अब दुनिया देखेगी भारत की रफ़्तार Delhi Meerut RRTS
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प्रगति में गति का कितना योगदान होता है। इसे समझते हुए भारत में विकास को गति प्रदान करने के उद्देश्य से मेट्रो रेल, वंदे भारत और बुलेट ट्रेन ही नहीं अपितु रेलवे का नया अध्याय लिखने के लिए रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम (Delhi Meerut RRTS) आने वाला है।
Delhi : मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विकास और गति का आपस में एक महत्वपूर्ण संबंध है। क्योंकि यदि विकास की गति मध्यम हो तो वह विकास देश को प्रगति पथ पर अग्रसर नहीं कर सकता। और विश्व में विकास की दौड़ में मध्यम गति से विकसित होने वाला देश कभी आगे सर्वोच्च स्थान नहीं पा सकता।
और इसलिए वर्तमान सरकार देश की गति को प्रगति से जोड़ने के साथ ही देश में आधारभूत संरचनाओं का निर्माण व पुनरुद्धार तीव्र गति के साथ कर रही है। और इसके लिए देश के प्रमुख नगरों में मेट्रो रेल सेवा का आरंभ किया जा रहा है। तथा बड़े नगरों को जोड़ने के लिए बुलेट ट्रेन पर योजनाओं पर भी कार्य संचालित है। तथा वंदे भारत ट्रेनों के माध्यम से भारतीय रेलवे को अधिक गति भी प्रदान करने पर कार्य संचालित है। परंतु राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अर्थात एनसीआर के महत्व को समझते हुए वर्तमान सरकार ने एक नई पहल की है। जिसके अंतर्गत मेट्रो और भारतीय रेल के मध्य की कमी को भी पूरा करने की योजना है।
अर्थात साधारण रेल और मेट्रो के बीच का भी एक विकल्प अब एनसीआर क्षेत्र को मिलने जा रहा है और इसी को रीजनल रैपिड ट्रांसिट सिस्टम कहा जाता है। आरआरटीएस एनसीआर में क्षेत्रीय नोड्स को जोड़ने वाली एक नई, समर्पित, उच्च गति, उच्च क्षमता, आरामदायक कम्यूटर सेवा है।
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आपको यदि यह लग रहा होगा कि मेट्रो में भी तो कुछ ऐसी ही सुविधा मिलती है तो आपको हम बता दें कि यह मेट्रो और साधारण रेल से भिन्न है।आरआरटीएस पारंपरिक रेलवे से भिन्न है क्योंकि यह समर्पित पथ मार्ग के साथ उच्च गति पर विश्वसनीय, उच्च आवृत्ति, बिंदु से बिंदु क्षेत्रीय यात्रा प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त आरआरटीएस मेट्रो से भी अलग है क्योंकि यह कम स्टॉप और उच्च गति के साथ अपेक्षाकृत लंबी दूरी की यात्रा करने के इच्छुक यात्रियों के लिए समर्पित है।
आरआरटीएस रेल की विशेषताओं की जानकारी देने से पूर्व हम आपको इस आरआरटीएस परियोजना के काल चक्र की जानकारी देते हुए बता दें कि मई 2017 में उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को स्वीकृति दी थी।
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जिसपर फरवरी 2019 में केंद्र की भाजपा सरकार ने दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना के लिए 30,274 करोड़ रुपये स्वीकृत किए। तत्पश्चात 8 मार्च 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना की आधारशिला रखी थी और जून 2019 से निर्माण कार्य आरंभ हुआ था।
आरआरटीएस परियोजना के रूट आदि की जानकारी हेतु बता दें कि इसमें कुल 8 गलियारों की पहचान की गई और कार्यान्वयन के लिए दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-पानीपत और दिल्ली-अलवर नामक तीन गलियारों को प्राथमिकता गलियारों के साथ कुल आठ मार्ग सम्मिलित हैं। जिनके नाम हैं:-
1. दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर
2. दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी-अलवर कॉरिडोर
3. दिल्ली-पानीपत कॉरिडोरअन्य गलियारे
4. दिल्ली-फरीदाबाद-बल्लभगढ़-पलवल
5. गाजियाबाद – खुर्जा
6. दिल्ली-बहादुरगढ़-रोहतक
7. गाजियाबाद-हापुड़
8. दिल्ली-शाहदरा-बड़ौत
दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस) 82.15 किमी लंबा, सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर है जो वर्तमान में निर्माणाधीन है जो दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को आपस में जोड़ेगा। यह लाइन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) द्वारा प्रबंधित क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) परियोजना के प्रथम चरण के अंतर्गत नियोजित तीन रैपिड रेल कॉरिडोर में से पहला है। 180 किमी/घंटा की अधिकतम गति के साथ, दिल्ली और मेरठ के मध्य की दूरी 60 मिनट से भी कम समय में तय की जाएगी।
दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के लागत की जानकारी देने हेतु बता दें कि इस परियोजना की लागत लगभग ₹30000 करोड़ है। तथा इसमें भारत सरकार 20%, दिल्ली सरकार 3.22% और उत्तर प्रदेश सरकार 16.78% का योगदान है शेष राशि ADB (एशियन डेवलपमेंट बैंक) AIIB एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक और NDB (न्यू डेवलपमेंट बैंक) आदि सहायतार्थ है।
और इस दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस लाइन में 22 स्टेशन होंगे, जिसमें दुहाई और मोदीपुरम में दो डिपो सम्मिलित हैं। जिनके नाम हैं:-
1. सराय काले खां
2. न्यू अशोक नगर
3. आनंद विहार
4. साहिबाबाद
5. गाजियाबाद
6. गुलधर
7. दुहाई
8. मुरादनगर
9. मोदीनगर दक्षिण
10. मोदीनगर उत्तर
11. मेरठ दक्षिण
12. प्रतापपुर
13. रिठानी
14. शताब्दी नगर
15. ब्रम्हपुरी
16. मेरठ सेंट्रल
17. भैशाली
18. बेगमपुल
19. MES कालोनी
20. दौरली
21. मेरठ उत्तर
22. मोदीपुरम
दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना की निर्माण व वर्तमान परिस्थिति की जानकारी देने हेतु बता दें कि देश की पहली आरआरटीएस रैपिड रेल का ट्रैक बिछाने का काम पूरा हो गया है।
ओएचई लगाने का 80 प्रतिशत काम भी पूरा हो चुका है। शेष काम शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। और रैपिड रेल मार्च 2023 में चालू होगा।
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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के अनुसार, दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के 17 किलोमीटर लंबे प्राथमिकता वाले खंड पर पटरी बिछाने का काम पूरा हो चुका है। इस सेक्शन में आरआरटीएस को चालू करने के लिए लगभग 34 किमी ट्रैक बिछाया गया है। इसके साथ ही प्राथमिकता खंड में ओएचई व सिग्नलिंग का काम भी तेजी से चल रहा है। अब तक वायडक्ट पर 75 प्रतिशत से अधिक ओवर हेड इक्विपमेंट (ओएचई) लगाने का काम पूरा हो चुका है।
प्राथमिकता वाले सेक्शन में पांच स्टेशन साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर और दुहाई डिपो होंगे। फिलहाल इन स्टेशनों पर एस्केलेटर और लिफ्ट लगाई जा रही हैं। साथ ही इन सभी स्टेशनों की फिनिशिंग का काम किया जा रहा है।
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यह भी बता दें कि कुछ ही दिनों पहले मेरठ में आरआरटीएस कॉरिडोर ने लगभग 22 मीटर की ऊंचाई पर दिल्ली-मेरठ रोड के ऊपर से गुजर रहे ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ईडीएफसी) को सफलतापूर्वक क्रॉस कर लिया है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत ईडीएफसी पर वायडक्ट स्पैन के सेगमेंट्स स्थापित किए गए हैं। आरआरटीएस कॉरिडोर, ईडीएफसी को मेरठ के मोहिउद्दीनपुर क्षेत्र में क्रॉस कर रहा है।
दिल्ली-मेरठ रोड पर मोदी नगर की सीमा पार करने के पश्चात, मेरठ साउथ स्टेशन से थोड़ा पहले ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर दिल्ली-मेरठ रोड को क्रॉस कर रहा है। इस कॉरिडोर से भारतीय रेल की मालगाड़ियां गुजरेंगी। यहां सबसे नीचे दिल्ली-मेरठ रोड, उसके ऊपर ईडीएफसी और उसके ऊपर आरआरटीएस कॉरिडोर है।
82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर यह एक मात्र ऐसा स्थान होगा, जहां एक व्यस्ततम सड़क मार्ग के ऊपर से भारतीय रेल और फिर उसके ऊपर से आरआरटीएस ट्रेनों के एक साथ गुजरने का अद्भुत दृश्य दिखाई देगा। यहां ईडीएफसी को पार करने के लिए आरआरटीएस के पिलर्स की ऊंचाई भी बढ़ाई गई है।
ईडीएफसी के दोनों ओर दो पिलर्स बनाकर वायाडक्ट स्पैन के सेगमेंट्स को स्थापित किया गया है। इन दोनों पिलर्स के बीच 34 मीटर का दूरी है। इस प्रक्रिया को दिल्ली-मेरठ रोड पर यातायात विभाग के सहयोग से पूर्ण किया गया। इस समयावधि में इस क्षेत्र में वाहनों का प्रवाह सामान्य बना रहा। इस स्पैन की स्थापना से मेरठ कि दिशा में वायाडक्ट निर्माण अगले चरण में पहुंच गया है।
महत्वपूर्ण है कि मार्च 2023 तक नियमित संचालन आरंभ करने के लिए एनसीआरटीसी ने साहिबाबाद और दुहाई के मध्य 17 किमी लंबे प्राथमिकता वाले खंड की योजना बनाई है। तथा पूरे 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के जून 2025 तक चालू होने की आशा है।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में अपने गांव अथवा जिला का नाम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-