अयोध्या श्री राम मंदिर के नींव निर्माण में तृतीय चरण का हुआ शुभारंभ
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श्री राम मंदिर निर्माण से जुड़ी एक नवीन शुभ समाचार आई है
जैसा की हम सभी जानते हैं कि वर्तमान समय में अयोध्याजी की पावन धरा पर भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य तीव्र गति हो रहा है जोकी केवल अयोध्या ही नहीं अपितु समस्त भारतवर्ष तथा समस्त सनातनीयों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक विकासकार्य है।
इसी क्रम में आपको बता दें की जहाँ एक ओर मंदिर की नींव का कार्य आखिरी चरण में है तो वहीं दूसरी ओर मंदिर की छत (राफ्ट) के काम का तीसरा चरण 24 जनवरी सोमवार से आरंभ हो गया है। इसमें पहले सुपर स्ट्रक्चर के प्लिंथ का निर्माण होगा। प्लिंथ निर्माण का दायित्व कार्यदायी संस्था L&T को ही दिया गया है।
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बता दें की प्लिंथ में बेंगलुरु के ग्रेनाइट पत्थर के साथ मिर्जापुर के पत्थरों के अलग-अलग ब्लॉकों की निर्धारित डिजाइन तैयार की जाएंगी। एवं प्लिंथ निर्माण के पश्चात फर्श का कार्य होगा आरंभ।
राम मंदिर मॉडल के आर्किटेक्ट निखिल भाई सोमपुरा पूरा के अनुसार राफ्ट निर्माण के पश्चात प्लिंथ निर्माण का काम पूरा हो जाएगा, फिर अंतिम में फर्श पर कॉलम के लिए मार्किंग की जाएगी और पिलर साइज़ के अनुसार फर्श पर कटिंग का कार्य होगा । जिसमें पिलर के आधार को रखा जाएगा। इन पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए किसी अतिरिक्त मटेरियल की आवश्यकता नहीं होगी। अपितु इन्हें इंटरलॉक किया जाएगा।
इसपर और अधिक जानकारी के लिए बता दें की सुपर स्ट्रक्चर के प्लिंथ निर्माण में ग्रेनाइट और मिर्जापुर के पत्थरों के ब्लॉकों में 3-3 इंच के गड्ढे होंगे। इन्हें इंटरलॉक करने के लिए 6 इंच का ग्रेनाइट पिन बनाया गया है। तीन अलग-अलग प्रकार के पत्थरों से प्लिंथ का निर्माण किया जाएगा। इस प्रकार के 18 बड़े साइज़ के और 12 छोटे साइज़ के ब्लॉक बनाए जाएंगे।
मंदिर निर्माण में शैली की अधिक जानकारी के लिए बता दें की मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया जा रहा है। सभी स्तंभों में रामकथा के प्रसंगों सहित प्राचीन पद्धति से कुल 6400 मूर्तियां उकेरी जाएंगी। भव्य मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र यहां के स्तंभ ही होंगे। इन स्तंभों पर देवी-देवताओं की 16 मूर्तियों को शिलापट्ट पर उकेरा जाएगा। यही नहीं रामकथा संग्रहालय में कारीगर इन खंभों में रामकथा के प्रसंगों में वर्णित ऋषि मुनि और देवी देवताओं की कुल 6400 मूर्तियों को 400 स्तंभों पर आकार देने का काम कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त रामायण के 100 प्रसंग भी स्तंभों पर नागर शैली के महारथी कलाकार स्थापित करेंगे।
बता दें की राम मंदिर के 25 वर्ग फीट क्षेत्र में बनने वाले परकोटे में भी रामायण के लगभग एक हजार प्रसंगों को शिलाओं पर उकेरा जाएगा। इसके अतिरिक्त रामकथा के 125 प्रसंगों को भी कलाकार अपनी कलाओं से इन पत्थरों पर लिखेंगे । इसके लिए अयोध्या के राम घाट स्थित कार्यशाला और राजस्थान में भी पत्थरों को तराशने का काम चल रहा है।
श्री राम मंदिर निर्माण में आई सबसे नवीन जानकारी प्रदान करने के लिए आपको बता दें की राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण की प्रक्रिया के अंतर्गत तीसरे चरण का कार्य 24 जनवरी सोमवार को विधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन के पश्चात प्रारंभ कर दिया गया है।
श्री रामलला के गर्भगृह स्थल पर हुआ पूजन
