PM मोदी का कमाल, दर्शन के साथ इतिहास व संस्कृति का संगम बना काशी विश्वनाथ धाम
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पीएम नरेंद्र मोदी ने काशीवासियों को विश्वनाथ कॉरिडोर की बड़ी सौगात दी है। पूरा देश महादेव के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भव्य रूप देखकर गदगद है। प्रधानमंत्री ने देश को एक ऐसा स्थान समर्पित किया है, जिसकी भव्यता पर पूरा देश गर्व कर रहा है।
जिसने भी वाराणसी (varanasi) में काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir) में महादेव की पूजा-अर्चना आज से पहले की है। वो जानता है कि यहां पर कंधे से कंधे का टकराना सधारण बात है और घंटों लाइन में खड़े रहने की कठिनाई क्या होती है, परंतु वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक ऐसा स्थान समर्पित किया है, जिसकी भव्यता पर पूरा देश गर्व कर रहा है।
आज यह भगवान भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंग पर स्थापित काॅरिडोर न केवल दर्शनार्थीयों को सुगम दर्शन का अनुभव करा रहा है अपितु इतिहास को भी जनता के समक्ष प्रस्तुत कर रहा है।
बाबा विश्वनाथ को संकरी गलियों से निकाल कर उन्हें दिव्य स्वरूप देकर, मोक्षदायिनी मां गंगा से जोड़ने का पुण्य कार्य काशी के बेटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। अभूतपूर्व विकास कार्यों से मात्र काशी विश्वनाथ काॅरिडोर ही नहीं चौड़ा हुआ अपितु यहाँ पर विकास की गंगा देख आज प्रत्येक काशीवासी का सीना भी चौड़ा हुआ है।
जानकारी के लिए बता दें की विश्वनाथ धाम के नव्य-भव्य परिसर के पहले चरण का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 दिसंबर को किया था। इसके साथ ही दूसरे चरण के अंतर्गत गंगा गेट, सीढ़ी, रैैंप भवन समेत विस्तारित कार्यों में गति आई। गंगा गेट को चुनार के नक्काशीदार गुलाबी पत्थरों से पूरी भव्यता से आकार दे दिया गया है। लोकार्पण के समय इसका ढांचा ही तैयार हो पाया था। गंगा का जल स्तर बढ़ा होने से सीढ़ी-जेटी में विलंब हुआ। परंतु अब सीढ़ी भी ऊपर से नीचे की ओर बनाई जा चुकी है। वहीं 55 मीटर लंबी जेटी भी तैयार है।
वर्तमान समय में यहाँ पर रैंप के निर्माण कार्य ने तीव्र गति पकड़ रखी है।बता दें की मणिकर्णिका से ललिता घाट तक 20 से 10 मीटर तक गंगा में चौड़ाई पहले ही बढ़ाई गई है। इस समय सीढ़ीयों के निर्माण के पश्चात गंगा छोर पर नीचले स्थान पर पत्थर लगाने का कार्य संचालित हैं। इसके साथ ही साथ यहाँ से मिट्टी हटाने व निर्माण के अन्य कार्यों में सहायता प्रदान करने के लिए क्रेन व ट्रैक्टर आदि भी जुटे हुए हैं।
उसके पश्चात गंगा के रास्ते 80 सीढ़ियों को पार कर श्रद्धालु सीधे बाबा धाम में पहुंचेंगे। आप यह भी सोच रहे होंगे की यह इतनी ऊंचाइ पर क्यों है, तो आपको बता दें कि प्रवेश द्वार उतनी ऊंचाई पर है जहां से बाढ़ का पानी परिसर में पहुंच ना सके।
जानकारी के लिए बता दें की द्वितीय चरण के अंतर्गत विस्तारित कार्यों में चहारदीवारी, ब्लाक फोर, कैफे भवन आदि का स्ट्रक्चर भी तैयार हो गया है।
बता दें की यहाँ मणिकर्णिका घाट के पीछे की ओर यह जो कार्य होता हुआ आप देख रहे हैं यह भूमिगत निर्माण कार्य गंगा नदी किनारे स्थित पंपिंग स्टेशन के पुनर्स्थापना के लिए है। यदि नहीं समक्षें तो बता दें की जो गंगा नदी किनारे यह गुलाबी संरचना हैं जो कि विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार की सुंदरता पर अटपटा दाग सा प्रतीत हो रहा है उसको यहाँ से हटाने के लिए तथा इसके पुनर्स्थापना के लिए एक भूमिगत संरचना का निर्माण हो रहा है जो की मणिकर्णिका घाट के पीछे की ओर स्थित है एवं वर्तमान समय में निर्माणाधीन है। इसीके आगे रैंप भवन का भी निर्माण कार्य चल रहा है जो की नीचे गंगा नदी की ओर तक है एवं इसके दाहिनी ओर मणिकर्णिका घाट स्थित है।
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बता दें की यह निर्माण कार्य भी शीघ्र ही पूर्ण हो जाएगा तथा सीढ़ीयों के साथ दर्शनार्थीयों को सुलभ रैंप की भी सुविधा मिलेगी जो दिव्यांगों तथा वृद्ध जनों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। आपको बता दें की गंगा द्वार के भीतर पहले से ही एस्कलेटर अर्थात स्वचालित सीढ़ीयों का निर्माण हो चुका है तथा यह अपनी सेवा प्रदान कर रही हैं।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें की आपने गंगा द्वार के भीतर आदिगुरू शंकराचार्य, भारत माता व रानी अहिल्याबाई की प्रतीमा तो अवश्य देखी होगी परंतु यहाँ पर एक और प्रतीमि को स्थापित किया गया है जो है भगवान कार्तिकेय की आप देख सकते हैं कि यहाँ पर एक पुरानी मंदिर के नीचे भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा लगी हुई है।
