अयोध्या ही नहीं, इस मुल्सिम देश में बन रहा है पहला हिन्दू मंदिर

हजारों वर्ष पहले एक समय था जब इस धरती पर सर्वत्र हिंदू धर्म का राज हुआ करता था, और एक आज का वर्तमान समय है जब भारत में ही नहीं अपितु भारत के बाहर भी सनातन धर्म अपनी चमक पुनः प्राप्त कर रहा है।

Hindu Mandir

संयुक्त अरब अमीरात अथवा कहूं तो UAE, नाम तो आपने सुना ही होगा। UAE की राजधानी है अबू धाबी और यहीं पर बन रहा है अबू धाबी का पहला हिंदू मंदिर तथा इस मुस्लिम देश में बन रहे हिंदू मंदिर को लेकर विश्वभर में चर्चा है। बता दे कि यूएई मुस्लिम देश है। यहां की भाषा अरबी है। यहां की जनसंख्या 2018 के लिए अनुसार 96 लाख 30 हजार है। इसमें से लगभग 15 लाख जनसंख्या आबू धाबी में रहती है। यह यूएई का दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला नगर है।

बता दें कि वर्ष 2019 में अबू धाबी ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए अरबी और अंग्रेजी के पश्चात हिंदी को अपनी न्यायालयों में तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में सम्मिलित किया था। अमीरात में भारतीयों की संख्या 26 लाख से अधिक हो चुकी है। अर्थात यह कुल जनसंख्या का 30 प्रतिशत है। यह अमीरात का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय कहा जाता है।

UAE के संक्षिप्त जानकारी देने के पश्चात आपको हम यहाँ बन रहे हिंदू मंदिर की काल चक्र की जानकारी के लिए बता दें की संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में जो हिंदू मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। यह पत्थरों से निर्मित यूएई का पहला पारंपरिक मंदिर होगा।

बता दें की वर्ष 2015 में जब पहली बार PMनरेंद्र मोदीयूएई गए थे तभी से लेकर दोनों देशों के संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं तथा वहां एक मंदिर स्थापित करने का विषय भी उठा था और वहां के शासक ने इस पर ध्यान देने की बात कही थी। तथा फरवरी 2018 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुनः संयुक्त अरब अमीरात के दो दिवसीय दौरे पर गए थे। तभी पीएम मोदी ने अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर की आधारशिला रखी थी। अर्थात अबू धाबी के पहले हिंदू मंदिर की नींव 2018 में पड़ी थी। इसके पश्चात यूएई सरकार ने मंदिर के लिए अल वाथबा में 20,000 स्क्वॉयर मीटर भूमि उपलब्ध कराई थी। तत्पश्चात जनवरी 2019 में इस हिंदू मंदिर को 14 एकड़ अतिरिक्त भूमि आवंटित की गई।

20 अप्रैल 2019 को वह दिन आया जब, अबू धाबी में पहले पारंपरिक हिंदू मंदिर का शिलान्यास हुआ।

बता दें की बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम संस्था (बीएपीएस) स्वामीनारायण संस्था इस मंदिर का निर्माण करवा रही है। यह मंदिर पारंपरिक तौर पर अन्य अक्षरधाम मंदिर जैसा ही होगा तथा यह दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से छोटा होगा, परंतु न्यू जर्सी के अक्षरधाम के समान होगा।

Abu Dhabi Mandir

इस मंदिर निर्माण व संरचना की विशेषताओं की जानकारी के लिए बता दें की इसके निर्माण में कई टन गुलाबी बलुआ पत्थर उत्तरी राजस्थान से अबू धाबी भेजा जाएगा। क्योंकि राजस्थान के इन पत्थरों में 50 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का सामना करने की क्षमता होती है। मंदिर के निर्माण के लिए यूरोप के संगमरमर का भी उपयोग किया जाएगा। मंदिर की नींव स्टील या लोहे की सामग्री का उपयोग किए बिना और पारंपरिक हिंदू मंदिर वास्तुकला के माध्यम से बनाई गई है।

यह मंदिर 16.7 एकड़ में बन रहा है तथा इस मंदिर के निर्माण पर लगभग 45 करोड़ दिरहम खर्च होंगे भारतीय रूपयों में यह मूल्य लगभग 900 करोड़ रुपए है।

