अयोध्या राम मंदिर निर्माण के राफ्टिंग में हुआ परिवर्तन, अब इस समय तक पूरा होगा मंदिर निर्माण

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आज हम पुनः अयोध्या के श्री राम मंदिर निर्माण की वर्तमान परिस्थिति की विशेष जानकारी लेकर के आए हैं जैसे कि कितना हुआ अब तक राफ्टिंग का कार्य व राफ़्ट की डिजाइन में क्यों हुआ परिवर्तन, तथा मंदिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों की जानकारी

श्री राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए राफ्ट बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है तथा निर्माण स्थल पर बने 48 लेयरों के चट्टान की ढलाई पर की राफ्ट का निर्माण 17 भागों में बांट कर किया जाना है। जिसके लिए पहले प्लाई के टुकड़ों से प्रत्येक ब्लाॅक के शटरिंग का कार्य किया जाता है तत्पश्चात उसमें ढलाई होती है। जानकारी के लिए बता दें की राफ्ट की ढलाई बीते 1 अक्टूबर से आरंभ हुई है तथा कार्य आधा से अधिक होने के पश्चात राफ्टिंग के डिजाइन में परिवर्तन किया गया है।

इसपर अधिक जानकारी के लिए बता दें की बीते रविवार को दिल्ली में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें राफ्ट निर्माण के पकने में आ रही कठिनाई पर मंथन किया गया। बैठक में यह तय किया गया है कि राफ्ट की डिजाइन में परिवर्तन होगा एवं राफ्ट की मोटाई को कम किया जाएगा। तथा इसका सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि अब राम चबूतरे के निर्माण में और समय लगेगा। ऐसे में मंदिर के गर्भगृह के तैयार होने की डेडलाइन 2023 से आगे बढ़ सकती है।

बता दें की राम मंदिर की नींव के ऊपर बन रहे राफ्ट के 17 खानों में 12 बन चुके हैं। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब आगे बनने वाले खानों की शेष सतह के आकार को परिवर्तित किया जाएगा। यह निर्णय राफ्ट के निर्माण के लगने वाले मसाले को मिलाने के पश्चात उसके तापमान को 23 डिग्री सेल्सियस न मिल पाने के कारण लिया गया। बताया गया कि बाहरी तापमान तो अनुकूल हो चुका है, परंतु मसाले के निर्माण के समयावधि में बढ़े तापमान को अनूकूल कर मसाले की ढलाई में कठिनाई आ रही है। जिसके कारण अब राफ्ट की हर सतह में बनने वाले टुकड़े की माप जो पहले 27×27 थी उसे अब घटाकर 9×9 करने पर सहमति बनी है।

जिसके कारण से राफ्ट की हर सतह के निर्माण के पश्चात उसके सांचे को जो पहले दो दिनों पश्चात ही खोल दिया जाता था, अब उसे 21 से 24 दिनों पश्चात खोला जाएगा। प्रभाव स्वरूप 15 नवंबर तक राफ्ट का निर्माण पूरा होने का लक्ष्यानुसार कार्य पूरा नहीं हो सकता एवं यह समयावधि बढ़कर इस वर्ष दिसंबर माह के अंत तक पूरा होने की आशा जताई गई हैl

सरल शब्दों में कहें तो 15 नवंबर के स्थान पर अब राफ़्ट का कार्य दिसंबर माह तक पूर्ण होने की संभावना है।

इसके अतिरिक्त बैठक में यह भी तय हुआ कि राममंदिर के 2500 वर्ग फीट परकोटे में भारतीय संस्कृति के उत्थान में योगदान देने वाले ऋषियों और महापुरुषों की मूर्तियां उकेरी जाएंगी। इसके लिए मूर्तिकारों और धर्माचार्यों से सुझाव ली जाएगी। इस पर वाल्मीकि रामायण से जुड़े 300 प्रसंगों में एक 100 को उकेरा जाएगा। तथा राममंदिर के निर्माण में कुल 400 खंभे बनेंगे, जिनमें हर खंभे पर भगवान श्रीराम और उनके जीवन प्रसंग पर आधारित देवी-देवताओं की 16 मूर्तियों को उकेरा जाएगा। वहीं, ऋषियों और महापुरुषों को मिलाकर कुल 6400 मूर्तियों को राममंदिर के खंभों पर उकेरने का निर्णय लिया गया है।

इसके अतिरिक्त आपको बता दें की अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान को बड़ा सौभाग्य मिला है। रामलला मंदिर निर्माण में लगभग 60 प्रतिशत पत्थर भरतपुर के बंसी पहाड़पुर का लगेगा। सिंहद्वार, रंग मंडप, नृत्य मंडप, गर्भ गृह, शिखर और परिक्रमा के लिए खंभे, दीवार, छज्जे, मेहराब, झरोखे, छत के लिए भरतपुर से पत्थर भेजे गए हैं। जबकि चौखट बाजू और फर्श के लिए नागौर के मकराना का विश्व प्रसिद्ध सफेद मार्बल लगाया जाएगा। तथा जोधपुर के छीतर पत्थर के 32 द्वार लगेंगे, जिनमें से हिन्दू द्वार विशेष है।जबकि सिरोही के पिण्डवाड़ा के कारीगर बंसी पहाड़पुर के पत्थों को तराशकर अयोध्या भेज रहे हैं। अर्थात राजस्थान के 4 जिलों भरतपुर, नागौर, जोधपुर और सिरोही का योगदान राम मंदिर निर्माण में रहेगा।

अधिक जानकारी के लिए बता दें की राम मंदिर निर्माण में भरतपुर के बंसी पहाड़पुर गुलाबी बलुआ पत्थर का 60 प्रतिशत पत्थर प्रयोग होगा। 1992 से लेकर अब तक 1.75 लाख घन फीट पत्थर यहां से अयोध्या भेजा जा चुका है। मंदिर में लगभग 5 लाख घन फीट पत्थर चाहिए, जिसमें से 3 लाख घन फीट पत्थर केवल बंसी पहाड़पुर का ही है। इस पत्थर से 16 फीट ऊंचाई के 126 से अधिक खंभे बन चुके हैं। सिंहद्वार रंग मंडप, नृत्य मंडप, गर्भ गृह, शिखर और परिक्रमा मार्ग के खंभे, दीवारें, छज्जे, मेहराब, झरोखे, छत के लिए भरतपुर का पत्थर भेजा जाता रहा है।

बंसी पहाड़पुर के पत्थरों की लाइफ 5000 वर्ष  तक है। अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए पायलिंग में राजस्थान के पत्थरों की बीम से मजबूती दी गई है। नींव पर बंशी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों से 3 फ्लोर का राममंदिर बनेगा। ये पत्थर सबसे अधिक भार सहने वाले, मजबूत, टिकाऊ और सुंदर दिखते हैं। कारीगरी, नक्काशी, पच्चीकारी, डिजाइनिंग के लिए ये बहुत सरल होते हैं। चटखते या दरकते नहीं हैं। इस पत्थर से देश की सदियों से खड़ी बुलंद इमारतें बनी हैं। संसद भवन, इंडिया गेट, राजस्थान विधानसभा, अक्षरधाम, तथा इस्कान मंदिरों में भी इस पत्थर का प्रयोग हुआ है। वर्षा होने पर इस पत्थर का रंग और निखरता है।

इसके अतिरिक्त राम मंदिर के मुख्य द्वार का निर्माण मकराना के सफेद संगमरमर से होगा। 3 फ्लोर के मंदिर निर्माण में मार्बल की चौखट के खम्भों पर नक्काशी होगी। उनमें फूल का आकार उभरा होगा। मंदिर में 30 स्थानों पर मकराना के सफेद मार्बल की चौखटें लगेंगी।इसे रामलला गर्भगृह, गुडमण्डप के द्वार में भी लगाया जाएगा। चौखट के ऊपरी भाग के दोनों ओर पत्थर पर शंख उभरा होगा, जो भगवान विष्णु का रूप होगा।

