एशिया की पहली वाराणसी अर्बन रोपवे परियोजना पर आई बड़ी खुशखबरी
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Varanasi Ropeway Project : देश में हो रहे विभिन्न आधारभूत संरचना विकास कार्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी ने स्वयं को अग्रणी भूमिका में स्थापित किया है। इसी क्रम में भारत का पहला अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे नगर बन रही काशी में वाराणसी रोपवे परियोजना को मिल रहा है एक्सटेंशन।
Varanasi : सबसे पहले हम बात करते हैं इसे परियोजना के विशेषताओं की। वाराणसी रोपवे हमारे प्यारे नगर का और भी अधिक पर्यटकों में आकर्षण बढ़ाएगा। यहां पहले से ही बहुत सारे लोग आते हैं जो वाराणसी को explorer करने तथा महादेव के दर्शन को आते हैं। परंतु इस नगर की यातायात समस्या से उनकी यात्रा में बाधा आती है तथा मन उदास होता है। जिसका निवारण यह बाराणसी रोपवे करने वाला है।
अब बात करते हैं इस वाराणसी रोपवे परियोजना के निर्माण की। वाराणसी रोपवे के लिए स्पेशल टॉवर बनाई जा रही हैं। जिसका निर्माण कार्य तीव्र गति से संचालित है। इन टावर के बीच में केबल लगाए जाएंगे जो लोगों को ऊपर ले जाएंगे और ट्राॅली के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाएंगे।
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इस परियोजना की प्लानिंग बहुत ही डिटेल्ड है इंजीनियर और एक्सपर्ट्स ने बहुत मेहनत की है इसके डिजाइन और कंस्ट्रक्शन में। प्रत्येक चीजों को ध्यान में रखते हुए इस रोपवे को बनाया जा रहा है।
बता दें कि वाराणसी रोपवे काफी समय से चर्चा में था। परंतु अब अंततः इसका निर्माण आरंभ हो चुका है और हमारी सरकार इस परियोजना को बहुत ही महत्ता दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 24 मार्च को शिलान्यास कर अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को विश्व का तीसरा और भारत का पहला अति प्रतिक्षित पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे का सौगात दे दिया है।
वाराणसी रोपवे परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया चौराहे तक रोपवे का संचालन किया जाएगा। वाराणसी में ₹644 करोड़ की लागत बनने वाले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोप-वे में 5 स्टेशनों का निर्माण होना है, जिसके लिए नगर में 30 टावर का निर्माण किया जाएगा।
यह भी बता दें कि देश का पहला पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे काशी में पहले चरण में वाराणसी कैंट से गोदौलिया के बीच चलाया जाएगा। जिसमे कैंट रेलवे स्टेशन, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर और गोदौलिया चौराहे पर स्टेशन बनाया जाएगा। रोपवे की कुल दूरी 3.8 किलोमीटर है। जो लगभग 16 मिनट में तय होगी। लगभग 50 मीटर की ऊंचाई से 150 ट्रॉली कार चलेगी। एक ट्रॉली में 10 पैसेंजर सवार हो सकते है। हर देढ़ से दो मिनट के अंतराल में यात्रियों को ट्रॉली उपलब्ध रहेगी। एक दिशा में एक घंटे में 3000 लोग यात्रा कर सकेंगे। अर्थात 6000 लोग दोनों दिशा से एक घंटे में आ जा सकेंगे। रोप वे का संचालन 16 घंटे होगा।
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इस परियोजना की नोडल एजेंसी है नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक प्राइवेट लिमिटेड। बोलीविया देश के लापाज़ और मेक्सिको के पश्चात विश्व में भारत तीसरा देश और वाराणसी पहला नगर होगा जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोपवे का प्रयोग होगा। इस पायलट प्रोजेक्ट का निर्माण स्विट्जरलैंड आधारित कंपनी बर्थोलेट और भारत की विश्व समुद्र मिलकर कर रही है।
यह भी बता दें कि कि रोपवे के लिए बनने वाले सभी स्टेशन पर काशी की कला, धर्म और संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। रोप वे की ट्रॉली पर भी काशी की थांती देखने को मिल सकती है।
वाराणसी रोपवे परियोजना पर निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि इस पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे के सबसे बड़े स्टेशन के लिए बेसेंट थियोसोफिकल सोसाइटी ने 4784 वर्ग मीटर भूमी उपलब्ध कराई है। इसके लिए सोसाइटी को लगभग 38 करोड़ रुपये मिले हैं। और इस समय यहां पर निर्माण कार्य तीव्र गति से संचालित है। जो आपके स्क्रीन पर उपलब्ध है।
