PM मोदी की यूपी को नई सौगात, मिलेगा 1 लाख रोजगार
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भूल जाइए पूराने उत्तर प्रदेश को, क्योंकि जिस उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 तक मात्र 2 अंतर्राष्ट्रीय हावाई अड्डे थे वहाँ वर्तमान में 3 अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्टस के साथ आठ परिचालित हवाई अड्डे हैं, जबकि और 13 नए हवाई अड्डे और सात हवाई पट्टीयाँ भी विकसित की जा रही हैं। जिनमें से आज 25 नवंबर को विश्व के चौथे व एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट का शिलान्यास स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं जो कनेक्टिविटी ही नहीं अपितु 1 लाख लोगों को रोजगार भी देगा।
जेवर एयरपोर्ट जिसे की नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी कहते हैं उसका निर्माण उत्तर प्रदेश में गौतम बौद्ध नगर जिले के जेवर के पास किया जा रहा है। जो की नई दिल्ली में वर्तमान के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से लगभग 72 किलोमीटर, नोएडा से 40 किमी और दादरी में मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब से लगभग 40 किमी दूर है।
हवाई अड्डे से आस-पास के क्षेत्रों की अच्छी कनेक्टिविटी होगी क्योंकि यह वर्तमान समय में यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के निकट है तथा ये खुर्जा-जेवर एनएच 91 के माध्यम से बल्लभगढ़ में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से भी लिंक होगा। यही नहीं नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट यमुना एक्सप्रेसवे के अतिरिक्त नोएडा मेट्रो व हाई स्पीड रेल स्टेशन से भी कनेक्ट होगा। इसके अतिरिक्त एयरपोर्ट डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, नोएडा से NIA तक मेट्रो एक्सटेंशन और दिल्ली वाराणसी बुलेट ट्रेन के साथ लिंक भी होगा।
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जेवर एयरपोर्ट और इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट को आपस में जोड़ने के लिए डीएमआरसी मेट्रो ट्रेन कॉरिडोर बनाएगा। इस स्पेशल मेट्रो कॉरिडोर की लम्बाई लगभग 74 किलोमीटर होगी। इस काॅरिडोर पर 120 किलोमीटर की गति से मेट्रो ट्रेन दौड़ेगी। यही नहीं जेवर एयरपोर्ट के लिए यमुना एक्सप्रेसवे, 130 मीटर रोड, जीटी रोड और फिल्म सिटी से भारत में पहली बार पॉड टैक्सी की सुविधा दी जाएगी जो अपने आप में विशेष है।
लोकेशन व कनेक्टिविटी के पश्चात जेवर एयरपोर्ट की विशेषताओं की जानकारी के लिए बता दें की भारत के सबस बड़े एयरपोर्ट नोएडा इंटरनेशल एयरपोर्ट पर विश्व स्तरीय सुविधाओं में यहाँ पर 3900 मीटर लंबाई व 45 मीटर चौड़ाई के रनवे का निर्माण होना है। इसके समानांतर इतने ही क्षेत्रफल में टैक्सी लेन का भी निर्माण किया जाएगा।
पहले चरण के निर्माण कार्य का खाका 20 भागों में बांटकर ज्यूरिख इंटरनेशनल कंपनी ने तैयार कर लिया है। जो निम्लिखित हैं :-
1- 4 किलोमीटर लंबा रनवे,
2- क्षेत्रफल में रनवे की समानांतर टैक्सी डी
3- एप्रेन,
4- टर्मिनल बिल्डिंग,
5- एटीसी टावर,
6- आइसोलेशन बे,
7- कार्गो,
8- ईंधन फार्म,
9- जीटीसी 660 चार पहिया और 957 दो पहिया वाहनों के लिए पार्किंग,
10- रसोईघर,
11- उपयोगी ब्लॉक पश्चिम,
12- उपयोगी ब्लॉक पूर्व,
13- सार्वजनिक परिवहन केंद्र,
14- एयरपोर्ट होटल,
15- एनआईए केंद्र,
16- नगरीय विकास,
17- ड्रेनेज सिस्टम,
18- सौर ऊर्जा सिस्टम,
19- हार्वेस्टिंग तालाब,
20- एएसआर
हर भागों का काम अलग-अलग किया जाएगा, ताकि काम शीघ्रता से तैयार हो सके।
