अयोध्या श्री राम मंदिर का निर्माण अब तक के सबसे महत्वपूर्ण मोड़ पर
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भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि (Ayodhya Ram Mandir Nirman) पर भव्य मंदिर का निर्माण कार्य कब अपने महत्वपूर्ण पड़ाव पर आ गया है।
श्रीरामलला के स्थाई भव्य मंदिर के निर्माण की तैयारी जोरों पर है। 1 जून को सीएम योगी आदित्यनाथ गर्भगृह की आधारशिला का पूजन करेंगे। निर्माण कार्य की गति व प्रगति का अनुमान आप इसी से लगा लिजिए की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 5 अगस्त वर्ष 2020 को राम जन्मभूमि पर भूमिपूजन किया गया था। और दो वर्ष के भीतर भूमि पर सुदृढ़ीकरण करते हुए मंदिर निर्माण के तीन स्तर का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। और अब जो कार्य होगा वह सबको साक्षात दूर से भी दिखेगा। अर्थात अब भूमि के भीतर नहीं भूमि स्तर के ऊपर मूल मंदिर की संरचना का निर्माण होगा।
जानकारी हेतु बता दें कि पहले एल एंड टी ने मंदिर की नींव के लिए एक डिजाइन का प्रारूप बनाया था, वह टेस्ट में फेल हो गया। इसके बाद आईआईटी के पूर्व निदेशक की अध्यक्षता में विशेषज्ञ तकनीकी समिति गठित कर नए सिरे से मंदिर की नींव की तकनीक पर अध्ययन कर मंदिर निर्माण की प्राचीन तकनीक को जोड़ मंदिर की नींव का निर्माण आरंभ हुआ।
राममंदिर निर्माण के लिए जीपीआर सर्वेक्षण नेशनल जियो रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद से जीपीआर तकनीक का उपयोग करते हुए भू-सर्वेक्षण किया तो नींव स्थल की खुली खुदाई करके भूमि के नीचे का मलबा और ढीली मिट्टी को हटाया गया।
मंदिर स्थल और उसके आसपास लगभग छह एकड़ भूमि से 1.85 लाख घन मीटर मलबा हटाया गया। इस कार्य में लगभग 3 महीने लगे। गर्भगृह में 14 मीटर की गहराई और उसके चारों ओर 12 मीटर की गहराई वाला मलबा और बालू हटाई गई तो एक बड़ा गहरा गड्ढा बन गया। इसमें रोलर कॉम्पैक्ट कंक्रीट के प्लेटफार्म का निर्माण हुआ। 12 इंच की एक परत को 10 टन भारी क्षमता वाले रोलर द्वारा 10 इंच तक दबा कर 48 लेयर में नींव खड़ी की गई।
इसके पश्चात अक्टूबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच भूमिगत RCC की ऊपरी सतह पर, अधिक उच्च भार वहन क्षमता की एक और 1.5 मीटर मोटी सेल्फ-कॉम्पैक्टेड कंक्रीट राफ्ट का (9मी गुणे 9मी के आकार के खंडों में) बैचिंग प्लांट, बूम प्लेसर मशीन और मिक्सर का उपयोग करके डाला गया।
तत्पश्चात मंदिर के फर्श को ऊंचा करने का कार्य 24 जनवरी 22, को आरंभ हुआ और यह अभी भी प्रगति पर है। प्लिंथ को RAFT की ऊपरी सतह के ऊपर 6.5 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जाएगा। प्लिंथ को ऊंचा करने के लिए कर्नाटक और तेलंगाना के ग्रेनाइट पत्थर के ब्लॉक का प्रयोग किया जा रहा है। एक ब्लॉक की लंबाई 5 फीट, चौड़ाई 2.5 फीट और ऊंचाई 3 फीट है। इस काम में लगभग 17,000 ग्रेनाइट ब्लॉकों का उपयोग किया जाएगा। सितंबर 2022 के अंत तक प्लिंथ को ऊंचा करने का काम पूरा होने की आशा जताई जा रही है।
मंदिर निर्माण के क्रम में एक जून 2022 की तिथि इतिहास में अंकित होने जा रहा है। इसी दिन रामलला के घर (गर्भगृह) के निर्माण के लिए पहली शिला रखी जाएगी। देश-विदेश के रामभक्तों के लिए यह बहुत बड़ा शुभ समाचार है क्योंकि उनकी पांच सौ वर्षों की प्रतीक्षा समाप्त होने जा रही है।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि (एक जून) को मृगशिरा नक्षत्र व आनंद योग के शुभ मुहूर्त में रामलला के गर्भगृह का निर्माण विधिविधान से पूजन-अर्चन के साथ आरंभ होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूजन-अर्चन के बाद गर्भगृह की पहली शिला रखेंगे।
