PM मोदी की वाराणसी में बना विश्व का सबसे आधुनिक हिन्दू घाट
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हिंदू धर्म की सांस्कृतिक राजधानी काशी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक और ड्रीम प्रोजेक्ट (Namo Ghat) बनकर के तैयार है। तथा यह केवल विश्व का सबसे बड़ा घाट ही नहीं है अपितु यह वाराणसी को हिंदूत्व से जोड़ने में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।
वाराणसी में ऐसे तो 80 से अधिक घाट हैं और सभी घाटों की अपना इतिहास एवं विशेषताएँ हैं जिनमें की संत रवि दास घाट से लेकर आदीकेशव तक के घाट आते हैं। परंतु जब से मोदी जी वाराणसी के सांसद बने हैं तब से वाराणसी का कायाकल्प होने का क्रम जारी है इसी क्रम में वाराणसी के सभी घाटों को पक्का व सुविधायुक्त बना कर काशी की चमक बढ़ाना भी मोदी जी की प्राथमिकता थी क्योंकि काशी की पहचान इन्हीं घाटों व विश्वनाथ धाम से ही है।
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विश्वनाथ धाम तो प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण ड्रीम प्रोजेक्ट था ही परंतु एक और वाराणसी का ड्रीम प्रोजेक्ट है खिड़कीया घाट का अत्याधुनिक विकास। जी हां, वाराणसी के राजघाट के निकट स्थित खिड़किया घाट अब विश्व का सबसे लंबा व अत्याधुनिक घाट बन गया है।
इस परियोजना की जानकारी देने के लिए बता दें की वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक और ड्रीम प्रोजेक्ट व वाराणसी के प्रवेश द्वार आदिकेशव और राजघाट के मध्य ‘नमों घाट’ तैयार हो गया है। वाराणसी के इस हाईटेक घाट पर पर्यटकों को कई प्रकार की सुविधाएं मिलेंगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) शीघ्र ही इस हाईटेक घाट का पुरस्कार अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को देंगे।
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जानकारी हेतु बता दें कि इस परियोजना को दो चरणों में विभाजित कर के विकसित किया जा रहा है परियोजना की कुल लागत 72 करोड़ रुपये है। तथा इसके प्रथम चरण को 34 करोड़ रूपए की लागत से हाईटेक बनाया गया है। माना जा रहा है कि इसी वर्ष के दिसम्बर महीने तक इस घाट के दूसरे चरण का काम भी पूरा हो जाएगा।
वाराणसी के इस हाईटेक घाट की कनेक्टिविटी जल, थल और नभ तीनों से होगी। दूसरे चरण में यहां हैलीपेड भी बनाया जाएगा। वाराणसी के इस घाट पर ओपेन थियेटर, सीएनजी स्टेशन, फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन, फूड कोर्ट सहित कई सुविधाएं हैं। दूसरे चरण में यहां वाटर एडवेंचरस स्पोर्ट्स, हैलीपेड, चिल्ड्रेन पार्क और भी बहुत कुछ तैयार किया जाएगा।
महत्वपूर्ण यह है कि वाराणसी का खिड़किया घाट जो अब नमों घाट बन गया है ये विश्व का सबसे बड़ा घाट होगा। लगभग 600 मीटर लम्बे इस घाट पर कई सुविधाएं हैं। दिव्यांगों के लिए भी ये घाट अत्यंत सुविधाजनक है। क्योंकि संपूर्ण घाट पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए रैंप का निर्माण भी किया गया है तथा रैम्प के माध्यम से दिव्यांग इस पूरे घाट पर सरलता से घूम सकते हैं।
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इसके अतिरिक्त अब इस घाट के सबसे बड़े व प्रमुख आकर्षण की बात करें तो बता दें कि वो है वाराणसी के नमों घाट पर नमस्ते के आकार के तीन स्कल्पचर। बड़ी संख्या में लोग इस घाट पर यहां सेल्फी लेते भी दिखाई देते हैं। परंतु इसमें भी ध्यान देने वाली बात है वो यह है कि इस नमस्कार मुद्रा में दिखने वाले स्कल्पचर को यदि ध्यानपूर्वक देखें तो आप समझ सकते हैं कि यह एक हिंदू परिवार का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें दो बड़े हाथों में से एक पुरुष का हाथ है जिसके सीधे हाथ में कलावा बंधा है तथा दूसरा महिला का हाथ है जिसमें चूड़ी को दर्शाया गया है तथा तीसरा छोटा वाला हाथ एक बच्चे को दर्शाता है। यही नहीं यह स्कल्पचर सूर्य का अभिवादन तथा माँ गंगा को प्रणाम करता हुआ है, जो कि इस घाट को हिंदूत्व से जोड़कर समग्र विश्व में सनातन आस्था व संस्कृति को बढ़ावा देगा।
जानकारी हेतु बता दें कि यहां पर नमस्ते के आकार के तीन स्कल्प्चर स्थापित तो हो ही चुके हैं परंतु इनके अतिरिक्त चौथा स्कल्प्चर भी आ गया है जिसे शीघ्र ही स्थापित कर दिया जाएगा।
