अब बदलेगा माँ कामख्या मंदिर का स्वरुप

सनातन युग का नवीन आरंभ ही है कि भारत के वास्तविक धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार कुछ ऐसा हो रहा है कि अब काशी अयोध्या महाकाल तक ही नहीं अपितु पूर्वोत्तर में मां कामाख्या मंदिर (Maa Kamakhya Corridor) का भी होने जा रहा है कायाकल्प।

Guwahati: भारत के असम राज्य के सबसे बड़े नगर गुवाहाटी में शीघ्र ही एक बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य आरंभ होने जा रहा है। वास्तव में, गुवाहाटी में अत्याधुनिक ‘मां कामाख्या कॉरिडोर’ (Mata Kamakhya Corridor) की रूपरेखा असम सरकार ने तैयार कर ली है। और शीघ्र ही राज्य सरकार ‘मां कामाख्या कॉरिडोर’ पर कार्य आरंभ करेगी।

Maa Kamakhya Corridor
Maa Kamakhya Corridor

मां कामाख्या मंदिर की जानकारी देने हेतु पहले हम आपको इस मंदिर के महत्व से परिचित कराते हुए बता दें कि इस शक्तिपीठ पर देश-विदेश के करोड़ों लोगों की आस्था है। मां कामाख्या अथवा कामेश्वरी इच्छा की प्रसिद्ध देवी हैं, जिनका प्रसिद्ध मंदिर गुवाहाटी के पश्चिमी भाग में नीलाचल पर्वत के मध्य में स्थित है। गुवाहाटी पूर्वोत्तर भारत में असम राज्य की राजधानी है। मान्यता है कि मां कामाख्या देवालय धरती पर उपस्थित 51 शक्तिपीठों में सबसे पवित्र और सबसे प्राचीन है। यह भारतवर्ष में व्यापक रूप से प्रचलित, शक्तिशाली तांत्रिक शक्तिवाद पंथ का केंद्र बिंदु है।

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि नीलाचल पर्वत के इस भाग में मुख्य मंदिर तो मां कामाख्या का ही है परंतु परिसर में कई और मंदिर भी हैं। जी हां, मुख्य मंदिर ‘मां कामाख्या’ के मंदिर के अतिरिक्त काली, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्तका, भैरवी, धूमावती, दशमहाविद्या के मंदिर हैं। वहीं नीलाचल पहाड़ी के चारों ओर भगवान शिव के पांच मंदिर कामेश्वर, सिद्धेश्वर, केदारेश्वर, अमरतोकेश्वर, अघोरा और कौटिलिंग हैं, जिन्हें कामाख्या मंदिर परिसर भी कहा जाता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि स्वरूप केवल मां कामाख्या मंदिर का ही नहीं बदलेगा अपितु दूसरे तमाम मंदिरों को भी नया रूप मिल जाएगा।

ज्ञातव्य है कि गुवाहाटी एक प्राचीन नगर है। इसे पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। इसका उल्लेख प्रागज्योतिषपुर के रूप में कई प्राचीन साहित्य और पांडुलिपियों में भी किया गया है। यही कारण है कि असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी कई प्राचीन मंदिरों से युक्त है। और इनमें सबसे प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर ही है। इसलिए यहां आने वाले भक्तों का तांता लगा रहता है। नीलाचल की पहाड़ी, प्राचीन ग्रंथों में नीलकुटा, नीलगिरी, कामगिरी के रूप में वर्णित है।

यह भी बता दें कि मां कामाख्या मंदिर नगर के मैदानी क्षेत्र से लगभग 600 फीट ऊपर है। यहां भुवनेश्वरी मंदिर उच्चतम बिंदु पर स्थित है। जहां से गुवाहाटी नगर के मनोरम दृश्य का आनंद लिया जा सकता है। असम में नीलाचल पहाड़ी की चोटी पर स्थित कामाख्या मंदिर की उत्पत्ति 8वीं शताब्दी में हुई थी। इसे 16वीं शताब्दी में कूचबिहार के राजा नारा नारायण ने फिर से बनवाया था। इसके पश्चात से इसे कई बार पुनर्निमित किया गया है।