सात लेयर में बन रहे 21 फिट ऊंचे प्लिंथ की अभी तक छठे लेयर ढालने का कार्य संचालित है। हालांकि प्लिंथ के निर्माण कार्य पूरा होने में लगभग दो महीने अभी लगेंगे परंतु ट्रस्ट ने एक जून से गर्भगृह का निर्माण कार्य आरंभ करने का निर्णय किया है।
आपको स्मरण होगा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमि पूजन का कार्यक्रम कितना भव्य था ठिक इसी प्रकार से इस दूसरे बड़े आयोजन को भव्य बनाने की योजना है। इस पल को अविस्मरणीय बनाने के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और योगी सरकार जुट गई है।
आपको हम बता दें कि किसी भी मंदिर परिसर में गर्भ ग्रह अत्यंत पवित्र स्थान होता है। यहीं पर मंदिर के मुख्य देवता को स्थापित किया जाता है।
इसीलिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ गर्भ गृह की आधारशिला रखेंगे। यह भगवान राम के भक्तों के लिए एक बहुत बड़ी और शुभ बात है। तथा सीएम योगी मुख्य मंदिर के 403 वर्गफुट क्षेत्र के गर्भ गृह की आधार शिला रखेंगे।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री 1990 में आरंभ हुई राममंदिर की कार्यशाला में तराशी गई शिला का पूजन कर गर्भ गृह निर्माण का शुभारंभ करेंगे। गर्भ गृह के जिन पत्थरों का पूजन के पश्चात मंदिर में संयोजन आरंभ होगा, उन पत्थरों ने भी मंदिर निर्माण के लिए लंबी प्रतिक्षा किया है।
राममंदिर निर्माण को लेकर मंदिर आंदोलन के साथ पत्थर तराशी का कार्य सितंबर 1990 में दो कारीगरों ने प्रारंभ किया था। उस समय मंदिर आंदोलन उभार पर तो था किंतु मंदिर निर्माण की संभावना दूर की कौड़ी थी। जो वर्तमान में चरितार्थ हो रहा है।
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मंदिर की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि गर्भगृह रामजन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर की प्रकार से ही भव्यता का पर्याय होगा। अकेला गर्भगृह ही एक हजार वर्ग फीट का है। गर्भगृह अष्टकोणीय होगा और इसकी दीवारों पर वैदिक परंपरा के देवी-देवताओं सहित यक्ष-यक्षिणियों की मूर्तियां उत्कीर्ण होंगी। राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवारा में सज्ज नक्काशीदार गुलाबी बलुआ पत्थर की एक शिला को गर्भगृह में मुख्यमंत्री प्रतिष्ठित करेंगे। इसी के पश्चात नक्काशीदार पत्थरों से गर्भगृह आकार लेने लगेगा।
गर्भगृह के 403 वर्गफुट एरिया को 13,300 घन फुट मकराना के नक्काशीदार संगमरमर के पत्थरों से बनाया जाएगा। इससे पहले विशेष ग्रह -नक्षत्र में बुधवार को कई घंटे विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन प्रस्तावित है। निर्माणाधीन गर्भगृह का पूजन होने के पश्चात मंदिर निर्माण का कार्य तेज हो इसलिए रामसेवक पुरम की एक और कार्यशाला को आरंभ कर दिया गया है।
बता दें कि श्री रामलला मंदिर निर्माण में 318 स्तंभो, एक मुख्य शिखर व 5 उप शिखर एवं 161 फीट ऊॅचे, 360 फीट लम्बे व 235 फीट चौड़े मंदिर के लिए लगभग 4 लाख 70 हजार घनफीट शिलाओ की तराशी होनी है। गर्भगृह के लिए अभी 70 प्रतिशत पत्थर तैयार है । शेष कार्य राजस्थान और अयोध्या की कार्यशालाओं में तीव्र गति से किया जा रहा है।
