ज्ञानवापी विवाद पर कोर्ट का आया बहुत बड़ा फैसला
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी विवाद में बहुत बड़ा फैसला न्यायालय ने अंततः आज दिया है जिससे कितने जिहादीयों के रातों की नींद उड़ गई होगी। पिछले एक सप्ताह से चल रहे ड्रामे का अंत हो गया है। तथा आगे क्या होने वाला है यह भी स्पष्ट हो रहा है।
ज्ञानवापी विवादित ढांचे मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से एडवोकेट कमिश्नर को बदलने और ज्ञानवापी के तहखाने की वीडियोग्राफी मामले पर गुरुवार की दोपहर दो बजे के पश्चात न्यायालय ने अपना निर्णय सुना दिया है। ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर को बदलने की अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की मांग सहित तहखाने की वीडियोग्राफी कराने की हिंदू पक्ष की अपील पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की न्यायालय ने गुरुवार को निर्णय सुनाया तो अदालत परिसर में खूब गहमागहमी नजर आई।
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न्यायालय ने निर्णय में कहा है कि कोर्ट कमिश्नर नहीं हटाए जाएँगे। वहीं 17 मई, 2022 से पहले सर्वे का काम पूरा करना होगा। बता दें कि अदालत ने मुस्लिम पक्ष की कोर्ट कमिश्नर को हटाने की माँग को खारिज कर दिया है। वहीं कोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर के साथ दो नए वकील भी जोड़े हैं।कोर्ट ने कहा कि जबतक मस्जिद के कमिशन की कार्रवाई पूरी नहीं होती है तबतक सर्वे जारी रहेगा। सबसे महत्वपूर्ण कोर्ट ने इस कार्रवाई को सख्ती के साथ पूरी करने का आदेश दिया है।
बता दें कि फैसले से पहले कोर्ट को खाली करा लिया गया था। वहीं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोर्ट परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी।
ज्ञातव्य है कि ज्ञानवापी विवादित ढांचा और श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद (Gyanvapi Masjid) में जिला अदालत ने तीन दिनों तक चली सुनवाई के पश्चात निर्णय सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले दो घंटे तक चली सुनवाई में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने कोर्ट कमिश्नर बदलने पर आपत्ति के साथ इस बात पर जोर दिया था कि ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में भी सर्वे और विडियोग्राफी होनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने पूर्व में भी अपील की थी, जिसके संदर्भ में सर्वे कमीशन का आदेश जारी है।
उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के तहखाने के सर्वे और वीडियोग्राफी से ही पता चलेगा कि अंदर मस्जिद है या मंदिर और शृंगार गौरी के अतिरिक्त अन्य विग्रह हैं या नहीं। ऐसे में अदालत सर्वे कमीशन को तहखाने तक पहुँचाने में सहयोग करने का शासन-प्रशासन को आदेश दे।
बता दें कि बुधवार (11 मई, 2022) को दोनों पक्षों की ओर से अपनी-अपनी दलील कोर्ट में दी गई थी। इसके साथ ही कोर्ट कमिश्नर ने भी अपना पक्ष रखा। जहाँ हिंदू पक्ष ने बैरिकेडिंग के भीतर जाने को लेकर कोर्ट से स्पष्ट आदेश की गुहार लगाने के साथ ही कोर्ट कमिश्नर के पक्षपात न करने की बात रखी है। वहीं मुस्लिम पक्ष भी अपनी अर्जी पर अड़ा है।परंतु मुस्लिम पक्ष के पैरों तले धरा तब खिसक गई जब चार दिन हुई बहस के पश्चात पांचवें दिन जज ने कोर्ट कमिश्नर (Court Commissioner) बदले जाने की इस याचिका में निर्णय देते हुए कोर्ट कमिश्नर (Court Commissioner) के सहयोग के लिए दो अन्य अधिवक्ताओं को नियुक्त कर दिया। जो कोर्ट कमिश्नर (Court Commissioner) के साथ कमीशन की कार्रवाई को पूरा करवाएंगे। इसमें एक अधिवक्ता को विशेष कोर्ट कमिश्नर (Court Commissioner) और दूसरे को सहायक अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त किया है।
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कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि 17 मई के पहले दोबारा सर्वे होगा। साथ ही कोर्ट कमिश्नर (Court Commissioner) नहीं हटाए जायेंगे। कोर्ट कमिश्नर (Court Commissioner) अजय कुमार मिश्रा (Ajai Kumar Mishra) के साथ ही साथ अधिवक्ता विशाल सिंह को विशेष कोर्ट कमिश्नर और अधिवक्ता अजय सिंह सहायक कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है।
जानकारी देने के लिए बता दें कि मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर को बदलने व ज्ञानवापी में सर्वे का विरोध करते हुए दो याचिका डाली थी। इसपर तीन दिनों तक चली लम्बी बहस के बाद गुरुवार को कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाते हुए इन दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
उसके ऊपर सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर (Civil Judge Senior Division Ravi Kumar Diwakar) ने कोर्ट कमिश्नर को आगामी 17 मई को न्यायालय में सर्वे पूरा करवा के रिपोर्ट पेश करने की बात कही है।
सरल शब्दों में कहें तो मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं को निरस्त करते हुए कोर्ट ने अगले 4 दिनों में दोबारा से सर्वे कराने का निर्देश दिया है जिसके लिए दो और अधिवक्ताओं को सर्वे कराने में सहयोग के लिए जोड़ा गया है तथा प्रशासन को भी इसके अनुपालन के लिए कड़ाई करने का निर्देश दिया गया है। और व्यवधान उत्पन्न करने वालों से सख्ती से निपटने कि आदेश दिया है।