वर्तमान में जो तीन नमस्ते आकार का तीन स्कल्प्चर स्थापित किया गया है उसमें दो की ऊंचाई 25-25 फीट है जबकि एक थोड़ा कम 15 फिट ऊंचा है। चौथा स्कल्प्चर जो स्थापित होगा उसकी ऊंचाई लगभग 75 फीट होगी। वर्तमान में तीन स्कल्प्चर जो स्थापित हुए हैं वे मोल्डेड एलाय धातु से बने हैं जबकि चौथा स्कल्प्चर कापर का बनाया गया है।
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बता दें कि दशाश्वमेध व अस्सी घाट के पश्चात विकास का केंद्र खिड़किया घाट है। यहां लगभग 36 करोड़ रुपए से लगभग 11.5 एकड़ क्षेत्र में आधुनिकतम सुविधाओं का विकास हो रहा है। इसमें 1.6 एकड़ भूमि पर बहुउद्देशीय प्लेटफार्म बन है। यहां दो हेलिकाप्टर उतर सकते हैं। इस नए टूरिस्ट डेस्टिनेश को जल, थल व नभ तीनों से जोड़ा जाएगा। डेडिकेटेड ई-रिक्शा कारिडोर की भी कनेक्टिविटी दी जाएगी। बहुउद्देशीय प्लेटफार्म पर बच्चों, बुर्जुगों व दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधा का विकास किया गया है।
यहां पर श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन व वाटर स्पोर्ट्स का मजा लेने के लिए टिकट बुकिंग व नाव व बजड़े की सुविधा मिलेगी।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अंतर्स्तराष्ट्रीय स्तर का पर्यटन स्थल बन कर तैयार हो गया है। प्राचीनता को संजोए हुए आधुनिकता के साथ सामंजस्य मिलाकर चलती काशी के घाटों की शृंखला में एक और पक्का घाट नमो (खिड़किया) घाट जुड़ गया है। घाट की बनावट और अंतरराष्ट्रीय सुविधा के साथ नमस्ते करता हुआ स्कल्पचर पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। अब इसे नमो घाट कहा जाने लगा है।
इस घाट से जलमार्ग और वायु मार्ग को भी जोड़ा जाएगा जिससे पर्यटक अन्य नगरों तक यहीं से सीधे जा सके। लगभग 21000 स्क्वायर मीटर में बने इस घाट की लागत लगभग 34 करोड़ है। जो लगभग आधा किलोमीटर लम्बा है। इसका पहला फेज बनकर तैयार हो गया है। इसके निर्माण में मेक इन इंडिया का विशेष ध्यान दिया गया है। इस घाट पर वोकल फॉर लोकल भी दिखेगा।
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पर्यटक इस घाट पर वाटर एडवेंचर स्पोर्ट्स का मजा ले सकेंगे। सेहतमंद रहने के लिए सुबह मॉर्निंग वाक, व्यायाम और योग कर सकेंगे। दिव्यांगजन और बुजुर्गों के लिए माँ गंगा के चरणों तक रैंप बना है। ओपेन थियेटर, लाइब्रेरी, बनारसी खान पान के लिए फ़ूड कोर्ट है। साथ ही मल्टीपर्पज़ प्लेटफार्म होगा जहाँ हेलीकाप्टर उतरने के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमो का आयोजन हो सकता है।
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सीएनजी से चलने वाली नाव के लिए फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी नमो घाट पर बना है। इसके अतिरिक्त अन्य गाड़ियों के लिए भी यहाँ अलग से सीएनजी स्टेशन है जो कि ऊपर में ही है यहां वर्तमान में टैंपो अधिकांशतः ईंधन के लिए आते हैं।
इस घाट की विशेषता यह भी है कि गाबियन (GABION) और रेटेशन वाल से घाट तैयार किया गया है। जिससे बाढ़ में घाट सुरक्षित रहेगा। ये देखनें में पुराने घाटों की तरह है। परंतु इस घाट तक गाड़ियां जा सकती है।
महत्वपूर्ण है कि वाराणसी (Varanasi) को शीघ्र ही अपना 85वां घाट मिलेगा, जिसका नाम नमो रखा गया है। संयोग से, नमो का प्रयोग लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के लिए करते हैं।
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गंगा के अनुप्रवाह में राजघाट और शाही नाले के मध्य उपस्थित घाट क्षेत्र को मनोरंजन सुविधाओं के साथ एक आधुनिक, हर प्रकार से सुलभ घाट के रूप में पुनर्विकास किया जा गया है। इसे नमो घाट नाम दिया गया है।
बता दें कि काशी में उत्तरी छोर पर गंगा किनारे स्थित इस घाट पर टाइमलाइन मूर्तिकला साइनेज भी है जहां से संपूर्ण काशी की जानकारी आपको एक साथ मिल सकती है, तथा 1000 लोगों को समायोजित करने के लिए एक ओपन-एयर थिएटर, शौचालय और आरओ पीने का पानी, कार और दोपहिया पार्किंग की सुविधा भी है।
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यहां पर पहले से उपस्थित गोवर्धन धाम और इस क्षेत्र में पड़ने वाले अन्य मंदिरों को बनाए रखा गया है और समग्र डिजाइन में एकीकृत किया गया है।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई नमो घाट की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें।
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