द्रुत गति से हो रहा है अयोध्या में श्री राम मंदिर निर्माण
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भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण (Ayodhya Ram Mandir Nirman) की प्रक्रिया ने काफी गति पकड़ ली है।
अयोध्याजी के श्रीराम जन्मभूमि में राममंदिर (Ayodhya Ram Mandir Nirman) कि निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। राममंदिर के नींव के दूसरे चरण के अंतर्गत अभी राममंदिर के चबूतरे (प्लिंथ) का निर्माण कार्य संचालित है। तथा इस नींव के ऊपर 21 फीट ऊंचे चबूतरे का निर्माण सात लेयर में होना है।
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तथा आप यदि यह जानने के उत्सुक हैं कि चबुतरा अबतक कितना बना तो आपको बता दें कि चबूतरा अब तक 15 फीट ऊंचा बन चुका है, पांच लेयर ढाली जा चुकी है। अर्थात 21 फिर में से 15 फिट ऊंचा करने का कार्य पूर्ण हो चुका है। तथा चबूतरे का निर्माण कार्य जून तक पूरा करने का लक्ष्य है। यहां पर अब राम मंदिर की प्लिंथ का काम समापन की ओर है।
रामजन्मभूमि प्रांगण में भव्य राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया द्रुत गति से आगे बढ़ रही है। इसी के साथ मंदिर की प्लिंथ और सरयू के भूगर्भीय प्रवाह से मंदिर को बचाने के लिए रिटेनिंग वाल का निर्माण साथ-साथ चल रहा है।
बता दें कि मंदिर में श्रीरामलला जिस गर्भगृह में विराजमान होंगे, उसके निकट प्लिंथ की पांचवीं लेयर का निर्माण बीते शनिवार को आरंभ हुआ था। मंदिर निर्माण की यह गति सभी रामभक्तों के साथ श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को भी काफी प्रभावित कर रही है। मंदिर निर्माण की प्रगति को मीडिया से साझा करते हुए उन्होंने अपेक्षा जताई है कि अति शीघ्र नक्काशीदार पत्थरों का इंस्टालेशन अर्थात प्रतिष्ठापन प्रारंभ हो जाएगा। इसी के साथ राम मंदिर प्रस्तावित मानचित्र के अनुरूप से आकार ग्रहण करने लगेगा, जिसका सपना मंदिर आंदोलन के नायकों से लेकर सभी रामभक्त तीन दशक पहले से देख रहे हैं।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की योजना दिसंबर 2023 तक न केवल भव्य स्थायी गर्भगृह में रामलला को स्थापित करने की है, अपितु प्रस्तावित मंदिर के संपूर्ण प्रथम तल और परिक्रमा मार्ग का भी काम पूरा करने की हैै।
जानकारी हेतु बता दें कि 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा एवं 161 फीट ऊंचा भव्य राम मंदिर न केवल स्वयं में स्थापत्य की अति महत्वाकांक्षी परियोजना है, अपितु चार चरणों में विभाजित मंदिर निर्माण का प्रत्येक चरण भी वृहद निर्माण नियोजन का पर्याय है। इन दिनों तीसरे चरण के रूप में जिस प्लिंथ का निर्माण हो रहा है, वह 360 फीट लंबी, 235 फीट चौड़ी एवं 21 फीट ऊंची है।
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प्लिंथ में पांच फीट लंबे, तीन फीट ऊंचे एवं ढाई फीट चौड़े ग्रेनाइट के 17 हजार ब्लाक प्रयुक्त होने हैं। प्रत्येक ब्लाक ढाई टन वजनी है और इसे यथास्थान संयोजित करने में चुंबकीय क्रेन टावर के रूप में निर्माण की अत्याधुनिक तकनीक प्रयुक्त की जा रही है। इन्हें पत्थर की ही छह इंच मोटी कील और सीमेंट के घोल से जोड़ा जा रहा है। इसका यह जुड़ाव इतनी सफाई से है कि तैयार होने के बाद संपूर्ण प्लिंथ मोनोलिथिक अर्थात एकाश्म सरल शब्दों में कहें तो एक ही पत्थर से निर्मित प्रतीत होगा।
इसके अतिरिक्त आपको बता दें कि राम मंदिर की सतह को सरयू के भूगर्भीय प्रवाह से बचाने के लिए बड़े बांधों की तर्ज पर रिटेनिंग वाल बन रही है। मंदिर की सतह को दक्षिण-पश्चिम और उत्तर से संरक्षित करने वाली सात सौ फीट लंबी रिटेनिंग वाल 12 मीटर गहरी है और तलहटी में इतनी ही चौड़ी है। यह कार्य भी वर्षा ऋतु के पहले तक पूर्ण कर लिया जाना है।
इसी क्रम में आपको बता दें कि राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Andolan) के समयावधि 1989 में देश भर से शिलापूजन कार्यक्रम के अंतर्गत 2 लाख शिलाएं अयोध्या पहुंची थी। जो कि अयोध्या के कार्यशाला में रखी थीं। राम नाम अंकित इन शिलाओं को अब राम मंदिर निर्माण में समायोजित किया जा रहा है।