राम मंदिर निर्माण के तीसरे चरण में प्लिंथ निर्माण का कार्य सोमवार से प्रारंभ कर दिया गया है। माघ कृष्ण सप्तमी रामानंदाचार्य के जयंती पर राम जन्मभूमि परिसर में ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय व एलएंडटी के द्वारा वैदिक ब्राह्मणों के द्वारा भगवान श्री रामलला का पूजन अर्चन कर इस कार्य को प्रारंभ किया गया है। जिसमें कर्नाटक के ग्रेनाइट पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है। मंदिर निर्माण के लिए तैयार किए गए फाउंडेशन पर पहले लेयर में 18 सौ पत्थरों के ब्लाक लगाए जाएंगे। निर्माण स्थल पर 4 लेयर पत्थरों से तैयार किए जाएंगे। तथा यहाँ पर हम अपने दर्शकों को बता दें की यह लगभग जून माह तक इस तीसरे चरण के प्लिंथ निर्माण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
श्रीराम जन्मभूमि पर राफ़्ट के ऊपर पूजन विधि द्वारा ग्रेनाइट पत्थर के ब्लॉक रखकर मन्दिर की कुर्सी अर्थात फर्श प्लिंथ ऊँचा करने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
राम मंदिर का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा और रामलला को नव निर्मित मंदिर में विराजमान करा दिया जाएगा। यह मंदिर राष्ट्र में परिवर्तन लाने वाला होगा। इससे पूरे विश्व में भारत के प्रति सोचने की दृष्टि बदली है।
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वर्तमान समय में रामलला लकड़ी के मंदिर में हैं और 28 वर्ष तक टेंट में रहे थे। यह देश के साधु-संतों के आंदोलन का प्रभाव है कि भगवान श्रीराम भव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं।
आपको बता दें की मंदिर के नींव बनाने का काम शनिवार 22 जनवरी को पूरा हो गया है। मंदिर में नींव 12 मीटर गहरी है जबकि गर्भ गृह में 14 मीटर चट्टान रुपी नींव में लोहे के एक तार का भी प्रयोग नहीं किया गया। इस नींव के निर्माण में सीमेंट का भी प्रयोग बहुत कम किया है। इसमें आईआईटी मद्रास द्वारा तैयार कराए गए मिश्रण का प्रयोग किया है। इसमें 98 प्रतिशत घनत्व पर कंक्रीट डाली है। इसमें 1-1 मीटर पर लेयर हैं। गर्भगृह में 56 व बाहर 48 लेयर हैं। तथा यह काम 9 महीने में पूरा हुआ है।
बता दें की प्लिंथ निर्माण में कर्नाटक के ग्रेनाइट पत्थरों का प्रयोग होगा। जिसकी आपूर्ति तेजी से हो रही है। पिछले सप्ताह लगभग 10 ट्रक पत्थर राम जन्मभूमि पहुंचा है। नींव के ऊपर लगभग 20 फीट ऊंची प्लिंथ बनाई जाएगी जो राममंदिर की नींव को मजबूती प्रदान करेगी। प्लिंथ निर्माण में कर्नाटक के ग्रेनाइट पत्थरों का प्रयोग होना है, कुल 20 हजार पत्थरों के ब्लॉक की आवश्यकता होगी।
6 महीने में यह काम पूरा होने के पश्चात जून से मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ होगा। तथा मंदिर के यात्री सुविधाओं सहित 18 एकड़ में मन्दिर का क्षेत्रफल होगा। 2.75 एकड़ में मंदिर का निर्माण होगा। इसके पश्चात साढ़े 6 एकड़ भूमि को कवर करते हुए 9 मीटर ऊंची दीवार अर्थात परकोटा बनाया जाएगा। यह भविष्य में कभी आने वाले भूकम्प और जल प्रलय को देखते हुए बनाई जा रही है। पूरे मंदिर निर्माण में 17 लाख घन फीट पत्थर लगेगा। इसमें ग्रेनाइट कर्नाटक से, मंदिर का पत्थर बंशी पहाड़पुर से और मकराने की चौखट लगेंगी। जबकि परकोटा का पत्थर जोधपुर से मंगाए जाने पर विचार चल रहा है। बता दें कि मंदिर में एक दिन में 50 हजार दर्शनार्थियों के पहुंचने की संभावना है। वहीं त्योहार के दिनों में 2 से 2.5 लाख तक लोग आ सकते हैं। मंदिर निर्माण में यात्रियों की भविष्य में आने वाली संख्या का ध्यान रखा जा रहा है।
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