यूपी में हुआ एक और कारनामा, Solar Expressway Bundelkhand
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Solar Expressway Bundelkhand : भारत में सबसे तीव्र गति से विकास पथ पर अग्रसर उत्तर प्रदेश करने वाला है एक और कारनामा। एक्सप्रेसवे स्टेट होने के साथ ही अब उत्तर प्रदेश में बनेगा ऐसा भविष्यमयी एक्सप्रेसवे जो करेगा देश की आवश्यकताओं को भी पूरा।
Solar Expressway Bundelkhand : मित्रों जहां एक ओर देश के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे में से एक गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य ने तीव्रतम गति संचालित है। तो वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में और भी कई नवीन एक्सप्रेसवे पर कार्य संचालित है। यही नहीं भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार अब सोलर एक्सप्रेसवे को बनाने जा रही है।
देशभर में रोड कनेक्टिविटी को बढ़ाने और बड़े-बड़े नगरों को आपस में जोड़ने के लिए तेजी से एक्सप्रेसवे और हाईवे का निर्माण हो रहा है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में एक महत्वाकांक्षी एक्सप्रेसवे का निर्माण होने जा रहा है।
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आइए आपको इसके संपूर्ण जानकारी देते हैं। बता दें कि योगी सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को प्रदेश के पहले सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित करने जा रही है। एक्सप्रेसवे पर पीपीपी मॉडल के अंतर्गत सोलर प्लांट्स लगेंगे। इसके माध्यम से 550 मेगावॉट सोलर पावर जेनरेशन होगा। प्लांटस लगाने के लिए एक्सप्रेसवे पर 1700 हेक्टेयर भूमि भी चिन्हित की है। कई बड़ी कंपनियां इस परियोजना में रूचि ले रही हैं। इस परियोजना के पूरा होने पर एक्सप्रेसवे से जुड़े एक लाख घरों को प्रतिदिन प्रकाशित किया जा सकेगा। 25 वर्ष की इस परियोजना में पे बैक पीरियड 10 से 12 वर्ष निर्धारित किया गया है। यह जानकारी यूपीडा के उच्चाधिकारियों ने दी।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) इस परियोजना के लिए निवेशक कंपनियों के प्रस्तावों का अध्ययन कर रहा है। 8 प्रमुख सोलर पावर डेवलपर्स ने अपना प्रेजेंटेशन पूरा कर लिया है। इनमें टस्को, टोरेंट पावर, सोमाया सोलर सॉल्यूशंस, 3 आर मैनेजमेंट, अवाडा एनर्जी एरिया, वृंदावन पावर, एरिशा ई मोबिलिटी और महाप्राइट सम्मिलित हैं।
परियोजना से मिलने वाले लाभ की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस परियोजना के पूर्ण होने पर बड़ी मात्रा में ग्रीन एनर्जी जेनरेट होगी। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होगा और जलवायु परिवर्तन की दर में कमी आएगी। एक एनर्जी सोर्स में वृद्धि होगी, जिससे ओपन ग्रिड एक्सेस के रूप में आर्थिक गतिविधियों में भी वृद्धि होगा। एक्सप्रेसवे पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग और अन्य ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।
यही नहीं, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित करने से यूपीडा को भी बड़े स्तर पर लाभ होगा। इसके माध्यम से यूपीडा को लीज रेंट के रूप में 4 करोड़ रुपये की आय की संभावना है। साथ ही, उत्पन्न ऊर्जा के विक्रय के भाग के रूप में उसे 50 करोड़ रुपये वार्षिक लाभ भी मिल सकता है। साथ ही बुंदेलखंड, पूर्वांचल, आगरा-लखनऊ और गोरखपुर एक्सप्रेसवे पर सोलर प्लांट्स लगने से उसे ऊर्जा खपत पर वार्षिक 6 करोड़ रुपये का लाभ हो सकता है।
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अब आप सोच रहे होंगे की बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे ही क्यों तो हम आपको बता दें कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे सोलर पावर प्लांट्स के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। सबसे प्रमुख कारण है यहां भूमि की सरलता से उपलब्ध होना। इसके अतिरिक्त यह ड्राई रीजन (शुष्क क्षेत्र) है और साफ मौसम के साथ ही यहां प्रति वर्ष लगभग 800-900 मिमी औसत वर्षा होती है।
