अब यूपी निकला कई देशों से भी आगे, PM मोदी देंगे 16 जुलाई को बड़ी सौगात
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तीव्र गति से विकास पथ पर अग्रसर उत्तर प्रदेश केवल 1 ट्रिलियन डॉलर की इकनाॅमी ही नहीं बन रहा अपितु डबल इंजन वाली सरकार के कुशल नेतृत्व में इस एक्सप्रेस प्रदेश को मिलने वाला है एक नया एक्सप्रेसवे जिसका अब हो रहा है उद्घाटन।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने प्रदेश में देश के सबसे बड़े एक्सप्रेसवे नेटवर्क की आधारशिला रखी है। जिसके प्रभाव स्वरूप आने वाले समय में विश्व के कई देशों से भी अधिक एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी केवल उत्तर प्रदेश में होगी।
उत्तर प्रदेश 13 एक्सप्रेसवे वाला देश का पहला राज्य बन चुका है। 3200 किमी के कुल 13 एक्सप्रेसवे में से सात पर कार्य संचालित है। जबकि छह एक्सप्रेसवे पर यातायात संचालित हैं। इनके नाम आपके स्क्रीन पर उपलब्ध हैं।
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे परियोजना (Bundelkhand Expressway Project) की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि 14849 करोड़ रुपए की लागत से बने बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 फरवरी 2020 को चित्रकूट जिले के भरतकूप में किया था। यह एक ग्रीनफिल्ड एक्सप्रेस वे है जो चित्रकूट जिले में भरतकूप से आरंभ होकर इटावा जिले के कुदरैल गांव के पास आगरा – लखनऊ एक्सप्रेसवे के साथ मिल जाता है। इसमें चार रेलवे ओवर ब्रिज, 14 बड़े पुल, 266 छोटे पुल, 18 फ्लाईओवर, छह टोल प्लाजा और 7 रैंप प्लाजा हैं।
तथा बुंदेलखंड एक्सप्रसे वे यूपी के सात जिलों से गुजर रहा है जो हैं चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, ओरैया और इटावा। यह एक्सप्रसे वे अभी चार लेन का है, भविष्य में इसे छह लेन तक विस्तारित करने की योजना है। बुंदेलखंड एक्सप्रसे वे बागेन, केन, श्यामा, चन्दावल, बिरमा, यमुना, बेतवां और सेंगर नदियों के ऊपर से गुजर रहा है।
यही नहीं बुंदेलखंड एक्सप्रसे वे का जुड़ाव यमुना एक्सप्रेस वे और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से हो रहा है। भविष्य में गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे, प्रयागराज एक्सप्रेस वे के पूर्वांचल एक्सप्रेस वे से जुड़ने पर पूरे प्रदेश में एक्सप्रेस-वे से यात्रा सुगम हो जाएगी और यूपी का एक बड़ा भाग एक्सप्रेस वे से जुड़ जाएगा।
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अब यदि आपको हम इस बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे परियोजना की पूर्णता की जानकारी दें तो बता दें कि बुंदेलखंड के सुदूर क्षेत्र को जोड़ने के लिए यूपी को अति शीघ्र अपना 5 वां एक्सप्रेसवे मिल जाएगा। कोविड के पश्चात भी, इस परियोजना को 28 महीने के भीतर के समय सीमा से पहले ही पूरा कर लिया गया है। इस नवीन एक्सप्रेसवे की एक और विशेषता यह है कि यह इटावा के समीप परिचालित आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा और इसलिए दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ लखनऊ से भी बुंदेलखंड को सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जालौन जिले के गांव कठेरी में इस एक्सप्रेसवे का उद्घाटन 16 जूलाई को करेंगे। पहले यह 12 जूलाई को होने वाला था परंतु उस दिन प्रधानमंत्री की बिहार यात्रा होने के कारण से अब यह 16 जूलाई को होना सुनिश्चित है।
आपको हम इस बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे परियोजना की कुछ अन्य विशेषताओं की जानकारी देने हेतु बता दें कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) में प्रत्येक किलोमीटर पर लगभग 2000 पौधे लगाए जाएंगे। इनमें पीपल, बरगद, अशोक आदि के पौधे होंगे। इसके अतिरिक्त एक्सप्रेसवे के मध्य में प्रति किलोमीटर 666 फूलदार पौधे लगाए जाएंगे। इनकी ऊंचाई 4 से 5 फीट होगी। इन पौधों से वाहनों की तीव्र प्रकाश दूसरी लेन वाले वाहन पर नहीं पड़ेगी। अक्सर वाहनों की चकाचौंध लाइट से ही दुर्घटनाएं होती हैं। यूपीडा के अनुसार आरओडब्ल्यू में पौधरोपण के लिए फैंसिंग कराई जा चुकी है।
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इसके अतिरिक्त बारिश की हर बूंद संरक्षित करेगा एक्सप्रेसवे जी हां बुंदेलखंड परिक्षेत्र में तेजी से गिरते भूजल स्तर के लिए यह विशेष कदम होगा। यूपीडा के प्रशासनिक अधिकारी के अनुसार पूरे एक्सप्रेसवे पर हर 500 मीटर पर वाटर हार्वेस्टिंग के लिए रिवर्स बोरिंग की जा रही है। एक्सप्रेसवे पर बारिश का पानी सीमेंट की नालियों से 15 मीटर लंबे और तीन मीटर चौड़े तथा तीन मीटर गहरी हौज (टंकी) में जाएगा। यहां से 50-50 फीट गहराई में रिवर्स बोरिंग से पानी भूगर्भ में समा जाएगा।
बता दें कि प्रदेश में यह पहला एक्सप्रेसवे है जहां मीडियन के बीच मेटर क्रास बार्डर लगाए गए हैं। इससे यदि किसी एक लेन में कोई हादसा होता है तो दूसरी लेन प्रभावित नहीं होगी और ट्रैफिक चालू रहेगा।
यह भी बता दें कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के साथ विकास के कई आयाम खोलने की तैयारी है। जन सुविधाओं के साथ इसे शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं से भी जोड़ा जा रहा है। 296 किमी लंबे एक्सप्रेस-वे के मध्य में दो मेडिकल कॉलेज प्रस्तावित हैं। कंसल्टेंसी एजेंसी ने इसके लिए भूमि मांगी है। दोनों मेडिकल कॉलेजों का संचालन PPP मॉडल पर होग
अब यदि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की उद्घाटन की अधिक जानकारी दें तो बता दें कि 16 जुलाई को प्रधानमंत्री उरई के कैथेरी टोल प्लाजा से एक्सप्रेस-वे जनता को समर्पित करेंगे। इस मौके पर बड़ी जनसभा की भी तैयारी है। समारोह स्थल पर बड़ा वाटर प्रूफ पंडाल बनाया जा रहा। इसमें लगभग एक लाख लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है। पंडाल के लिए 104 ब्लॉक बनाए जा रहे हैं। जिला प्रशासन ने लोगों को समारोह स्थल तक पहुंचाने के लिए 1500 बसों की व्यवस्था किया है।
हर बस में एक सुरक्षाकर्मी के साथ तीन और सरकारी कर्मचारी रहेंगे। समारोह में जाने वाले हर व्यक्ति के लिए बस में लंच पैकेट की भी व्यवस्था होगी। साथ ही पूरी ट्रैफिक व्यवस्था के लिए अलग कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है।
जानकारी हेतु बता दें इसके साथ ही 594 किमी लंबे गंगा एक्सप्रेस वे का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जा चुका है। यह एक्सप्रेसव वे न केवल पूरब और पश्चिम की दूरी को कम करेगा, अपितु दिलों को भी जोड़ने का कार्य करेगा।
इसके अतिरिक्त लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे, गाजीपुर-बलिया-मांझीघाट एक्सप्रेस वे और दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जा रहा है, इसका लाभ सभी प्रदेशवासियों को मिलेगा। हाईवेज और एक्सप्रेसवेज के किनारे औद्योगिक गलियारे भी बनाए जा रहे हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल संचालित एक्सप्रेसवे- 1225 किमी जिनके नाम हैं
1. यमुना एक्सप्रेसवे- 165 किमी
2. नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे- 25 किमी
3. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे- 302 किमी
4. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे- 96 किमी
5. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे- 341 किमी
6. बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे- 296 किमी
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इनके अतिरिक्त 1974 किमी के निर्माणाधीन एक्सप्रेसवेज् भी हैं जिनके नाम हैं-
1. गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे- 91 किमी
2. गंगा-एक्सप्रेस वे- 594 किमी
3. लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे- 63 किमी
4. गाजियाबाद-कानपुर एक्सप्रेसवे- 380 किमी
5. गोरखपुर-सिलिगुड़ी एक्सप्रेसवे- 519 किमी
6. दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे 210 किमी
7. गाजीपुर-बलिया-मांझीघाट एक्सप्रेसवे- 117 किमी
बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे कई मायनों में प्रदेश के अन्य एक्सप्रेसवे के अपेक्षाकृत अधिक महत्व रखता है। क्योंकि यह देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक माने जाने वाले बुंदेलखंड से गुजर रहा है। इसके बनने के पश्चात बुंदेलखंड और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की दूरी अत्यंत कम हो जाएगी। मात्र 6 घंटे में चित्रकूट से दिल्ली तक की पूरी की जा सकेगी। ऐसे में दिल्ली समेत प्रदेश के अन्य बड़े नगरों से बेहतर कनेक्टिविटी स्थापित होने के पश्चात इस पिछड़े क्षेत्र में विकास के नए द्वार खुलेंगे तथा चित्रकूट में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा भी मिलेगा।
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