CM योगी के यूपी में अब एक और बवाल Kanpur Ring Road
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कानपुर : CM योगी के कार्यकाल में उत्तरप्रदेश के एक और नगर को रिंग रोड (Kanpur Ring Road) की सौगात मिली है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं की किसी भी प्रदेश व नगर की सर्वांगीण विकास के लिए, सबसे महत्वपूर्ण है भविष्य की आवश्यकता अनुसार सड़कों का उपलब्ध होना। जिसके लिए प्रदेश की योगी सरकार इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। तथा उत्तर प्रदेश देश में सड़कों का कायाकल्प करने में सबसे तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है।
इसी क्रम में आपको बता दें कि कई महत्वपूर्ण नगरों को एक्सप्रेसवे व हाईवे से जोड़ने के साथ ही साथ नगरों को जाम की समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए रिंग रोड का निर्माण भी नियोजित है। इन्हीं में से एक है कानपुर जहां पर अब रिंग रोड के निर्माण का कार्य प्रशस्त हो रहा है।
बता दें कि 6 लेन में बनने वाली इस 93 किमी लंबी कानपुर रिंग रोड के कार्य को चार चरणों में बांटा गया है।
इस कानपुर रिंग रोड की निर्माण एजेंसी है एनएचएआइ। तथा इसका मार्ग कुछ इस प्रकार से है:
1. इटावा हाईवे पर सचेंडी के पास से रिंग रोड मंधना के निकट जीटी रोड को जोड़ेगी।
2. सचेंडी से रमईपुर के पास कानपुर-हमीरपुर हाईवे को पार कर यह सड़क रूमा के पास कानपुर-प्रयागराज हाईवे को जोड़ेगी।
3. वहां से उन्नाव के आजाद नगर के पास लखनऊ हाईवे होते हुए जीटी रोड को जोड़ेगी।
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लागत की जानकारी देने हेतु बता दें कि कानपुर रिंग के निर्माण में लगभग 10,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें निर्माण पर 6,600 करोड़ रुपये और भूमि अधिग्रहण पर 3,400 करोड़ रुपये सम्मिलित हैं।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 1200 करोड़ रुपए के इस पैकेज में लगभग 700 करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति बांटा जाएगा। और जनवरी से फरवरी तक क्षतिपूर्ति वितरण का कार्य पूरा होगा। इसी समयावधि में प्रथम चरण का निर्माण कर्ता कंपनी का भी चयन किया जाएगा। यह कार्य मार्च से अप्रैल में आरंभ होने की संभावना है।
कानपुर रिंग रोड के पहले चरण में 23 किमी लंबी सड़क बनाने का काम शीघ्र ही आरंभ करने की तैयारी है। अधिग्रहण की नोटिस जारी करने के पश्चात अब नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया अर्थात एनएचएआइ ने भूमि पर कब्जा लेने की प्रक्रिया भी आरंभ कर दी है। इसके अंतर्गत अधिग्रहीत भूमि के लिए 700 करोड़ रुपये का क्षतिपूर्ति वितरण आरंभ हो रहा है। और क्षतिपूर्ति वितरण के पश्चात कंपनी दो माह में निर्माण कार्य प्रक्रिया आरंभ कर देगी।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि कानपुर रिंग रोड निर्माण के प्रथम चरण में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने उत्तर प्रदेश राज्य में कानपुर जिले के आसपास 23.32 किलोमीटर लंबी सचेंडी-मंधना रोड के लिए इंजीनियरिंग, क्रय और निर्माण (ईपीसी) मोड पर बोलियां आमंत्रित की हैं।
यदि आपको यह लग रहा होगा कि इतना खर्च वह इतना लागत से क्यों करना इतनी भारी-भरकम सड़क का निर्माण तो हम आपको बता दें। नगर में लंबे समय से जाम लग रहा है जो नगर में भारी वाहनों के प्रवेश के कारण और भी बदतर हो गया है।
विशेषतः जीटी रोड का एक बड़ा भाग नगरीय जनसंख्या के मध्य से होकर गुजरता है। और इस कारण से दिन भर ट्रैफिक रेंगता रहता है।
इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए वर्ष 2014 में आउटर रिंग रोड की योजना तैयार की गई थी। परंतु 93 किलोमीटर की प्रारंभिक कार्य योजना वर्ष 2020 तक धूल फांकती रही, जब एनएचएआई ने पूर्व-व्यवहार्यता सर्वेक्षण किया और परियोजना के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) चालू की। और अब परिणाम आपके समक्ष है।