और यहीं पर उत्तर प्रदेश सरकार बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे के किनारे 1700 हेक्टेयर भूमि पर सौर संयंत्र स्थापित करने की तैयारी कर रही है, जिसका लक्ष्य इसे 550 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने वाले राज्य के पहले सौर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित करना है।
इस सोलर प्लांट से राज्य सरकार का लक्ष्य एक्सप्रेसवे के किनारे एक लाख घरों में बिजली पहुंचाना है। परियोजना का अनुमानित जीवनकाल 25 वर्ष है।
राज्य सरकार की संस्था उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) इस परियोजना को क्रियान्वित करेगी। परियोजना से संबंधित ड्यू डिलिजेंस अध्ययन अर्थात रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) चरण के साथ पूरा हो चुका है, जो अगस्त 2023 में संपन्न हुआ।
296 किमी लंबा चार लेन वाला बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे दो भागों में विभाजित है। इसमें मुख्य कैरिजवे और एक सर्विस लेन हैं। इन दोनों के मध्य की स्थान में पूरे एक्सप्रेसवे पर लगभग 15 से 20 मीटर चौड़ी भूमि की एक पट्टी वर्तमान समय में रिक्त है। इस क्षेत्र को सौर पैनलों से कवर करने, कृषि भूमि को अलग करने और बाड़ लगाने की योजना है।
परियोजना की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि वर्तमान में परियोजना के लिए डेवलपर्स के चयन के लिए आरएफपी को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। बोली प्रक्रिया शीघ्र ही आरंभ होने की संभावना है।
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एक्सप्रेसवे परियोजना के पूरा होने से ऊर्जा की आवश्यकताऔं को पूरा करने और भविष्य में एक्सप्रेसवे के साथ ई-गतिशीलता और विकास की नींव के रूप में काम करने की आशा है। यह परियोजना महत्वपूर्ण मात्रा में हरित ऊर्जा उत्पन्न करेगी, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगी और जलवायु परिवर्तन की दर में कमी लाने में योगदान देगी।
इससे ऊर्जा स्रोतों में वृद्धि होगी, जिससे खुली ग्रिड पहुंच में वृद्धि के संदर्भ में आर्थिक विकास होगा। इस पहल से स्थानीय रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। इसके अतिरिक्त, उत्पन्न बिजली का उपयोग आस-पास के समुदायों द्वारा किया जा सकता है। साथ ही एक्सप्रेसवे पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग और अन्य ऊर्जा आवश्यकता भी पूरी हो सकेंगी।
यह भी बता दें कि उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) के तत्वावधान में, इस 296 किमी लंबे चार-लेन एक्सप्रेसवे का निर्माण लगभग 14,850 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इसे छह लेन तक विस्तारित भी किया जा सकता है। एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड क्षेत्र को इटावा के पास आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जोड़ता है। यह चित्रकूट जिले के भरतकूप के पास गोंडा गांव में NH-35 से लेकर इटावा जिले के कुदरैल गांव के पास तक विस्तारित है, जहां यह आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे में मिल जाता है। यह सात जिलों से होकर गुजरती है, जिनमें चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा सम्मिलित हैं।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीए) ने इस परियोजना के लिए बोली प्रक्रिया आरंभ कर दी है, जो पीपीपी मॉडल पर आधारित होगी। एक बार चालू होने के पश्चात, सौर ऊर्जा से संचालित बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे यूपीईआईडीए के लिए लीज रेंट के माध्यम से 4 करोड़ रुपये तक जेनरेट कर सकता है। एक्सप्रेसवे द्वारा उत्पन्न हुए पावर की लागत से 50 करोड़ रुपये का वार्षिक लाभ हो सकता है।
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जबकि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे राज्य का पहला सौर ऊर्जा संचालित राजमार्ग बनने के लिए तैयार है, राज्य सरकार बाद में इसी मॉडल को अन्य एक्सप्रेसवे जैसे कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और गोरखपुर एक्सप्रेसवे में भी दोहरा सकती है।
मित्रों यदि आपको उपरोक्त दी हुई पहले सोलर एक्सप्रेसवे की जानकारी पसंद आई हो तो गांव अथवा जिले का नाम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें :-