वाराणसी में बना आठवां अजूबा- Namo Ghat Phase 2 Varanasi
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Namo Ghat Phase 2 Varanasi : वाराणसी जिसे घाटों का नगर के रूप में जाना जाता है। परंतु इस विश्व की प्राचीनतम जीवित नगर काशी का घाट भारत में ही प्रसिद्ध नहीं है अपितु अब यहां विश्व का सबसे आधुनिक रिवर फ्रंट भी है जो जल थल व नभ से भी जुड़ा होगा।
Namo Ghat Phase 2 Varanasi : वाराणसी में लगभग 84 घाट हैं और उन्हीं में से एक था खिड़कियां घाट जो कि पुनर्विकसित होकर नमो घाट के रूप में जनता के समक्ष है। जो अब वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध घाट तो है ही साथ ही पर्यटकों के साथ स्थानीय निवासीयों का प्रमुख भ्रमण स्थल बन चुका है।
पहला चरण – एक संक्षिप्त अवलोकन (Phase One – A Brief Look)
जैसा कि आप जानते हैं, पहले चरण में नमो घाट का जीर्णोद्धार किया गया था। घाट को साफ-सुथरा बनाया गया और घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। जिसकी जानकारी हमने आपको पहले भी अपनी वीडियो के माध्यम से प्रदान किया है।
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दूसरा चरण – आधुनिकता और परंपरा का संगम (Phase Two – A Blend of Modernity and Tradition)
वहीं यदि बात करें नमो घाट के द्वितीय चरण की तो इस दूसरे चरण में नमो घाट के विकास को एक नए आयाम पर ले जाया जा रहा है। आधुनिक सुविधाओं को सम्मिलित करते हुए भी, घाट की पवित्रता और परंपरा को बनाए रखा गया है।
कुछ खास विशेषताएं
विशाल घाट क्षेत्र (Spacious Ghat Area): दूसरे चरण में घाट क्षेत्र को काफी विस्तारित किया गया है। इससे अब घाट पर अधिक संख्या में लोग आराम से स्नान भी कर सकते हैं।
हेलीपैड की सुविधा (Helipad Facility): हां, आपने बिल्कुल सही सुना! नमो घाट के दूसरे चरण में हेलीपैड भी बनाया गया है। जिसकी अधिक जानकारी आगे देते हैं।
दिव्यांगजनों के लिए सुलभता (Accessibility for the Disabled): इसके अतिरिक्त यहां दिव्यांगों का विशेष ध्यान रखा गया है कि नया घाट दिव्यांगजनों के लिए भी सुलभ हो। रैंप और अन्य सुविधाएं बनाई गई हैं ताकि सभी श्रद्धालु सरलता से गंगा स्नान का आनंद ले सकें।
प्रकाश का शानदार प्रदर्शन (Light and Sound Show): संध्या के समय नमो घाट पर रोशनी और ध्वनि का एक शानदार प्रदर्शन होगा। ये प्रदर्शन बनारस के इतिहास और धर्म को दर्शाएगा।
पर्यावरण के अनुकूल निर्माण: (Paryavaran ke Anukool Nirman) :यही नहीं यह जानकर आपको अच्छा लगेगा कि नमो घाट के फेज दो को भी पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाया गया है। सौर ऊर्जा का उपयोग करके उत्पादन की जा रही है, और हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पेड़-पौधे भी लगाए गए हैं।
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आने वाले समय में और भी कुछ खास? सूत्रों के अनुसार, नमो घाट के विकास का काम अभी रुका नहीं है। भविष्य में लेजर शो और ध्वनि और प्रकाश का शानदार प्रदर्शन जैसी चीजों को शामिल करने की योजना है, जो निश्चित रूप से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगी
