वाराणसी में बन रहा है पूर्वी भारत का गेटवे, कार्य तीव्र गति से संचालित

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बीते 25 अक्टूबर को प्रधानमंत्री के हाथों रिंग रोड फेज दो के उद्घाटन के पश्चात, पूर्वी भारत के गेटवे के रूप में विकसित हो रही वाराणसी को रिंग रोड के अंतर्गत केबल ब्रिज की सौगात शीघ्र ही मिलने वाली है।

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मित्रों जैसा की आप जानते हैं कि वाराणसी के सांसद श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में वाराणसी में सैकड़ों विकास परियोजनाओं पर कार्य हो रहे हैं और यदि वाराणसी के सबसे बड़े प्रोजेक्ट की बात करें तो वो है वाराणसी का रिंग रोड फेज़ 2 का निर्माण, जो की 2 पैकेजों में विभाजित है।

पहले इस वाराणसी रिंग रोड के संपूर्ण मार्ग को अच्छे से समझाने के लिए आपको बता दें की यह रिंग रोड वाराणसी के हरहुआ से संदहा तक फेज़ 1, हरहुआ से राजातलाब तक फेज़ 2 पैकेज 1 तथा वाराणसी के संदहा से लेकर चंदौली के पचफेड़वा तक फेज़ 2 पैकेज 2 के अंतर्गत निर्माणाधीन है जिसे की फेज़ 3 के नाम से भी जाना जाता है जोकि रिंग रोड का वर्तमान में अंतिम भाग है।

वाराणसी के गंगा नदी किनारे से कुछ पहले बाभनपुरा में निर्माणाधीन रिंग रोड फेज़ 3 का है जिसमें कि कि कुछ स्थान पर यह सड़क बन चुकी है तथा यहाँ पर इसी स्थान से गंगा नदी पर केबल ब्रिज का आरंभ होता है अथवा कहें तो यह पुल यहीं पर आकर समाप्त होगी।

बता दें की लगभग 60 किलोमीटर में से इस रिंग रोड का प्रथम चरण अर्थात phase 1 का उद्घाटन नवंबर 2018 में स्वयं नरेंद्र मोदी जी ने किया था जिसको लगभग 760 करोड़ रुपये में बनाया गया था एवं जिसकी लंबाई है हरहुआ से संदहा तक लगभग 16 किलोमीटर। इसके पश्चात 1011 करोड़ रुपये की लागत से बनी रिंग रोड फेज़ 2 पैकेज 1 का उद्घाटन पिछले वर्ष 25 अक्टूबर को किया गया था।

बता दें की इस द्वितीय चरण की कुल लंबाई है 45 किलोमीटर है जिसे की पुनः दो भागों विभाजित किया गया है जोकी पैकेज 1 एवं पैकेज 2 है। रिंग रोड का द्वितीय चरण, वाराणसी व चंदौली के 53 गांवों से गुजर रहा है।

बता दें की वाराणसी रिंग रोड फेज-3 की लागत 1355 करोड़ रुपये है जिसमें की सड़क के साथ गंगा पर एक पुल के साथ चार फ्लाइओवर, तीन आरओबी तथा 19 अंडरपास भी बन रहे हैं। आज हम आपको इस रिंग रोड phase 2 के package 2 की ग्राउंड रिपोर्ट दे रहे हैं जिसमें की आप यहाँ पर हो रहे निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति का साक्षात अवलोकन भी करेंगे।

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इस वर्तमान परिस्थिति की अधिक जानकारी के लिए बता दें की निश्चित रूप से रिंग रोड फेज वन व टू का कार्य तय समय सीमा में पूरा हो गया परंतु फेज थ्री में थोड़ा अधिक समय लग सकता है। मार्च 2022 में कार्य पूरा कर जनोपयोगी बनाने का लक्ष्य दिया गया था परंतु  अब यह लक्ष्य नवंबर तक होने की संभावना लग रही है।

इस बढ़ी समय सीमा के समयावधि में गंगा पर बन रहे पुल का वन वे बन कर तैयार हो जाएगा। इसके पश्चात वाहन फर्राटा भी भर सकेंगे। हालांकि, संपूर्ण रूप से पुल निर्माण में मार्च 2023 का समय लग सकता है। इसके पश्चात पूरा बनारस रिंग रोड की आउटर सर्किल से घिर जाएगा।

इसके पश्चात भारी वाहनों को बिना नगर में प्रवेश किए गंतव्य तक जाना सरल हो जाएगा। वहीं, नगर में जाम की समस्या कफी हद तक दूर हो जाएगी।

बता दें की लगभग 27 किलोमीटर लंबा फेज थ्री का काम तेज गति से चल रहा है। कार्यदायी कंपनी गैमन ने संसाधन बढ़ा दिए हैं। संदहा में फेज वन को जोड़ते हुए चिरईगांव ब्लाक से होते हुए बभनपुरवां तक आठ किलोमीटर सड़क बहुत हद तक बन चुकी है।

