खुशखबरी : PM मोदी ने दिया केदारनाथ के भक्तों को रोपवे की सौगात- Kedarnath Ropeway Project
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यदि आप रोपवे सेवा को पसंद करते हैं और आप महादेव के भक्त हैं तो आपके लिए एक अत्यंत सुखद समाचार है। क्योंकि PM मोदी की संकल्पना के अनुसार शीघ्र ही श्री केदारनाथ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को मिलने वाली है बड़ी सौगात (Kedarnath Ropeway Project).
समुद्र तल से 11,657 फीट की ऊँचाई पर स्थित श्री केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Mandir) हिंदुओं के तीर्थस्थलों में सबसे सुंदर और स्वर्गीय है। केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हिन्दुओं का प्रसिद्ध मंदिर है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही दर्शन के लिए खुलता है।
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पत्थरों से बने कत्यूरी शैली के इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया। तथा इस परिक्षेत्र का वर्तमान समय में भी पुनर्विकास व जीर्णोद्धार कार्य प्रधानमंत्री के नेतृत्व में संचालित है।
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यही नहीं मंदिर के महत्व व श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए अब इस पवित्र मंदिर में आने जाने के लिए पैदल यात्रा व हेलीपैड सर्विस के साथ-साथ अब रोपवे की भी सुविधा मिलेगी।
श्री केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) सोनप्रयाग से लगभग 18 से 20 किलोमीटर की पैदल दूरी है। इसे तय करने में श्रद्धालुओं को लगभग आठ घंटे का समय लगता है। परंतु अब रोपवे के बनने से यह दूरी मात्र 30 मिनट में पूरी हो जाएगी।
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केदारनाथ रोपवे बनने के पश्चात राज्य में हेली सेवाएं सीमित हो जाएंगी। हिमालय की सर्वाधिक खतरनाक घाटियों में से एक केदारनाथ के लिए हेली टैक्सी यात्रा अत्यंत विषम माना जाता है। रोपवे अथवा केबिल कार का विकल्प खुल जाने के पश्चात केदारनाथ की हेली सेवा सीमित हो जाएगी।
21 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ और बदरीनाथ धाम आगमन पर उत्तराखंड राज्य के दो महत्वाकांक्षी रोपवे प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी गई है। इनमें से एक केदारनाथ केबिल कार का शिलान्यास सम्मिलित है।
आपने पिछले दिनों ही दुःखद समाचार सुना होगा, जिसमें की केदारनाथ यात्रा के समयावधि में यात्रियों को ले जा रहे एक हेलीकॉप्टर के क्रैश होने के पश्चात राज्य की हेली सेवा सुरक्षा के दृष्टिकोण से प्रश्नों के घेरे में है। यह चर्चा का विषय है कि केदारनाथ के लिए अंधाधुंध हेली टैक्सियों का संचालन यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से कितनी उचित है? प्रथम दृष्टया में सरकार के नीति नियंताओं के हिसाब से रोपवे या केबिल कार हेली टैक्सी की तुलना बहुत अधिक सुरक्षित और हितकारी है।
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जानकारों का कहना है कि केदारनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए दो ही विकल्प हैं। पहला पैदल यात्रा का है, परंतु यह बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांगों के लिए दुष्कर है। दूसरा विकल्प रोपवे या केबिल कार का है, जो बच्चों, वृद्धों, जवानों व दिव्यांगों सभी की यात्रा को सुगम बनाने वाला है।
रोपवे परियोजना की जानकारी हेतु बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास करने के पश्चात राज्य सरकार का यह प्रयास रहेगा कि रोपवे या केबिल कार का प्रोजेक्ट कम से कम एक से दो वर्ष के भीतर बनकर सज्ज हो जाए।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि सोनप्रयाग से बनाए जाने वाले केदारनाथ रोपवे या केबिल कार परियोजना का दायित्व भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लि. को दिया गया है। एजेंसी परियोजना की डीपीआर तैयार कर रही है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि परियोजना को जून 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। लगभग 9.70 किमी लंबी इस परियोजना पर 1268 करोड़ खर्च होंगे।
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बता दें कि सोनप्रयाग से केदारनाथ तक जिस क्षेत्र में रापेवे बनेगा, उसकी वीडियोग्राफी की जा चुकी है। जिसके माध्यम से प्रधानमंत्री को इस पूरी परियोजना के बारे में जानकारी दी गई है।
महत्वपूर्ण है कि यह क्षेत्र केदारनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर के अंतर्गत आता है। इस रोपवे निर्माण के लिए वन भूमि हस्तांतरण की कार्रवाई भी आरंभ हो गई है। साथ ही चिह्नित किए गए पेड़ों का छपान भी पूरा कर दिया जाएगा। इसके पश्चात अंतिम डीपीआर केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। मार्च 2023 से रोपवे परियोजना का निर्माण आरंभ हो जाएगा।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे में सोनप्रयाग व गौरीकुंड मुख्य स्टेशन होंगे। चीरबासा व लिनचोली को टेक्निकल स्टेशन के रूप में संचालित किया जाएगा। यह दोनों स्टेशन आपातकाल में प्रमुखता से उपयोग में लाए जाएंगे। केदारनाथ रोपवे का अंतिम स्टेशन होगा। रोपवे निर्माण के पश्चात आरंभिक समय में एक घंटे में 2000 यात्री यातायात करेंगे जबकि तत्पश्चात में इसकी क्षमता 3600 यात्रियों की होगी।
बता दें कि रोपवे से जुड़े राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ रोपवे को स्वीकृति भी मिल गई है। सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिए लगभग 10 किलोमीटर लंबे रोपवे के बनने से धाम तक की दूरी मात्र 30 मिनट में ही पूरी की जा सकेगी। बोर्ड बैठक में रामबाड़ा से गरुड़चट्टी में लगभग साढ़े पांच किलोमीटर पैदल मार्ग के नव निर्माण की भी अनुमति मिली है।
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इसके अतिरिक्त आपको हम यह भी बता दें कि केदारनाथ रोपवे के अतिरिक्त एक और रोपवे इस परिक्षेत्र में बनेगा और वह हेमकुंड साहिब के लिए होगा जो 12.4 किलोमीटर होगा और इससे यातायात करने में 1 दिन के समय के बजाय अब मात्र 45 मिनट लगेगा। इस हेमकुंड साहिब रोपवे के लिए बोर्ड की अनुमति की आवश्यकता भी नहीं है। इसके लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पहले ही स्वीकृति दे रखी है। बोर्ड बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया था, जिसमें पुनः स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं समझी गई।
अर्थात सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे निर्माण व गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक बनने वाले रोपवे के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस की अब कोई बाधा नहीं है।
रोपवे परियोजना की लागत की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि केदारनाथ धाम रोपवे के निर्माण में 1200 करोड़ व हेमकुंड साहिब से गोविंदघाट के लिए 850 करोड़ रुपये की लागत आएगी। एनएचएआई की एजेंसी नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड ने दोनो रोपवे की डीपीआर तैयार की है।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको श्री केदारनाथ रोपवे परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-