तैयारी शुरू अब बदलेगा स्वरुप – Banke Bihari Corridor
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Banke Bihari Corridor : बृज की धरती… जहां प्रेमी और भगवान का मिलन होता है… और जहां राधा-कृष्ण की लीलाएं आज भी जीवंत हैं। परंतु इस पवित्र नगरी वृंदावन में कुछ ऐसा है जो श्रद्धालुओं की भक्ति को बाधित कर रहा है, और वो है भीड़ और मूलभूत सुविधाओं की कमी। इन्हीं समस्याओं को दूर करने के लिए आ रहा है – बांके बिहारी कॉरिडोर प्रोजेक्ट

मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं कोई भी देश अपने इतिहास और अस्तित्व पर गर्व किए बिना भविष्य का गौरवपूर्ण निर्माण नहीं कर सकता। और अपने संस्कृति का उत्कर्ष होता भला किसे नहीं भाता।
सांस्कृतिक आधार व धार्मिक तीर्थों के महत्व को समझते हुए वर्तमान सरकार भारतीय संस्कृति को उत्कर्ष पर पहुंचाने के लिए कई धार्मिक स्थलों का पुनर्निर्माण करवा रही है जिसमे की काशी उज्जैन केदारनाथ जैसे नाम सम्मिलित हैं। तथा अयोध्या का श्रीराम मंदिर निर्माण की जानकारी तो हम आपको निरंतर देते ही रहते हैं। इसी क्रम में आज हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विंध्याचल कॉरिडोर के पश्चात अब श्री बांके बिहारी कॉरिडोर को भी मूर्त रूप देने की तैयारी में हैं।
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बता दें कि बांके बिहारी कॉरिडोर एक विशेष परियोजना है जिसका उद्देश्य बांके बिहारी मंदिर और आसपास के क्षेत्र में आवागमन, दर्शन व्यवस्था और सुविधाओं को बेहतर बनाना है। इस कॉरिडोर की लंबाई लगभग 400 मीटर होगी और यह मंदिर परिसर को आसपास के मुख्य सड़कों से जोड़ देगा।
परियोजना की विशेषताओं की जानकारी देने हेतु बता दें कि यहां पर जो मुख्य काम किए जाएंगे, वो हैं:





अधिक जानकारी हेतु बता दें कि श्री बांके बिहारी कॉरिडोर निर्माण के साथ ही श्रीराधा-कृष्ण की लीला स्थली वृंदावन के अलौकिक स्वरूप को और निखारने की तैयारी है। यह लगभग 5 एकड़ में बनेगा। इसे बनने में लगभग 3 वर्ष का समय लग जाएगा। योगी सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत मंदिर मार्ग को चौड़ा किया जाएगा। मंदिर में प्रवेश के लिए 3 गेट बनाए जाएंगे। विशेष यह है इसमें कि लगभग 30 हजार वर्गमीटर में पार्किंग बनाई जाएगी।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने पिछले कई माह की परिश्रम के पश्चात वृंदावन के विकास की योजना तैयार की है। इससे न केवल कॉरिडोर के आसपास परिक्रमा मार्ग और यमुना के प्राचीन घाटों का पौराणिक स्वरूप देखने को मिलेगा, अपितु वन-उपवन सहित अनेक जनसुविधाओं का भी विकास होगा।
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इससे कृष्ण भक्त आध्यात्मिक भूमि पर अद्भुत आनंद की अनुभूति कर सकेंगे। जिला प्रशासन और ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने कॉरिडोर के साथ ही वृंदावन के विकास का भी रोड मैप तैयार किया है। इस योजना के अंतर्गत कॉरिडोर के सामने ही यमुना पर भव्य सिग्नेचर ब्रिज भी बनेगा, जो वृंदावन में वाहनों की भीड़ को नियंत्रित करेगा। कॉरिडोर के निकट ही यमुना रिवर फ्रंट विकसित होगा। परिक्रमा मार्ग के विकास के लिए भी योजना तैयार की गई है। इनके साथ ही पर्यटकों की सुविधाओं के लिए अनेक योजनाएं बनाई गई हैं।
कॉरिडोर बनने के साथ ही आध्यात्मिक नगरी वृंदावन में विकास कार्यों की नवीन शृंखला आरंभ होगी। तथा एक समय में लगभग 10 हजार भक्त कर सकेंगे ठाकुर जी के दर्शन।