Hindu Mandir Nirman

बता दें की मंदिर का बाहरी भाग लगभग 12 हजार 250 टन गुलाबी बलुआ पत्थरों से तैयार हो रहा है। इसमें लगभग 5,000 टन इटैलियन कैरारा मार्बल लगेगा। ये पत्थर 50 डिग्री तापमान को भी झेल सकते हैं। यह भी बता दें की इस मंदिर में भगवान कृष्ण, शिव और अयप्पा की मूर्तियां होंगी। अयप्पा को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।

यह मंदिर अल वाकबा नामक जगह पर बन रहा है। यह आबू धाबू से लगभग 30 मिनट की दूरी पर स्थित है।

मंदिर में 2000 से ज्यादा कलाकृतियां तैयार की जा रही हैं। इन्हें साकार करने के लिए 3000 से अधिक श्रमिक और शिल्पकार कार्यारत हैं।

इन पत्थरों को तराशने का कार्य विशेष सावधानी से किया जा रहा है। भारत में राजस्थान और गुजरात के स्थानीय कलाकारों ने इन्हें तैयार किया है तथा तैयार कर के भारत से भेजा गया है। निर्माण कार्य के लिए खास गुलाबी पत्थर और इटली के मैसेडोनिया का मार्बल प्रयोग में लाया गया है। मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर हिंदू महाग्रंथों की तस्वीरें और कहानियां होंगी और अरब देशों की कलाकारी भी देखने को मिलेगी। संस्थान के अनुसार विश्व के अन्य भव्य मंदिरों की प्रकार से अबू धाबी का ये मंदिर भी अत्यंत भव्य और मनमोहक होगा।

Hindu Mandir Nirman

मंदिर का निर्माण बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) करवा रही है। इस मंदिर की डिजाइन भारत में वर्तमान के अक्षरधाम मंदिर जैसी है। यह और बात है कि यह दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से आकार में छोटा होगा।

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बता दें की मार्च 2021 तक यूएई में बन रहे इस पहले हिंदू मंदिर की नींव का निर्माण पूरा कर लिया गया था जो कि एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। तत्पश्चात इस हिंदू मंदिर के ढांचे पर काम किया जा रहा है।

जानकारी के लिए बता दें की इसकी नींव को कंकरीट से भरा गया है। इसमें लगभग 4,500 क्यूबिक मीटर से अधिक का कंक्रीट डाला है। मंदिर निर्माण में इको-फ्रेंडली तरीके पर जोर दिया गया है।

बता दें की नींव का काम पूरा होने के पश्चात नक्काशीदार पत्थर और मार्बल को ऊपर लगाकर मंदिर को आकार दिया जा रहा है।
निर्माण करने वाली संस्था का दावा है कि इस मंदिर की आयु लगभग 1000 वर्ष है अर्थात एक हजार वर्ष तक मंदिर मजबूती से खड़ा रहेगा।

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भारत के हिंदू महाकाव्यों, धर्मग्रंथों और प्राचीन कथाओं के दृश्य अबू धाबी में बन रहे पहले हिंदू मंदिर के राजसी पत्थर के अग्रभाग को सुशोभित करेंगे। इस ऐतिहासिक मंदिर का काम भारतीय हिंदू समुदाय के समर्थन तथा भारत और यूएई के नेतृत्व से आगे बढ़ रहा है। तथा इस मंदिर के निर्माण कार्य पूर्ण होने की संभावना वर्ष 2023 तक है। अर्थात 2023 तरिख तो आपको याद ही होगा जब अयोध्या का भव्य श्री राम मंदिर भी जनता के दर्शन पूजन के लिए लोकार्पित करने की योजना है।

Hindu Mandir Nirman

सरल शब्दों में कहें तो सनातन धर्म के वर्तमान काल के स्वर्ण युग का जो क्रम नरेन्द्र मोदी जी के भारत का प्रधानमंत्री बनने के पश्चात आरंभ हुआ है वह भारतवर्ष के साथ साथ भारत की सीमा के बाहर मुस्लिम देशों तक जा पहुंचा है। अरब की धरती पर सनातन धर्म का सूर्योदय हो रहा है। यह कहना अनुचित नहीं होगा की भविष्य में रानी अहिल्या बाई होलकर व आदि गुरु शंकराचार्य के जैसा ही एक नवीन नाम हमें अपने इतिहास में पढ़ने को मिलेगा।

Narendra Modi

वह कौन सा नाम होगा और उस नाम के प्रति आपके क्या विचार हैं वह आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताएं।

मित्रों यदि आपको उपरोक्त अबु धाबी के पहले हिंदू मंदिर के निर्माण की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो अपने इष्ट देव का नाम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।

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