काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी विवाद मामले में सुनवाई टली, अब यह दिन है महत्वपूर्ण

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Allahabad High Court News: वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ज्ञानवापी विवादित ढांचा स्थित है। यहां अभी मुस्लिम समुदाय रोजाना पांचों वक्त सामूहिक तौर पर नमाज़ अदा करता है।मस्जिद का संचालन अंजुमन ए इंतजामिया कमेटी द्वारा किया जाता है। वर्ष 1991 में वाराणसी के सिविल जज की अदालत में एक अर्जी दाखिल की गई। इस अर्जी में यह दावा किया गया कि जिस स्थान पर ज्ञानवापी विवादित ढांचा स्थित है, वहां पहले भगवान विशेश्वर का मंदिर हुआ करता था और श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी।

प्रयागराज. यूपी के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के पास स्थित ज्ञानवापी विवादित ढांचे को हिंदुओं को सौंपे जाने और वहां पूजा-अर्चना की अनुमति दिए जाने की मांग वाली अर्जी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में चल रही सुनवाई शुक्रवार को टल गई है। हाईकोर्ट इस मामले में अब 12 अप्रैल को दोपहर 2 बजे फिर से सुनवाई करेगा। बताया जा रहा है कि हिंदू पक्षकारों ने अपनी बची हुई बहस पूरी करने के लिए हाईकोर्ट से मोहलत मांगी है। इस मामले में अंजुमन ए इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से पांच याचिकाएं दाखिल हैं। जस्टिस प्रकाश पाडिया की एकल पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इस सुनवाई में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और स्वयंभू भगवान विशेश्वर की तरफ से पक्ष रखा जाएगा।

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ज्ञातव्य है कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास ज्ञानवापी विवादित ढांचा स्थित है। यहां अभी मुस्लिम समुदाय प्रतिदिन पांचों वक्त सामूहिक तौर पर नमाज़ अदा करता है। मस्जिद का संचालन अंजुमन ए इंतजामिया कमेटी द्वारा किया जाता है। वर्ष 1991 में वाराणसी के सिविल जज की अदालत में एक अर्जी दाखिल की गई। इस अर्जी में यह दावा किया गया कि जिस जगह ज्ञानवापी मस्जिद है, वहां पहले लॉर्ड विशेश्वर का मंदिर हुआ करता था और श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी। मुगल शासकों ने इस मंदिर को तोड़कर इस पर कब्जा कर लिया था और यहां विवादित ढांचे का निर्माण कराया था।

ऐसे में ज्ञानवापी परिसर को मुस्लिम पक्ष से खाली कराकर इसे हिंदुओं को सौंप देना चाहिए और उन्हें श्रृंगार गौरी की पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद का काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट से किसी तरह का कोई विवाद नहीं है। मंदिर का ट्रस्ट इस पूरे मामले में कहीं भी पक्षकार नहीं है और ना ही उसने कहीं कोई याचिका दाखिल कर रखी है। स्वयंभू भगवान विशेश्वर पक्ष थर्ड पार्टी के तौर पर पिछले करीब तीन दशकों से अदालती लड़ाई लड़ रहा है।

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