यह भी बता दें कि गर्भगृह के सामने होंगे तीन विशालकाय मंडप जी हां, वास्तु शास्त्र की दृष्टि से यह कोली, नृत्य मंडप एवं रंग मंडप के नाम से तीन बड़े मंडप होंगे। इसमें एक साथ 25 हजार श्रद्धालु बैठ सकेंगे। तीन तल का यह मंदिर 392 स्तंभों से युक्त होगा। भूतल पर 166, प्रथम तल पर 144 तथा दूसरे तल पर 82 स्तंभ लगेंगे।
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मंदिर का परकोटा आठ एकड़ परिसर में विस्तृत होगा। इसमें राम मंदिर के प्रशस्त प्रदक्षिणा पथ के साथ सात उप मंदिरों का भी निर्माण होगा। इन मंदिरों में मां सीता, भगवान गणेश, महर्षि वाल्मीकि, गोस्वामी तुलसीदास, निषादराज, जटायु और शबरी का मंदिर होगा।
बता दें कि अयोध्या राम मंदिर आठ एकड़ के अतिरिक्त 75 एकड़ के रामजन्मभूमि परिसर का शेष भाग सांस्कृतिक उपनगरी के तौर पर विकसित होगा। इसमें विशाल उद्यान, हनुमानजी की विशाल प्रतिमा, यज्ञ मंडप, वैदिक परंपरा पर केंद्रित शोध केंद्र, पुस्तकालय, मुक्ताकाशीय रंगमंच, विशाल भोजनालय, मंदिर आंदोलन के स्मारक आदि का संयोजन होगा। इसके अतिरिक्त प्रथम चरण के अंतर्गत मंदिर के प्रवेश मार्ग पर 25 हजार तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधा केंद्र बनाए जाने की तैयारी है।
परकोटा की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि परकोटा अर्थात बाहरी परिक्रमा मार्ग, मंदिर निर्माण क्षेत्र और उसके प्रांगण के क्षेत्र सहित कुल 8 एकड़ भूमि को घेरते हुए एक आयताकार दो मंजिला परिक्रमा मार्ग परकोटा बनेगा। इसे भी बलुआ पत्थर से बनाया जाएगा। यह परकोटा भीतरी भूतल से 18 फीट ऊंचा है, चौड़ाई में 14 फीट होगा। इस परकोटा में भी 8 से 9 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग होगा।
इसका उद्देश्य मंदिर के चारों ओर मिट्टी के कटान को रोकने और भविष्य में संभावित सरयू बाढ़ से बचाना है जिस के लिए दक्षिण, पश्चिम और उत्तर में रिटेनिंग वॉल का निर्माण भी चल रहा है। सबसे निचले तल पर इस वॉल की चौड़ाई 12 मीटर है और नीचे से इस वॉल की कुल ऊंचाई लगभग 14 मीटर होगी। यहां पर यह ध्यान रखना आवश्यक है कि मंदिर के पूर्व से पश्चिम की ओर के स्तरों में 10 मीटर का अंतर है, अर्थात पूर्व की ओर से पश्चिम की ओर ढलान है। रिटेनिंग वॉल का भी 60 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुका है। तथा अब प्लिंथ, रिटेनिंग वॉल व गर्भगृह तीनों का निर्माण कार्य एक साथ चलता रहेगा।
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इसके अतिरिक्त रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए गांव-गांव पूजित कराई गईं राम शिलाएं (ईंटें) को मंदिर की आधारभूमि में स्थापित किया जा चुका है। 30 सितंबर 1989 को मंदिर निर्माण के लिए यह शिलाएं देश के पौने तीन लाख गांवों सहित दूसरे देशों तक में पूजित कराई गई थीं।
मंदिर निर्माण के प्रति व्यापक जन जागरण सुनिश्चित कराने के साथ ये शिलाएं अत्यंत आदरपूर्वक अयोध्या लाई गई थीं। पहले इन्हें रामजन्मभूमि के निकट कार्यशाला में रखा गया था। एवं अब मंदिर निर्माण कार्यशाला से रामजन्मभूमि परिसर लाकर उन्हें रामलला के गर्भगृह के ईशान कोण पर स्थापित किया गया है।
मित्रों यदि उपरोक्त दी हुई श्री राम मंदिर निर्माण की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में जय श्री राम अवश्य लिखें।
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