शिला पूजन कार्यक्रम से लाखों कारसेवकों को राम मंदिर आंदोलन से भावनात्मक तौर पर जोड़ा गया था। अब जब राम मंदिर का निर्माण एलएंडटी और टीईएस जैसी नामी कंपनियां हाई तकनीक से कर रही हैं। ऐसे में राम मंदिर ट्रस्ट लाखों की संख्या में कार्यशाला में जमा राम शिलाओं का उपयोग करने का मार्ग खोज निकाला, तथा देश विदेश से विभिन्न भाषाओं में राम नाम अंकित इन शिलाओं को अब निर्माणाधीन भव्य राममंदिर की सुरक्षा में बन रही रिटेनिंग वाल की नींव में प्रयोग किया जा रहा है।
इससे संदेश जाएगा कि मंदिर आंदोलन की पूजित शिलाओं को मंदिर की नींव से जोड़ कर इसमें समाहित कर दिया गया है। जिससे इन ईंटों को ही नहीं अपितु करोड़ राम भक्तों को भी उचित सम्मान मिलेगा।
एक और महत्वपूर्ण जानकारी हेतु बता दें कि अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की टीम भी श्री राम मंदिर निर्माण में जुटी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विचार है कि रामनवमी के दिन ऐसी व्यवस्था बने की दोपहर के समय सूर्य की किरणें भगवान के मस्तक को प्रकाशित कर दें। इसके लिए अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की टीम लगी हुई है।
डेढ़ वर्ष का समय मंदिर की आधारशिला में लगा है। तीन मंजिला मंदिर में लगभग 20 लाख घनफुट का संपूर्ण स्ट्रक्चर बनेगा। इस तीन मंजिला मंदिर में लगभग 700 खंभे होंगे। चारों ओर खंभों पर एक किमी का आयताकार परकोटा होगा जिसके चारों कोने पर मंदिर होंगे। संपूर्ण मंदिर पत्थर से बन रहा है जिसका कि एक हजार साल तक कुछ नहीं बिगड़ सकेगा।
यही नहीं आपको बता दें श्रीराम मंदिर के अलावा वहां पर समरसता के समाज पर आधारित महर्षि बाल्मीकि, माता शबरी, निषाद राज, माता सीता का संदेश देने वाले और रावण को रोकने के प्रयास में जान देने वाले जटायु और माता-सीता के साथ गणेशजी का भी मंदिर होगा। श्रीराम मंदिर ट्रस्ट की मीटिंग में इस पर सहमति भी हो गई है।
इसके अतिरिक्त एक और जानकारी हेतु बता दें श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने संशोधित मानचित्र अयोध्या विकास प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया था जिसे कि स्वीकृति प्राप्त हो गई है। और इसके अनुसार पहले की तुलना में 4345 वर्गमीटर क्षेत्र अब बढ़ गया है। इसके प्रभाव स्वरूप अब मंदिर परिसर पूरी तरह से वर्गाकार हो गया है।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर परिसर में यात्री सुविधाओं के विस्तार के लिए परिसर की सीमा को बढ़ा दिया है। पहले की तुलना में मंदिर का क्षेत्रफल अब 4345 वर्ग मीटर से अधिक होगा। इस बढ़े क्षेत्रफल पर अधिकृत निर्माण की अनुमति भी मिल गई है।
मानचित्र संबंधित कुछ अन्य औपचारिकताएं पूरी होते ही राम मंदिर का संशोधित मानचित्र निर्गत हो जाएगा। ट्रस्ट ने पहले राम मंदिर के मानचित्र के लिए दो लाख 74 हजार 110 वर्गमीटर भूमि पर निर्माण के लिए मानचित्र स्वीकृति का आवेदन किया था। बाद में ट्रस्ट ने परिसर के आकार को वर्गाकार या आयताकार करने के लिए मंदिर के गर्भगृह की पूर्वोत्तर दिशा में कुछ भूखंड खरीदे। अब राम मंदिर परिसर पूरी तरह वर्गाकार हो गया है। इस भूमि की खरीदारी के बाद ट्रस्ट ने दो लाख 78 हजार 455.137 वर्गमीटर अर्थात 69.17 एकड़ भूमि पर निर्माण के लिए संशोधित मानचित्र दाखिल किया था।
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इसके अंतर्गत विस्तारित क्षेत्रफल पर यात्री सुविधा केंद्र, यात्री उपयोगिता केंद्र, पांच सौ व्यक्ति की क्षमता वाला सत्संग प्रेक्षागृह, अतिथि गृह, पुस्तकालय, शोधकेंद्र, म्यूजियम, ट्रस्ट साइट आफिस, प्रशासनिक भवन, सुरक्षा केंद्र, यज्ञशाला, अनुष्ठान मंडल, गौशाला, संत निवास, ध्यानकेंद्र, सुरक्षा वाचटावर, फायर पोस्ट, शौचालय, इलेक्ट्रिक सब स्टेशन का निर्माण आदि किया जाएगा।
बता दें कि वर्तमान समय में राम मंदिर एवं परकोटा का निर्माण कार्य हो रहा है। तथा बढ़े हुए क्षेत्रफल पर भी निर्माण कुछ समय पश्चात होगा। एवं वर्तमान में निर्माण कार्य गति को देखें तो 4 से 6 महीने में मंदिर को आकार लेता देखा जा सकेगा।
मित्रों यदि आपको उपरोक्त दी हुई अयोध्या के श्री राम मंदिर निर्माण की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो जय श्री राम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें।
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