6 लेन डबल डेकर सिग्नेचर ब्रिज परियोजना ने पकड़ी रफ़्तार
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Signature Bridge Varanasi : विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर काशी व देश की धार्मिक राजधानी अर्थात वाराणसी के विकास का क्रम चुनाव पश्चात भी रुकने वाला नहीं। मित्रों जैसा की आप जानते हैं कि श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में वाराणसी में सैकड़ों विकास परियोजनाओं पर कार्य संचालित हैं। तथा मोदी जी समय समय पर इन परियोजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन भी करते रहते हैं। तथा वाराणसी के विकास में महत्वपूर्ण सभी परियोजनाओं की जानकारी हम आपतक पहुँचाते रहते हैं।
इसी क्रम में आपको बता दें की वाराणसी में गंगा नदी पर राजघाट स्थित मालवीय पुल के समानान्तर एक और नया पुल बनेगा। तथा इसे सिग्नेचर ब्रिज की तर्ज पर बनाने की योजना है। यह पुल भारत के पहले इंटर माडल स्टेशन काशी से जुड़ेगा जिसका निर्माण काशी रेलवे स्टेशन को केंद्र में मानकर किया जाएगा। काशी रेलवे स्टेशन पुनर्विकास परियोजना की जानकारी हमने अपने पिछले वीडियो में दी थी।
सिग्नेचर ब्रिज की अधिक जानकारी के लिए बता दें की मालवीय पुल के बगल में बनने वाले नए गंगा ब्रिज की प्रस्तावित डिजाइन इंजीनियरों ने तैयार कर दी है। इसके निर्माण में 1200 करोड़ की लागत आएगी। अब यह तय माना जा रहा है कि प्रस्तावित डिजाइन में कुछ आंशिक परिवर्तन करके शीघ्र ही इसकी नींव रखी जाएगी।
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सड़क और रेल विकास के माध्यम से देश को आर्थिक तरक्की की राह पर दौड़ने का रोडमैप तैयार कर चुकी सरकार भी ऐसा ही चाहती है। ऐसे में डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को शीघ्र हरी झंडी मिलने की आशा है। 2022 नवंबर में रेल मंत्री ने की थी नए ब्रिज की घोषणा।
नवीन सिग्नेचर ब्रिज की विशेषताओं की जानकारी देने हेतु बता दें कि इसपर 06 लेन की सड़क होगी। 04 रेलवे ट्रैक होगी। तथा पुल कुल 1074 मीटर लंबा होगा। और यह 08 पिलरों पर खड़ा होगा। इस पुल पर रेल की गति 110 किमी. की होगी।
नए पुल पर चार ट्रैक होने से ट्रेन और मालगाड़ियों का फ्लो और गति दोनों बढ़ेगी। नए पुल के लिहाज से ही काशी रेलवे स्टेशन को 300 करोड़ की लागत से विकसित किया जाना है। मालगाड़ियां पुल तेजी से पार करेगी तो व्यास नगर स्टेशन पहुंचकर फ्लाई ओवर ब्रिज के माध्यम से पूरी गति से दौड़ेंगी।
वर्तमान समय में सुरक्षा के दृष्टिगत कई एंगल से अब मंथन हो रहा है। तीन हजार करोड़ के प्रोजेक्ट में नया गंगा ब्रिज और पीडीडीयू जंक्शन तक 16 किमी. नया ट्रैक भी बनना है। परियोजनाएं एक-दूसरे से इंटरकनेक्ट हैं। शीघ्र ही इनपर काम आरंभ होगा। डिजाइन पर मुहर लगने तक कुछ भी परिवर्तन संभव है। सिग्नेचर ब्रिज का डिजाइन तैयार करने वाले प्लानर इंडिया ने इसके फाइनल डिज़ाइन के अप्रूवल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस पूरे स्वरूप कर रखा था। जिस पर सहमति बन गई है। माना जा रहा है कि 2024 में ही इस सिगनेचर ब्रिज परियोजना का भी आरंभ वाराणसी में हो जाएगा।
