अयोध्या श्री राम मंदिर का हुआ 70% निर्माण कार्य पूर्ण
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Ayodhya Ram Mandir : भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में उनके जन्मस्थान पर लगभग 5 शताब्दियों के पश्चात ऐसा पल आने वाला है, जिसका साक्षी संपूर्ण देश बनेगा।
रामजन्मभूमि में निर्माणाधीन राममंदिर के निर्माण कार्य में श्रमिकों की संख्या बढ़ा दी गई है। और अब 1600 कारीगर व श्रमिक दिन-रात राममंदिर को आकार देने में जुटे हुए हैं। अभी तक 900 श्रमिक मंदिर निर्माण में लगे हुए थे, परंतु अब 700 श्रमिकों को और लगाया गया है। प्राण प्रतिष्ठा से पहले परिसर में चल रही अधिकांश योजनाओं को पूरा करने के लक्ष्य से श्रमिक बढ़ाए गए हैं।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस राममंदिर के भूतल को अंतिम स्पर्श देने का कार्य तीव्रता से चल रहा है। जनवरी 2024 में भव्य गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है। इससे पहले भूतल के सभी कार्य व यात्री सुविधाओं से संबंधित योजनाएं पूरी करने की तैयारी है। परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं को मंदिर तक जाने में कोई असुविधा न हो इसके लिए परकोटे निर्माण के कार्य में तेजी लाने के लिए एलएंडटी ने अपने वर्करों की संख्या को लगभग दोगुना कर दिया है।
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बता दें कि रामजन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के चलते अन्य कई योजनाओं पर काम चल रहा है। भूतल के स्तंभों में जहां मूर्तियां बनाने में कारीगर जुटे हैं तो वहीं प्रथम तल अर्थात भूतल के ऊपर वाले दूसरे तल के स्तंभों को लगाने का भी कार्य भी आरंभ कर दिया गया है। इसके साथ ही परिसर में परकोटा, बिजली केंद्र और यात्री सुविधा केंद्र का भी निर्माण तथा इसके अतिरिक्त वाटर प्लांट निर्माण में भी श्रमिक जुटे हुए हैं।
बता दें कि श्रीरामजन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर के भूतल के काम पूरा होने के पश्चात अब उसकी खूबसूरती बढ़ाने में कलाकार दिन रात एक किए हुए हैं। भूतल के 162 स्तंभों पर भित्तिचित्रों के माध्यम से इसे भव्यता दी जा रही है। इसके लिए विशेषतया उड़ीसा के कलाकार लगाए गए हैं।
राम मंदिर के स्तम्भों में प्रतिमा विज्ञान (आइकोनोग्राफी) के माध्यम से यक्ष-यक्षिणियों के भित्तिचित्रों को उकेरने का कार्य संचालित है। राम मंदिर में स्तम्भों पर देवी देवताओं की 6000 से अधिक मूर्तियां उकेरी जाएंगी। इसके साथ ही कांस्य पट्टिका में रामकथा के प्रसंगों को जीवंत किया जाएगा। इसमें विभिन्न मूर्तियों के अतिरिक्त हिंदू धर्म के शुभ चिह्नों को भी स्थान दिया गया है।
आइकोनोग्राफी की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि राम मंदिर के लिए पहले चरण में उड़ीसा के 40 कलाकारों को आमंत्रित किया गया था। फिलहाल इस बात का आकलन कर लिया गया है कि एक कलाकार कितने दिनों में पूरे स्तंभ पर मूर्तियों को उकेर सकेंगे। उसी आधार पर तीनों तलों के सभी 392 स्तम्भों पर रूप काम के लिए अतिरिक्त कलाकारों को आमंत्रित किया जाएगा।
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मंदिर के परकोटे में भी पैनल्स लगाए जाएंगे। ये पैनल्स कांस्य (bronze) के होंगे। इनमें वाल्मीकि रामायण के प्रसंगों को दिखाया जाएगा। अभी इस बात का चयन होना है कि कौन से प्रसंग होंगे। मंदिर का प्रवेश द्वार भव्य और आकर्षक होंगे। मंदिर के प्रवेश द्वार पर हनुमान और गरुड़ की मूर्ति होंगी।
मंदिर उद्घाटन समारोह की जानकारी देने हेतु बता दें कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या में लगभग पांच शताब्दी के पश्चात रामलला अपने भव्य मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होने वाले हैं। इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनने के लिए भारी संख्या में लोग अयोध्या पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और मंदिर निर्माण समिति की ओर से कार्यक्रम को लेकर आवश्यक तैयारियों को पूरा कराया जा रहा है। माना जा रहा है उद्घाटन समारोह में लगभग 5 लाख श्रद्धालु अयोध्या पहुंच सकते हैं। बड़ी संख्या में लोग अयोध्या के होटलों में 20 से 26 जनवरी के बीच कमरों को बुक करा रहे हैं।
