अब काशी विश्वनाथ धाम के इतिहास में जुड़ने वाला है एक और नवीन अध्याय

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के नव्य-दिव्य स्वरूप के भव्य लोकार्पण के पश्चात अब बाबा धाम के सुरक्षा व्यवस्था में होगा बड़ा परिवर्तन।

उत्तर प्रदेश के तीर्थ स्थल अयोध्या, मथुरा और काशी सनातन धर्म के संपूर्ण संदेश को बांचती है। उत्तर प्रदेश वालों का यह सौभाग्य है कि ये तीनों पुण्य-भूमि इस प्रदेश का भाग हैं। अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, जो सनातनीयों के एक नए युग के प्रारंभ का साक्षी बनेगा, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल से काशी में बाबा धाम को गंगधार से एकाकार करने का उपक्रम भी ऐसा ही युगांतरकारी अवसर है।

Ganga Dwar

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के बनने के पश्चात मंदिर परिक्षेत्र भी वृहद् हुआ है। ऐसे में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा को लेकर लगातार मंथन चल रहा है। जिसके अनुसार अब नए सिरे से सुरक्षा का खाका खींचा जाएगा जो दिल्ली के अक्षरधाम और तिरुपति बालाजी मंदिर सरीखा होगा। इसके लिए दो पुलिस अफसर विक्रांत वीर और अनिल कुमार सिंह की टीम नियुक्त की गयी है जो दोनों मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था का गहन अध्ययन कर रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को सौंपेंगे जिसके पश्चात एक और मीटिंग कर तैयार किये गए ड्राफ्ट को मुख्य सचिव के पास भेजा जाएगा। अधिकारियों के अनुसार रिपोर्ट मिलने के पश्चात कुछ ही दिनों में फिर बैठक होगी, जिसमें सुरक्षा प्लान पर पुनः चर्चा की जाएगी। बैठक में तैयार ड्राफ्ट मुख्य सचिव के पास भेजा जाएगा।

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इसमें जो प्रमुख परिवर्तन होगा वो कुछ प्रकार से होने की संभावना है। अधिकारियों के अनुसार मंदिर की सुरक्षा के अनुरूप तय रेड जोन की सीमा केवल गर्भगृह के आसपास और ज्ञानवापी ढांचा तक ही रहेगा। येलो जोन भी रेड जोन के आसपास रहेगा। येलो जोन का पूर्व में तय सीमा और कम होगा। रेड व येलो जोन छोड़कर सभी क्षेत्र मोबाइल ले जाने पर छूट रहेगी। जिसमें मंदिर चौक व घाट किनारे के क्षेत्र समाहित होंगे। मंदिर में भीड़ के प्रबंधन के लिए सीआईएसएफ से भी सहायता लेने का निर्णय लिया गया है।

भव्य, दिव्य, नव्य काशी विश्वनाथ धाम की सुरक्षा व्यवस्था भी नए सिरे से तैयार करने के लिए एयरपोर्ट की तर्ज पर धाम परिसर में सशस्त्र बल से लेकर बिना हथियार वाले जवानों की तैनाती के लिए कार्ययोजना बनाई गई है। इसमें काशी विश्वनाथ धाम में आम दर्शनार्थियों और श्रद्धालुओं को मोबाइल के साथ प्रवेश मिलेगा। इसके साथ ही इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सिस्टम के लगभग 400 कैमरे गंगा घाट से सड़क तक निगरानी को पुख्ता करेंगे।

गंगा घाट से लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक 50 हजार वर्गमीटर से अधिक में विकसित हो चुके विश्वनाथ धाम की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए योजना तैयार कर ली गई है। इसमें पूरे धाम को चार भागों में बांटकर अलग-अलग सुरक्षा एजेंसियों को दायित्व सौंपा जाएगा। एयरपोर्ट की तर्ज पर काशी आने वाले पर्यटक अपने पूरे सामान के साथ काशी विश्वनाथ धाम परिसर में प्रवेश करेंगे। इसमें अगले चरण में बैगेज स्कैनर के माध्यम से सामान जमा कराया जाएगा।

इसमें सशस्त्र बलों की तैनाती मंदिर के मुख्य द्वारों से लेकर परिसर तक ही सीमित रहेगी। इसके साथ ही निजी एजेंसी के सुरक्षाकर्मियों की बड़े पैमाने पर तैनाती की जाएगी।