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यही नहीं यदि आप सोच रहे हैं कि नवीन सिग्नेचर के बनने के पश्चात पुराने मालवीय ब्रिज अर्थात राजघाट पुल का क्या होगा तो आपको हम बता दें कि अंग्रेजों के जमाने में मालवीय ब्रिज बनाया गया था जो अब धीरे-धीरे पुराना होता जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह मालवीय ब्रिज डबल डेकर है, जिसमें नीचे से ट्रेन जाती है और ऊपर से सड़क मार्ग होने की कारण से गाड़ियों का आवागमन होता है। और नवीन पुल बन जाने के पश्चात सैकड़ों वर्ष पुराना मालवीय ब्रिज को जीवंत म्यूजियम बना दिया जाएगा।
बता दें कि पुराने मालवीय ब्रिज के 45 मीटर की दूरी पर ही नवीन सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण को स्वीकृति मिली है। और सिग्नेचर ब्रिज परियोजना वित्तीय वर्ष 2017-18 में ही स्वीकृत की गई थी। इनलैंड वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से इस परियोजना के एनओसी मिल गई है और रेलवे इसका फाइनल डीपीआर तैयार करके संबंधित विभाग और पीएमओ को भेज चुका है।
सबसे बड़ी बात यह है कि नए ब्रिज की ऊंचाई पुराने मालवीय ब्रिज के ही समान रखने पर सहमति बनी है और इस पुल के निर्माण का सबसे बड़ा फायदा राजघाट पुल के पुराने रूप को मिलेगा, क्योंकि उस पुल को बिना तोड़े बिना हटाए कि नए पुल का निर्माण कराया जाएगा।
इस ब्रिज के निर्माण का काम चार अलग-अलग फेज में आरंभ होगा। फेज वन में ब्यासनगर काशी स्टेशन की रीमॉडलिंग का काम। फेज टू में ब्यासनगर आरओबी का निर्माण। फेज 3 में वाराणसी काशी ब्यासनगर रेलखंड पर तीसरी और चौथी लाइन बिछाना। और चौथे चरण में गंगा के ऊपर सिग्नेचर ब्रिज पर सड़क से कनेक्टिविटी की जाएगी। यह चार अलग-अलग चरणों को पूरा होने में लगभग 4 से 5 साल का समय लगेगा। जिसके अंतर्गत पहले व दूसरे चरण का काम संचालित है।
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यह भी बता दें कि एक दशक से मालवीय पुल पर बड़े वाहनों की यातायात प्रतिबंधित है। लोगों को 15 किमी. की दूरी तय करने में 50 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। बसों का परिचालन आरंभ हो जाए तो यह केवल सिर्फ 15 रुपये में चल जाएगा।
वहीं पुराने पुल की जानकारी देने हेतु बता दें कि यह 137 वर्ष पुराना हो चुका है। 1887 में पुल का नाम डरफिन था। जिसपर ऊपर रोड औल नीचे रेलवे की डबल लाइन है। इसपर वर्तमान में 25 किलोमीटर गति से रेल का आवागमन होता है।
बता दें कि इसके लिए वाराणसी कमिश्नर ने यातायात विभाग को रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। ताकि निर्माण कार्य के समयावधि में आमजन को कोई कठिनाई न हो। कमिश्नर ने बताया कि सिग्नचेर ब्रिज के निर्माण के समयावधि में वृहद रूट डायवर्जन करना होगा। वाराणसी से मुगलसराय जाने वाले वाहनों को बीएचयू, सामने घाट पुल से गुजारना होगा। इससे सामने घाट समेत बीएचयू लंका गेट पर भी यातायात काफी बढ़ जाएगा। पुल निर्माण में लंबा समय भी लगेगा और इतने दिनों तक डायवर्जन सफल रहे, इस पर अफसरों को गहनता से विचार कर रिपोर्ट तैयार करनी होगी।
मित्रों यदि दी हुई वाराणसी सिग्नेचर ब्रिज की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें :