बदल गयी तारिख, Mumbai Ahmedabad Bullet Train Biggest Update
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Mumbai Ahmedabad Bullet Train : मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट न केवल भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को नई ऊंचाई पर ले जाएगा अपितु हमारे देश की गति और विकास को भी नई दिशा देगा। तो चलिए इस परियोजना के आरंभ से अब तक क्या प्रगति हुई है, और यह कैसे बदल देगा हमारी यात्रा का अनुभव यह सभी कुछ जानते हैं।

यह बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट भारत का पहला हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट है। यह 508 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर मुंबई और अहमदाबाद को जोड़ेगा। ट्रेन की अधिकतम गति 320 किलोमीटर प्रति घंटा होगी जिससे 6-7 घंटे की यात्रा मात्र 2 घंटे में हो सकेगी।
यह प्रोजेक्ट जापान की शिंकानसेन टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जिसे पूरे विश्व में अपनी विश्वसनीयता और सुरक्षा के लिए जाना जाता है। इस 508 किमी मार्ग पर कुल 12 स्टेशन होंगे, जिनमें गुजरात में साबरमती, अहमदाबाद, आणंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा और वापी से आरंभ होने वाले आठ (08) स्टेशन होंगे और महाराष्ट्र में चार (04) अर्थात बोइसर, विरार, ठाणे और मुंबई सम्मिलित हैं।
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यह प्रोजेक्ट 14 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने मिलकर लॉन्च किया था। इसके लिए भारत और जापान के बीच एक बड़ा समझौता हुआ, जिसमें जापान ने इस प्रोजेक्ट के लिए 88,000 करोड़ रुपये का कम ब्याज दर पर लोन दिया है।
अब बात करते हैं वर्तमान परिस्थिति व परियोजना के प्रगति की। तो आपको हम बता दें कि इस परियोजना से जुड़े भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है। और निर्माण कार्य समूचे मार्ग पर तीव्रता से संचालित है।

निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि अब तक 386 किलोमीटर तक खंभों का आधार (पियर फाउंडेशन) तैयार करने समेत 272 किमी लंबे ‘वायडक्ट’ का काम और 305 किलोमीटर पर ‘गर्डर कास्टिंग’ भी पूरा कर लिया गया है, जबकि इसकी कुल लंबाई 508 किलोमीटर है।
नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा बताया गया कि पटरी बिछाने का काम अभी आरंभ किया जाना शेष है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बीते दिनों इसकी प्रगति की समीक्षा करने के लिए अहमदाबाद का दौरा किया और निर्माण कार्य की गति पर संतोष व्यक्त किया।

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि ‘पियर फाउंडेशन’ पहला चरण है। इसके अंतर्गत भूमि के नीचे एक बड़े व्यास वाले बेलनाकार स्तंभ के लिए आधार खोदा जाता है। जब इस स्तंभ को कंक्रीट और धातु का उपयोग करके भूमि के ऊपर बनाया जाता है तो इसे ‘पियर कार्य’ कहा जाता है।
दो खंभों (पियर) को जोड़ने के लिए उनके ऊपर रखे गए कंक्रीट के ‘सुपरस्ट्रक्चर’ को ‘गर्डर कास्टिंग’ के रूप में जाना जाता है और जब ऐसी संरचनाओं की एक श्रृंखला तैयार हो जाती है, तो इसे ‘वायडक्ट’ कहा जाता है।
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NHSRCL ने कहा कि 305 किलोमीटर तक गर्डर कास्टिंग का काम पूरा हो चुका है और ‘ट्रैक बेड’ (जिस पर अंततः पटरी बिछाई जाएगी) गुजरात में 112 किलोमीटर तक तैयार किया जा चुका है।
यही नहीं गुजरात में ओवरहेड विद्युतीकरण का काम आरंभ हो गया है। हालांकि अभी पटरी बिछाने का काम आरंभ नहीं हुआ है, परंतु शीघ्र ही यह कार्य भी आरंभ हो जाएगा। क्योंकि इससे जुड़े सभी अन्य आधारभूत ढांचे का कार्य पूर्ण हो चुका है। परियोजना की कुल लंबाई 508 किलोमीटर है, जिसमें से 352 किलोमीटर गुजरात और दादर एवं नगर हवेली में है और शेष 156 किलोमीटर महाराष्ट्र में है।