अब बात करते हैं यहां हो रहे निर्माण कार्य की तो बता दें कि नमो 2.0 के अंतर्गत वाराणसी के प्रख्यात नमो घाट पर 75 फीट ऊंचा सूर्य नमस्कार का एक और ढांचा (स्कल्पचर) तैयार किया जा रहा है। इसकी आकर्षता काफी भव्य होगी। अप्रैल में ही इस स्कल्पचर को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। काशी के सबसे बड़े घाट पर बन रहा यह ढांचा इसकी भव्यता को और प्रख्यात करेगा।
इस घाट पर देशी-विदेश पर्यटकों की भी संख्या बढ़ती ही जा रही है। यहां बच्चों के लिए तरह-तरह के मनोरंज के साधन उपलब्ध हैं। नमो घाट पर पहले चरण में ओपन एयर थिएटर, शौचालय फूट कोर्ट, स्मारिका प्लाजा सहित सूर्य नमस्कार बनाया गया था। सूर्य नमस्कार के ढांचे के साथ आज भी फोटो खींचने की होड़ मची रहती है।
बता दें कि नवीन सूर्य नमस्कार के नए स्कल्पचर के काम को लगभग 80 प्रतिशत से अधिक पूरा कर लिया गया है। इसकी बनावट को लेकर नमो घाट पर आने वाले लोगों में काफी चर्चा है।
वर्तमान में जो नमस्ते आकार का तीन स्कल्प्चर स्थापित किया गया है उसमें दो की ऊंचाई 25-25 फीट है जबकि एक थोड़ा कम 15 फिट ऊंचा है। चौथा स्कल्प्चर जो स्थापित होगा उसकी ऊंचाई लगभग 75 फीट होगी। वर्तमान में तीन स्कल्प्चर जो स्थापित हुए हैं वे मोल्डेड एलाय धातु से बने हैं जबकि चौथा स्कल्प्चर कापर का बनाया गया है। जो कि इस घाट को हिंदूत्व से जोड़कर समग्र विश्व में सनातन आस्था व संस्कृति को बढ़ावा देगा।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि स्मार्ट सिटी के अंतर्गत इसका निर्माण 81000 स्क्वायर मीटर लगभग 91 करोड़ रुपये की लागत से वरुणा व असि नदी के संगम के मध्य खिड़किया घाट को नमो घाट के रूप में विकसित किया गया है। यह काशी का सबसे बड़ा घाट है।
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यहां प्रथम चरण में इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड ने घाट का निर्माण, सूर्य नमस्कार स्कल्पचर, जेटी, ओपन एयर थियेटर, शौचालय, फूट कोर्ट, स्मारिका प्लाजा आदि बनाया था।
वहीं द्वितीय मे विसर्जन कुंड, हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के लिए मल्टीपरपज ग्राउंड, किड्स प्ले एरिया, ओपेन थियेटर, वाटर स्पोर्ट्स, रैंप, कैफेटेरिया, शौचालय तथा गेस्ट हाउस भी बनकर तैयार है।
बता दें, वाराणसी के नमो घाट देश ही नहीं अपितु विश्व के सबसे बड़े घाट में आता है। इस घाट को जल, थल और नभ तीनों को जोड़ा है। नमों घाट पर तीन हेलिपैड बनाए गए हैं। यहां एक साथ तीन हेलीकॉप्टर आराम से उतर सकते हैं। बता दें, तीन में से दो पक्के हेलीपैड बनाए गए हैं। वहीं एक कच्चा इमरजेंसी भी तैयार किया गया है।
नमो घाट पर सीधे सड़क मार्ग को छोड़कर आप वहां मिनी टर्मिनल पर क्रूज और नाव के सहारे भी जा सकते हैं। हैलीपैड से ये घाट हवाई मार्ग से भी जुड़ जाएगा। बता दें, आधुनिकता और प्राचीनता का संगम के साथ बनारस के इस घाट की व्यवस्था बाकी घाटों से आपको थोड़ी अलग लगेगी। इस घाट पर फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन के साथ-साथ ओपन एयर थिएटर, विसर्जन कुंड, बाथिंग कुंड, चेंजिंग रूम और फ्लोटिंग जेटी का भी निर्माण हुआ है।
