भारत की पहली विकास परियोजना, आकाश से दिखेगी काशी Varanasi Ropeway Project

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Varanasi Ropeway Project : यदि आप वाराणसी में रहते हैं तो आपको गर्व की अनुभूति होगी क्योंकि विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर में आपको भारत का पहला रोपवे सिटी का आनंद भी मिलने वाला है क्योंकि कुछ ही दिनों में वाराणसी में विश्व का तीसरा अर्बन रोपवे होने वाला है आरंभ।

Varanasi Ropeway Project
Varanasi Ropeway Project

Varanasi Ropeway Project: देश में हो रहे विभिन्न आधारभूत संरचना विकास कार्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी ने स्वयं को अग्रणी भूमिका में स्थापित किया है। तथा भारत का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे नगर बन रही है काशी।

सबसे पहले हम बात करते हैं इस परियोजना के विशेषताओं की। वाराणसी रोपवे हमारे प्यारे नगर का और भी अधिक पर्यटकों में आकर्षण बढ़ाएगा। यहां पहले से ही बहुत सारे लोग वाराणसी को जीने तथा बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आते हैं। परंतु इस नगर की यातायात समस्या से उनकी यात्रा में बाधा आती है। जिसका निवारण यह बाराणसी रोपवे करने वाला है। 24 मार्च 2023 को पीएम मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी।

Varanasi Ropeway Project
Varanasi Ropeway Project

बता दें कि 150 फीट ऊंचाई से गुजरेगा रोपवे का गोंडोला। कैंट स्टेशन से गोदौलिया की 3.85 किलोमीटर की यात्रा केवल 16 मिनट में तय होगी। तथा 153 गंडोला अर्थात रोपवे की ट्राॅली कैंट से गोदौलिया तक चलेंगे। और प्रत्येक डेढ़ से दो मिनट के अंतराल में एक गोंडोला मिलेगा। एक दिशा में एक घंटे में 3000 लोग यात्रा कर सकेंगे। दोनों दिशाओं से 6000 लोग एक घंटे में आ जा सकेंगे। कुल पांच रोपवे स्टेशन बनाए जाने हैं, जिनमें वाराणसी कैंट, भारत माता मंदिर-विद्यापीठ, रथ यात्रा, गिरिजाघर और गोदौलिया सम्मिलित हैं।

अब बात करते हैं इस वाराणसी रोपवे परियोजना के निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की तो आपको हम बता दें कि काशी में देश का पहला अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे बन रहा है। सबसे पहले काशी विद्यापीठ और रथयात्रा में रोपवे स्टेशन बनकर तैयार होगा। काशी विद्यापीठ और रथयात्रा के रोपवे स्टेशन में गंडोला के लिए प्लेटफॉर्म स्तर तक का काम हो गया है। स्टेशन के भीतर का कार्य तीव्र गति से संचालित है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे के लिए उपकरण स्विटज़रलैंड और रोपवे ऑस्ट्रिया से आ रहा है। स्टेशन के फसाड के लिए भी सामग्री वाराणसी पहुंचने लगी है।

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रोपवे स्टेशन पर वाराणसी की कला, संस्कृति व अध्यात्म के साथ देवालय का रूप भी दिखाई देगा। शीघ्र ही रोपवे के ट्रायल रन की भी योजना है। रोप-वे के निर्माण से बनारस की यातायात और सुगम होने वाली है। भगवान शिव की त्रिशूल पर बसी काशी का अवलोकन आकाश से देखते हुए कैंट रेलवे स्टेशन से बाबा धाम के पास गोदौलिया तक मात्र कुछ मिनटों में पंहुचा जा सकता है। वाराणसी रोपवे परियोजना की नोडल एजेंसी नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार प्रथम चरण के पहले सेक्शन के तीन स्टेशनों में से सबसे पहले भारत माता मंदिर स्थित काशी विद्यापीठ और रथयात्रा का रोपवे स्टेशन बनकर तैयार होगा।

इन स्टेशनों पर प्लेटफॉर्म स्तर तक का काम हो गया है। दोनों स्टेशनों के मध्य 8 टावर होंगे। स्टेशनों पर काशी की संस्कृति, खानपान, अध्यात्म, इतिहास और बनारस से जु़ड़ी चीजें प्रदर्शित होंगी। स्टेशन और टावर समेत निर्माण सामग्री स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया से आने लगी है। मई के अंत तक निर्माण के सभी उपकरणों के वाराणसी पहुंचने की संभावना है। रोपवे से वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन से काशी विश्वनाथ मंदिर के पास तक की यात्रा मात्र 16 मिनट में तय होगी। रोप वे का निर्माण 807 करोड़ रुपये से किया जा रहा है। इसके एक ट्रॉली में 10 पैसेंजर बैठ सकते हैं। इसकी सीट फोल्ड हो सकती है, जिससे दिव्यांगजनों की व्हीलचेयर सरलता से गोंडोला में आ सकती है।

