काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन से पहले ही 12 वर्षों की प्रतीक्षा हुई समाप्त

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विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण खबर है क्योंकि संभवतः ऐसा पहली बार हुआ है कि लागातार तीन दिनों तक मंदिर बंद हुआ है।

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जैसा की हम सभी जानते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण परियोजना के अंतर्गत काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण कार्य संचालित है तथा नवीन जानकारी के अनुसार यह निर्माण कार्य 95% पूर्ण हो चुका है तथा आगामी 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करने वाले हैं जिसके लिए भव्य आयोजन किया जा रहा है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के समयावधी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होने से काम प्रभावित होता है। इसके लिए कभी-कभी गर्भगृह बंद कर झांकी दर्शन कराया जाता है। परंतु निर्माण कार्य को अंतिम रूप देने के लिए मंदिर प्रशासन ने तीन दिन के लिए दर्शन-पूजन बंद कर दिन-रात काम कराने की कार्ययोजना बनाई है। ताकि उसके पश्चात पुनः दर्शन-पूजन में किसी श्रद्धालु को कठिनाई न हो।

29 नवम्बर से पहली दिसम्बर के बीच दर्शन बंद रखने के लिए शासन से अनुमति पश्चात मंदिर परिसर में कुछ निर्माण गतिविधियों की सुविधा के लिए 29, 30 नवंबर और 1 दिसंबर को मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद किया गया है। जिसमें कि 29 और 30 नवंबर को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक मंदिर को बंद किया जाना है तथा 1 दिसंबर को पूर्णतया दर्शन बंद रहेगा। हालांकि मंदिर प्रशासन की ओर से बंदी के समय में भी बाबा का नियमित पूजन-आरती होती रहेगी।

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बता दें की गंगा किनारे मणिकर्णिका व लालिता घाट से काशी विश्वनाथ मंदिर तक लगभग 54 हजार वर्ग मीटर में निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) प्रोजेक्ट का कार्य अब अंतिम चरण में है। लोकार्पण की तिथि 13 दिसम्बर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकार्पण करने के लिए पहुंचेंगे। पूजन मंदिर परिसर में ही कराया जाएगा। इसको देखते हुए गर्भगृह वाले परिसर के कार्यों को प्राथमिकता पर कराया जा रहा है। फर्श पर काम कराने के साथ ही शिखर की सफाई व गर्भगृह के आसपास मरम्मत कार्य भी कराया जाना है। तीन दिनों के बंद में इन सभी कार्यों को पूरा करना है।

मंदिर

अब यदि आपको हम इस बंद की अवधि में होने वाले विशेष कार्य की अधिक जानकारी दें तो बता दें की श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का पुरातन वैभव वापस लौटेगा और मंदिर की दीवारों को एनामेल पेंट से मुक्ति मिलेगी। लोकार्पण के पश्चात धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को बाबा के मंदिर के प्राचीन स्वरूप के साथ ही चमकते हुए स्वर्णशिखर के दर्शन होंगे। टाटा के सहयोग से बाबा विश्वनाथ के स्वर्णशिखर की सफाई करवाई जा रही है।

धाम के लोकार्पण से पहले दीवारों के संरक्षण और स्वर्ण शिखर की सफाई काम पूरा हो जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारों से एनामेल पेंट हटाने के साथ ही उनके संरक्षण का काम आरंभ हो गया है। इसके पश्चात मंदिर के स्वर्ण शिखर की सफाई का काम किया जाएगा।

बता दें की 12 वर्ष के लंबी प्रतीक्षा और प्रक्रिया के पश्चात बाबा के मंदिर की दीवारों को संरक्षित करने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। धाम में निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात काशी विश्वनाथ मंदिर सहित 17 मंदिरों के संरक्षण और जीर्णोद्धार की प्रक्रिया आरंभ की गई है। तथा यह दो चरणों में मंदिरों के जीर्णोद्धार व संरक्षण का काम कराया जा रहा है।

जिसमें कि पहले चरण में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत क्षेत्र के 17 मंदिर सम्मिलित हैं और दूसरे चरण में धाम के शेष आठ मंदिरों के संरक्षण का काम बाद में किया जाएगा।