यहाँ पर उत्तरी रनवे, दक्षिणी रनवे, VVIP टर्मिनल, एयरपोर्ट होटल, मेट्रो और हाई स्पीड रेल स्टेशन, पैसेंजर टर्मिनल, एयरपोर्ट रेस्क्यू और फायर फाइटिंग बिल्डिंग, ATC टावर व Cargo Logistics आदि होंगे। यही नहीं नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट में 70 मिलियन क्षमता वाला यात्री टर्मिनल होगा। इसमें CAT III के मानक वाला रनवे, 1 मिलियन टन क्षमता वाला कार्गो, 186 एयरक्राफ्ट स्टैंड्स, ओपन एक्सेस फ्यूल फार्म और 167 एकड़ रियल स्टेट के लिए भूमि होगी।
नोएडा में बन रहा एयरपोर्ट, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में दूसरा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट होगा। इससे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का दबाव कम होगा। रणनीतिक दृष्टि से नोएडा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का अलग महत्व होगा। इससे दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के अतिरिक्त अलीगढ़, आगरा, फरीदाबाद और पड़ोसी क्षेत्र के लोगों की आवश्यकताएं भी पूरी होंगी।
जेवर में बन रहे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को लेकर हर वर्ग खुश है। विशेषज्ञों का दावा है, यह ना केवल नोएडा-ग्रेटर नोएडा और उत्तर प्रदेश अपितु भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। आखिर कैसे जेवर एयरपोर्ट अर्थव्यवस्था की धुरी बन सकता है। सरकार, अर्थशास्त्री, उद्योगपति और साधारण जनता के लिए यह महत्वकांक्षी परियोजना कैसे “विकास का मार्ग” सिद्ध होगी आइए समझते हैं। जितना निवेश सरकार और शहर के तीनों विकास प्राधिकरण इस प्रोजेक्ट में कर रहे हैं, उसके मुकाबले प्राइवेट सेक्टर से हजारों गुना अधिक निवेश नगर को प्राप्त होगा। एयरपोर्ट की डीपीआर के अनुसार पहले ही वर्ष में कम से कम 50 लाख यात्रियों का आगमन और 50 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होना तय है।
सबसे पहले खर्च की बात करें तो जेवर में बनाए जा रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आरंभ में 11,700 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 4,500 करोड रुपए भूमि अधिग्रहण, किसानों के विस्थापन और पुनर्वास पर खर्च किए जा रहे हैं। यह खर्च उत्तर प्रदेश सरकार, नोएडा अथॉरिटी, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी उठा रहे हैं। किसानों से ली गई भूमि पर एयरपोर्ट बनाने का दायित्व स्विट्जरलैंड की कंपनी ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी को दी गई है। एयरपोर्ट के पहले चरण के निर्माण पर कंपनी 7,200 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस प्रकार पहले चरण में 11,700 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
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इसके पश्चात सरकार और कम्पनी को एयरपोर्ट का विकास चार चरणों में करना है। यह वर्ष 2050 तक पूरा करना होगा। आज के अनुमान के अनुसार इस परियोजना की कुल लागत 29,500 करोड रुपए आएगी। सभी चरणों के लिए भूमि अधिग्रहण सरकारी निकायों को ही करना है। शेष इंफ्रास्ट्रक्चर स्विस कम्पनी को खड़ा करना है।
अब यदि इससे होने वाले लाभ की गणना करें तो हवाईअड्डे के आने से बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बड़ी संख्या में स्थापना होगी। इसके साथ-साथ फिल्म सिटी का निर्माण, बुलेट ट्रेन का आना और जेवर हवाई अड्डे से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की कनेक्टिविटी होने से नगर में तरह-तरह के उद्योग आएंगे। हवाईअड्डे का परिचालन सितंबर 2024 में होगा। पहले साल में 12 मिलियन (एक करोड़ 20 लाख) यात्री जेवर एयरपोर्ट पर आएंगे। अर्थात, प्रतिदिन लगभग 32 हजार यात्री ग्रेटर नोएडा आएंगे। जिसके लिए कम से कम 15 से 20 हजार कमरों की प्रतिदिन आवश्यकता पड़ेगी। नगर में नए फाइव स्टार होटल्स और अन्य होटल्स बनाने की भी आवश्यकता होगी। और केवल होटल व्यवसाय में ही कम से कम 100 करोड़ से अधिक प्रतिदिन का व्यापार मिलेगा।
