CM योगी का स्वप्न हुआ साकार, माँ विंध्यवासिनी धाम ने लिया भव्य आकार
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Vindhyavasini Corridor Vindhyachal : जहां एक ओर अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने वाला है तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्याचल पर्वत पर मां विंध्यवासिनी मंदिर परिसर अब दिव्य और भव्य स्वरूप में आकार लेता दिख रहा है।
Vindhyavasini Corridor Vindhyachal : विंध्याचल जिसके नाम में ही पवित्रता का अनुभव होता हो। यहीं मार्कंडेय पुराण के अनुसार राक्षस महिषासुर का वध माता ने किया था तथा इस स्थान से होकर गंगा नदी ही नहीं बहती अपितु भारतीय मानक समय अर्थात IST भी होकर के गुजरती है। एवं विंध्य पर्वत श्रृंखला का यह सबसे महत्वपूर्ण स्थान भी है। परंतु समय के साथ मंदिर बढ़ती जनसंख्या के कारण घरों के मध्य कहीं खो सा गया था और श्रद्धालुओं को तंग गलियों से होकर माता के दर्शन को आना पड़ता था।
जिसको की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने समझा और विंध्यवासिनी धाम के जीर्णोद्धार का संकल्प स्वरूप माता के धाम को ख्याति स्वरूप भव्य बनाने का बीड़ा उठाया। और यह परिकल्पना अब अपने साकार होने के अंतिम चरण में है।
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बता दें कि 30 अक्टूबर 2020 को योगी कैबिनेट ने इसे स्वीकृति दी थी और नवंबर 2020 में अधिग्रहण और ध्वस्तीकरण का काम आरंभ हो गया था। तथा इस प्रोजेक्ट की लागत है लगभग 331 करोड़ रुपये। जिसका उद्देश्य है विंध्याचल मंदिर का चहुमुखी विकास एवं श्रद्धालुओं को सुविधा के साथ पर्यटन को बढ़ावा देना। इस परियोजना में यहाँ के गंगा तट व विंध्यवासिनी मंदिर से लेकर विंध्य पर्वत तक का विकास सम्मिलित है। जिसमें की विंध्यवासिनी मंदिर के चारों ओर परिक्रमा पथ के निर्माण के अतिरिक्त मंदिर तक आने वाले सभी मार्गों को संवारा जाना है तथा गंगा घाटों का निर्माण आदि भी सम्मिलित है।
आपको हम अधिक जानकारी के लिए बता दें की काॅरिडोर के पहले चरण में मंदिर के चारों ओर 50 फीट का परिक्रमा पथ बनाया गया है। इसके अतिरिक्त मंदिर तक जाने वाले चार मार्गों को भी चौड़ा किया गया है। जिसमें की पुरानी वीआईपी गली का विस्तार 40 फ़ीट, न्यू वीआईपी गली का विस्तार 35 फ़ीट, गंगा घाट की ओर जाने वाले पक्काघाट मार्ग के दो सौ मीटर तक गली की चौड़ाई 35 फ़ीट बढ़ाई गई है।
इसे इस प्रकार से विकसित किया जा रहा है कि हर कोना अपनी पारंपरिक धरोहर व्याख्या करे। बता दें की परिक्रमा पथ के निर्माण के लिये मकान, दुकान समेत 92 सम्पत्तियां और चारों मार्ग के चौड़ीकरण के लिये 671 सम्पत्तियां क्रयकर ध्वस्त किया जा चुका है और निर्माण हुआ है। और इन कार्यों को अधिक कुशलता से पूर्ण करने हेतु इन्हें ब्लॉक्स में विभाजित किया गया है। जैसा की आप देख सकते हैं, मार्ग पर पड़ने वाले भवनों को भी अलौकिक स्वरूप देने हेतु उन्हें समरूपता प्रदान किया जा रहा है।
