अयोध्या के निर्माणाधीन श्री राम मंदिर में कोणार्क के सूर्य मंदिर जैसी होगी प्रकाश व्यवस्था

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अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर की दीवारों में 34 टन तांबा लगाने की योजना है, मंदिर प्रांगण में बिजली व्यवस्था को बिना तारों के बनाने पर विचार हुआ है, अयोध्या के राम मंदिर में रामलला को भगवान सूर्य हर रामनवमी पर अपनी किरणों से अभिषिक्त करेंगे।

जैसा की हम सभी जानते हैं कि देश के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल अर्थात अयोध्याजी की पावन धरा पर वर्तमान समय में भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर के नींव निर्माण का विशेष कार्य हो रहा है।

बता दें की श्री राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए राफ्ट बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है तथा निर्माण स्थल पर बने 48 लेयरों के चट्टान की ढलाई पर की राफ्ट का निर्माण 17 भागों में बांट कर किया जाना है। जिसके लिए पहले प्लाई के टुकड़ों से प्रत्येक ब्लाॅक के शटरिंग का कार्य किया जाता है तत्पश्चात उसमें ढलाई होती है। जानकारी के लिए बता दें की राफ्ट की ढलाई बीते 1 अक्टूबर से आरंभ हुई है तथा यह कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है एवं अब तक मंदिर निर्माण के लिए 17 ब्लॉक में से 12 ब्लॉक की ढलाई का कार्य पूरा कर लिया गया है। जिन्हें की बड़ी बड़ी मशीनों की सहायता से किया जा रही है तथा यह राफ्टिंग का कार्य 15 नवंबर तक पूरा किए जाने की तैयारी है।

श्री राम मंदिर निर्माण में राफ्टिंग कार्य के अतिरिक्त आपको बता दें की निर्माण के लिए बेंगलुरु से ग्रेनाइट पत्थर भेजे गए हैं। इन पत्थरों को भेजने से पहले स्वामी विवेकानंद जागृति समिति और हनुमान ग्रेनाइट्स ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर पूजन किया जिसके पश्चात श्री राम मंदिर निर्माण के लिए 10 हजार ग्रेनाइट पत्थर के खंभों को भेजा गया है।

यही नहीं, बता दें की अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर की दीवारों में 34 टन तांबा लगाने की योजना है। यदि इन्हें मूल्यों में बताएं तो एक टन तांबा की कीमत अभी 9 हजार डॉलर है। यदि भारतीय रुपयों में इसका आंकलन किया जाये तो एक टन तांबा की कीमत छह लाख 75 हजार रुपये है। इस अनुसार 34 टन तांबे की कीमत वर्तमान समय में 2 करोड़ 30 लाख की होती है। अर्थात 2 करोड़ 30 लाख तांबे का उपयोग अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की दीवारों में होगा।

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अधिक जानकारी के लिए बता दें की अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर में सिंहभूम ताम्र पट्टी की खदानों से उत्पादित तांबे का उपयोग होगा। राम मंदिर निर्माण की तकनीकी देखरेख करने वाली एलएंडटी की टीम ने बीते शुक्रवार को आयी थी और तांबे का सैंपल लेकर गयी है। बता दें की सिंहभूम ताम्र पट्टी को भारतीय ताम्र उद्योग की जननी माना जाता है। 30 की दशक में इसका आरंभ हुआ था। यहां से उत्पादित तांबा देश की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। तथा अब यहीं का तांबा श्री राम मंदिर की शोभा भी बढ़ाने के लिए तैयार है। वर्तमान में एलएंडटी के पदाधिकारी यहाँ के सैंपल देखकर यह तय करेंगे कि आइसीसी के तांबे को मंदिर निर्माण में उपयोग में लाया जाये या नहीं। घाटशिला की कंपनी के तांबे का अयोध्या के राम मंदिर निर्माण में इस्तेमाल की जानकारी से स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है। लोगों का कहना है कि पूर्वी सिंहभूम के लोगों का सौभाग्य है कि भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर में घाटशिला के तांबे का उपयोग होगा.

इसके अतिरिक्त आपको बता दें की अयोध्या में भगवान श्रीराम का सबसे विशाल व भव्य मंदिर बनाने की दायित्व उठा रही टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को अब इस मंदिर का कोष ससंभालने का भी दायित्व मिल रहा है। इस कोष में अब तक 3000 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं।  राम मंदिर का प्रबंध देख रही श्रीराम मंदिर न्यास को अब इस बात की चिंता सता रही थी कि इतने बड़े कोष को कौन देखेगा।

इसी समाधान के लिए अब टीसीएस को इसका दायित्व दे दिया गया है, तो अब टीसीएस इसके लिए डिजिटल एकाउंटिंग साफ्टवेयर विकसित कर रही है। तथा इसे संभालने के लिए टीसीएस रामघाट में अपना लेखा कार्यालय स्थापित करने जा रही है, जो निर्माणाधीन राम मंदिर के पास ही है। यहीं से डिजिटल एकाउंटिंग साफ्टवेयर बनाने के पश्चात कोष का नियंत्रण किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार इस कार्यालय का कामकाज दिसंबर तक आरंभ हो जाएगा।

ता दें की अयोध्या में निर्माणाधीन श्री राम मंदिर विश्व में सबसे सुंदर मंदिर होगा। जो तकनीकी रूप से भी श्रेष्ठतम होगा। मंदिर निर्माण समिति से जुड़े सदस्यों की मानें तो श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भगवान श्रीराम के भव्य निर्माण में वैदिक विधि ही नहीं अपितु हाइटेक आइकोनोग्राफी सिस्टम से भी लैस किया जाएगा। आने वाले समय में श्रीराम मंदिर जैसा मंदिर विश्व में कहीं दूसरा देखने को नहीं मिलेगा।