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कानपुर रिंग रोड परियोजना की कुछ विशेषताओं की जानकारी दें तो आपको बता दें कि इसमें हाईटेंशन लाइन जैसे यूटिलिटी शिफ्टिंग में 350 करोड़ खर्च होंगे। इस मार्ग पर दो पुल नदी पर बनेंगे जिसमें से एक मंधना-गंगा बैराज की ओर 3.5 किलोमीटर का गंगा पुल बनेगा। तथा दूसरा रूमा-उन्नाव की ओर 1.9 किलोमीटर का गंगा पर पुल बनेगा। इसके अतिरिक्त इसपर 9 आरोबी बनेंगे। तथा 12 स्थानों से यातायात प्रवेश और निकास किया जा सकेगा। इस परियोजना को राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) चरण-VII के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है।
बता दें कि यह कानपुर रिंग रोड सचेंडी गाँव के पास NH-19 से आरंभ होता है और उत्तर प्रदेश राज्य में कानपुर नगर जिले के सचेंडी गाँव के पास एक ही बिंदु यानी NH-19 पर समाप्त भी होता है।
93.21 किमी लंबा ग्रीनफील्ड राजमार्ग राज्य के तीन जिलों, कानपुर नगर (62 किमी), उन्नाव (27 किमी) और कानपुर देहात (4 किमी) से होकर गुजरता है।
परियोजना को आगे नगर को जोड़ने वाले प्रमुख राजमार्गों से भी जोड़ा जाएगा। इनमें दिल्ली से कोलकाता होते हुए कानपुर और वाराणसी तक NH-19 है, एनएच-34 गंगोत्री से लखनादौन होते हुए हरिद्वार, कानपुर और जबलपुर और एनएच-27 पोरबंदर से सिलचर तक सम्मिलित हैं।
यही नहीं स्टेट हाईवे 58 (SH-58) जो कानपुर और उन्नाव को जोड़ता है, उसे भी रिंग रोड से जोड़ा जाएगा। तथा सबसे महत्वपूर्ण इसी कानपुर रिंग रोड से कानपुर लखनऊ एक्सप्रेसवे भी आरंभ हो रहा है।
चार पैकेज वाली इस योजना में कछ ही दिनों में मंधाना से सचेंडी तक कार्य आरंभ हो जाएगा और दूसरे पैकेज के लिए सचेंडी से रमईपुर-रुमा के बीच टेंडर भी शीघ्र आने की आशा है। नव वर्ष में तीसरे और चौथे पैकेज के लिए टेंडर प्रक्रिया आरंभ की जाएगी।
अब हम आपको इस कानपुर रिंग रोड के रूट की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि रिंग रोड कानपुर- अलीगढ़ जीटी रोड को मंधना के पास से कानपुर- हमीरपुर हाईवे को रमईपुर के पास जोड़ेगी। इसी प्रकार हमीरपुर हाईवे को रमईपुर से कानपुर- प्रयागराज हाईवे को रूमा के समीप और प्रयागराज हाईवे को रूमा के पास से लखनऊ हाईवे को आटा के पास जोड़ देगी। आटा से मंधना के पास आकर कानपुर- अलीगढ़ जीटी रोड को जोड़ेगी।
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भूमि अधिग्रहण की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 93.2 लंबी इस कानपुर रिंग रोड के लिए कुल 272 गांवों की भूमि का अधिग्रहण होना है। लिए 560 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण का लक्ष्य है। फिलहाल 50 गांवों के किसानों को क्षतिपूर्ति बांटने का कार्य आरंभ हो रहा है। भू अध्याप्ति विभाग ने प्रत्येक किसान की भूमि का खसरा-खतौनी जुटाने के साथ ही अधिसूचना की तिथि से तीन वर्ष पहले तक वहां हुए बैनामों के आंकड़े भी देखे जा रहे हैं। ताकि यह पता चल सके कि वहां किस दर पर भूमि के बैनामे हुए हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में सर्किल रेट या बाजार रेट में जो अधिक होता है उसका चार गुना क्षतिपूर्ति भू स्वामियों को दिया जाता है। ऐसे में भूमि की बिक्री किस दर पर तीन साल में हुई इसका आकलन ग्राम वार किया जाता है। अब एडीएम भू अध्याप्ति सत्येंद्र सिंह की अगुवाई में बैनामों की दर का आंकलन आरंभ कर दिया गया है। सर्किल रेट भी देखा जा रहा है। प्रत्येक भू स्वामी का खसरा और खतौनी भी मंगा लिया गया है।
और इसके लिए मोहसिनपुर गढेवा, सचेंडी वन, सचेंडी, बिनौर प्रथम, भारू, भैरमपुर, इटारा, कैधा, कुरौना बहादुर नगर, मगरासा, रमईपुर, सेन पश्चिम पारा, सेन पूरब पारा, सोना, जरकला, कसिगवां, कुम्हूपुर, पिपरगवां आदि गांवों की अधिसूचना जारी हो चुकी है।
सबसे महत्वपूर्ण है कि एनएचएआई के अनुसार कानपुर रिंग रोड को वर्ष 2025 तक वास्तविकता में परिवर्तित करने का प्रयास किया जाएगा। अर्थात इसके निर्माण को 2025 तक पूर्ण करने की योजना है।
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