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आपको हम बता दें कि वर्तमान समय में यहां पर मंदिर के चारों ओर परिक्रमा पथ के निर्माण के पश्चात इसपर अंतिम स्पर्श अर्थात फिनिशिंग टच का कार्य तीव्र गति से संचालित है। साथ ही साथ कॉरिडोर के अंतर्गत अन्य भवनों का निर्माण कार्य भी चल रहा है एवं मंदिर तक जो पहुंच मार्ग है उस पर भी कार्य चल रहा है। एवं उनके द्वारों का निर्माण कार्य भी संचालित है। अतः सर्वांगीण या यूं कहे तो चारों ओर से एक साथ तीव्र गति से निर्माण कार्य संचालित है।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि विंध्य कॉरिडोर योजना के अंतर्गत मां विंध्यवासिनी माता मंदिर के अंतर्गत परिक्रमा पथ परकोटा (ए ब्लॉक से लेकर एच ब्लॉक तक) बनाया जा रहा है। प्रथम तल एवं द्वितीय तल को सजाने संवारने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। विंध्य धाम की भव्यता, सुंदरता आध्यात्मिकता की दृष्टि से परकोटा के छत पर ए ब्लॉक से लेकर एच ब्लॉक तक आठ केंद्र बिंदु हैं।
प्रत्येक ब्लॉक के दोनों भागों के बीचो बीच पत्थरों से डिजाइन कर मंदिर जैसे मॉडल बनाए जा रहे हैं। आठ केंद्र बिंदु के अलग अलग 16 स्थानों पर मंदिर का अलग-अलग शिखर जैसा डिजाइन पत्थरों से बनाया जा रहा है। लोकार्पण से पूर्व 16 स्थानों पर समस्त देवी देवताओं की मूर्तियों की स्थापना की जाएगी जो मां विंध्यवासिनी मंदिर की छत से इसकी भव्यता एवं दिव्यता प्रदर्शित करेगी। निर्माण को देखकर साफ अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य का कॉरिडोर कैसा होगा। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अभी से विंध्य कॉरिडोर के दर्शन होने लगे हैं।
साथ ही साथ गलियों का चौड़ीकरण करने के पश्चात सड़क के बीच डिवाइडर का भी निर्माण कार्य चल रहा है। इस डिवाइडर पर तरह-तरह के रंग बिरंगे पौधे लगाए जाएंगे जो एक अलग सुंदरता बिखेरेंगे। इसमें चार चांद लगाने के लिए रंगीन लाइट भी लगाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार के साथ-साथ जिला प्रशासन गंभीरता से काम कर रहा है।
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आप यदि यह सोच रहे हैं कि अब इन विभिन्न कार्यों का कितना प्रतिशत कार्य हुआ पूर्ण तो आपको हम बता दें कि मां विंध्यवासिनी मंदिर में चार प्रवेश द्वार न्यू वीआईपी, पुरानी वीआईपी, पक्का घाट व थाना गली पर गेट बनाया जा रहा है। पुरानी वीआईपी गेट का निर्माण 95 प्रतिशत, न्यू वीआईपी गेट 90 प्रतिशत व पक्का घाट गेट का निर्माण 95 प्रतिशत से अधिक पूरा किया जा चुका है।
मां विंध्यवासिनी धाम जाने वाली सड़कों को विंध्य कॉरिडोर के अंतर्गत चौड़ा किया जा रहा है। पहले यह सड़के काफी संकरी थी, परन्तु सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। कॉरिडोर को जोड़ने वाली अप्रोच रोड व फुटपाथ का निर्माण भी 90 प्रतिशत से अधिक पूर्ण हो चुका है।
विंध्य कॉरिडोर का निर्माण 331 करोड़ रुपये से कराया जा रहा है। कॉरिडोर के निर्माण के लिए 70 प्रतिशत धन जारी हुआ है। विंध्य कॉरिडोर के अतिरिक्त भी सरकार ने धाम को भव्य व सुंदर बनाने के लिए कई प्रोजेक्ट पास किये है।
विंध्य कॉरिडोर का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते है। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विंध्य कॉरिडोर का भव्य लोकार्पण होने की संभावना जताई जा रही है। ज्ञातव्य हो कि, मुख्यमंत्री की मॉनिटरिंग में कॉरिडोर का काम चल रहा है। विंध्य कॉरिडोर अंतिम रूप ले लिया है, बस फिनिशिंग का कार्य शेष है।
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बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक विंध्य कॉरिडोर का 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। तथा कार्यदायी संस्था तेजी के साथ भी निर्माण कार्य पूरा कराने में जुटी है।