कुछ विशेषताओं के अनुसार मंदिर प्रांगण में बिजली व्यवस्था को बिना तारों के बनाने पर विचार हुआ है। साथ ही हाई मास्क लाइट के बजाए आँखों में सुकून पहुंचे ऐसी लाइट का प्रयोग होगा। मंदिर प्रांगण के बाहर से ही राम धुन हल्की हल्की गूंजने लगेगी। हवा में भी श्रीराम सीता की ध्वनि गूँजती रहेगी। मंदिर की दीवारों पर, सभी स्तंभों पर, प्लिंथ पर भी देश के विभिन्न ग्रंथों के अनुसार देवी-देवताओं की मूर्तियों को उभारा जाएगा। तथा आंतरिक दीवार, आउटर वाल व प्लिंथ जैसे सभी भागों पर दशावतार, नवग्रह, शक्तिपीठ सहित शास्त्रों के अंदर व पौराणिक ग्रंथों में मंदिरों में बनने वाले पौराणिक मूर्तियों का वर्णन किया गया है। उन्हें भी दर्शाया जाएगा। विश्व भर के सभी ग्रंथों की लिस्ट बनाई गई है। जिनके आधार पर मंदिरों में मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा। तथा पूरे मंदिर परिसर को आइकोनोग्राफी सिस्टम के अंतर्गत लाइटिंग सिस्टम, पब्लिक ऐड्रस सिस्टम, आधुनिक यंत्रों, परिसर की सुरक्षा को बेहतर बनाने का काम किया जाएगा। व सबसे महत्वपूर्ण की वायरलेस लाइटिंग से परिपूर्ण करने पर बल होगा। तथा भगवान के जन्म उत्सव पर किस प्रकार के रंगीन लाइट लगाई जाए तथा अन्य दिवस में कैसा माहौल होगा इन विषयों विचार विमर्श हो रहा है।

इन सब के अतिरिक्त आपको बता दें की अयोध्या के राम मंदिर में रामलला को भगवान सूर्य हर रामनवमी पर अपनी किरणों से अभिषिक्त करेंगे। जी हाँ, अयोध्या में बन रहा राम मंदिर इसी योजना के साथ आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही ऐसी कल्पना को साकार किया जाएगा कि हर दिन मंदिर का गर्भगृह सूर्य की रोशनी से ही प्रकाशित रहे।

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माननीय प्रधानमंत्री महोदय द्वारा अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के सामने या विषय रखा है की प्रयास करो प्रति वर्ष रामनवमी के दिन दोपहर 12:00 बजे जब भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाता है उस समयावधि में सूर्य की किरण भगवान श्री राम लला के मुख को प्रकाशित करें और उसका दृश्य अयोध्या के सैकड़ों स्थानों पर सार्वजनिक स्थानों पर डिस्प्ले किया जाए।

बता दें की अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला के गर्भगृह को सूर्य की किरणों से प्रकाशमय करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए ओडिशा के कोणार्क मंदिर जैसी विशेष तकनीक का प्रयोग करने पर विचार किया जा रहा है। इन किरणों के लिए मंदिर में कोणार्क के सूर्य मंदिर की तर्ज पर ही सही कोण पर झरोखे बनाए जाएंगे ताकि चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष की नवमी पर रामलला पर सूर्य की किरणें सीधे पड़ें।

बता दें की मंदिर निर्माण की वर्तमान परिस्थिति के अनुसार 15 नवंबर से मंदिर के स्तंभों के आधार का भाग बनना आरंभ हो जाएगा। निर्माण की इस प्रक्रिया और चरण को वास्तु शास्त्र की भाषा में कंस्ट्रक्शन ऑफ़ प्लिंथ कहा जाता है। नवंबर मध्य से प्लिंथ निर्माण आरंभ होकर अगले वर्ष अप्रैल तक काफी आगे बढ़ जाएगा। एवं अगले वर्ष रामनवमी के पश्चात इन स्तंभ आधार पर नक्काशी युक्त खंभों की ऊपरी संरचना बनने लगेगी।

इसके अतिरिक्त योजना के अनुसार श्री रामलला के मंदिर में परिसर में एक म्यूजियम भी होगा। इसमें इस पौराणिक और ऐतिहासिक स्थल से संबंधित कई जानकारियाँ और खुदाई में मिली पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं रखी जाएंगी। इसके अतिरिक्त यहाँ एक आर्काइव्स भी होगा जहां राम जन्म भूमि से संबंधित सारे ऐतिहासिक ग्रंथ, दस्तावेज और पिछली सदियों से अब तक इस स्थान से संबंधित मुकदमों की सारी फाइलें और सभी आदेश, ताम्रपत्र और इतिहास से जुड़ी सारी चीजें होंगी।

यही नहीं आने वाली पीढ़ियाँ अयोध्या और रामायण सर्किट से जुड़े किसी भी विषय पर शोध करें तो उनके लिए यहाँ पर एक रिसर्च सेंटर होगा। साथ ही विशाल ऑडिटोरियम और गौशाला तो होगी ही। न्यास की ओर से यह भी बताया गया कि नए मानचित्र और नए विचार के अनुसार प्लिंथ का निर्माण मंदिर निर्माण स्थल पर 400 फीट लंबाई और 300 फीट की चौड़ाई में किया जा रहा है. इस पर ऊपर का निर्माण 365 फीट की लंबाई और 235 फीट की चौड़ाई में किया जाएगा. मंदिर की कुल ऊंचाई शिखर और ध्वजा के साथ 171 फीट होगी.

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