काशी विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी विवाद में मिली अंजाम भुगतने की धमकी
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काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी विवाद (Kashi Vishwanath Mandir vs Gyanvapi) में एक नया मोड़ आ गया है। और समय कितना महत्वपूर्ण है इसी से समझिए कि कोर्ट के आदेश का मुस्लिम पक्ष ने मानने से इन्कार कर दिया है तथा इसके भी परिणाम भुगतने तक की बात कह दी है।
प्रत्येक अवसर पर संविधान की दुहाई देने वाले तथा एक हाथ में तिरंगा लेकर चलने वालों के दूसरे हाथ में क्या होता है यह तो आप जानते ही हैं। परंतु ऐसे लोगों के मन में देश व न्याय व्यवस्था के प्रति उनकी आस्था का एक बार पुनः विमोचन हो गया है। उर्दू में बोलें तो चेहरे पर से नकाब उतर गया है।
यह मामला कितना गंभीर है और किस बात पर ऐसा बयान सामने आया है आपको हम विस्तार से बताते हैं।
जैसा कि हमने अपनी पिछली वीडियो में आपको बताया था की उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी विवाद में स्थानीय कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी कराने के निर्णय दिया है। परंतु देश का तथाकथित डरा हुआ समुदाय कितना डरा हुआ है आप इससे समझ लीजिए कि ज्ञानवापी विवादित ढांचे की प्रबंधन समिति अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने कोर्ट के निर्णय का विरोध करने का निर्णय लिया है।
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जानकारी हेतु बता दें कि वाराणसी की स्थानीय कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ मस्जिद कमिटी ने उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में अपील की थी, परंतु हाईकोर्ट ने इसे खारिज करते हुए निचली अदालत के निर्णय को निरंतर रखा था।
कोर्ट के आदेश पर नियुक्त अधिवक्ता कमिश्नर की देखरेख में यह वीडियोग्राफी 6 और 7 मई को ज्ञानवापी मस्जिद में होनी है। कोर्ट ने इसकी रिपोर्ट 10 मई को देने के लिए कहा है। इस पर अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा, “हम वीडियोग्राफी और सर्वेक्षण के लिए मस्जिद परिसर में किसी के प्रवेश की अनुमति नहीं देंगे।” वैसे आपको कुछ दिनों पूर्व दिल्ली के जहांगीरपुरी का वाकया तो स्मरण ही होगा की वहां पर भी पुलिस व प्रशासन को घुसने से रोका गया था। इसी प्रकार से ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष ने परिणाम भुगतने के लिए तैयार हैं तक कि बात कह दी है।
जानकारी हेतु बता दें कि इस मामले को लेकर मस्जिद कमिटी ने उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में अपील की थी, परंतु हाईकोर्ट ने गुरुवार (28 अप्रैल 2022) को इस याचिका को निरस्त कर दिया। इस समयावधि में मंदिर पक्ष के वकील ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मुद्दे में विवादित संपत्ति पर वक्फ के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। इसलिए यह वक्फ की संपत्ति नहीं है।
अधिवक्ता ने कहा, “जब 1995 का वक्फ कानून अस्तित्व में आया तो इस कानून में एक प्रावधान था कि वक्फ की संपत्ति को फिर से पंजीकृत कराया जाए, परंतु विवादित संपत्ति को इस कानून के अंतर्गत पुनः पंजीकृत नहीं कराया गया है। इसलिए विवादित संपत्ति वक्फ की संपत्ति नहीं है और इस कानून के प्रावधान यहाँ लागू नहीं होते।”
मंदिर के वकील ने दलील दी कि प्लेसेज आॅफ वरशिप एक्ट 1991 की धारा 4 यहाँ लागू नहीं होती, क्योंकि यहाँ एक प्राचीन मंदिर था। इसका निर्माण 15वीं शताब्दी से पूर्व कराया गया था। भगवान विवादित ढांचे के भीतर विराजमान हैं। यदि किसी भी तरह से मंदिर नष्ट किया भी गया है तो भी इसका धार्मिक चरित्र नहीं बदलता है।
जानकारी हेतु बता दें कि पूजास्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम की धारा 4, स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 को उपस्थित स्थिति के अनुसार, किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र के परिवर्तन के संबंध में कोई वाद दायर करने या कानूनी कार्यवाही से रोकती है।
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सरल शब्दों में कहें तो प्लेसेज आॅफ वरशिप एक्ट 1991 बनाकर देश के जितने भी मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाईं गई हैं उनको कानूनी संरक्षण प्रदान किया गया है। ताकि कोई हिंदू अपने मंदिर पर अधिकार ना मांग सके।