न्यायालय ने स्पष्ट आदेश में कहा है कि यदि किसी स्थान पर अवरोध उत्पन्न किया जाता है तो उसे जिला प्रशासन दूर करेगा। जिला प्रशासन को अधिकार पूरा होगा कि ताला खुलवाकर या तोड़वा कर कमीशन की कार्रवाई पूरी कराएं। इस समयावधि में बाधा बनने वालों पर विधिक कार्रवाई करें और मुकदमा भी दर्ज करवाएं। वहीं कमीशन की कार्यवाही सुबह आठ बजे से दोपहर 12 बजे तक पूरा कराया जाएगा।
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बता दें कि जब दोपहर में न्यायालय ने निर्णय लिखना आरंभ किया तो परिसर में लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई। हालांकि, निर्णय दोपहर दो बजे के पश्चात आया तो अधिवक्ताओं ने पहले निर्णय की प्रतियों का गहन अध्ययन आरंभ किया ताकि गुरुवार को आए अदालत के निर्णय पर आगे की रणनीति तय की जा सके।
न्यायालय का निर्णय आया तो परिसर में गहमागहमी का दौर आरंभ हो गया। अदालत के निर्णय को पढ़कर संबंधित पक्षों ने अधिवक्ताओं के साथ मंथन भी किया।
परंतु कहानी तब स्पष्ट हो गई जब न्यायालय परिसर से बाहर निकलते ही उत्साहित अधिवक्ताओंं ने हर- हर महादेव का उद्घोष करते हुए एक दूसरे का मुंह मीठा कराया।
वैसे जैसा की हम सभी जानते हैं कि मुस्लिम पक्ष इतनी सरलता से यह होने देगा नहीं। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से अदालत में पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं की ओर से फैसले पर अपील करने वाले प्रतिवादियों संग गहन मंथन करने के पश्चात तय किया गया कि मुस्लिम पक्ष निर्णय से संतुष्ट नहीं है। इस मामले में मुस्लिम पक्ष अब न्यायालय के निर्णय का विरोध करेगा और न्यायालय में नए सिरे से इस निर्णय के खिलाफ अपील की जाएगी। इस मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद अपने अधिवक्ताओं के साथ निर्णय को चर्चा कर शीघ्र ही न्यायालय की चौखट खटखटाएगा। संभवतः वे अब तक पहुंच भी गए होंगे, कुछ भी संभव है।
आपको जानकारी हेतु बता दें कि पांच महिलाओं की ओर से मां शृंगार गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन व अन्य विग्रहों को संरक्षित करने को लेकर दायर वाद पर बीते आठ अप्रैल को अदालत ने अजय कुमार मिश्र को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करते हुए ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कर दस मई तक अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। छह मई को कमीशन की कार्यवाही आरंभ तो हुई परंतु पूरी नहीं हो सकी। क्योंकि मुस्लिमों की भीड़ तंत्र ने ऐसा होने नहीं दिया तथा सात मई को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर एडवोकेट कमिश्नर बदलने की मांग कर दी। अब अदालत ने स्पष्ट आदेश देकर सभी प्रकार की बाधाओं को दूर कर दिया है।
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न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि इसमें कोई टाल-मटोल न हो। आदेश में साफ कहा गया कि यदि किसी भी स्थान पर अवरोध उत्पन्न किया जाता है, जैसे कहीं पर ताला आदि बंद कर दिया गया है, तो जिला प्रशासन को पूरा अधिकार होगा कि ताला को खुलवाकर/तुड़वाकर कमीशन कार्रवाई करवाएं।
वहीं इस पूरी कार्रवाई के लिए डीजीपी (DGP) और चीफ सेकेट्री (chief secretary) को कोर्ट ने मॉनिटरिंग (Monitoring) करने के लिए आदेशित किया है। इसके साथ ही सर्वे में व्यवधान उत्पन्न न हो इसके लिए जिलाधिकारी ( District Magistrate) सभी व्यवस्था पुख्ता करेंगे और ऐसा करने वाले पर तुंरत एफआईआर (FIR) दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
कमीशन कार्रवाई के स्थल पर न्यायालय द्वारा पूर्ववर्ती आदेश के अनुक्रम में संबंधित पक्षों व एडवोकेट कमिश्नर व उनके सहायक तथा कमीशन कार्रवाई से संबंधित व्यक्तियों को छोड़कर कोई भी बाहरी व्यक्ति कमीशन की कार्रवाई में उपस्थित नहीं होगा।
उन्होंने अपने आदेश में साफ़ किया है कि ‘अधिवक्ता आयुक्त पक्षकारों द्वारा बताये गये बिन्दुओं पर फोटो लेने एवं वीडियोग्राफी (Videography) करने हेतु स्वतंत्र होंगे।
इस आदेश के पश्चात कमीशन की कार्रवाई प्रतिदिन सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक होगा जब तक की कमीशन की कार्रवाई पूर्ण नहीं हो जाती। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा है कि ‘यदि कमीशन कार्रवाई में किसी के द्वारा कोई अवरोध उत्पन्न किया जाता है, तो जिला प्रशासन एफआईआर दर्ज करवाकर सख्त से सख्त विधिक कार्रवाई करे। किसी भी दशा में कमीशन की कार्रवाई नहीं रोकी जाएगी चाहे किसी पक्षकार द्वारा सहयोग किया जाए या नहीं।
वहीं दूसरी ओर श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का मथुरा कोर्ट को आदेश भी दिया गया है। हाईकोर्ट ने कहा- मथुरा कोर्ट 4 महीने में सभी याचिकाओं का निपटारा करे, अगर सुन्नी बोर्ड नहीं आए तो सुनाया जाए एकपक्षीय निर्णय। अर्थात अब चीजें स्पष्ट हो रही है, आपके समझ में क्या आया वह हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताएं।
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