संवर रही है वाराणसी की विरासत

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वाराणसी में प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित हुई परियोजनाओं की सूची तो बहुत लंबी है जिसमें से अभी हम एक ऐसे विशेष प्रोजेक्ट की जानकारी देने वाले हैं जो काशी की छवि को परिवर्तित करने वाला है।

इसी वर्ष 15 जुलाई के अपने आगमन के लगभग 3 महीने पश्चात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी आए और हर बार की तरह इस बार भी काशीवासियों के लिए 5000 करोड़ रुपये से अधिक की लगभग 28 परियोजनाओं का लोकार्पण किया।

वाराणसी में प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित हुई परियोजनाओं की सूची तो बहुत लंबी है जिसमें से अभी हम एक ऐसे विशेष प्रोजेक्ट की जानकारी देने वाले हैं जो काशी की छवि को परिवर्तित करने वाला है।

बता दें की काशी की पहचान बाबा विश्वनाथ और गंगा घाट के अतिरिक्त कुंड और तालाबों से भी है। जिनमें दुर्गा कुण्ड, लक्ष्मी कुण्ड, पितृ कुण्ड, पिशाच मोचन कुण्ड, संत कबीर प्राक्टय स्थल तालाब, दूधिया तालाब, रिवा तालाब, करौंदी तालाब, बकरिया कुंड, पहडिय़ा तालाब, सूर्य सरोवर आदी सम्मिलित हैं।

वाराणसी के इन तालाबों में से अधिकांश को अब पर्यटन का नया केंद्र बनाया जा रहा है। तथा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत वाराणसी के तालाबों को स्मार्ट बनाने की प्रक्रिया जारी भी है। जानकारी के लिए बता दें की 18 करोड़ 96 लाख रुपये की लागत से नगर के 8 कुंडों को सुंदरीकरण और संरक्षण का कार्य किया गया है।

इनके अतिरिक्त एक और वाराणसी नगर के पॉश इलाके में शुमार है चकरा तालाब जिसे की 2.5 करोड़ की लागत से स्मार्ट बनाया गया है। बता दें की इसका वास्तविक नाम चक्र तालाब था जो कि बाद में चकरा तालाब के नाम से जाना जाने लगा। इस तालाब में पार्क के अतिरिक्त, ओपन जिम, जॉगिंग ट्रैक, पाथवे, किड्स प्ले जोन, व्यूइंग एरिया, पेय जल के अतिरिक्त टॉयलेट बनाए गए हैं. इसके अतिरिक्त तालाब में फ्लोटिंग फाउंटेन भी लगाए गए है जो दिन के साथ रात में भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगी।

जानकारी के लिए बता दें की नगर का पॉश इलाका है सिगरा जहाँ पर चकरा नामक प्राचीन तालाब स्थित है। परंतु विगत वर्षों से इसपर भूमाफियाओं की नजर पड़ी और कचरा व मलबा डालकर तालाब के अस्तित्व को समाप्त किया जा रहा था। अखबारों में प्रकाशित समाचार के पश्चात नगर निगम ने इसे संज्ञान में लिया। तथा स्मार्ट सिटी योजना से तालाब का सुंदरीकरण किया गया। लगभग ढाई करोड़ खर्च हुए। और अब तालाब को देखकर हर कोई भी चक्कर खा जा रहा है कि आखिर यह वही तालाब है जो अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा था।

वाराणसी स्मार्ट सिटी के अनुसार चकरा तालाब का अस्तित्व खतरे में था। इसके चारों ओर गंदगी का अंबार था इसे संरक्षित करने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत इसका सौंदर्यीरीकरण किया गया है। चकरा तालाब में रात के लिए विशेष प्रकार की लाइटिंग की गई है तथा वॉटर शाॅवर भी लगाए गए हैं।

वाराणसी में प्राचीन कुंड और तालाब का नाम है। इन्ही में से चकरा तालाब का सुंदरीकरण किया गया। सिगरा क्षेत्र में यह तालाब स्थित है। 25 अक्टूबर को प्रधानमंत्री द्वारा इसका भी उद्घाटन किया गया है।

बता दें की इस तालाब के पानी के क्वॉलिटी और क्वांटिटी दोनों को बढ़ाया गया है। उसके साथ ही चारों ओर पेड़ पौधे लगाए गए हैं और विशेष प्रकार की लाइटिंग की गई है। इसमें बहुत ही अच्छा कार्य किया गया है। देखरेख न होने की कारण से पहले पब्लिक यहां आती नहीं थी, परंतु अब यह बहुत ही अच्छा हो गया है।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी शहर देश के लिए माडल के तौर पर उभर रहा है। यह जल संचयन की दिशा में एक के बाद एक कदम बढ़ा रहा है। ऐतिहासिक व पौराणिक कुंडों दुर्गाकुंड, लक्ष्मी कुंड, मछोदरी, कंपनी गार्डेंन आदि को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के पश्चात अब नमामि गंगे से आठ और स्मार्ट सिटी से बने एक तालाब ने आकार ले लिया है। कुल लगभग 22 करोड़ की राशि से ये नौ तालाब सजधज कर तैयार हैं।

महत्वपूर्ण है कि पार्क कुण्ड तालाब आदि मानव बस्ती के लिए अत्यंत आवश्यक हैं परंतु भाग दौड़ के इस जीवनशैली में व मोबाइल व इंटरनेट आदि के कारण से लोग अब अपने घरों में सिमट कर रह गए हैं जिसके कारण इन कुण्ड तालाब जैसे धरोहरों पर भू माफियाओं की दृष्टि पड़ जाती है और मानव ध्यान केंद्र से पहले बाहर होते ही कहें तो इन कुण्डों की उपेक्षा होने से इनके अस्तित्व पर ही संकट आ जाता है। वास्तव में संकट इन कुण्ड के अस्तित्व पर नहीं अपितु मनुष्यों के अस्तित्व पर होता है क्योंकि यदि ये पार्क कुण्ड तालाब आदि मानव बस्तियों में नहीं रहे तो मानव जीवन को ही सबसे अधिक हानि होती है। बता दें की हरियाली व जल संचयन का ये स्थान सबसे मानव बस्तियों के लिए सबसे उपयुक्त होता है। प्राचीन काल से ही सभी मानव बस्ती किसी ना किसी नदी व सागर किनारे ही बसता है और नगर के भीतरी भागों में ऐसे ही कुण्ड व तालाबों के ताने बाने में पूरा नगर बंधा रहता है। जहाँ पर व्यक्ति अपने परिवार व पड़ोसीयों के साथ समय भी व्यतीत करता है और शारीरिक व्यायाम व योग आदि के लिए भी ये स्थान अत्यंत उपयुक्त होते हैं।

महत्वपूर्ण है कि वर्तमान सरकार का ध्यान नगर की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ करने के साथ ही इन छोटे परंतु पर्यावरण व मनुष्यों के भविष्य के लिए आवश्यक स्थानों के विकास पर भी पड़ा जो न केवल भविष्य का निर्माण करेंगी अपितु नगर की प्राचीन व वास्तविक धरोहरों को संजोए इनको जीवंत भी रखेंगे।

हम आगे भी आप तक ऐसे और ऐतिहासिक स्थानों के जानकारी की विशेष जानकारी की श्रृखंला आपतक लाते रहेंगे।

अधिक जानकरी के लिए विडियो देखें:

One thought on “संवर रही है वाराणसी की विरासत

  • November 2, 2021 at 3:01 pm
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    Modi ji bahut accha kaam kar rahe hain, aur aap to unke dwara kiye gaye kaamo ko bataa kar aur bhi accha kaam kar rahe hain.

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