रयागराज को जोड़ने वाला गंगा एक्सप्रेसवे दोनों नगरों के मध्य बीच की दूरी ही कम नहीं करेगा, अपितु सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
शाहजहाँपुर के जलालाबाद पर सेना का नया बेस बनेगा, जहां से आपात स्थिति में नेपाल व चीन की सीमा तक पहुंचना सरल हो जाएगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की तरह गंगा एक्सप्रेस वे की इस हवाई पट्टी पर भी विमान उतारे जा सकेंगे।

यदि इस एक्सप्रेसवे पर यातायात की गति की जानकारी दें वह होगी 120 किलोमीटर प्रतिघंटा जिसके अनुसार इसे डिजाइन किया गया है। अर्थात 120 की गति से इस एक्सप्रेसवे पर गाड़ीयाँ दौड़ सकेंगी।

सबसे महत्वपूर्ण की मेरठ से प्रयागराज तक बन रहे गंगा एक्सप्रेसवे को वाराणसी से भी जोड़ा जाएगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के अधिकारियों को डिटेल्‍स प्रोजेक्‍ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने का निर्देश औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल नंदी ने दिया है। विभाग का कार्यभार संभालते ही उन्होंने अगले सौ दिन के लिए एजेंडा भी तय कर उसे समय से पूरा करने के लिए कहा है।

यही नहीं दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को भी गंगा एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाएगा। गंगा एक्सप्रेसवे को प्रयागराज से बढ़ाते हुए वाराणसी तक जोड़ने के लिए प्रस्ताव और डीपीआर बनाने के निर्देश अफसरों को दिए गए हैं। एवं यह कार्य गंगा एक्सप्रेसवे के द्वितीय चरण में होगा।

गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ और प्रयागराज के बीच की दूरी को कम करेगा। इसके माध्यम से 11 घंटे से अधिक की यात्रा 8 घंटे में पूरा किया जाएगा। गंगा एक्सप्रेसवे से औद्योगिक विकास, व्यापार, कृषि, पर्यटन आदि को बढ़ावा मिलने की आशा है। इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी। एक बार पूरी तरह से बन जाने के पश्चात, गंगा एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे बन जाएगा, जो राज्य के पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों को जोड़ता है।

मित्रों यदि आपको उपरोक्त दी हुई गंगा एक्सप्रेसवे की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो अपने गांव अथवा जिले का नाम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।

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