इसके अतिरिक्त आपको हम बता दें कि जिन 12 स्टेशनों की योजना बनाई गई है उनमें गुजरात के आठ में से छह स्टेशनों पर ढांचागत काम पूरा हो चुका है और महाराष्ट्र में तीन ‘एलिवेटेड स्टेशनों’ पर कार्य आरंभ हो चुका है। जहां तक 12वें स्टेशन अर्थात मुंबई का प्रश्न है, उसका ‘बेस स्लैब’ डाला जा रहा है।
508 किलोमीटर मार्ग पर सभी 13 नदियों पर बनने वाले पुलों की जानकारी देने हेतु बता दें कि NHSRCL के अनुसार वलसाड जिले में पार, औरंगा और कोलक जैसी तीन नदियों और नवसारी जिले में पूर्णा, मिंधोला, अंबिका, वेंगानिया, कावेरी और खरेरा जैसी छह नदियों पर पुल बनकर तैयार हैं। खेड़ा जिले में मोहर, वत्रक, मेशवा जैसी अन्य तीन नदियों और वडोदरा जिले में धाधर नदी पर भी पुल रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हो गए हैं। अर्थात सभी 13 नदी पुल तैयार हो चुके हैं।
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अब बात करें यदि अन्य सड़क पुलों की जहां बुलेट ट्रेन सड़कों और राजमार्गों को पार करेगी तो वहां छह स्टील पुल और पांच ‘प्रीस्ट्रेस्ड’ कंक्रीट पुल भी बनकर तैयार हैं। इसके अतिरिक्त मार्ग के दोनों ओर 130 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक शोर पर नियंत्रण के लिए अवरोधक भी लगाए गए हैं।
और अब हम आपको बुलेट ट्रेन परियोजना के सबसे महत्वपूर्ण निर्माण अर्थात टनल्स की जानकारी देने हेतु बता दें कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में मार्ग पर सात पर्वतीय सुरंगें हैं और उन सभी का निर्माण ‘न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड’ (एनएटीएम) के माध्यम से किया जा रहा है। महाराष्ट्र में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और शिलफाटा के बीच 21 किलोमीटर लंबी सुरंग में भी उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त हो रही है। इस सुरंग का सात किलोमीटर भाग ठाणे क्रीक में समुद्र के नीचे है।

इनसब के अतिरिक्त आपको हम बता दें कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में कुल 28 स्टील के ब्रिज बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 11 स्टील ब्रिज महाराष्ट्र में और 17 गुजरात में हैं। परंतु क्या आप जानते कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन का सीधा संबंध उत्तर प्रदेश के छोटे से नगर हापुड़ से भी है?
जी हां, मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के अंतर्गत नाडियाड के पास 200 मीटर लंबा ‘मेक इन इंडिया’ स्टील ब्रिज लॉन्च किया जाएगा, जो कि उत्तर प्रदेश के हापुड़ में तैयार किया गया है। हापुड़ से इस पुल की साइट लगभग 1200 किलोमीटर दूर है। इस पुल के स्टील स्ट्रक्चर के 700 टुकड़े ट्रेलरों के माध्यम से साइट पर पहुंचाए जा रहे हैं। इस स्टील ब्रिज का पहला भाग इसी महीने लॉन्च हो जाएगा और शेष अगस्त 2025 तक पूरा होने की संभावना है।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि हापुड़ में बनाए जा रहे इस पुल में 100-100 मीटर के दो खंड हैं। यह 14.3 मीटर चौड़ा और 14.6 मीटर ऊंचा बनाया जा रहा है। इस स्टील के पुल का वजन लगभग 1500 मीट्रिक टन बताया जा रहा है। स्टील के भागों को जोड़ने का काम टोर शियर टाइप हाई स्ट्रेंथ बोल्ट तकनीक से किया जा रहा है, जिसकी कारण से इसकी उम्र 100 वर्ष बताई जा रही है। स्टील का यह पुल हाईवे, एक्सप्रेसवे और ट्रेन के लिए काम करेगा।
अब आपको हम कबसे चलेगी बुलेट ट्रेन इसकी जानकारी देने हेतु बता दें कि भारत के पहले हाई-स्पीड मुंबई-अहमदाबाद रेल कॉरिडोर के लिए जापानी शिंकानसेन बुलेट ट्रेनों की खरीद के सौदे को अंतिम रूप देने में अत्यधिक देरी के बीच रेल मंत्रालय ने एक सिग्नलिंग सिस्टम के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। इसमें 280 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम डिजाइन गति वाली वंदे भारत ट्रेनों को इस खंड पर चलाने की अनुमति देगी। मंत्रालय ने पहले दावा किया था कि शिंकानसेन ट्रेनें अगस्त 2026 तक सूरत-बिलिमोरा खंड पर अपनी आरंभ करेंगी।

सूत्रों के अनुसार वर्तमान में 2027 में इस ट्रैक पर वंदे भारत ट्रेनों का वाणिज्यिक संचालन आरंभ करने की योजना है। ई-10 सीरीज की ट्रेन अर्थात बुलेट ट्रेन को 2030 या उसके पश्चात आरंभ करने की समय सीमा को अंतिम रूप दिया जा सकता है, जब भारतीय शर्तों को पूरा करने वाली ट्रेनें उपलब्ध हो जाएंगी।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में अपने गांव अथवा जिला का नाम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए विडियो देखें:-