नवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं को नए विंध्यवासिनी धाम की सौगात

जैसा की हम सभी जानते हैं उत्तर प्रदेश केवल जनसंख्या की दृष्टि से ही सबसे बड़ा राज्य नहीं है अपितु देश के सबसे बड़े व महत्वपूर्ण धर्म स्थलों का होना भी इस प्रदेश की उपलब्धि है। इसी को ध्यान में रखते हुए काशी विश्वनाथ व अयोध्या राम मंदिर ही नहीं अपितु प्रदेश के कुछ और महत्वपूर्ण देवालयों के जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है जिसमें की वाराणसी के समीप विंध्याचल माता का मंदिर विशेष है। जिसे की काशी विश्वनाथ काॅरिडोर के ही समतुल्य माँ गंगा से मिलाया जाना है एवं इसे विंध्य कॉरिडोर के नाम से जाना जाएगा।

आज आप इस कड़ी में जानेंगे विंध्य काॅरिडोर प्रोजेक्ट में हुए सभी नवीन परिवर्तन, कौन करेगा मंदिर का निर्माण। कबसे होगा काॅरिडोर का निर्माण कार्य आरंभ व क्या है वर्तमान परिस्थिति।

माता विंध्यवासिनी मंदिर

भारतवर्ष की धर्म नगरी काशी अर्थात वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम काॅरिडोर का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है तथा उद्घाटन भी इसी वर्ष निश्चित है एवं अब काशी के तर्ज पर ही प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट अर्थात विंध्याचल मंदिर पर विंध्य काॅरिडोर का निर्माण भी हो रहा है।

बता दें की विंध्याचल पर्वत भारत के प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है तथा यहाँ स्थित विंध्यवासिनी माता मंदिर देश के प्रमुख शक्तिपीठों में स एक है।

विंध्य काॅरिडोर की अधिक जानकारी के लिए आपको बता दें की 30 अक्टूबर 2020 को योगी कैबिनेट ने इसे स्वीकृति दी थी और नवंबर 2020 में अधिग्रहण और ध्वस्तीकरण का काम आरंभ हो गया था। तथा इस प्रोजेक्ट की लागत है लगभग 331 करोड़ रुपये जिसका उद्देश्य है विंध्याचल मंदिर का चहुमुखी विकास एवं श्रद्धालुओं को सुविधा के साथ पर्यटन को बढ़ावा देना। इस परियोजना में यहाँ के गंगा तट व विंध्यवासिनी मंदिर से लेकर विंध्य पर्वत तक का विकास सम्मिलित है। जिसमें की विंध्यवासिनी मंदिर के चारों ओर परिक्रमा पथ के निर्माण के अतिरिक्त मंदिर तक आने वाले सभी मार्गों को संवारा जाना है तथा गंगा घाटों का निर्माण आदि भी सम्मिलित है।

अधिक जानकारी के लिए बता दें की काॅरिडोर के पहले चरण में मंदरि के चारों ओर 50 फीट का परिक्रमा पथ बनाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त मंदिर तक जाने वाले चार रास्तों को भी चौड़ा किया जाएगा। जिसमें की पुरानी वीआईपी गली का विस्तार 40 फ़ीट, न्यू वीआईपी गली का विस्तार 35 फ़ीट, गंगा घाट की तरफ जाने वाले पक्काघाट मार्ग के दो सौ मीटर तक गली की चौड़ाई 35 फ़ीट बढ़ाई जा रही है।

इसे इस तरह विकसित किया जाएगा कि हर कोना अपनी पारंपरिक धरोहर व्याख्या करेगा। बता दें की परिक्रमा पथ के निर्माण के लिये मकान, दुकान समेत 92 सम्पत्तियां और चारों मार्ग के चौड़ीकरण के लिये 671 सम्पत्तियां क्रयकर ध्वस्त किया जा चुका है और उसका मलबा भी हटा दिया गया है तथा वर्तमान में परिसर नवरात्रि को लेकर परिसर में सजावट किया गया है। जिसकी वर्तमान परिस्थिति आपके स्क्रीन पर उपलब्ध है जिसमें की आप देख सकते हैं कि टेंट आदि को लगाया गया है मार्ग को सही किया जा रहा है।

विंध्यवासिनी मंदिर परिसर

बता दें की काॅरिडोर की सम्पत्ति खरीदने के लिये शासन से अब तक तीन किस्तों में कुल 133 करोड़ की धनराशि मिल चुकी है। विंध्य काॅरिडोर की लागत 331 करोड़ रुपये है परंतु परियोजना के विस्तार से इसकी लागत अभी और बढ़ेगी। एवं जैसा की हमने पहले आपको बताया था अब काॅरिडोर के अंतर्गत काली खोह और अष्टभुजा मंदिर का निर्माण भी किया जाना है। इसकी रूपरेखा जिला प्रशासन द्वारा तैयार की जा रही है। इन मंदिरों को दूसरे चरण में सम्मिलित किया जाएगा।

जानकारी के लिए बता दें की भक्तों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से योगी सरकार ने क्षेत्र के विकास के लिये विंध्य धाम विकास परिषद के गठन को स्वीकृति दे दी है। एवं परिषद के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री जी हैं।

