श्री कृष्ण के भक्तों को बड़ी सौगात- जगन्नाथ पूरी हेरिटेज प्रोजेक्ट

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भारतवर्ष में धार्मिक स्थलों के पुनरुत्थान के क्रम में तथा काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) व अयोध्या के श्री राम मंदिर (Shri Ram Mandir Ayodhya) के अतिरिक्त, अति शीघ्र अब सनातन धर्म के अनुयायियों को सौगात स्वरूप चार धामों में से एक श्री जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri Heritage Corridor) का भी होने वाला है कायाकल्प।

Puri Heritage Corridor
Puri Heritage Corridor Project

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि वर्तमान भारत में धार्मिक स्थलों के पुनर्विकास का चक्र चल रहा है एवं इसमें कई सारे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों का पुनर्विकास किया जा रहा है। मोदी सरकार ने इस कड़ी में अनेक धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार करवाया है तथा यह कार्य जारी भी है एवं इसी प्रेरणा के साथ देश के कुछ अन्य राज्यों में भी यह कार्य जारी है जैसे कि तेलंगाना में यादादरी मंदिर जिसका की उद्घाटन हो चुका है, स्टैचू ऑफ इक्वलिटी का अनावरण तथा उड़ीसा के जगन्नाथपुरी में भी यह कार्य अब जारी है आज हम आपको इस चार धाम में से एक महत्वपूर्ण स्थान श्री जगन्नाथ धाम पुरी मंदिर तथा आसपास में हो रहे विकास कार्यों की महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सनातन धर्म में वर्णित सप्तपुरीयों में से एक तथा चार धामों में से एक महत्वपूर्ण परम पावन धाम है श्री जगन्नाथ पुरी। तथा यह चारों धाम में सबसे महत्वपूर्ण श्री कृष्ण के उन मंदिरों में से एक है जहां पर उनकी पूजा राजा के तौर पर की जाती है एवं यहां का रथ यात्रा मेला तो विश्व के सबसे बड़े मेलों में से एक है जिसमें श्रद्धालुओं की परम आस्था भी है।

इन्हीं माताओं को ध्यान में रखते हुए ओडिशा सरकार ने वर्ष 2016 में पुरी को विश्व स्तरीय विरासत नगर अर्थात वर्ल्ड क्लास हेरिटेज सिटी के रूप में विकसित करने के लिये आधारभूत सुविधाओं एवं विरासत तथा वास्तुकला की विकास करने के लिए एक बड़ी योजना बनाई। तथा इसके मंदिर से संबंधित भाग को पूरी हेरिटेज कॉरिडोर (Puri Heritage Corridor) के रूप में जाना जाता है।

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हालांकि इस परियोजना की औपचारिक रूप से आरंभ दिसंबर 2019 में हुआ। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य है पुरी का एक हेरिटेज साइट के रूप में पुनर्विकास करना। फरवरी 2020 में ओडिशा विधानसभा में प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ था। इसके बाद श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने प्रोजेक्ट के आर्किटेक्चरल डिजाइन प्लान को अनुमति दी। इसकी कुल अनुमानित लागत 3200 करोड़ रुपये है।

बता दें कि पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना का अनावरण दिसंबर 2019 में किया गया तथा जनता को यह बताया व दिखाया गया कि पुरी का जगन्नाथ मंदिर इस परियोजना के आधार पर पुनर्विकसित करने के पश्चात किस प्रकार से दिखेगा तथा आसपास में क्या व्यवस्थाएं तथा सुविधाएं होंगी।

बता दें कि इस पूरे परियोजना में कई चरण हैं तथा वर्तमान में इसके पहले चरणों पर कार्य संचालित है। यह 800 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाएगा। इनमें जिन सुविधाओं व व्यवस्थाओं का निर्माण होना है वह कुछ इस प्रकार से हैं।

1. श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) भवन पुनर्विकास
2. एक 600-क्षमता वाला श्रीमंदिर स्वागत केंद्र
3. रघुनंदन पुस्तकालय सहित जगन्नाथ सांस्कृतिक केंद्र
4. एकीकृत कमांड और नियंत्रण केंद्र
5. बडाडांडा विरासत सड़कों का दृश्य
6. श्रीमंदिर सुविधाओं में सुधार
7. श्री सेतु
8. जगन्नाथ बल्लव तीर्थयात्री सेंटर
9. मल्टीलेवल कार पार्किंग
10. म्युनिसिपल मार्केट डेवलपमेंट
11. स्वर्गद्वार डेवलपमेंट
12. प्रमोद उद्यान
13. गुरुकुलम
14. महोदाधी मार्केट
15. बीचफ्रंट डेवलपमेंट
16. पुरी लेक
17. मूसा रिवर रिवाइवल प्लान
18. अथरनाला
19. सेवायतों के लिए घर इत्यादि।

बता दें कि लगभग कुल इन 20 विभिन्न संरचनाओं को चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जाएगा। पुरी (आबाधा) योजना में राज्य सरकार की आधारभूत सुविधाओं के संवर्धन और विरासत तथा वास्तुकला के विकास से 800 करोड़ रुपये की प्रारंभिक धनराशि के पश्चात, शेष राशि प्रदान किए जाएंगे।

परंतु इन सुविधाओं व व्यवस्थाओं के निर्माण आदि के लिए इस परिक्षेत्र के पुराने संरचनाओं को अधिग्रहण कर ध्वस्त कर निर्माण किया जाना है जो कि पिछले कुछ महीनों से चल रहा है। परंतु यह इतना सरल भी नहीं है जितना की सुनने में वह देखने में प्रतीत हो रहा है।

Puri Excavation
Monument Found

बता दें कि श्री जगन्नाथ मंदिर केवल एक मंदिर या धाम ही नहीं है यह एक ऐतिहासिक धरोहर भी है जिसकी एक ऐतिहासिक महत्व है तथा यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है अर्थात यह एएसआई के अंडर आता है।

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 12वीं सदी का यह मंदिर एक केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारक है, जिसका संरक्षक एएसआई है। प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष (संशोधन और मान्यता) अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित नियमों के अनुसार, ऐसे स्मारक की परिधि के आसपास 100 मीटर के भीतर निर्माण गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं।

निर्माण केवल राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) से अनुमोदन के साथ किया जा सकता है। NMA, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक निकाय है। एनएमए के दिशानिर्देश बताते हैं कि 5,000 वर्ग मीटर से अधिक के निर्मित क्षेत्र के साथ पुरातात्विक महत्व के किसी भी स्मारक के आसपास विकास कार्य के लिए विरासत प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन आवश्यक है। तथा जगन्नाथ मंदिर 43,301.36 वर्ग मीटर में विस्तारित है।

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आपको हम बता दें कि हेरिटेज प्रोजेक्ट के लिए NMA ने 4 सितंबर, 2021 को राज्य सरकार को एक क्लोकरूम, एक शेल्टर पवेलियन, तीन शौचालय, एक इलेक्ट्रिकल रूम और प्रतिबंधित 75-मीटर क्षेत्र के भीतर एक फुटपाथ के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी किया था। 

चूंकि सार्वजनिक सुविधाएं का निर्माण प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल एवं अवशेष कानून अर्थात AMASR अधिनियम के अनुसार निर्माण की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती हैं तो NMA ने अनापत्ति दिया था। और एनएमए को कोई आपत्ति नहीं है यदि परियोजना एएसआई की देखरेख में की जाती है। हालांकि एएसआई की ओर से ऐसी कोई एनओसी जारी नहीं की गई है।

Jagannath Puri Corridor
Construction site

परंतु विवाद तब बढ़ा जब निर्माण के लिए किए जा रहे खुदाई में कई ऐतिहासिक धरोहर निकलने आरंभ हुए। मंदिर परिसर में मेघनाद पछेरी मंदिर के पास तीस फुट तक खुदाई की गई है। इससे मंदिर की आधार को भी खतरा होने की संभावना जताई गई। मंदिर को 1975 में पुरातात्विक धरोहर घोषित किया जा चुका है। तथा मेघनाद पछेरी पुरी के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक धरोहर श्री जगन्नाथ मंदिर का अविभाज्य भाग है।

यही नहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अनुसार पुरी में हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत की जा रही खुदाई के समयावधि में एक शेर की मूर्ति मिली, जो गंगा राजवंश के समय की हो सकती है। जिसने प्राचीन ओडिशा अर्थात कलिंग पर 5वीं सदी के आरंभ से लेकर 15वीं सदी के आरंभ तक शासन किया था। यह मूर्ति 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के पास एमार मठ के परिसर में मिली थी। तथा जगन्नाथ मंदिर के 75 मीटर परिधि क्षेत्र में उत्खनन कार्यों के समयावधि में मिली यह ऐसी तीसरी शेर की मूर्ति है।

यह इसलिए भी चिंता का विषय है क्योंकि एएसआई के अतिरिक्त कई और संगठनों-समूहों ने निर्माण कार्यों पर आपत्ति जताई है इसमें पुरी के वकील एसोसिएशन, स्थानीय लोग व सिविल सोसायटी भी सम्मिलित हैं। उनका आरोप है कि मंदिर के 75 मीटर के सीमा में जेसीबी जैसी भारी मशीनों का प्रयोग हो रहा है। जिससे पुरातात्विक व ऐतिहासिक धरोहर श्री जगन्नाथ मंदिर को भी अपूर्णिया क्षति पहुंच सकती है।

हालांकि महामारी और उसके पश्चात की अभूतपूर्व परिस्थितियों के पश्चात इस महत्वाकांक्षी परियोजना में एक वर्ष से अधिक कै विलंब हुआ है। परंतु पुरी हेरिटेज कॉरिडोर परियोजना के अंतर्गत मंदिर के सौंदर्यीकरण और ढांचागत विकास की दिशा में कार्य निरंतर जारी हैं।

Lord Jagannath
Jagannath Ji

महत्वपूर्ण है कि हिंदू धर्म में हमारा इतिहास, संस्कृति, परंपरा और विश्वास सबसे महत्वपूर्ण है। तथा आस्थावान मनुष्य जीवन में कम से कम एक बार पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान के दर्शन करना अवश्य चाहते हैं। और यह संख्या करोड़ों में है। दर्शन के लिए आने वाले सभी भक्तों के मन में एक शांत, सुंदर और आध्यात्मिक वातावरण में देवताओं के दर्शन करने की इच्छा होती है। जो कि यह परियोजना पूर्ण करने का सामर्थ्य रखती है।

मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई पूरी हेरिटेज कॉरिडोर की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री कृष्ण अवश्य लिखें।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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