Maa Kamakhya Corridor
Maa Kamakhya Corridor

बता दें कि उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और मध्य प्रदेश के महाकाल कॉरिडोर की तर्ज पर असम सरकार ने गुवाहाटी में माँ कामाख्या कॉरिडोर की रूप रेखा तैयार कर ली है। और शीघ्र ही राज्य सरकार ‘माँ कामाख्या कॉरिडोर’ पर कार्य आरंभ कर देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बुधवार (19 अप्रैल 2023) को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) द्वारा शेयर की गई वीडियो को साझा किया।

इसके साथ उन्होंने लिखा, “मुझे भरोसा है कि ‘माँ कामाख्या कॉरिडोर’ एक ऐतिहासिक पहल होगी। जहाँ तक आध्यात्मिक अनुभव का संबंध है, काशी विश्वनाथ धाम और महाकाल महालोक में परिवर्तन हो रहा है। समान रूप से महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलता है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।”

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अब यदि बात करें मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर की तो आपको हम बता दें कि मेगा कामाख्या कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत इसमें कई सुविधाएं श्रद्धालुओं को मिलने वाली हैं। जैसे कि एक कवर्ड वॉकवे, पार्क, तीन स्तरों पर फैले 100,000 वर्ग फुट की खुला स्थान, 10,000 तीर्थयात्रियों की धारण क्षमता में भव्य विस्तार, इसके अतिरिक्त नवीनीकरण और सौंदर्यीकरण योजना में सम्मिलित हैं।

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस एक्सेस कॉरिडोर की औसत चौड़ाई वर्तमान के 8 से 10 फीट से बढ़कर लगभग 27 से 30 फीट हो जाएगी। इसके अतिरिक्त 100,000 वर्ग फुट का रिक्त स्थान, जो तीन स्तरों पर फैला हुआ है उसको आसपास के वर्तमान 3,000 वर्ग फुट स्थान में जोड़ा जाएगा।

इसके अतिरिक्त, अंबुबाची मेला और अन्य महत्वपूर्ण त्योहारों के समयावधि में दबाव को कम करने के लिए परियोजना के भाग के रूप में 8,000 और 10,000 तीर्थयात्रियों की क्षमता भी बनाई जाएगी। यही नहीं परिसर में छह महत्वपूर्ण मंदिर, जो वर्तमान में आम जनता की नज़र से छिपे हुए हैं, उनको भी उनके मूल गौरव पर वापस लाया जाएगा।

बता दें कि नीलांचल पर्वत पर मां कामाख्या देवी के मंदिर के अतिरिक्त और भी कई मंदिर हैं। यहां मातंगी, कमला, त्रिपुर सुंदरी, काली, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती देवियों और दशमहाविद्या के मंदिर भी हैं। नीलांचल पहाड़ी के चारों ओर भगवान शिव के पांच मंदिर कामेश्वर, सिद्धेश्वर, केदारेश्वर, अमरतोकेश्वर, अघोरा और कौटिलिंग मंदिर हैं। इन्हीं सब को मिलाकर मां कामाख्या कॉरिडोर बनेगा।

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बता दें कि काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर से प्रेरणा लेने वाली परियोजना की घोषणा असम के वित्त मंत्री अजंता नियोग ने पिछले महीने अपने बजट भाषण में की थी। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर रहा है। राज्य सरकार ने अभी तक परियोजना की लागत की घोषणा नहीं की है।

Maa Kamakhya Mandir
Maa Kamakhya Mandir

महत्वपूर्ण है कि गुवाहाटी में बहुत लोकप्रिय और बहुत सम्मानित कामाख्या मंदिर है। एवं मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत मंदिर व आसपास के पहाड़ीयों तक के पूरे क्षेत्र का कायाकल्प होगा। जो अभी प्राचीन काल से ही अति प्रसिद्ध मां कामाख्या मंदिर की प्रख्याति को और भी ऊंचे स्तर तक अवश्य ले जाएगा।

मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय मां कामाख्या अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-

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