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आपको हम बता दें की मोबाइल फोन को भीतर ले जाने के स्वीकृति देने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि काशी विश्वनाथ धाम में फूड गैलरी से लेकर अन्य सामानों की दुकानें होंगी, ऐसे में बिना मोबाइल के यूपीआई पेमेंट आदि संभव नहीं हो पाएगा। तथा अब तो विभिन्न प्रकार के Document भी लोग अपने मोबाइल में ही रखते हैं तो इसके बिना अधिक देर तक रह पाना भी संभव नहीं होता।

बता दें की शीघ्र ही संपूर्ण कॉरिडोर की सुरक्षा व्यवस्था को नवीन व्यवस्था में लागू किया जाना है। एवं फरवरी तक इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सिस्टम तैयार हो जाएगा। इसके पश्चात स्थायी समिति की सहमति पर नई व्यवस्था लागू होगी।

Drone view

इसके अतिरिक्त आपको एक और महत्वपूर्ण जानकारी के लिए बता दें की काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के भव्य निर्माण के पश्चात अब मंदिर के इतिहास में शीघ्र ही एक और अध्याय जुड़ने जा रहा है। जिसमें कि मंदिर में गर्भगृह की भीतर की दीवार भी स्वर्णजड़ित (Gold Plated) होगी। मंदिर दर्शन करने आए दक्षिणी भारत के एक स्वर्ण व्यवसायी ने सोना दान करने की इच्छा जताई है। व्यवसायी की पहल पर मंदिर प्रशासन ने स्वर्ण पत्र जड़ने के संबंध में प्रस्ताव तैयार कराना आरंभ भी कर दिया है। तथा पिछले दिनों दीवारों की मैपिंग व डिजाइनिंग भी की गई है।

बता दें की विश्वनाथ मंदिर के शिखर पर महाराजा रणजीत सिंह ने स्वर्ण पत्र लगवाया है। यहां वर्षों पहले लगे स्वर्ण पत्र धूमिल हो गए थे। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पूर्व विशेषज्ञ कारीगरों की सहायता से सोने की सफाई करायी गई थी। जिसके पश्चात अब मंदिर के स्वर्ण शिखर की चमक आने वाले श्रद्धालुओं को मोहित कर रही है।

जानकारी के लिए बता दें की गर्भगृह के अंदर की दीवारें संगमरमर आदि पत्थरों से बनी हैं। आरती के कारण अंदर की दीवारों पर दाग भी लगते जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार विगत दिनों बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के पश्चात व्यापारी के मन में गर्भगृह के अंदर की दीवारों को स्वर्ण मंडित करने की इच्छा जागी। और व्यवसायी ने वाराणसी मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल से संपर्क कर अपनी इच्छा रखी। इसके पश्चात मंडलायुक्त के आदेश पर कार्ययोजना तैयारी करायी जा रही है।

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इसपर और अधिक जानकारी के लिए बता दें की इस दिशा में लगभग एक दशक पहले ही योजना बनाई गई थी। अधिकारियों के अनुसार कई वर्ष पूर्व गर्भगृह के अंदर स्वर्ण पत्र लगाने का 50 करोड़ का इस्टीमेट बना था। तब बीएचयू आईआईटी के विशेषज्ञों ने दीवारों को अतिरिक्त भार सहने योग्य नहीं माना था।

ऐसे में शासन स्तर पर ही इसे अस्वीकृत कर दिया गया था। परंतु अब काशी विश्वनाथ धाम के भव्य परिसर के लोकार्पण से पहले गर्भगृह की दीवारों को ठीक कर लिया गया है। ऐसे में मंदिर प्रशासन गर्भगृह की दीवारों को स्वर्ण मंडित करने की सोच को मूर्त रूप देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

Ganga Gate

इसके अतिरिक्त आपको एक और जानकारी के लिए बता दें की 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में जिस प्रकार से पिछले वर्ष अयोध्या के श्री राम मंदिर मॉडल को दर्शाया गया था ठीक उसी प्रकार से इस बार उत्तर प्रदेश समेत 12 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की झांकियां प्रदर्शित होंगी। तथा उत्तर प्रदेश की झांकी में इस बार काशी विश्वनाथ धाम को स्थान दिया जाएगा।

रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार जिन राज्यों की झांकी परेड में प्रदर्शित की जाएगी, उनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मेघालय और पंजाब सम्मिलित हैं। केंद्र की विशेषज्ञ समिति ने इन झांकियों का चयन किया है। केंद्र की नौ झांकिया भी इस बार राजपथ पर नजर आएंगी।

मित्रों यदि आपको उपरोक्त दी हुई काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण कार्य की विशेष जानकारी ड्रोन व्यू पसंद आई हो तो हर हर महादेव कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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