कार्यदायी संस्था के द्वारा सैकड़ों मजदूर व कारीगरों के माध्यम से निर्माण कार्य कराया जा रहा है। इसके साथ ही अभी परिक्रमा पथ का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। अहरौरा के गुलाबी पत्थरों का प्रयोग कॉरिडोर में किया जा रहा है। गुलाबी पत्थरों को जयपुर भेजे जाने के पश्चात नक्काशी होकर विंध्याचल आते हैं, जहां कारीगर पत्थरों को दीवाल में जड़ते हैं। कॉरिडोर में 160 पीलर का परिक्रमा पथ का निर्माण हो रहा है।
यह भी बता दें कि विंध्य कॉरिडोर के अंतर्गत विंध्याचल मंदिर से लेकर गंगा घाट तक ऑटोमैटिक व्यवस्था पर आधारित पाइप लाइन व चैंबर बनाए जा रहे हैं। ऑटोमेशन व्यवस्था के आरंभ हो जाने के पश्चात गंगा से पानी सीधे गर्भगृह तक पहुंचेगा। और एक स्विच से मां विंध्यवासिनी के गर्भगृह में मां गंगा प्रकट हो जाएंगी।
यूपी के मीरजापुर में जहां एक ओर विंध्य कॉरिडोर का निर्माण तीव्र गति के साथ चल रहा है तो वहीं दूसरी ओर विंध्याचल का वैभव पुनर्स्थापित हो रहा है। इसके साथ ही विंध्यनगरी को अध्यात्म और पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है। इसी क्रम में अब त्रिकोण परिक्रमा पथ पर स्थित कालीखोह और अष्टभुजा धाम को दिव्य व भव्य बनाने की प्रक्रिया भी आरंभ हो गई है। मंदिर परिसर का विशेष कायाकल्प करने के साथ ही श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। इतना ही नहीं इन क्षेत्रों में पर्यटक सुविधाओं का विस्तार भी किया जाएगा।
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इसपर अधिक जानकारी हेतु बता दें कि त्रिकोण परिक्रमा पथ पर पड़ने वाले प्राचीन अष्टभुजा व कालीखोह मंदिर का सुंदरीकरण कराया जाएगा। गर्भगृह को छोड़कर मंदिर परिसर को नवीन रूप दिया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर से प्रस्ताव मांगे गए थे, जिसका कार्य योजना बनाकर भेज दिया गया है।
बता दें कि अष्टभुजा मंदिर परिसर को लगभग 71 करोड़ की लागत से संवारा जाएगा। मंदिर के समानांतर पांच तलीय भवन का निर्माण कराया जायेगा। इसमें ग्राउंड फ्लोर पर वीआईपी लाउंज, कार्यालय और आंगन होने के साथ ही प्रथम तल पर सिक्योरिटी कंट्रोल रूम और कांफ्रेंस हाल बनाया जाना प्रस्तावित है। वहीं दूसरे पर रेस्टोरेंट, तीसरे तल पर पब्लिक टायलेट के साथ ही दर्शनार्थी वेटिंग हाल और चौथे तल पर मंडप हाल बनाए जाने की योजना है।
इसके अतिरिक्त कालीखोह मंदिर परिसर को लगभग 51.84 करोड़ रूपए की लागत से भव्य स्वरूप प्रदान किया जाएगा। कालीखोह की सीढ़ियों को आकर्षक बनाया जायेगा। सीढ़ियों के आगे व नीचे की ओर लोअर प्लाजा बनाया जाना है। इसी प्रकार गर्भ गृह को छोड़कर मंदिर के अन्य भाग को अपर प्लाजा के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां सुंदर लॉन, वेटिंग हाल, पब्लिक टॉयलेट, शू-स्टैंड, क्लाक रूम आदि की व्यवस्था रहेगी।
महत्वपूर्ण है कि शीघ्र ही सनातन आस्था का केंद्र विंध्यधाम का नया स्वरूप देश व विश्व के समक्ष होगा। इससे मीरजापुर की नई पहचान बनेगी। विश्व भर से आने वाले श्रद्धालु भी आकर्षित होंगे। तथा श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और विकास के नव्य द्वार भी खुलेंगे।
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मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री विंध्याचल कॉरिडोर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय मां विंध्यवासिनी अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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