इस घाट पर बच्चों के खेलने के लिए टॉय ट्रेन, जंपिंग जोन के साथ प्लेन जोन भी है। दिव्यांगों के साथ आने-जाने के लिए रैंप भी बनाया गया है। आजकल इस घाट पर कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते रहते हैं। देव-दीपावली, गंगा महोत्सव, काशी तमिल संगमम जैसे कई आयोजन का नमो घाट केंद्र बन गया है। यही नहीं, विश्व योग दिवस पर नमो घाट पर प्रत्येक वर्ष योग का बड़ा कार्यक्रम भी होता है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट नमो (खिड़किया) घाट के द्वितीय चरण का कार्य अब पूर्ण हो चुका है। इसमें नमो घाट से आदिकेशव घाट तक पुनर्विकास किया गया है। तथा यह घाट वायु मार्ग से जुड़ गया है। जिसकी वर्तमान परिस्थिति आपके स्क्रीन पर उपलब्ध है।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि वाराणसी स्मार्ट सिटी के नमो घाट पर हेलीपैड बाढ़ रेखा के उच्चतम स्थान पर बहुउद्देश्यीय कार्यों के लिए बनाया गया है। काशी में हेली टूरिज्म को बढ़ावा देने के साथ ही आपदा और आपातकाल में भी इसका उपयोग किया जाएगा। यह 140×60 मीटर के आकार का है
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आपको समझने में सरलता हो इसलिए हम आपको ड्रोन व्यू दर्शाते हुए बता दें कि शीघ्र ही इस घाट का औपचारिक उद्घाटन कर जनता को समर्पित किया जाएगा। प्राचीनता और आधुनिकता के साथ तालमेल मिलाकर चलती काशी के घाटों की श्रृंखला में एक और पक्का घाट व वाराणसी के पहले मॉडल घाट के रूप में नमो घाट जुड़ गया है। इसका विस्तार नमो घाट से आदिकेशव घाट तक लगभग 1.5 किलोमीटर में हुआ है।
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सीएनजी से चलने वाली नाव के लिए एशिया का पहला फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी नमो घाट पर बना है। इसके अतिरिक्त अन्य गाडिय़ों के लिए भी यहां अलग से सीएनजी स्टेशन है। नमो घाट से क्रूज के माध्यम पास के अन्य नगरों का भ्रमण भी किया जा सकता है।
घाट के किनारे हरियाली के लिए और मिट्टी का कटान न हो इसके लिए पौधरोपण भी हुआ है। आस्था की डुबकी लगाने के लिए अन्य घाटों की प्रकार से पक्का घाट बना है। यहां सीढिय़ों के साथ ही रैम्प भी बनाया गया है।
घाट का निर्माण गेबियन और रेटेशन वाल से तैयार किया गया है। इससे बाढ़ में घाट सुरक्षित रहेगा। तथा इस खिड़किया घाट तक गाडिय़ां जा सकती हैं। घाट पर ही वाहन के पार्किंग की व्यवस्था है। नमो घाट का पुनर्निर्माण दो चरणों में हुआ है। पहले चरण के निर्माण के पश्चात ये स्थान जनता के लिए खोल दी गई थी। अब दूसरे चरण के निर्माण के पश्चात पूरा नमो घाट उद्घाटन के लिए लगभग तैयार हो गया है, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।
सबसे महत्वपूर्ण है यहां एक ओर नगर के मुख्य घाट जैसे कि दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, मणिकर्णिका घाट इत्यादि पर पर्यटकों को पहुंचने में अत्यधिक कष्ट का सामना करना पड़ता है। तो वही दूसरी ओर इस खिड़कियां घाट अर्थात नमो घाट पर आप अपनी कार अथवा दो पहिए से ही सरलता से सीधा नीचे तक अर्थात घाट तक पहुंच सकते हैं। जिससे की समय व धन की बचत होगी तथा इस इको टूरिज्म से पर्यावरण को भी लाभ होगा।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको नामो घाट की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-