अधिक जानकारी के लिए बता दें की बाबा विश्वनाथ के मंदिर की दीवारों पर वर्ष 2008 में तत्कालीन मंडलायुक्त सीएन दुबे ने मनमाने ढंग से एनामेल पेंट चढ़वा दिया था। उस समयावधि में इसका काफी विरोध हुआ था परंतु कार्य रूका नहीं। कुछ दिनों पश्चात ही पता लगा कि एनामेल पेंट के कारण से मंदिर के गर्भ गृह में लगे पत्थरों का क्षरण आरंभ हो गया था। दीवारों में लगे चुनार के पत्थरों पर एनामेल पेंट के कारण नमी लॉक होने से पत्थर खराब होने लगे।

एनामेल पेंट

बता दें की काशी विश्वनाथ मंदिर की दीवारों से एनामेल पेंट हटाने के लिए मंदिर प्रशासन की ओर से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला और आईआईटी रुड़की की पहले सहायता ली थी, परंतु उनकी रिपोर्ट के आधार पर कार्र आरंभ नहीं हो सका।

वर्ष 2010 में राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला ने पत्थर की दीवारों से एनामेल पेंट को हटाने के लिए 2.19 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया था। तथा 2013-14 में इसी काम के लिए अनुसंधानशाला ने 1.22 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भी दिया था।

अधिक जानकारी के लिए बता दें की दिसंबर वर्ष 2014 में मंदिर की दीवारों के अध्ययन के लिए रुड़की के केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान को 57 लाख रुपये का भुगतान किया था। वर्ष 2015 में अध्ययन के पश्चात अनुसंधान संस्थान ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। वर्ष 2019 में आईआईटी रुड़की ने मंदिर की दीवारों के संरक्षण के लिए कार्य आरंभ किया परंतु कुछ तकनीकी कारणों से कार्य पूरा नहीं हो सका। परंतु सभवतः भोलेनाथ की यही मंशा थी कि इस कार्य को कॉरिडोर के साथ ही किया जाए।

वाराणसी के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करने वाले हैं। इसके लिए यहां जोरशोर से तैयारियां चल रही हैं। लोकार्पण के दिन कई प्रमुख धर्माचार्य भी पीएम मोदी के साथ मंच साझा करने वाले हैं। इस समयावधि में काशी में फिर से देव दीपावली जैसा उत्सव देखने को मिलेगा। एक बार फिर से घाटों पर दीप सजेंगे और लेजर शो होगा। तथा आतिशबाजी भी होगी.

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दिव्य-भव्य काशी विश्वनाथ धाम का भव्यतम होगा उद्घाटन

13 दिसबंर को काशी विद्वत परिषद् की देखरेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अर्चकों के साथ बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक और पूजा-अर्चना करेंगे। माना जा रहा है कि कॉरिडोर के रास्ते से गंगा जल लेकर पीएम मोदी बाबा विश्वनाथ के धाम जाएंगे और तत्पश्चात वहां पूजन अर्चन आरंभ होगा। देशभर के संत महात्मा और पीठाधीश्वर इस भव्य आयोजन में सम्मिलित होंगे।

आपको बता दें कि बाबा विश्वनाथ का ये अद्भुत धाम करीब 600 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। 55 हजार वर्ग मीटर में बने इस धाम में श्रद्धालुओं के लिए 28 भवनों का निर्माण किया गया है, जिसमें पर्यटक सुविधा केंद्र, मुमुक्षु भवन, सिटी म्यूज़ियम, वाराणसी गैलरी, यात्री सुविधा केंद्र, वैदिक भवन, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, जलपान केन्द्र और अन्न क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है। इन सब के अलावा मंदिर चौक श्रद्धालुओं के लिए सबसे आकर्षण का केंद्र होगा।

काशी नगरी के धार्मिक और सांस्‍कृतिक स्‍वरूप के दर्शन कराने वाले इस अनूठे विश्‍वनाथ धाम कॉरीडोर से आशा है कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात यह कॉरिडोर देश के सबसे भव्य स्थलों में गिना जाएगा।

मित्रों यदि आपको वीडियो में दी हुई काशी विश्वनाथ मंदिर व कॉरिडोर के निर्माण कार्य की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो हर हर महादेव कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।

अधिक जानकारी के लिए विडियो देखें:

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