अद्भुत है काशी का लोटस टेम्पल, स्वर्वेद महामंदिर धाम
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वाराणसी के सबसे बड़े ऐतिहासिक पल अर्थात श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण स्वयं नरेंद्र मोदी जी 13 दिसंबर को करने वाले हैं तथा इसी समयावधि में काशी में एक और आयोजन होने वाला है जिसके साक्षी भी प्रधानमंत्री बनने वाले हैं।
मित्रों जैसा की हम जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में ऐसे कई स्थान हैं जोकी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं जैसे की अयोध्या, मथुरा व काशी, तथा काशी की बात करें तो यह अपने आप में और भी विशेष है। काशी विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर तो है ही एवं माना जाता है कि यह भगवान शिव की प्रीय नगरी है जोकी भोलेनाथ के त्रिशूल पर विराजमान है तथा गंगा नदी किनारे द्वादश ज्योतिर्लिंग के अतिरिक्त सारनाथ में भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली भी है, परंतु बाबा की नगरी में एक और उपलब्धि जुड़ रही है और वो है विशालतम् मेडिटेशन सेंटर अर्थात स्वर्वेद महामंदिर।
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हिमालय की गुफाओं में तप साधना के माध्यम से अनुभूत ज्ञान को स्वर्वेद के रूप में अभिव्यक्त करने वाले महर्षि सदाफलदेव महाराज जी के विहंगम योग संस्थान की ओर से वाराणसी के उमरहा में महामंदिर का निर्माण हो रहा है।
यह स्थान वाराणसी नगर से लगभग 14 किलोमीटर दूर गाजी़पुर हाइवे पर उमरहा नामक क्षेत्र में स्थित है।
विश्व में अद्वितीय स्वर्वेद महामंदिर की अधिक जानकारी के लिए आपको बता दें की गाजी़पुर हाइवे पर उमरहां स्थित लगभग 78,800 वर्ग फीट के विस्तारित परिसर में बन रहे महामंदिर का निर्माण 68,000 वर्गफीट के क्षेत्रफल में किया जा रहा है। तथा इस महामंदिर की ऊँचाई है 180 फीट एवं 268 पिलरों पर खड़े इस महामंदिर में सात तल हैं अर्थात 7 मंजिला है यह महामंदिर, तथा इसमें चार लिफ्ट भी हैं।
स्वर्वेद महामंदिर के शीर्ष पर 125 पंखुड़ियों वाले कमल भी लगे हैं। जिन्हें की गुजरात के नौसारी से मंगाया गया है। महामंदिर के ऊपरी भाग में कुल 9 कमल पुष्प की बनी आकृति मनुष्यों के शरीर के 9 चक्रों प्रदर्शित करते हैं।
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सबसे महत्वपूर्ण है कि विहंगम योग संस्थान की स्वर्वेद महामंदिर नामक इस साधना स्थली में एक साथ 20 हजार लोग साधना कर सकेंगे। महामंदिर की बाहरी दीवारों पर गज समूह, ऋषिकाएं व साधक होंगे तो महामंदिर के भीतर पांच तलों की दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे उकेरे जाएंगे। इसे भीतरी दीवारों पर श्वेत मकराना मार्बल से उकेरा जाना है जिनमें से कुछ पूर्ण भी हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त दो तलों पर वेद की ऋचाएं, उपनिषद, गीता के श्लोक और मानस की चौपाइयां और कबीर की वाणी भी होगी। इसकी अधिक जानकारी के लिए बता दें की मंदिर के मार्बल पत्थरों पर अंकित महर्षि सदाफल देव जी के महाग्रंथ के 3000 से अधिक दोहे लगाए जाएंगे। तथा इसके आर्किटेक्ट बोकारो के रहने वाले सुभाष नेत्र गावरकर हैं। मकराना से आए मार्बल पत्थरों में दोहों को मशीन से काटकर उकेरा गया है तथा ओमान से आए विशेष पत्थर से अक्षरों को काटकर भरा गया है।
यही नहीं विश्व में अद्वितीय स्वर्वेद महामंदिर में 150 चित्रमय झांकियों के माध्यम से पुरातन भारतीय संस्कृति का दर्शन भी कराया जाएगा। सैैंड स्टोन पर आत्मा-परमात्मा, ऋषि संस्कृति, विश्व को भारत की देन योग, आयुर्वेद, शून्य समेत विभिन्न झांकियां होंगी। हर झलकी को छह गुणित चार वर्ग फीट में बनाया जाना है तथा जिनमें से कुछ पूर्ण भी हो चुके हैं।
