क्या है दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन परियोजना की वर्तमान परिस्थिति? जानें
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Delhi Varanasi Bullet Train : देश के विकास को गति प्रदान करने के उद्देश्य से भारत में वृहद High speed trains का जाल बिछ रहा है जिसमें कि काशी अर्थात भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से जुड़ी एक बड़ी व नवीन जानकारी सामने आई है।
Delhi Varanasi Bullet Train : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन को लेकर दिल्ली और वाराणसी के मध्य प्रस्तावित हाई-स्पीड रेलवे कॉरिडोर में नवीन जानकारी सामने है। उत्तर प्रदेश को शीघ्र बुलेट ट्रेन की सौगात मिलने वाली है। दिल्ली-वाराणसी के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है। सुरक्षा के लिहाज से यह रूट एलिवेटेड ट्रैक होगा। इतना ही नहीं अंडरग्राउंड स्टेशन बनाने की भी प्लानिंग की जा रही है।
चलिए आपको हम इस परियोजना की विस्तृत जानकारी देते है। बता दें कि दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट का 2024 तक आरंभिक कार्य पूरा करने की तैयारी है। यह कॉरिडोर 958 किलोमीटर लंबा होगा। इस रूट पर 13 स्टेशन होंगे, जिसमें से 12 उत्तर प्रदेश में पड़ेंगे। इतना ही नहीं लखनऊ से अयोध्या को कनेक्ट करने वाला 123 किलोमीटर लंबा रेलमार्ग भी इस रूट पर होगा। और इन रूट पर 350 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से बुलेट ट्रेन दौड़ेगी।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें दिल्ली से वाराणसी के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की प्लानिंग की जा रही है। रूट के फिजिबिलिटी टेस्ट के अतिरिक्त सर्वे का भी कार्य लगभग पूरा हो चुका है। अब दिल्ली से वाराणसी के बीच बुलेट ट्रेन के स्टॉपेज को लेकर प्लानिंग की जा रही है। जानकारी के अनुसार, दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन रूट पर एलिवेटेड ट्रैक भी बनाया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे प्रोजेक्ट पर लगभग 1 लाख 71 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। हाईस्पीड रेल कॉरिडोर के स्टेशन की बात करें तो वो होंगे दिल्ली, नोएडा, जेवर एयरपोर्ट, मथुरा, आगरा, न्यू इटावा, साउथ कन्नौज, लखनऊ,अयोध्या, रायबरेली, प्रयागराज, न्यू भदोही और वाराणसी जिनको बुलेट ट्रेन कनेक्ट करेगी। अभी वाराणसी से दिल्ली पहुंचने के लिए 10 से 12 घंटे का समय लगता है, वहीं बुलेट ट्रेन से यह दूरी लगभग 3.30 घंटे में ही पूरी कर ली जाएगी।
बुलेट ट्रेन के लिए अलग से पटरियां बिछाई जाएंगी। इतना ही नहीं इसके लिए खास स्टेशन भी होंगे। बता दें कि वाराणसी के अतिरिक्त अयोध्या और आगरा को भी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर से कनेक्ट किया जाएगा।
यही नहीं, नवीन जानकारी के अनुसार दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन एक दिन में दिल्ली से वाराणसी के मध्य 18 फेरे लगाएगी। इसके अतिरिक्त ट्रेन दिल्ली से आगरा के मध्य 63 फेरे, दिल्ली से लखनऊ के मध्य 43 और दिल्ली से अयोध्या के मध्य 11 फेरे लगाएगी। इसके लिए नोएडा में बन रहे जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निकट अंडरग्राउंड स्टेशन बनाने की प्लानिंग की जा रही है।
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तथा बुलेट ट्रेन के माध्यम से उत्तर प्रदेश के प्रमुख तीर्थस्थानों को जोड़ने का भी प्रयास किया जाएगा। बताया जा रहा है कि रूट मैप को कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि यूपी के प्रसिद्ध स्थान भी रूट पर पड़ें।