इसके अतिरिक्त कैब-टैक्सी आदि का कारोबार और बड़ा होगा। वर्ष 2024 से वार्षिक कम से कम 100 करोड़ रुपये का व्यापार सृजन होने की संभावना है। कम से कम 2,500 करोड़ रुपये वार्षिक का बिजनेस विभिन्न वस्तुओं की बिक्री से नगर के प्रमुख व्यापारिक बाजारों को मिलेगा। औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन से लगभाग 500 करोड़ रुपये प्रतिदिन का व्यवसाय उत्पन्न होगा। जेवर एयरपोर्ट पर आने वाले यात्रियों की संख्या आगे और बढ़ेगी। जैसे-जैसे यात्री बढ़ेंगे वैसे-वैसे नगर में विभिन्न प्रकार के आर्थिक कार्यकलाप बढ़ते रहेंगे। एक अनुमान के अनुसार आरंभिक दशक अर्थात वर्ष 2024 से 2034 तक में एएयरपोर्ट से 5 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा। ठीक एक के पश्चात जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के कारण से प्रतिवर्ष 5 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होगा।
यही नहीं भीड़भाड़ बढ़ने से नगर में व्यापार के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र, शैक्षणिक संस्थान और आवासीय इमारतों का विकास होगा। इस हवाईअड्डे के कम से कम 50 किलोमीटर की सीमा में कई छोटे-बड़े नगरों और गांवो का अकल्पनीय विकास होगा।
वहीं यदि जेवर हवाई अड्डे के निर्माण से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण जानकारी दें तो आपको बता दें की जेवर एयरपोर्ट 5845 हेक्टेयर भूमी पर चार चरणों में बनेगा। पहले चरण में इसका निर्माण 1334 हेक्टेयर भूमि पर होगा। फर्स्ट फेज में यहां दो यात्री टर्मिनल और दो रनवे बनाए जाएंगे। तत्पश्चात यहां कुल पांच रनवे बनेंगे। एयर ट्रैफिक बढ़ने पर इससे अधिक रनवे भी बनाए जा सकते हैं।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर एयरपोर्ट) की नींव 25 नवंबर को रखी जा रही है। यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। इसके साथ ही दिल्ली देश का पहला शहर बन जाएगा, जहां 70 किमी की रेंज में अब तीन एयरपोर्ट होंगे। इनमें दो इंटरनेशनल होंगे। दिल्ली और जेवर के अतिरिक्त तीसरा एयरपोर्ट गाजियाबाद का हिंडन है, जहां से घरेलू उड़ान संचालित होती हैं।
जेवर हवाईअड्डे का विकास यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है, जो परियोजना के स्विस रियायतकर्ता ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी है। उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के साथ मिलकर पीपीपी मॉडल के अंतर्गत हवाईअड्डे का विकास किया जा रहा है।
जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण के लिए 1334 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया है। तथा इस एयरपोर्ट के लिए 6 जुलाई 2017 को निर्माण साइट की अनुमति मिली थी। किसी ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट का निर्माण कार्य आरंभ करने से पहले 80-85 एनओसी लेनी पड़ती है।
जेवर एयरपोर्ट के लिए इन सभी एनओसी को रिकॉर्ड समय में लिया गया। ग्लोबल टेंडर निकाल नवंबर 2019 में विकासकर्ता का कंपनी का चयन कर लिया गया था। सितंबर 2024 से पहले अर्थात 36 महीनों के भीतर इसका संचालन आरंभ हो जाएगा। स्वीकृति से लेकर संचालन तक में लगभग 7 वर्ष का समय लगेगा। यह अपने आप में रिकॉर्ड है। यही नहीं तैयार हो जाने के पश्चात उत्तर प्रदेश भारत का एकमात्र ऐसा राज्य हो जाएगा, जहां पांच अंतरराष्ट्रीय विमानतल होंगे। एवं सबसे महत्वपूर्ण की यह एयरपोर्ट देश का पहला निवल शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन) हवाई अड्डा होगा, अर्थात यह देश का पहला प्रदूषण मुक्त एयरपोर्ट होगा। तथा इस निवेश से एक लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
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