इनके अतिरिक्त छठें तल पर दो आडिटोरियम भी निर्माणाधीन हैं। हर एक में 238 लोग बैठ सकेंगे जिसे हम दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।
अधिक जानकारी के लिए बता दें की मंदिर परिसर में फव्वारे, लेजर शो भी होगा। ग्राउंड फ्लोर पर कृत्रिम गुफाएं भी बन रही हैं। तथा बाहरी भाग को गुलाबी और भीतरी भाग को सफेद रखा जाएगा। मुख्य रूप से इस महामंदिर के निर्माण कार्य में गुजरात के कारीगरों द्वारा हुआ है।
बता दें की इस महामंदिर के निर्माण में तीन लाख घन फीट सफेद मार्बल और सैैंड स्टोन का उपयोग किया जा रहा है। जिन्हें की भवन के फ़र्श पर दीवार आदि पर प्रयोग किया जा रहा है।
यही नहीं धाम में महर्षि सदाफलदेव जी महाराज की 113 फीट ऊंची दिव्य प्रतिमा भी लगाई जाएगी। इसमें प्लेटफार्म 32 फीट का होगा तथा प्रतिमा की ऊंचाई 81 फीट होगी। इसे भरतपुर (राजस्थान) के सवा लाख घन फीट गुलाबी पत्थरों से आकार दिया जाएगा।
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अब यदि महामंदिर के निर्माण व लागत की अधिक जानकारी दें तो आपको बता दें की 7 मंजिला महामंदिर के निर्माण की लागत है लगभग 35 से 40 करोड़ रुपये जिसमें की 20 हजार लोग एक साथ मेडिटेशन (ध्यान) कर सकेंगे तथा इसका निर्माण वर्ष 2004 आरंभ है।
यह तो हुई स्वर्वेद महामंदिर की विशेषताएँ, अब यदि आपको इसके लाभ और अधिक जानकारी दें तो बता दें की यहाँ पर वैदिक हेरीटेज सेंटर के अंतर्गत 5100 छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए विद्यालय भी खोला जाएगा। तथा महामंदिर में वृद्धाश्रम, गोशाला, योगासन और अायुर्वेद प्रशिक्षण केंद्र भी बनाए जा रहे हैंं। इसके अतिरिक्त अतिथियों के रुकने के लिए यहाँ पर 32 लग्जरी कमरे भी होंगे।
जानकारी के लिए बता दें की स्वर्वेद ट्रस्ट का पूरे भारत में 6 मुख्य आश्रम और 200 योग साधना केंद्र है।
महर्षि सदाफल देव महाराज को समर्पित स्वर्वेद महामंदिर संतों-ऋषियों से विरासत में मिली भारतीय संस्कृति और ज्ञान को सहेजने के उद्देश्य से बनाया जा रहा है। यह स्थापत्य व संरचना की दृष्टि से भी अद्वितीय होगा। प्राचीन दर्शन, अध्यात्म और आधुनिक वास्तुकला का मेल, स्वरवेद महामंदिर वास्तव में आने वाली कई पीढ़ियों के लिए एक ऐतिहासिक स्थल होगा।
इसके अतिरिक्त बता दें की वाराणसी के उमरहा स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम में विहंगम योग समाज के वार्षिकोत्सव में 14 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मिलित होंगे। इसको लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंदिर पहुंचकर प्रधानमंत्री के आगमन से जुड़ी तैयारियों का निरिक्षण किया।
वार्षिकोत्सव के तीन दिवसीय समारोह में देश-विदेश के लाखों अनुयायी भी सम्मिलित होंगे। तथा यह वार्षिकोत्सव समारोह 13,14,15, दिसंबर को मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय, कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर सहित कई मंत्री, सांसद, विधायक के अतिरिक्त देश के प्रसिद्ध लोग सम्मिलित होंगे। यह वार्षिकोत्सव प्रतिवर्ष किया जाता रहा है। यहां 5101 विश्वशांति वैदिक हवन कुंड में लाखों लोग आहुति देंगे।
महत्वपूर्ण है कि भारतीय संस्कृति और ज्ञान को सहेजने के उद्देश्य से बनाये जा रहे इस स्वर्वेद महामंदिर के निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात मंदिरों की नगरी काशी में और उपलब्धि जुड़ जाएगी जो न केवल वाराणसी अपितु उत्तर प्रदेश व भारत समेत समस्त सनातनीयों के लिए भी विशेष होगी।
मित्रों यदि आपको वीडियो में दी हुई काशी के स्वर्वेद महामंदिर के निर्माण कार्य की जानकारी पसंद आई हो तो इष्ट देव का नाम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें: