विकास की नवीन अवसरों पर सवार होता उत्तर प्रदेश का गोरखपुर

मित्रों यदि आपने पानी से उडने वाले जहाज अर्थात सीप्लेन में उडान भरने का स्वप्न कभी देखा है तो वह अब साकार होने वाला है। क्योंकि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से CM सीटी गोरखपुर के मध्य में अब सीप्लेन चलाने की तैयारी है।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वाराणसी से गोरखपुर के मध्य में उत्तर प्रदेश राज्य के पहले सीप्लेन रूट सेवा आरंभ करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इन दोनों शहरों के मध्य सीप्लेन सेवा आरंभ करने के लिए योगी सरकार ने नागर विमानन मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखा है। वाराणसी-गोरखपुर हवाई मार्ग पर सीप्लेन सेवा आरंभ करने के साथ ही विमानन से जुड़े अन्य मुद्दों पर प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने केंद्रीय नागर विमानन मंत्री से मुलाक़ात की है। जिसका परिणाम शीघ्र ही देखने को मिलेगा।

जानकारी के लिए बता दें की सीप्लेन की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि यह जल और थल दोनों स्थान से उड़ान भर सकता है और दोनों ही स्थानों पर इसे लैंड भी कराया जा सकता है।
इस प्लेन को उड़ान भरने के लिए अधिक लंबे रनवे की आवश्यकता नहीं होती है। 300 मीटर लंबे जलाशय से भी उड़ान व लैंडिंग की जा सकती है।

बता दें की केंद्र सरकार ने देश में 100 सीप्लेन सेवा की योजना बनाई है। जिसके अंतर्गत देश की लगभग 111 नदियों का प्रयोग हवाईपट्टी के रूप में किया जा सकता है।

जिसमें कि CM सीटी गोरखपुर के राप्ती व रोहीनी नदी के अतिरिक्त रामगड़ ताल भी है जहाँ से सीप्लेन को संचालित किया था सकता है तथा वाराणसी में तो माँ गंगा हैं ही।

जानकारी के लिए बता दें की सीप्लेन की सेवा भारत सरकार की रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के अंतर्गत ही है जिसका उद्देश्य है भारत के विभिन्न पिछड़े क्षेत्रों में भी यातायात के सभी विकल्प को उपलब्ध कराना तथा इसी आरसीएस के अंतर्गत तैयार किए गए मुरादाबाद, हरीगढ़, आजमगढ़ और श्रावस्ती में एयरपोर्ट को शीघ्र आति शीघ्र नागर विमानन मंत्रालय से लाइसेंस दिए जाने हैं इन चारो एयरपोर्टों का 99 प्रतिशत कार्य पूरा किया जा चुका है। लाइसेंस मिल जाने पर विमान सेवाएं अति शीघ्र आरंभ की जा सकेंगी। इसके अतिरिक्त बरेली एयरपोर्ट में एक अतिरिक्त एप्रेन बनाने बनना है ताकि दो विमान एक साथ एप्रेन पर खड़े हो सकें। तथा प्रयागराज एप्रेन के विस्तार पर भी चर्चा हो रही है।

महत्वपूर्ण है कि वाराणसी अपने आप में पर्यटन की दृष्टि से एक अत्यंत महत्वपूर्ण नगर है एवं यदि सीप्लेन जैसी नवीन उपलब्धि इस नगर को मिलती है तो गुरु गोरखनाथ एवं महादेव के भक्तों के साथ उन सभी दर्शनार्थीयों को इससे लाभ मिलेगा और सांस्कृतिक यात्रा में भी रोमांच व आधुनिकीकरण का समागम भी होगा।

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