राम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर के पहले फेज का काम इस वर्ष के दिसंबर तक पूरा होने का दावा किया जा रहा है। इसके पश्चात उद्घाटन समारोह के कार्यक्रम आरंभ हो जाएंगे। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा था कि प्रतिष्ठा समारोह में 10 हजार अतिथि सम्मिलित होंगे।
बता दें कि अयोध्या के राम मंदिर की नींव पांच अगस्त 2020 को उस समय पड़ गयी थी जब पीएम नरेंद्र मोदी ने राममंदिर का भूमिपूजन किया था। भूमि पूजन के तीन वर्ष बीत चुके हैं, इन तीन वर्षों में राममंदिर का समग्र रूप से 65 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है। राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण की लागत होगी 1800 करोड़ रूपए जिसमें से अब तक 600 करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं।
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मंदिर निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि 161 फीट ऊंचे तीन तलीय राममंदिर के भूतल का काम लगभग पूरा हो चुका है। रामलला का गर्भगृह बनकर तैयार है तो प्रथम तल के स्तंभों को भी लगाने का काम प्रारंभ कर दिया गया है। प्रथम तल पर दस दस फिट ऊंचे स्तंभों को स्थापित किया जा चुका है। अब इनके ऊपर लगभग दस 10 फिट के पहले से तैयार किए गए स्तंभ जोड़े जाएंगे। इसके पश्चात उस पर छत का कार्य आरंभ होगा। प्रथम तल पर रामदरबार की स्थापना होगा। वहीं जनवरी 2024 में राममंदिर भक्तों के लिए खुल जाएगा। और अयोध्या का मंदिर पूर्ण रूप से वर्ष 2025 तक पूरा होने की आशा है।
महत्वपूर्ण है कि अगले एक हजार वर्ष तक मंदिर को ना तो किसी मरम्मत की आवश्यकता पड़ेगी, ना ही इसमें किसी प्रकार की कोई कठिनाई आएगी। यहां तक कि मंदिर को इस प्रकार से से बनाया गया है कि 6.5 रिक्टर स्केल जैसी उच्ची तीव्रता वाले भूकंप भी इसे हिला नहीं पाएंगे।
इसके लिए जहां पिलर की मोटाई को बढ़ाया गया है तो वहीं दीवारों में भी भारी पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इसके साथ ही नींव को मजबूत बनाने के लिए उसमें भी भारी पत्थरों को ही लगाया गया है। कुल मिलाकर इमारत को नीचे से ऊपर तक इतना मजबूत तैयार किया गया है कि बड़े झटके भी इसे किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचा सकते हैं।
इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि राम मंदिर में भगवान राम लला की प्रतिमा के लिए देश के तीन प्रमुख मूर्तिकार अलग-अलग मूर्ति को तैयार करने का कार्य कर रहे हैं राम मूर्ति भगवान श्री राम लला के 5 वर्षीय 51 इंच की बनाई जा रही है। हाथ में धनुष बाण और सिर पर मुकुट धारण किए हुए रामलला की मूर्ति सुशोभित होंगी। जिसे कमल दल पर स्थापित किया जाएगा। इसके लिए रामसेवक पुरम कार्यशाला में राजस्थान के सफेद संगमरमर और दक्षिण भारत से लाए गए श्यामशिला पर भगवान की मूर्ति को तैयार किया जा रहा है।
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प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को ऐतिहासिक बनाने के लिए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, संघ व विहिप तैयारियों में जुटा है। रामलला के बाल स्वरूप की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात मंदिर को दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया जाएगा। अयोध्या में राम जन्मभूमि के अभिषेक समारोह के लिए आने वाले भक्तों को लगभग एक महीने तक प्रतिदिन 75 हजार से एक लाख भक्तों को भोजन कराया जाएगा।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि मंदिर निर्माण के साथ राम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला पर भव्य मंदिर का निर्माण और इसके साथ ही परिसर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यात्री सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है तो वही भगवान राम के जीवन काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले देवी-देवताओं व सप्त ऋषियों के भी मंदिर बनाए जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही पूरे परिसर को हरा-भरा बनाए जाने के लिए लगभग 40 एकड़ में लैंडस्कैपिंग प्राकृतिक सौंदर्य बनाए जाने की योजना बनाई गई है।
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