काशी विश्वनाथ के ज्ञानवापी परिसर के अस्तित्व पर बड़ा फैसला

काशी विश्वेश्वर के ज्ञानवापी (Gyanvapi) परिसर को लेकर न्यायालय की प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ पर आ चुकी है और यह हमने आपको कुछ दिनों पहले ही बताया था। तथा इस विवाद पर शीघ्र ही कुछ बड़ा होने वाला है जो गर्मी का तापमान और बढ़ा देगा।

काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) से जुड़ा एक विवाद है जो कि देश में तथाकथित हिन्दू मुस्लिम भाईचारा को जमिंदोज करता है‌।

जानकारी हेतु बता दें कि ज्ञानवापी के विवादित ढांचे को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि इस विवादित ढांचे के नीचे ज्योतिर्लिंग है। जिसके भव्य मंदिर को औरंगजेब ने वर्ष 1664 में नष्ट कर दिया था। और फिर उसके अवशेषों से ही एक विवादित ढांचे का निर्माण करवाया गया। जिसे मंदिर की भूमि के भाग पर ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।

हालांकि इसके एक नहीं अनेक ऐसे साक्ष्य उपलब्ध हैं जो एक बच्चा भी देखकर बता सकता है कि उस स्थान की वास्तविकता क्या है।

Gyanvapi

जानकारी हेतु बता दें कि न्यायालयों में ज्ञानवापी परिसर से जुड़े कई केस चल रहे हैं जिनमें से दो अभी महत्वपूर्ण हैं। पहला है ASI सर्वे से जुड़ा वाद। जैसा कि हमने आपको पहले भी बताया था हिंदू पक्ष ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे करवाना चाहता है ताकि इस स्थान पर से कानूनी रूप से प्लेसेज आॅफ वरशिप एक्ट के लागू होने की अवधारणा को समाप्त किया जा सके परंतु इससे मुस्लिम पक्ष इतना भयभीत है कि वह समाजिक सौहार्द व माहौल बिगाड़ने की दुहाई देकर इसको रोकना‌ चाहता है। तथा पिछले वर्ष इस सर्वे पर मुस्लिम पक्ष की ओर से स्टे लिया गया था जिसपर की वर्तमान समय में सुनवाई चल रही है।

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी विवाद को लेकर दाखिल याचिका पर मंदिर के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी की बहस पूरी नहीं हो सकी। और अब अगली सुनवाई 10 मई को होगी। तथा कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत के विवादित परिसर का सर्वे कराने के आदेश पर लगी रोक को 31 मई तक बढ़ा दी है। अर्थात इस विषय पर अब जून माह में ही कुछ भी संभव है।

इसके अतिरिक्त दूसरा वाद है श्रृंगार गौरी मंदिर से जुड़ा हुआ। जैसा कि हमने आपको कुछ दिनों पूर्व ही बताया था कि उत्तर प्रदेश की हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर की विडियोग्राफी हेतु कमिश्नर को नियुक्त किया था परंतु इसपर भी मुस्लिम पक्ष रोक लगाना चाहता है और कारण वही तथाकथित समाजिक सौहार्द। हालांकि कोर्ट ने अब इसके लिए छह मई की तिथि निर्धारित की है। एडवोकेट कमिश्नर ने मौके पर उपस्थित होने के लिए पक्षकारों को सूचित किया है। उन्होंने पक्षकारों को कमीशन कार्रवाई में सहयोग करने को कहा है, ताकि अदालत के आदेश के कमीशन की कार्रवाई सुचारु रुप से संपन्न हो सके।

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एडवोकेट कमिश्नर ने कमीशन कार्रवाई के लिए छह मई को अपराह्न तीन बजे का समय निर्धारित किया है। यदि कमीशन की कार्रवाई उस दिन पूर्ण नहीं हो सकी तो अगले दिन संपादित की जाएगी।

जानकारी हेतु बता दें कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी एवं अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों के बारे में स्थान विशेष की वस्तुस्थिति जानने के लिए सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की न्यायालय ने कमीशन कार्रवाई का आदेश दिया है।

बीते आठ अप्रैल को न्यायालय ने कमीशन की कार्रवाई के लिए अधिवक्ता अजय कुमार को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर को यह आदेश दे रखा है कि उभय पक्षों की उपस्थिति में पूरी कार्रवाई की विडियोग्राफी तैयार करवाया जाए।

अदालत ने वीडियोग्राफी की प्रक्रिया पूर्ण करते हुए 10 मई को कमिशन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये निर्देशित किया है। अदालत ने कहा है कि ईद त्योहार के पश्चात कमीशन वीडियोग्राफी की कार्यवाही कराए। इस समयावधि में एडवोकेट कमिश्नर के अतिरिक्त दोनों पक्षों के पक्षकार और उनके अधिवक्ता के अतिरिक्त एक-एक सहयोगी उपस्थित हो सकते हैं।
महत्वपूर्ण है कि 18 अप्रैल को प्रशासन और विपक्षी अर्थात अंजुमन इंतजामियां मसाजिद की ओर से वीडियोग्राफी रोकने की याचिका को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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ज्ञातव्य है कि वर्ष में केवल नवरात्री के एक दिन ही मां श्रृंगार गौरी के दर्शन की अनुमति है क्योंकि यह विवादित ढांचे के निकट है। जिसपर की अगस्त वर्ष 2020 में हिंदू महासभा की ओर से राखी सिंह एवं 4 अन्य महिलाओं ने शृंगार गौरी के नियमित दर्शन ना किए जाने को हिन्दू हित में ना होना बताते हुए कोर्ट में सरकार के खिलाफ याचिका दायर की थी।

बीते आठ अप्रैल को अदालत ने अधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा को इस मामले में एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करते हुए कमीशन कार्यवाही का आदेश दिया था। साथ ही दोनों पक्षों की मौजूदगी में पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी करवाकर 20 अप्रैल तक अदालत में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश भी दिया था।

इसके बाद जिला प्रशासन की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर 20 अप्रैल को अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात निर्णय सुरक्षित रखते हुए 26 अप्रैल की तिथि तय की जो मंगलवार को इस मामले में सुनवाई के समयावधि में सुनाया गया है।

इस प्रकरण को लेकर मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यदि आप सभी सबूतों और तथ्यों को देखें तो ज्ञानवापी विवादित ढांचा चारों ओर से चारदीवारी से घिरा हुआ है जो कि विवादित ढांचे से काफी पुरानी है, यह चहारदीवारी मंदिर का भाग है।

सरल शब्दों में कहें तो यदि 6 मई को कमिशन द्वारा ज्ञानवापी परिसर की विडियोग्राफी हो जाती है तो गृष्म ऋतु के सबसे अधिक गर्म माह के 10 मई को एक बड़ा निर्णय आ सकता है जो गर्मी का तापमान और बढ़ा सकता है।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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