Varanasi Ropeway Project
Varanasi Ropeway Project

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि देश का पहला पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे का गोदौलिया स्टेशन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। कैंट से काशी विद्यापीठ और रथयात्रा होकर आने वाले रोपवे का अंतिम स्टेशन गोदौलिया होगा। यहां चारों दिशाओं में निकास द्वार बनाने की तैयारी है। ताकि लोगों को किसी प्रकार की कठिनाई न होने पाए। इसका ट्रायल शीघ्र ही किया जाएगा। देश के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे को धरातल पर उतारने का काम चल रहा है। इसके लिए कई स्थानों पर एक साथ कार्य संचालित है।

यह भी बता दें कि इस रोपवे में यात्रा करने वाले यात्री केवल हैंडबैग और छोटे बैग ही ले जा सकेंगे। इसके लिए एक मैकनिज्म तैयार किया जा रहा है। नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड के अनुसार कैंट स्टेशन पर उतरने वाले यात्रियों के लिए लॉकर की व्यवस्था होगी। ताकि वे अपना सामान वहां रखकर रोपवे की यात्रा कर सकें। इस समयावधि में केवल छोटे हैंड बैग, लैपटॉप, महिलाओं के पर्स आदि को ही ले जाने की अनुमति दी जाएगी। 

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रोपवे के गंडोला की निर्धारित क्षमता होती है। इसके अनुसार 10 सीटर गंडोला की क्षमता 600 से 800 किलो वजन उठाने की है। रोपवे काशी की यातायात की समस्या को सुगम बनाने के साथ ही कम समय में प्रदूषण रहित यात्रा कराएगा।

यही नहीं रोपवे निर्माण में बाधा बन रहे भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई लगातार जारी है। इसी क्रम में वीडीए ने 10 भवनों पर बुलडोजर चलवाया। प्रशासन की ओर से पहले से चिह्नांकन कर निशान लगाया गया तत्पश्चात ध्वस्तीकरण की कार्रवाई चली।

Varanasi Ropeway Project
Varanasi Ropeway Project

रोपवे के लिए पिलर खड़ा करने, स्टेशन निर्माण समेत अन्य कार्य कराए जाने हैं। इसको लेकर वीडीए व संबंधित विभाग की ओर से भूमि का चिह्नांकन किया गया है। और विरेश्वर पांडेय धर्मशाला भवन के आगे का निर्माण तोड़ा गया। यह धर्मशाला काफी पुरानी है। ध्वस्त कराए गए इस स्थान पर रोपवे का पिलर बनेगा व इसके उपकरण रखे जाएंगे।

यह भी बता दें कि देश के पहले अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे स्टेशन (ropeway station) की डिजाइन फाइनल हो गई है। स्टेशन का बाहरी आकार तय कर दिया गया है। बाहरी माडल में शिव और काशी की झलक दिखाई पड़ेगी। कैंट स्टेशन (Cantt Station) पर एल्युमिनियम कंपोजिट पैनल से डमरू, नंदी और त्रिशूल बनाए जाएंगे, जबकि काशी विद्यापीठ स्टेशन (Kashi Vidyapeeth Station) पर भोलेनाथ का बड़ा चित्र होगा। इसमें खास तरह के मेटल का प्रयोग होगा।

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महत्वपूर्ण है कि पहले फेज में कैंट, विद्यापीठ व रथयात्रा स्टेशन का काम पूरा कर लिया गया है। टावर स्थापित किए जा रहे हैं। करीब 1.80 किलोमीटर लंबी दूसरे चरण की परियोजना में गोदौलिया गिरिजा घर और रथयात्रा सम्मिलित है इसमें गिरिजाघर स्टेशन को तकनीकी कार्य के लिए उपयोग किया जाएगा।

दूसरे चरण के रोपवे का लोकेशन चिह्नित किया जा रहा है। गोदौलिया से रथयात्रा के बीच पहले अलग एलाइनमेंट तय था, परंतु परिस्थितियों को देखते हुए थोड़ा परिवर्तन हुआ है। पाइलिंग की पोजिशिनिंग बदली जाएगी। निगम की टीम ने रोपवे के निर्माण कार्य में बाधक बने मकानों व दुकानों को तोड़ना आरंभ कर दिया है।

Varanasi Ropeway

बताया जा रहा है कि रोपवे में बाधक बने 12 मकानों को तोड़ा जा रहा है। वहीँ गिरजाघर चौराहे के पास स्थित 9 मीटर की सड़क को चौड़ा कर 15 मीटर किया जाएगा। इसके लिए निगम की टीम ने निशान लगाने के पश्चात तोड़फोड़ की कार्रवाई आरंभ कर दी है।

बता दें कि सड़क के दोनों ओर तीन-तीन मीटर की सर्विस लेन बनाई जाएगी। जिसमें एक मीटर में बिजली के तार बिछाए जाएंगे और बाकी 2 मीटर में अन्य संसाधनों को शिफ्ट कराया जाएगा। इसके पश्चात सड़क जस की तस चालू कर दी जाएगी।

मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको वाराणसी रोपवे परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-

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