अब और मजबूत होगी अयोध्या राम मंदिर की नींव
सदियों पश्चात भगवान राम लला अपने मंदिर में पुनः विराजमान होने वाले हैं और करोड़ों भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने वाली है।
मित्रों जैसा की हम सभी जानते हैं कि देश के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल अर्थात अयोध्याजी की पावन धरा पर वर्तमान समय में भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर के नींव निर्माण का विशेष कार्य हो रहा है।
सर्व प्रथम आपको मंदिर निर्माण के द्वितीय चरण के अंतर्गत बन रहे राफ्टिंग की जानकारी के लिए बता दें की रामलला के मंदिर निर्माण में तेजी के साथ काम किया जा रहा है। रामलला के भव्य मंदिर का आधार बनकर तैयार हो गया है और उसके ऊपर राफ्ट बनाने का काम किया जा रहा है। राफ्ट बनाने के लिए पहले 15 नवंबर तक की समय सीमा तय की गई थी परंतु बाद में तकनीकी कमियों के कारण से अब इसको नए सिरे से तथा तकनीकी का प्रयोग करते हुए और भी मजबूत बनाया जाने के लिए परिवर्तन किया गया है।
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बता दें कि पहले 27 मीटर चौड़े 17 ब्लॉक राफ्ट के बनाए जाने थे परंतु बाद में तकनीकी कमियों के कारण अब इंजीनियर्स ने परिवर्तन किया है। और अब 9 मीटर चौड़े, डेढ़ मीटर ऊंचे और लगभग 9 मीटर लंबे 32 ब्लॉक का निर्माण किया जाना है। राफ्ट के निर्माण का काम भी 15 जनवरी तक पूरा होने की आशा है। बीते दिनों डाले गए राफ्ट के ब्लॉक में दरार देखने के पश्चात उसके साइज और चौड़ाई को लेकर इंजीनियर्स ने परिवर्तन किया है। परंतु यहाँ महत्वपूर्ण यह है कि निमार्ण कार्य में हो रही देरी के पश्चात भी ट्रस्ट का दावा है कि 2023 तक रामलला अपने गर्भगृह में बैठ जाएंगे। साथ ही मंदिर की मजबूती के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।
जैसा की हमने आपको पहले बताया था कि बीते दिनों 400 फुट लंबा 300 फुट चौड़ा और 50 फुट गहरे भूखंड में चट्टान की भराई की गई थी, जिसका उपयोग मंदिर के आधार के तौर पर किया गया था। मंदिर हजारों वर्ष तक सुरक्षित रहें इसके लिए ट्रस्ट और इंजीनियर प्रयासरत हैं। वर्तमान भारत के इतिहास में इतने बड़े भूखंड में इतनी बड़ी आधार कभी नहीं भरी गई है। बता दें की रंग महल के बैरियर पर खड़े होने का जो लेवल है, उस लेवल से लगभग 14 मीटर गहराई तक एक बहुत विशाल क्षेत्र में चट्टान ढाली गई। देश का कोई इंजीनियर नहीं कह सकता कि स्वतंत्र भारत में ऐसी कोई चट्टान भूमि में डाली गई है। यह चट्टान मंदिर की नींव का काम करेगी। चट्टान लगभग एक लाख पचासी हजार घन मीटर क्षेत्र में डाली गई है। इसके ऊपर और अधिक भार वहन करने वाली क्षमता वाली 5 फीट ऊंची दूसरी चट्टान ढाली जा रही है। और उसकी पद्धति में ही परिवर्तन किया गया है। नीचे की चट्टान रोलर से दबाई जाती थी, परंतु राफ्ट की चट्टान ऑटोमेटिक मशीनों से इस प्रकार से ढाली जा रही है कि उसको रोलर करने की आवश्यकता नहीं है।
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अधिक जानकारी के लिए बता दें की राफ्ट के निर्माण में पानी नहीं भरा जा रहा है उसे प्राकृतिक रूप से ठंडा होने दिया जाता है। इसमें 28 दिन का समय लग रहा है। जनवरी में इसके पूरा होने की आशा है, अब जल्दबाजी नहीं हो सकती है। प्राकृतिक रूप से जितना भी समय लगेगा उसका इंतजार करना ही होगा। इस राफ्ट पर एक के ऊपर एक पत्थर रखकर 6 मीटर अर्थात लगभग 20 फीट ऊंची प्लिंथ डाली जाएगी। यही नहीं राफ्ट के ऊपर पत्थरों की फिटिंग के पहले एक बड़ी मजबूत ग्रेनाइट लेयर डालने का विचार है। ग्रेनाइट चारों ओर से लगाया जाएगा और इसके पीछे का प्रमुख कारण यह है कि बलुआ पत्थर जो मिर्जापुर का है वह पानी सोखता है, नमी ग्रहण करता है, मिट्टी में नमी रहेगी। वर्षा होगी तो पानी भूमि में जाएगा तो कुछ वर्षों पश्चात पानी मंदिर की ओर चला जाएगा इसलिए ग्रेनाइट पत्थर से इसको चारों ओर से पैक कर दिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें की प्रत्येक महीने राम मंदिर निर्माण को लेकर महत्वपूर्ण बैठक होती है। इस बैठक की अध्यक्षता श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों और भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा करते हैं। इसमें कार्यकारी संस्था के इंजीनियरों की उपस्थिति भी होती है। इसमें प्रथम चरण में राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण का निरिक्षण ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा लेते हैं और उसके पश्चात द्वितीय चरण की बैठक सर्किट हाउस में होती है।
जिसमें कि इस बार मंदिर परकोटा को लेकर बड़ी बात हुई है। परकोटा का जो कार्य वर्तमान समय में हो रहा है तथा परकोटे का जो स्वरूप है, उसमें कुछ मंदिर भी अब आएंगे। श्री राम मंदिर के चारों ओर 4 अन्य मंदिरों के आकार बनाए जाएंगे। उसमें कौन से मंदिर होंगे, इस पर अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त जो भविष्य में होना है, उस पर भी चर्चा हुई। मटेरियल कितना आना है, कितना आ गया है, कार्य अब तक कौन सी स्टेज पर है तथा कितने दिन में काम पूरा हो जाएगा एवं 70 एकड़ का लैंडस्केप कैसा होगा, प्लांटेशन कैसा होगा यह सब रिव्यू हुआ है।
बता दें की राममंदिर निर्माण के समानांतर ही मंदिर परिसर में भक्तों के लिए सुविधाएं विकसित करने का खाका खींचा जा रहा है। मूलभूत सुविधाएं पानी, बिजली, शौचालय आदि को लेकर भी चर्चा की गई। यात्रियों के सामानों को सुरक्षित रखने के लिए अमानती घर कितने और परिसर में कहां बनाए जाएंगे तथा परिसर को इको फ्रेंडली बनाने पर भी जोर है।
महत्वपूर्ण है की ट्रस्ट ने दोहराया है कि दिसंबर 2023 से स्थायी गर्भगृह में रामलला का दर्शन सुनिश्चित होगा। इसका आशय यह है कि तय समय के अनुरूप तब तक मंदिर निर्माण पूर्ण होगा। और राफ्टिंग में हुए लगभग 2 माह के विलंब की क्षतिपूर्ति कर लिया जाएगा। तथा राफ्टिंग के पश्चात प्लिंथ अर्थात नींव के ऊपर आधारभूमि का निर्माण होगा।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें की उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) के अधिकार क्षेत्र के 65 किमी परिधि के भीतर लखनऊ-फैजाबाद-गोरखपुर चार-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों किनारों पर औद्योगिक गलियारे स्थापित कर रही है। जिसके पश्चात उद्योगपति सीधे भूमि मालिकों से भूखंड खरीदेंगे और एडीए आधारभूत संरचना प्रदान करेगा। और यह औद्योगिक केंद्र अर्थात Industrial Corridor 100 एकड़ के क्षेत्र को कवर करेगा। जो कि रिंग रोड को भी जोड़ेगा।
राम मंदिर के निर्माण के साथ, अयोध्या आधुनिक आधारभूत संरचना और सुविधाओं के साथ एक परिवर्तन काल से गुजर रहा है। नगर में शीघ्र ही त्रेता युग के अनुभूति का आह्वान करने वाले उद्यानों के साथ-साथ नगर में सभी प्रवेश बिंदुओं पर भव्य प्रवेश द्वार होंगे।
अयोध्या की पंचकोसी परिधि के भीतर प्रवेश करने के लिए चार मुख्य मार्गों का चयन कर लिया गया है। इन मार्गों को अयोध्या के अनुरूप अलग-अलग नामों से जाना जाएगा। अयोध्या पहुंचने पर मार्गों के किनारे दोनों ओर रामायण कालीन चित्र बने होंगे, जिनका काम लगातार चल रहा है. इन रास्तों पर अयोध्या में प्रवेश के पहले 4 प्रमुख गेट भी बनाए जाएंगे। यही मार्ग और द्वार आने वाले दिनों में अयोध्या की पहचान में सम्मिलित होंगे। इन मार्गों के किनारे ना केवल सुविधाजनक पार्किंग होगी अपितु यहाँ पर आधारभूत सुविधाएं भी उपलब्ध रहेंगी, जिनकी बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को आवश्यकता होती है।
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