बता दें कि पिछले दिनों कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह कहा गया की नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा प्रस्तुत की गई व्यवहार्यता रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तावित कॉरिडोर को राष्ट्रीय राजमार्ग -2 के साथ बनाया जाएगा। इससे सस्ती दरों पर भूमि के अधिग्रहण और निर्माण की लागत को कम करने में सहायता भी मिलेगी।
हालाँकि, तकनीकी समस्या जिसके कारण प्रस्ताव को सिरे से निरस्त कर दिया गया था कि NH-2 में दिल्ली और वाराणसी के बीच कई स्थानों पर घुमावदार खंड थे, जो एक ट्रेन के लिए 350 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने के लिए अत्यधिक खतरनाक हो जाएगा। और 350 किमी प्रति घंटे की गति से बुलेट ट्रेन चलाने के लिए हाई स्पीड कॉरिडोर का ट्रैक सीधा होना चाहिए।
बता दें कि वाराणसी- हावड़ा बुलेट ट्रेन कारीडोर दिल्ली-हावड़ा परियोजना का भाग है। वहीं इसके अतिरिक्त दिल्ली से वाराणसी वाया लखनऊ-अयोध्या कारीडोर पर भी सर्वे का काम चल रहा है।
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परियोजना पर वर्तमान समय में सोशियो और स्ट्रक्चरल सर्वे चल रहा है जिसके पश्चात मिट्टी जांच की प्रक्रिया आरंभ होगी। तत्पश्चात भूमी अधिग्रहण का कार्य किया जाएगा । भूमि का अधिग्रहण कार्य वर्ष 2025 तक आरंभ होने की संभावना है।
अभी स्ट्रक्चरल और सोशियो सर्वे की जा रही है। साथ ही हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में अधिग्रहण की जाने वाली भूमि के प्लाट का वेरिफिकेशन करते हुए भू स्वामियों से स्वीकृति ली जा रही है।
भू स्वामियों से भूमि की कागजात तैयार करने को कहा जा रहा है जिससे क्षतिपूर्ति की राशि मिलने में कठिनाई न हो। चिह्नित प्लाट में घर, बोरिंग अथवा किसी प्रकार का कंस्ट्रक्शन, पेड़ आदि की क्षतिपूर्ति अलग से देने का प्रावधान है।
बता दें कि हाई स्पीड बुलेट ट्रेन की रफ्तार 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। कम समय में अधिक दूरी तय करने के उद्देश्य से जापानी तकनीक पर आधारित रेलवे ट्रैक का निर्माण किया जाना है। एलिवेटेड रेलवे ट्रैक के लिए भूमि अधिग्रहण की तैयारी आरंभ हो गई है।
बता दें कि नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को अंतिम रूप दे दिया है और इसे रेलवे बोर्ड को सौंप दिया है। जिसका की अनुमोदन देने की प्रक्रिया के अंतर्गत यह (डीपीआर) जांच के अधीन है।
आपको हम बता दें कि देश में लोगों को काफी लंबे समय से बुलेट ट्रेन की प्रतीक्षा है। रेलवे की योजना के अनुसार अहमदाबाद से मुंबई के मध्य बुलेट ट्रेन पर बहुत तेजी से कार्य संचालित है। वहीं दिल्ली से वाराणसी के मध्य भी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
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डीजी पीआईअी रेलवे योगेश बवेजा के अनुसार बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसका निर्माण नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन करा रहा है। मुंबई अहमदाबाद के अतिरिक्त भविष्य में छह और रूटों पर बुलेट चलाने की तैयारी है। इन सभी छह रूटों पर फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। रेलवे के अनुसार हावड़ा-वाराणसी और दिल्ली-अृमतसर के बीच बुलेट ट्रेन चलाई जाएगी। लोकसभा चुनाव के पश्चात डीपीआर बनाने की प्रकिया आरंभ हो जाएगी। संभावना है कि जून-जुलाई से डीपीआर पर कार्य आरंभ हो जाएगा। 6 से 8 माह में डीपीआर का काम पूरा हो जाएगा।
बता दें कि जिन रुट्स पर फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार हुई है वो हैं – दिल्ली- अमृतसर, हावड़ा-वाराणसी-पटना, दिल्ली-आगरा- लखनऊ-वाराणसी, दिल्ली –जयपुर-उदयपुर-अहमदाबाद, मुंबई-नासिक-नागपुर, मुंबई-हैदराबाद कॉरिडोर जिनके लिए फीजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार हो चुकी है।
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