बता दें की मकराना का सफेद संगमरमर विश्वभर में अपनी क्वालिटी और ऐतिहासिक पहचान के लिए जाना जाता है। आगरा का ताजमहल, इंग्लैंड का विक्टोरिया महल और आबू धाबी की विश्व की सबसे बड़ी जायद मस्जिद इसी पत्थर से बने हैं। भव्य राम मंदिर के फर्श और पिलर कंगूरे भी संगमरमर से सजाए जाने हैं। मकराना के लगभग 1 लाख घन फीट पत्थर का उपयोग राम मंदिर में होगा। सफेद संगमरमर मजबूती, बेहतरीन चमक, बेदाग रंग और सीलन नहीं पकड़ने के लिए जाना जाता है। मकराना के पत्थर में कैल्शियम कार्बोनेट 90 लगभग तक माना जाता है और आयरन कम होता है। इस कारण से इसकी उम्र अधिक होती है। मकराना के मार्बल में पानी का सीपेज नहीं होता है।

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इसके अतिरिक्त राजस्थान के जोधपुर के छीतर पत्थर के द्वार भी अयोध्या के राम मंदिर में शोभा बढ़ाएंगे। मंदिर के पास कुल 64 स्वागत द्वारों में से 32 जोधपुर के छीतर पत्थर से तैयार होंगे पहला हिन्दू द्वार भेजा जा चुका है। इस द्वार पर राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की आकृतियां कारीगरों ने उकेरी हैं। अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा नया घाट पर बन रहे द्वार में 350 घन फुट जोधपुरी सूरसागर का पत्थर लगेगा। बता दें की जोधपुर का छीतर का भाटा यहां इमारतों, मकानों की शान के साथ ही यहां की पहचान भी है। उम्मेद भवन पैलेस इस पत्थर की जीती जागती मिसाल है। बालू मिट्टी होने के कारण यह जल्दी काला नहीं पड़ता और चमक बनी रहती है। यह पानी लगने से खराब नहीं होता है। कारीगरी और गढ़ाई के लिए आसान है। यह दिखने में सुन्दर लगता है।

इसके अतिरिक्त आपको बता दें की राजस्थान की राजस्थान की कारीगरी भी भव्य राममंदिर में दिखाई देगी। मंदिर के पिलर, दीवारों, शिखर, गुंबद सिरोही के पिंडवाड़ा के कारीगरों के तराशे पत्थराें से तैयार हाे रहे हैं। बंसी पहाड़पुर पत्थर की शिलाएं यहीं से तराशकर भेजी जाती हैं। यहां मंदिर के मंडोवर, छत का भी काम हुआ है।

जानकारी के लिए बता दें की पिण्ड़वाड़ा से पत्थरों को तराशकर ट्रकों में भरकर अयोध्या के कारसेवकपुरम 1995 से ही भेजा जाता रहा है। यहां से 1996 से 2002 के समयावधि में 75 हजार घन फीट पत्थर तराश कर अयोध्या भेजा गया था। अब राम मंदिर के मॉडल में परिवर्तन होने यहां पर लगभग 3 लाख घन फीट पत्थर को तराशने में कारीगर जुटे हैं। यहां 2023 तक कार्यशाला में पत्थर तराशने का काम चलेगा। 4 से 5 हजार कारीगर यहां पत्थर तराशने में जुटे हैं। शिल्पकारों को भी इस बात की खुशी है, कि उन्हें राममंदिर निर्माण का सौभाग्य मिला है।

मित्रों यदि आपको वीडियो में दी हुई अयोध्या श्री राम मंदिर निर्माण की विशेष जानकारी पसंद आई हो तो जय श्री राम कमेंट बाॅक्स में अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं ।

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