बता दें की इस पूरे काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Dham Corridor) में 108 पेड़ों को भी जीवन मिला है तथा नीम बेल व रूद्राक्ष आदि के पेड़ों को यहाँ पर लगाया गया है।
इसके अतिरिक्त आपको हम इस द्वार की अधिक जानकारी के लिए बता दें की इस द्वार की ऊँचाई 35 फीट है तथा यह 60 फिट चौड़ा है। बता दें की यहाँ गंगा द्वार के एक ओर रैंप भवन है ताकि वृद्धजन व असहायों को व्हील चेयर से कारिडोर में ले जाया जा सके। रैंप का यह भाग मणिकर्णिकाघाट से लगा हुआ होगा। तथा दूसरी ओर बने कैफेटेरिया से गंगा की छटा निहारी जा सकेगी। इस ओर आपको थोड़ा आगे तक के दृश्य दिखाएं तो आप देख सकते हैं कि यहाँ इस स्थान पर पहले जलासेन घाट हुआ करता था। जिसके ऊपरी भाग के कुछ संरचना अभी शेष है जिसके पीछे ही कैफ़ेटेरिया का निर्माण हो रहा है। इसके बाईं ओर ऐतिहासिक नेपाली पशुपति नाथ मंदिर भी है जो शीघ्र ही कॉरिडोर से ही जुड़ जाएगा एवं इस कैफ़ेटेरिया के निकट ही प्रसिद्ध राज राजेश्वरी देवी का मंदिर भी स्थित है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार लाखों बाबा के भक्तों की सुविधा की दृष्टि से बाबा धाम को पूरे मनोयोग के साथ सजाया जा रहा है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण और सुंदरीकरण परियोजना के अन्तर्गत लगभग 5,27,730 वर्ग फीट क्षेत्र को संवारने के साथ भव्य-दिव्य गलियारे का रूप दिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम का आठ मार्च 2019 को शिलान्यास किया था। जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने नेतृत्व में रिकॉर्ड समय में पूरा करने में सफल हुए हैं।
काशी में भगवान विश्वनाथ व माँ गंगा एक बार पुनः एकाकार हो रहे हैं। बाबा के धाम और अविरल निर्मल गंगा के मध्य राष्ट्रीयता की प्रतीक भारत माता की मूर्ति भी दिख रही है। कार्तिकेय, आदि शंकराचार्य की मूर्ति भी श्री काशी विश्वनाथ धाम के भव्य प्रांगण में स्थापित हो चुकी हैं।
यही नहीं 1669 में बाबा के धाम का पुनरोद्धार करने वाली रानी अहिल्याबाई की मूर्ति भी विश्वनाथ धाम में स्थापित हुई। धर्म और राष्ट्रीयता का एक साथ समस्त विश्व में पताका फैलाने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं और उनके साथ कंधे से कन्धा मिलाकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाया है। रानी अहिल्याबाई के पश्चात श्री काशी विश्वनाथ धाम को भव्य स्वरूप देने का काम हो रहा है। एवं यहाँ आकर दर्शनार्थी व श्रद्धालु बाबा के दर्शन के साथ ही साथ अपने गौरवशाली इतिहास व संस्कृति का बोध करने में सफल हो रहे हैं।
भगवान शंकर की त्रिशूल पर बसी मोक्ष की नगरी काशी में बाबा के प्रांगण की भव्य तस्वीर सामने दिखने लगी है। 50,200 वर्ग मीटर में लगभग 400 करोड़ रूपये की लागत से भव्य आनंद वन का निर्माण हो रहा है। सुरक्षा भवन, म्यूजियम, फैसिलेशन सेण्टर, बनारस गैलरी, मुमुक्ष भवन, वैदिक केंद्र, मल्टीपर्पज हाल, स्प्रिचुअल बुक सेंटर, यात्री सुविधा केंद्र भोगशाला, गेस्ट हाउस, व्यावसायीक भवन जैसे 28 भवन का निर्माण हो चुका है। जिससे विश्व भर से आने वाले शिव भक्तों को श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन, जप-तप करने में सुरक्षा, सुविधा, सुगमता और स्वच्छ वातावरण मिल सकेगा।
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प्रधानमंत्री ने काशी में भगवान शिव और मां गंगा के बीच में आने वाली सारी विघ्न बाधाओं को हटा दिया है। गंगा घाट से लेकर काशी विश्वनाथ तक के मार्ग में काफी एनक्रोचमेंट अर्थात अतिक्रमण था। इसलिए श्रद्धालुओं को गंगा घाट से निकलकर काफी घूमकर मंदिर की ओर जाना पड़ता था। आज ये कठिनाई भी समाप्त हो गई है। काशी विश्नवाथ कॉरिडोर को इस तरीके से बनाया गया, जिससे ललिता घाट, मणिकर्णिका, जलासेन घाट से भी अब बिना किसी रुकावट के मंदिर आया-जाया जा सकता है।
मित्रों उपरोक्त काशी विश्वनाथ धाम की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें।
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