वर्तमान में चल रहे प्रोजेक्ट के अंतर्गत कैंट से गोदौलिया तक चार किलोमीटर लंबे रूट पर पांच स्टेशन होंगे। कैंट, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा चौराहा, गिरजाघर और गोदौलिया चौराहे पर स्टेशन होंगे। कैंट स्टेशन के पास एक मिनी होटल और लॉकर रूम भी होगा। विश्वनाथ मंदिर दर्शन के लिए आने वाले पर्यटक सबसे अधिक इसी रूट से गोदौलिया चौराहे तक जाते हैं।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि पहले कैंट से भारत माता मंदिर रूट पर काम होगा। फिर कैंट और काशी विद्यापीठ स्टेशन का निर्माण किया जाएगा। इसके पश्चात भारत माता मंदिर से रथयात्रा और लक्सा तक के रूट का निर्माण किया जाएगा। अंतिम चरण में लक्सा से गोदौलिया के बीच काम होगा।
इस परियोजना के अंतर्गत 30 टावर के माध्यम से चलने वाली रोप-वे परियोजना में 1.59 हेक्टेयर भूमि आपसी सहमति से ली गई है। इसमें निजी भूमि पर 16 टावर खड़े होंगे और सरकारी भूमि पर 14 टॉवर का निर्माण किया जाएगा।
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सबसे महत्वपूर्ण है कि वाराणसी रोपवे परियोजना के पहले चरण के Priority section जो कैंट से रथयात्रा तक है उसका निर्माण मार्च 2024 तक पूर्ण कर के कैंट से रथयात्रा तक रोपवे आरंभ करने की योजना है। एवं पूर्ण रूप से गोदौलिया तक रोप-वे को दिसंबर 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके लिए कार्यदायी संस्था नेशलन हाइवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) की ओर से कैंट से रथयात्राा तक पाइलिंग का कार्य तीव्रता से कराया जा रहा है। पाइलिंग के पश्चात स्टेशन का निर्माण आरंभ होगा।
अब बात करते हैं वाराणसी रोपवे परियोजना के एक्सटेंशन अर्थात विस्तार की। बता दें कि दूसरे चरण में अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे को कैंट रेलवे स्टेशन से सिटी स्टेशन होते हुए नमो घाट तथा पड़ाव तक संचालन करने की योजना है। यही नहीं वाराणसी विकास प्राधिकरण के द्वारा अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे को वाराणसी में तीसरे चरण के रूप में रथयात्रा से बीएचयू होते हुए रामनगर तक संचालित करवाने का योजना भी है। तथा अब बजट 2320 करोड़ रुपए आंका गया है। इस प्रोजेक्ट में गंगा पार जाने वाले दो रोप-वे रूट भी सम्मिलित हैं।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि दूसरे चरण में चौक, मैदागिन, गोलगड्डा होते हुए नमोघाट के आसपास तक एक लाइन दौडाई जाएगी। वहीं दूसरी लाइन नमोघाट से सारनाथ के बीच में होगी। जो पंचक्रोशी व आशापुर होते हुए जाएगी। गोदौलिया स तीसरी लाइन मदनपुरा, सोनारपुरा, ब्रॉडवे होटल, रवींद्रपुरी और रविदास गेट होते हुए बीएचयू परिसर तक ले जाने की तैयारी है। वहीं, एक अन्य लाइन को घाटों से जोड़ने के लिए रविदास घाट तक ले जाने की भी योजना है। इससे गंगा के दोनों किनारों को जोड़ा जाएगा। विकास प्राधिकरण को कंसल्टेंट की सहायता से सर्वे का दायित्व सौंपा गया है।
सरलतम ऐसे समझें वाराणसी रोपवे के नए रूट में एक होगा कैंट से सिटी स्टेशन तथा सिटी स्टेशन से सारनाथ तक। दूसरा होगा सिटी स्टेशन से नमो घाट तथा नमो घाट से पड़ाव तक। तीसरा रूट सोगा रथयात्रा से बीएचयू तथा बीएचयू से रामनगर तक। रोपवे का विस्तार लंका व बीएचयू की ओर हुआ तो रथयात्रा स्टेशन से ही इसे जोड़ा जाएगा। इसका प्रस्ताव भी वीडीए प्रशासन ने बना लिया है। जिसे स्वीकृति के लिए शासन को भेजा जा चुका है।
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परियोजना पर होने वाले भूमि अधिग्रहण की जानकारी देने हेतु बता दें कि निर्माणाधीन रोपवे के लिए रामापुरा में कुछ मकान क्रय किए जाएंगे। तहसीलदार सदर के अनुसार इसमें मोहल्ला कालिया नगर, नई बस्ती, मोहल्ला मनिहारी टोला आदि के मकान सम्मिलित हैं। तथा यह क्रम अभी रोपवे विस्तार से और बढ़ेगा।
देश के पहले पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे के कैंट स्टेशन को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा। यहां एयरपोर्ट की तरह सुविधाएं होंगी। रोपवे के नाम महापुरुषों व संस्थाओं के नाम पर रखे जाएंगे। कैंट से गोदौलिया के बीच बनने वाले पांच स्टेशनों से प्रतिदिन एक लाख यात्रियों की आवागमन क्षमता के अनुसार विकसित किया जा रहा है।
रोपवे स्टेशन पर बैगेज स्कैनर, लॉकर रूम, ऑटोमेटिक गेट क्लोजर, सॉविनियर शॉप, एटीएम व रेस्ट रूम की सुविधा होगी। रोपवे स्टेशनों को 150 फीट की ऊंचाई पर बनाया जाएगा। वहीं लगभग 153 फीट की ऊंचाई से रोपवे संचालित होंगे।
महत्वपूर्ण है कि काशी विश्वनाथ में दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को अब रेलवे स्टेशन से रोपवे के माध्यम से मंदिर पहुंचाने तैयारी है। जिससे दर्शनार्थियों के समय की बचत के साथ नगर को वायु और ध्वनि प्रदुषण से भी मुक्ति मिले। और वाराणसी का नाम व विकास विश्व स्तर पर प्रसिद्ध होगा।
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मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको वाराणसी रोपवे परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-