बता दें की विंध्यवासिनी माता मंदिर व आसपास के अन्य मंदिर इसके प्रमुख आकर्षण केंद्र होंगे। जिसमें मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा व उत्तराकाली (कालीखोह) का त्रिकोण दर्शन करने को मिलेगा। इसके साथ ही रामगया घाट, मां तारा देवी मंदिर, रत्नेश्वर महादेव मंदिर व शिवपुर के दर्शन होंगे। त्रिकोण क्षेत्र में स्थित मोतिया तालाब, गेरूआ तालाब, नरसिंह तालाब, नागकुंड, भैरव कुंड व सीता कुंड का आकर्षण सभी को लुभाएगा। इसके अतिरिक्त अघोरेश्वर भगवान राम तपोस्थली, अष्टभुजा पर्वत इस कॉरिडोर का आकर्षण रहेंगे।

यही नहीं मार्ग के चौड़ीकरण के पश्चात गंगा घाट से श्रद्धालु सीधे मंदिर के शिखर का दर्शन भी कर सकेंगे। गंगा घाट से श्रद्धालु जैसे ही मंदिर के बड़े प्रवेश द्वार में आएंगे वैसे ही उन्हें सबसे पहले मंदिर का शिखर प्रदर्शित होगा। इसके अतिरिक्त विन्ध्य कॉरिडोर प्रोजेक्ट के अंतर्गत मंदिर परिसर, जलपान केंद्र, गेस्ट हाउस, यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, पार्क, हेलीपोर्ट, पर्यटक स्थल व पार्किंग आदि भी बनना है जिनके कार्य शीघ्र ही आरंभ होंगे। इनके अतिरिक्त एक वॉच टावर का निर्माण कराया जाना है।

वहीं अब यदि इस प्रोजेक्ट की वर्तमान परिस्थिति की जानकारी दें तो आपको बता दें की मुख्य मंदिर के निकट व मंदिर से लेकर गंगा घाट तक काॅरिडोर के अंतर्गत आने वाले पूरे क्षेत्र में ध्वस्तिकरण का कार्य लगभग पूर्ण होने के पश्चात मलबा भी हटाया जा चुका है। तथा यहाँ के कई घर व मकानों ने अपने पीछे के बचे हुए भाग को सवाँरना आरंभ कर दिया है। जिसे की हम आपको दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।

महत्वपूर्ण है कि इस नवरात्रि के पश्चात ही कारिडोर निर्माण का कार्य आरंभ करने का तैयारी है। तथा भवनों की रजिस्ट्री व ध्वस्तीकरण प्रक्रिया लगभग पूर्ण हो चुका है।

विंध्य कारिडोर के अंतर्गत विंध्यवासिनी मंदिर के चारों तरफ 50 फीट चौड़ा परिक्रमा पथ के साथ ही थाना कोतवाली गली, पुरानी वीआइपी, नई वीआइपी गली व पक्का घाट मार्ग भी चौड़ा होगा। एक अगस्त को गृह मंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विंध्य कारिडाेर का शिलान्यास कर निर्माण कार्य आरंभ कराने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। विंध्य कारिडोर का निर्माण कार्य राजकीय निर्माण निगम कराएगा। इसके लिए शासन की ओर से राजीव सिंह को प्रोजेक्ट मैनेजर नामित किया गया है। प्रोजेक्ट मैनेजर की देखरेख में ही निर्माण कार्य होगा। प्रथम चरण में परिक्रमा पथ के साथ थाना कोतवाली गली, पुरानी वीआइपी, नई वीआइपी गली, पक्का घाट मार्ग का निर्माण होगा।

महत्वपूर्ण है कि शौर्य और संस्कार की धरती के रूप में विख्यात विंध्य क्षेत्र अब समृद्धि की नई कहानी लिखेगी। विंध्य कारिडोर के माध्यम से जहां विंध्यक्षेत्र की प्रगति को गति मिलेगी तो वहीं जिले का माडल संपूर्ण परिवर्तित भी हो जाएगा।

यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार देश की मूल संस्कृति को विश्व पटल पर पुनः गौरवपूर्ण व वास्तविक स्तर पर ऊँचा करने का पूरा प्रयास कर रही है। उत्तर प्रदेश के ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर तथा वाराणसी के काशी विश्वनाथ धाम काॅरिडोर का निर्माण भी हो रहा है। तथा जैसा की माँ गंगा से काशी विश्वनाथ जी का सीधा दर्शन होने वाला है इसी क्रम में माँ विंध्यवासिनी धाम का भी कायाकल्प हो रहा है। जिसमें कि माँ गंगा से माता विंध्यवासिनी का भी सीधा दर्शन अब शीघ्र ही श्रद्धालुओं को सुलभ हो सकेगा।

सरल शब्दों में कहें तो विंध्य धाम को एक अलौकिक तरीके से सजाया जाएगा। तथा प्रोजेक्ट पूर्ण होने के पश्चात यहां पर आने वाले पर्यटकों को तंग बदहाल गलियों से नही गुजरना पड़ेगा। एवं निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात विंध्यवासिनी मंदिर से माँ गंगा के दर्शन व गंगा तट से मां विंध्यवासिनी का दर्शन भी सुलभ हो सकेगा जिसकी झलक अभी से दिखने भी लगी है। मंदिर में श्रद्धालुओं के आवागमन में तो सहूलियत होगी ही, साथ लंबी कतारें लगने से भी मुक्ति मिल जाएगी।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें :

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