वाराणसी में बनकर तैयार हुआ नया रिवर फ्रंट

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Varanasi New River Front : विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर काशी का अब बदलने वाला है स्वरूप क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी होने जा रहा है घाटों का विस्तार। तथा अब काशी में बन रहे है नवीन घाट जो बनेंगे नई पहचान।

Varanasi New River Front
Varanasi New River Front

Varanasi New River Front : मित्रों हम सभी जानते हैं कि मोदी सरकार ने देश की आधारभूत संरचना को नवीन जीवन प्रदान करने के लिए कितना कार्य किया है, तथा यदि वाराणसी के संदर्भ में बात करी जाए तो विगत 10 वर्षों में वाराणसी का कायाकल्प ही कर दिया गया है। जिसके लिए नगर में रिंग रोड, मल्टीलेवल पार्किंगस्, हाॅस्पिटल, पार्कों का जीर्णोद्धार, गंगा घाटों का सौंदर्यीकरण, काशी विश्वनाथ धाम कारिडोर का पुरस्कार, माॅडल घाट का निर्माण, स्वक्षता का ध्यान, जन सुविधाओं व सुरक्षा की व्यवस्था आदि पर अनेक कार्य हुए हैं तथा यह निरंतर जारी भी हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नगर की बढ़ते पर्यटक व आवश्यकता अनुसार अब वाराणसी में नवीन गंगा घाट का निर्माण हो रहा है।

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ऐसे तो विगत 10 वर्षों में वाराणसी का कायाकल्प ही कर दिया गया है। जो हमें बताने की भी आवश्यकता नहीं है। इसी क्रम में नगर की एक बड़ी समस्या का समाधान होने वाला है जो है नगर की बढ़ती जनसंख्या तथा अप्रत्याशित पर्यटन में वृद्धि।

परियोजना की जानकारी देने हेतु बता दें कि वाराणसी में पिछले 10 वर्षों से जहां यातायात सुगम हुआ है, वहीं व्यापार और उद्योग को भी विस्तार मिला है। ऐसे तो वाराणसी में सबसे आधुनिक घाट जो कि बन करके तैयार हो चुका है नमो घाट वह पहले से ही काशी की जनता व यहां आने वाले पर्यटकों के लिए उपलब्ध है जहां पर सभी अत्याधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध है और वाराणसी की नई पहचान भी वह बन चुका है। परंतु वाराणसी में आने वाले पर्यटकों की संख्या के मुकाबले में वह भी कम पड़ रहा है और साथ ही साथ वाराणसी की ओर गंगा घाटों पर आने वाले पर्यटकों के संख्या के कारण से वाराणसी में भी अत्यधिक जाम तथा कठिनाइयों का नगर वासियों को सामना करना पड़ता है।

Varanasi New River Front
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और इन्हीं सभी करणों का निवारण करने हेतु वाराणसी के सामने रामनगर की ओर गंगा नदी पर एक नए घाट का निर्माण किया जा रहा है जो कि अब पूर्णता की ओर अग्रसर है। वाराणसी में घूमने के कई स्थान है जिसमें से एक है रामनगर का काशी नरेश का किला और इस किले के सटे हुए वाराणसी में अब एक नया घाट भी बना करके सज्ज्ज हो चुका है और यह घाट अकेला नहीं है यह घाट जुड़वा है। जिसके सामने भी ऐसा ही एक और घाट तैयार हो चुका है।

सबसे बड़ी बात यही है कि काशी में आने के आवश्यकता ही यह घाट आपको समाप्त कर देता है अर्थात यदि आप चंदौली रामनगर और मिर्जापुर साइड से काशी की ओर गंगा घाटों पर भ्रमण करने के लिए आना चाहते हैं तो काशी में ही आने की आवश्यकता नहीं है काशी के जस्ट पहले रामनगर साइड ही आपको एक सुंदर घाट अत्यधिक सुविधाओं के साथ मिल रहा है जहां पर आप विचरण कर सकते हैं और कहीं ना कहीं वाराणसी नगर में प्रवेश करने की बाध्यता भी आपको नहीं पड़ेगी। 

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आपको हम इस घाट की एक्सक्लूसिव दृश्य प्रदर्शित करते हुए बता दें कि वाराणसी के घाटों की श्रृंखला में एक घाट और जुड़ने जा रहा है। भाजपा की डबल इंजन की सरकार सामनेघाट से रामनगर को जोड़ने वाले सेतु के बगल में सामनेघाट का  पुनर्विकास कराकर  पक्का घाट बनवा रही रही है। घाट के निर्माण में काशी के अन्य ऐतिहासिक घाटों के वास्तुशिल्प का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। आधुनिक रूप से बन रहे इस पक्के घाट पर पर्यटकों की सुविधाओं का ख़ास ध्यान रखा गया है, जिससे धार्मिक कार्यों के साथ ही पर्यटकों को सभी सुविधा मिल सके। उत्तर वाहिनी मां गंगा के किनारे काशी के अर्धचन्द्राकार घाट संपूर्ण विश्व को सदैव से आकर्षित करती आई है।

इस परियोजना की लागत की जानकारी देने हेतु बता दें कि पर्यटन विभाग के उप निदेशक राजेंद्र रावत के अनुसार 1055.43 लाख की लागत से इस घाट का पुनर्विकास कराया जा रहा है। इस घाट की लंबाई 110 मीटर है। घाट पर आरती और पूजा के लिए प्लेटफार्म ,चुनार स्टोन की छतरी ,गजिबो, चेंजिंग रूम, हाईमास्ट लाइट, स्ट्रीट लाइट, साइनेज, पीने का पानी, पाथवे, पार्किंग,स्टोन पिचिंग, दिव्यांगजनों व बुजुर्गों के लिए रैंप हॉर्टिकल्चर, आदि के अधिकांश कार्य हो चुके हैं। बचे हुए कार्य को देव दीपावली से पहले पूरा करने के लिए कार्यदायी संस्था को निर्देश दिया गया है।

Varanasi New River Front
Varanasi New River Front

पुरातनता को ध्यान में रखते हुए काशी के घाटों के नवनिर्माण में चुनार के पत्थरों का प्रयोग हो रहा है। पर्यटन विभाग के उप निदेशक राजेन्द्र रावत ने बताया कि सामने घाट स्थित बन रहे पक्के घाट पर स्थानीय लोगों को गंगा स्नान, धार्मिक ,धार्मिक आयोजनो जैसे छठ और देव दीपावली आदि पर्व मनाने में काफी सहूलियत मिलेगी। काशी के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व वाले घाटों की श्रृंखला से थोड़ा दूर कच्चे घाट के पुनर्विकास से धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा। इस पर वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी भी कराने की योजना है।

इसके अतिरिक्त यह भी बता दें कि उत्तर वाहिनी गंगा के अर्धचंद्राकार छटा में कुल आठ और नए घाट चार चांद लगाएंगे। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत कच्चे घाटों को विकसित करने का खाका तैयार कर लिया गया है। इनके विकास के पश्चात वाराणसी में घाटों की संख्या बढ़कर 93 हो जाएगी। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

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यही नहीं लंका क्षेत्र में स्थित रविदास घाट से लेकर आगे तक के कच्चे घाटों को भी अर्धचंद्राचार घाटों की श्रृंखला का भाग बनाया जाएगा। इसमें रविदास घाट के बाद वाले कच्चे घाटों को पक्का किया जाएगा। इसे पर्यटकों के दृष्टिगत से सुंदर बनाया जाएगा।

गंगा में जल परिवहन का प्रमुख केंद्र बन चुके वाराणसी के रविदास घाट पर बढ़ रही यात्रियों की यातायात को ध्यान में रखते हुए उसके आगे के कच्चे घाटों को विकसित किया जाएगा।

Varanasi New Ghat
Varanasi New River Front

इसी क्रम में रविदास घाट को पूर्ण रूप से विकसित करने की योजना शासन की ओर से बन चुकी है। वाराणसी में जल परिवहन के बढ़ते क्रेज को देखते हुए रविदास घाट के पास के करीब तीन से चार घाट को पक्का कर जल परिवहन के लिए तैयार किए जाने की तैयारी है। इसके लिए प्रशासन कच्चे घाटों को पक्का करने और वहां सुविधाएं विकसित करने के लिए विभाग को नोडल बनाकर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रहा है।

मित्रों यदि दी हुई वाराणसी के नवीन घाट निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-

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