बता दें की इसमें तीन अंडरपास का कार्य अंतिम चरण में है। बभनपुरवां से लगायत गंगा पर पुल निर्माण के लिए आधार तैयार कर लिया गया है। यह पुल लगभग एक किलोमीटर 651 मीटर लंबाई में बनाया जा रहा है। इस पुल पर दो-वे होगा। इसमें एक से आना तो दूसरे से जाना होगा। पुल की चौड़ाई 25 मीटर है। वन-वे की चौड़ाई 12 मीटर होगी। इसके अतिरिक्त भूमि पर तीन-तीन मीटर चौड़ी दोनों ओर सर्विस रोड व ढाई मीटर चौड़ा डिवाइडर बनाया जा रहा है। डिवाइडर पर पौधे भी लगाए जा रहे हैं। पुल की बात करें तो गंगा इस पार 50 प्रतिशत से अधिक कार्य हो चुका है। इसमें अधिक समय लगने वाला आधार तैयार हो चुका है।

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गंगा उस पार रिंग रोड के चंदौली में दो आरओबी व छह अंडरपास बनाने का काम चल रहा है। वहीं गंगा इस पार रिंग रोड के तीसरे फेज का काम चिरईगांव से बभनपुरवा तक सर्विस रोड, मुख्य सड़क और तीन स्थानों पर अंडर पास बन चुका है। दो स्थानों पर अंडर पास का काम तेजी से चल रहा है। इसी गति से काम चलता रहा तो मार्च-2022 से पहले काम पूरा हो जाएगा।

बता दें की बनारस और गाजीपुर से सटा यह क्षेत्र नगर से काफी दूर है। इन क्षेत्र के रहने वालों को चंदौली मुख्यालय अथवा DDU नगर जाने में अत्यधिक कठिनाई होती थी। पहले मात्र एक ही रास्ता था राजघाट पुल। बाद में बलुआघाट पुल बनने से बनारस और चंदौली की दूरी कम अवश्य हुई परंतु मुख्यालय से दूरी कम नहीं हो सकी। रिंग रोड बनने से चंदौली, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, भदोही, मीरजापुर, सोनभद्र आदि जिलों से आने-जाने वाले भारी वाहनों को बहुत लाभ होगा।

जानकारी के लिए बता दें की इस रिंग रोड फेज़ 3 प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण फरवरी वर्ष 2019 से आरंभ हुइ है तथा कार्य आरंभ हुआ है फरवरी वर्ष 2020 से एवं कार्य पूरा करने का समय मार्च 2023 है।

जानकारी के बता दें की इस पुल का निर्माण करने वाली कम्पनी का नाम है गेमन इंडिया एवं इसकी नोडल एजंसी है भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जिसने पुल के निर्माण कार्य का दायित्व गेमन इण्डिया को सौंपा है।

इसके अतिरिक्त आपको बता दें की इस पुल का निर्माण पूर्ण करने की निर्धारित अवधी है तीन वर्ष में जिसमें की इस ब्रिज को तैयार हो जाना है।

वहीं यदि इस निर्माणाधीन पुल की लागत की जानकारी दें तो आपको बता दें की इस दो किलोमीटर लंबे बनने वाले ब्रिज की लागत लगभग साढ़े चार सौ करोड़ रुपये है। चौबेपुर के बरियासनपुर से चंदौली तक बनने वाले 27 किलोमीटर लंबे इस रिंग रोड के द्वितीय फेज के पैकेज-2 से यह केबल स्टेट ब्रिज को जोड़ा जाएगा, जो आगे चलकर चंदौली में प्रयागराज-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-2) से लिंक हो जाएगा।
अनुमान है की इस पुल के बन जाने के पश्चात औसतन प्रतिदिन 18 हजार वाहनों का आवागमन इस पुल से सुलभ हो सकेगा।

वहीं दूसरी ओर गंगा नदी में जहाज अर्थात क्रूज़ गुजारने के लिए दो पिलर के मध्य में 100 मीटर की दूरी भी रखी गई है क्योंकि वाराणसी से हल्दिया के मध्य वाटरवेज अर्थात जलमार्ग भी संचालित है जिसको की आगे बढ़ाते हुए प्रयागराज तक ले जाना है। जल परिवहन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वाराणसी के ही रामनगर में बंदरगाह का निर्माण भी हो चुका है। इसी कारण से ब्रिज की डिजाइन इस प्रकार से बनाई गई है कि नीचे से जहाज को भी आराम से गुजारा जा सके इसलिए दो पिलर की बीच की दूरी सौ मीटर रखी गई है।

बता दें की ब्रिज में निर्माणाधीन टॉवर को वी शेप में बनाया जा रहा है एवं बन जाने के पश्चात पुल में एलईडी लाइटें भी लगाई जाएंगी ताकि रात के समय में पुल से गुजरते समय विहंगम दृश्य भी दिखे।

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जहाँ पर यह पुल का आरम्भ हो रहा है वहाँ पर नदी दो भागों में विभाजित है एवं हम आपको गंगा नदी के मुख्य धारा तक के दृश्य दिखा रहे हैं की किस प्रकार से निर्माण कार्य के लिए मिट्टी को पाटा गया है। यहीं से अभी इस पुल का मुख्य भाग आगे नदी को पार करके चंदौली की ओर निकल जाएगा।

महत्वपूर्ण है कि तीन जिलों के मध्य में बनने वाला वाराणसी का यह आउटर रिंग रोड पूर्वी भारत के गेटवे के रूप में पूर्वांचल के चार राष्ट्रीय राजमार्गों को भी जोड़ता है। जोकी इस रिंग रोड के महत्व एवं औचित्य को भी परिभाषित करता है.

मित्रों यदि उपरोक्त केबल ब्रिज की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बॉक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें तथा हमें यह बताएं की क्या आप इस पुल पर यात्रा करने के उत्सुक हैं?

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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