श्री बांके बिहारी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पर यदि दृष्टि डाली जाए तो, विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में मथुरा जिले में करीब 21.96 करोड़ श्रद्धालुओं आए हैं। इसमें सबसे अधिक 2.55 करोड़ श्रद्धालु वृंदावन में श्री बांके बिहारी के दर्शन के लिए पहुंचे हैं। इसमें 70 हजार विदेशी पर्यटक भी सम्मिलित हैं। उत्तर प्रदेश में आगरा के बाद सबसे अधिक विदेशी मथुरा में आते हैं। ब्रज में आने वाले भारतीय और विदेशी श्रद्धालुओं के लिए वृंदावन के श्री बांके बिहारी सबसे प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त गोवर्धन, कुसुम सरोवर, राधाकुंड, गोकुल, बरसाना, नंदगांव, महावन भी सम्मिलित हैं।
अब हम समझते हैं कि इस प्रोजेक्ट की आवश्यकता क्यों पड़ी? तो हमें इसके लिए थोड़ा सा पीछे जाना होगा, श्री बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर बनने के विरोध के पीछे के सही व सटीक जानकारी देने के लिए आपको बता दें, कि इसका आरंभ होता है 19 अगस्त 2022 को जब जन्माष्टमी के दिन मंगला आरती के समयावधि भारी भीड़ के बीच दम घुटने से दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इसी के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर आवश्यकता है।
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कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया और उत्तर प्रदेश सरकार को बांके बिहारी मंदिर के लिए एक मास्टर प्लान तैयार करने को कहा। वहीं से “कॉरिडोर” शब्द पहली बार चर्चा में आया। और इसके विरोध के पीछे का कारण है आसपास की 300 से अधिक दुकानों और घरों का अधिग्रहण होना।
यही नहीं बांके बिहारी मंदिर की सेवा पद्धति 500 वर्ष पुरानी है। सेवायत गोस्वामी परिवारों का मानना है कि मंदिर उनकी वंशानुगत संपत्ति है और पूजा का दायित्व भी केवल उन्हीं का है।

उनके भय का कारण है कि सरकार मंदिर की पारंपरिक पूजा व्यवस्था में हस्तक्षेप करेगी जिससे पुश्तैनी अधिकारों का हनन होगा तथा कुंज गलियों की ऐतिहासिक आत्मा का विनाश होगा जिससे स्थानीय दुकानदारों को मय है कि उनकी आजीविका पर संकट आएगा और उन्हें बिना क्षतिपूर्ति या पुनर्वास के उन्हें उजाड़ दिया जाएगा।
बता दें कि जब सरकार ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ की, तो सेवायत गोस्वामी परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उनका दावा है कि मंदिर और आसपास की भूमि निजी है, और इस पर सरकार का अधिग्रहण अवैध है।

वहीं सरकार का पक्ष है कि धार्मिक स्थल सार्वजनिक हैं, और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए संरचनात्मक विकास आवश्यक है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है। परंतु बता दें कि शीघ्र आरंभ होगा कॉरिडोर का निर्माण क्यों कि वृंदावन बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर सरकार मूड में है।
बांके बिहारी मंदिर तक पहुंचने के लिए यहां के मुख्य रास्ते से 22 गलियां हैं। इसके अलावा 100 से ज्यादा छोटी गलियां भी हैं, जो एक-दूसरे से कनेक्ट हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब यहां कॉरिडोर बनना तय हो गया है। इस कॉरिडोर के बनने से 9 बड़ी गलियों समेत 20 से ज्यादा गलियां खत्म हो रही हैं। स्थानीय स्तर पर इसका विरोध हो रहा है।
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परंतु सरकार ने क्या कहा? आपको बता दें कि ठाकुर बांके बिहारी मंदिर न्यास के अध्यादेश व गलियारा को लेकर चल रहे विरोध के बीच संतों के प्रतिनिधि मंडल ने बीते दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। संतों से मुलाकात में सीएम योगी ने स्पष्ट कहा गलियारा आज की आवश्यकता है, कांग्रेस और कांग्रेसी मानसिकता के लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
मंदिर न्यास पर संतों का भ्रम दूर करते हुए सीएम ने कहा न्यास की परिकल्पना इस प्रकार की होगी कि मैं मुख्यमंत्री रहूं या न रहूं, न्यास में ब्रजवासी संतों का संप्रदाय के हिसाब से प्रतिनिधित्व होगा, कोई भी विधर्मी या आर्यसमाजी मानसिकता का व्यक्ति न्यास में सदस्य नहीं बन सकेगा। न्यास गठन होने के बाद भी मंदिर सेवायतों के किसी भी अधिकार का हनन नहीं होगा। ये स्पष्ट है कि न्यास केवल व्यवस्थाओं का संचालन करेगा। पूजा-सेवा मंदिर के सेवायत ही करेंगे। यह सरकार का एक बड़ा और क्लियर संदेश था।

यह भी बता दें कि वर्तमान में मंदिर का क्षेत्रफल 680 वर्ग मीटर है। और अभी एक बार में लगभग 800 श्रद्धालु ही मंदिर में दर्शन कर पाते हैं, परंतु कॉरिडोर के पश्चात पांच हजार श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। तथा श्रद्धालु यमुना में डुबकी लगाने के पश्चात इस कॉरिडोर के माध्यम से सीधे मंदिर तक पहुंच भी सकेंगें। क्योंकि कॉरिडोर के माध्यम से मंदिर और यमुना नदी को आपस में जोड़ा जाएगा। जैसे कि काशी में भी हुआ है गंगा नदी और काशी विश्वनाथ मंदिर को जोड़कर। जिससे दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को घंटों की प्रतीक्षा नहीं करना पड़ेगी, त्योहारों के समय भीड़ पर नियंत्रण रहेगा, आसपास के व्यापारियों को स्थायी व्यवस्था मिलेगी और वृंदावन की छवि एक अध्यात्मिक टूरिज़्म हब के रूप में और मजबूत होगी।

मित्रों यदि दी हुई श्री बांके बिहारी कॉरिडोर की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में अपने गांव अथवा जिले का नाम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए विडियो देखें:-