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आपने घोषणाएं अर्थात एनाउंसमेंट तो अवश्य सुनी होंगी, यह कई सार्वजनिक स्थानों पर होता‌ हैं। एनाउंसमेंट‌ के माध्यम से किसी स्थान विशेष पर उपस्थित लोगों को सूचना उपलब्ध कराई जाती है, इनमें सबसे ऊपर आते है रेलवे स्टेशन व हवाई अड्डे। तथा कोरोना काल में सड़क-चौक, बाजारों में कोरोनावायरस के प्रति जागरूकता फैलाने का अभियान भी बहुत चला था और कुछ स्थानों पर यह अभी भी चल रहा है। और इन्हीं में से एक है वाराणसी (Varanasi) का लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (Lal Bahadur Shashtri International Airport) परंतु पिछले दिनों यह विशेष चर्चा में आया है और वो इस लिए नहीं की यहां पर कोरोनावायरस के प्रति जागरूकता की घोषणा हुई है अपितु इसलिए क्योंकि यहां पर यह घोषणा हिंदी अंग्रेजी में ही नहीं अपितु संस्कृत में भी हुई है।

जी हां मित्रों वाराणसी के एयरपोर्ट (Varanasi Airport) पर अब संस्कृत में भी घोषणा हो रही है। इसपर हम आपको आगे की जानकारी देने से पहले आपको यह घोषणा अच्छे से सुनाते हैं।

यदि आप भविष्य में किसी भी समय वाराणसी के लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जाते हैं, तो आपको संस्कृत भाषा में कोविड-19 की घोषणाएं सुनने को मिलेंगी।

varanasi airport

जानकारी हेतु बता दें कि हवाईअड्डे ने संस्कृत (Sanskrit) में महत्वपूर्ण कोविड-19 घोषणाएं करना आरंभ कर दिया है, यह पहल जिसे भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सहयोग से आरंभ किया गया है। अभी तक, हवाई अड्डे पर किसी भी प्रकार की घोषणाओं के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग किया जाता था, परंतु बीते शुक्रवार से एयरपोर्ट पर अनाउंसमेंट के लिए तीसरी भाषा के तौर पर संस्कृत को जोड़ा गया है।

इसपर आधिकारिक स्तर पर वाराणसी हवाई अड्डे पर एक ट्वीट में कहा गया “अब वाराणसी हवाई अड्डे पर अंग्रेजी और हिंदी के पश्चात, संस्कृत में भी कोविड को लेकर घोषणा की जा रही है। जैसे ही यात्री हवाई अड्डे में प्रवेश करेंगे, उन्हें लगेगा कि वे संस्कृत भाषा के केंद्र में प्रवेश कर गए हैं।”

बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निदेशक आर्यमा सान्याल के अनुसार वाराणसी प्राचीन काल से संस्कृत का केंद्र रहा है। संस्कृत भाषा में घोषणा संस्कृत भाषा को सम्मान देने की पहल के तौर पर आरंभ की गई है।

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बता दें कि वाराणसी हवाई अड्डा वाराणसी नगर से लगभग 26 किमी दूर बाबतपुर (Babatpur) में स्थित है। अक्टूबर 2005 में इसका नाम बदलकर लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कर दिया गया था। लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है।

लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर संस्कृत में घोषणा को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरह के रिएक्शन आए। एक ट्विटर यूजर ने कहा, “यह सुखद है कि संस्कृत में वाराणसी हवाई अड्डे पर घोषणा की जा रही है। संस्कृत को आम भाषा बनाने का यह एक अच्छा प्रयास है। वाराणसी रेलवे स्टेशन पर भी ऐसा होना चाहिए।”

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वैसे हम आपको बता दें कि वाराणसी में यह पहला अवसर नहीं है जब ऐसा कुछ हुआ है। इससे पहले होली के अवसर पर भी सड़कों पर रंगोत्सवस्य शुभाशया: लिखकर दर्शाया गया था। यही नहीं वाराणसी के सबसे आधुनिक रेलवे स्टेशन का नामकरण जब बनारस रेलवे स्टेशन हुआ तो इसका नाम संस्कृत में भी शिलापट्ट पर अंकित किया गया था बनारसः जिसकी जानकारी हमने आपको अपनी वीडियो के माध्यम से दी थी।

वैसे हमारा तो यह मानना है कि किसी भी संस्कृति व धर्म का आधार ही भाषा व धर्मस्थलों से होता है। और संभवतः सनातनीयों का एकजुट ना हो पाने का यह भी एक कारण है कि हिंदू समाज अपनी संस्कृति को स्वयं ही जाने अंजाने में हानी पहुंचा रहा है। क्यों कि आधुनिक समय में मंदिर जाने का समय अधिकांश लोग निकाल नहीं पाते और परंपरा का अबोध व अंग्रेजी के प्रति आकर्षण से वे हिंदी से दूर होते जा रहे हैं। वैसे भी वर्तमान में बोली जाने वाली हिंदी भी शुद्ध नहीं है इसमें उर्दू व अंग्रेजी का भरमार है। तथा इसमें सबसे बड़ा योगदान हमारे समाचार पत्र व न्यूज चैनल्स का है जो वे हिंदी भाषा में हिंदी से अधिक अन्य भाषाओं का समावेश कर हिंदी को क्षती पहुंचा रहे हैं। भरोसा ना हो तो आज से 25-30 वर्ष पुराने हिंदी समाचार पत्र पढ़ कर देखें।

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इस प्रकार से जब समाज सरलतम भाषा हिंदी को ही संभाल पा रहा तो देव वाणी संस्कृत को कैसे संरक्षित कर पाएगा। बहरहाल असंभव कुछ भी नहीं होता और वर्तमान सरकार अपनी ओर कई प्रयास कर रही है संस्कृत को पुनः लोक लुभावन बनाने के लिए परंतु इसके लिए जनभागीदारी अत्यंत आवश्यक है।

हम अपने चैनल पर यही प्रयास करते हैं की अपनी वीडियो में हम जितना हो सके शुद्ध हिंदी का ही प्रयोग करें। तथा आपसे भी यही निवेदन है व आशा है कि आप अपने संस्कृति का मान अवश्य रखेंगे क्योंकि हम यदि अपनी संस्कृत व संस्कृति का पालन नहीं करेंगे तो कौन करेगा?

आपके विचार इस विषय पर क्या हैं वह हमें आप कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताएं।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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