यह भी बता दें कि उत्तर प्रदेश की हाईकोर्ट में सुनवाई के समयावधि कहा गया कि मस्जिद विश्वेश्वर नाथ मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। इस समयावधि में कोर्ट ने अपने आदेश में 1936 में अदालत द्वारा दिए गए आदेश को भी रेखांकित किया है। तर्क दिया गया कि पूर्व में दाखिल वाद केवल तीन मुस्लिमों से संबंधित था। वह सामान्य आदेश नहीं था। उस आदेश के आधार पर कोई दावा नहीं किया जा सकता है।
इस वक्तव्य को अधिक स्पष्ट करने के लिए आपको बता दें कि चूंकि ज्ञानवापी की भूमि आज भी हिंदू के नाम है इतिहास में भलिभांती यह दर्ज है कि काशी विश्वेश्वर के प्राचीन मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी की विवादित ढांचे का निर्माण मुस्लिम आक्रांता आॅरंगजेब ने करवाया था जिसे की ब्रिटिश काल में कोर्ट ने यह संपत्ति हिंदूओं को सौंपने तक को कह दिया था उसमें केवल 3 मुस्लिमों को नमाज अदा करने की अनुमति मिली थी। और इस अनुमति के आधार पर यह पूरी संपत्ति वक्फ बोर्ड की नहीं हो जाती यही वर्तमान में कहा गया है।
बता दें कि विवादित स्थल के ‘निरीक्षण और वीडियोग्राफी’ के लिए आयुक्त द्वारा श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं के उपस्थित विग्रह के साक्ष्यों के संकलन को लेकर मंदिर पक्ष के अधिवक्ता ने न्यायालय में दलील दी। उन्होंने कहा कि सभी सबूतों और तथ्यों को देखें तो ज्ञानवापी मस्जिद चारों ओर से चारदीवारी से घिरी हुई है, जो कि विवादित ढांचे से काफी पुरानी है। जो चहारदीवारी है, वह मंदिर का भाग है और मंदिर को तोड़कर बनाई गई है।
वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर में स्थित माँ श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों की पूजा अर्चना के मामले में मंगलवार (26 अप्रैल, 2022) को सीनियर डिवीजन के सिविल जज रवि कुमार ने निर्णय सुनाया था। उन्होंने कहा था कि इस बार ईद के पश्चात 10 मई से पहले एडवोकेट कमिश्नर से स्थान विशेष का निरिक्षण करा वहाँ की वीडियोग्राफी कराई जाएगी। कमिश्नर द्वारा अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने के पश्चात इस पर 10 मई को सुनवाई होगी।
यह भी बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार, माँ श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के बारे में स्थितियों का पता लगाने के लिए 8 अप्रैल को न्यायालय ने एडवोकेट कमिश्नर को नियुक्त किया था। इसके पश्चात एडवोकेट कमिश्नर द्वारा कार्रवाई को लेकर 18 अप्रैल को कोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दायर किया था। इसमें कहा गया था कि श्रृंगार गोरी बैरिकेडिंग के बाहर है। ऐसे में उसके अंदर मुस्लिमों और सुरक्षाकर्मियों के अतिरिक्त कोई और नहीं जा सकता।
जिसपर वीडियोग्राफी के लिए कोर्ट ने आवश्यक होने पर पुलिस बल की सहायता लेने के लिए भी कहा है।
यदि आप यह जानने के उत्सुक हैं कि कैसे आरंभ हुआ यह वीडियोग्राफी का मामला तो बता दें कि यह मामला 18 अगस्त 2021 का है, जब दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता शाहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से कोर्ट में एक याचिका दायर कर मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा-अर्चना करने की इजाजत माँगी थी। उल्लेखनीय है कि ये याचिका हिंदू महासभा की ओर से दायर की गई थी। इसमें दावा किया गया था कि ऐसा न करने देना हिंदुओं के हितों का उल्लंघन होगा। इसमें विपक्ष के तौर पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद, वाराणसी के कमिश्नर, पुलिस कमिश्नर, जिले के डीएम और राज्य सरकार को चुना गया था। जिसपर की वर्तमान समय में यह सभी प्रकरण सामने आ रहे हैं।
न्यायालय के आदेश की अवेहलना करना विवादित परिसर में प्रवेश से रोकना तथा इसका परिणाम भुगतने तक की बात कहने पर आपके क्या विचार हैं वह हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताएं। तथा जानकारी सरल व स्पष्ट लगी हो तो अन्य मित्रो के साथ साझा अवश्य करें। और आपको उपरोक्त दी हुई ज्ञानवापी विवाद की नवीन जानकारी पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें: