नहीं होगी शालिग्राम शिला से Ayodhya रामलला का प्रतिमा निर्माण !
सैकड़ों वर्षों की प्रतीक्षा के पश्चात अयोध्या के राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति के निर्माण के लिए नेपाल से शालिग्राम देवशिला के दो पत्थरों को अयोध्या में लाया जा चुका है पर क्या इन्हीं पत्थरों से रामलला की मूर्ति का निर्माण होगा?
Ayodhya : अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मन्दिर (Ram Mandir Nirman Ayodhya) में रामलला के बाल स्वरूप की प्रतिमा जिस पत्थर से बनाई जाएगी, वह कोई साधारण पत्थर नहीं है अपितु उसका ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है।

अहिल्या रूपी पत्थर पर छेनी-हथौड़ी चली तो तबाही आ सकती है
सैकड़ों वर्षों के संघर्षों और बलिदानों के पश्चात आखिरकार वो दिन आ ही गया जब प्रभु श्रीराम अपनी जन्मभूमि में विराजमान होंगे। कुछ ही महीनों पश्चात भगवान रामलला अपने गर्भ गृह में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। ऐसे में राम लला की प्रतिमा बनाए जाने के लिए नेपाल के जनकपुर से दो शिलाएं धर्म नगरी अयोध्या पहुंची हैं। परंतु शिलाओं की धार्मिक मान्यताओं और राम भक्तों की आस्था के कारण अब एक नया विवाद भी आरंभ हो गया है। दरअसल जनकपुर के जानकी मंदिर के महंत और नेपाल के उप प्रधानमंत्री की उपस्थिति में ट्रस्ट के पदाधिकारियों को शालिग्राम शिला तो सौंप दी गई है। परंतु पत्थर की धार्मिक मान्ताओं को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
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बता दें कि अयोध्या पहुंची शालिग्राम शिला (Shaligram Stone for Ram Mandir) नेपाल की पवित्र नदी काली गंडकी के तट पर मिलती है। ऐसा माना जाता है कि यह शिला आज से करीब 6.5 करोड़ वर्ष पुरानी है। अयोध्या पहुंची शिलाओं को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यताएं है कि इस शिला में श्रीहरि विष्णु का वास होता है। इसी शिला को नारायण के स्वरूप में पूजा भी जाता है। इतना ही नहीं इस शिला में श्रीहरि विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी जी का भी वास होता है।
यही नहीं श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी जी का स्वयं स्वरूप होने के कारण शालिग्राम शिला की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जाती है। इस पत्थर को सीधे-सीधे स्थापित कर पूजा-अर्चना आरंभ कर दी जाती है। परंतु नेपाल से प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या दो शालिग्राम शिलाएं लाई गई हैं। शालिग्राम की बड़ी शिला से प्रभु श्रीराम की मूर्ति निर्माण की बात चल रही है। यही कारण है कि भक्त पत्थर को राम लला का स्वरूप मान पूजा-अर्चना करने लगे हैं।

शालिग्राम की दूसरी छोटी शिला को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं। कोई माता जनकी की मूर्ति निर्माण की बात कर रहा है तो प्रभु लक्ष्मण की तो कई कह रहा है कि, सभी भाईयों की मूर्तियां बनाई जाएंगी।
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परंतु अयोध्या के सबसे प्राचीन पीठ तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने यह मांग की है कि अगर शालिग्राम शिला पर छेनी-हथौड़ी चली तो मैं अन्न जल का परित्याग कर दूंगा।
विवाद का कारण: पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंस आचार्य का कहना है कि शालिग्राम शिला अपने आप में स्वयं नारायण की स्वरूप है। ऐसे में भगवान के उपर छेनी और हथौड़े से प्रहार स्वीकार नहीं होगा। यदि ऐसा होगा तो देश और दुनिया में भयंकर तबाही आएगी। इसपर हम आपसे आपकी प्रतिक्रिया जानना चाहते हैं आपके विचार में छावनी पीठाधीश्वर जगद्गुरु परमहंस आचार्य का कहना कितना सही है और गलत यह आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताएं।

वहीं जब से शालिग्राम पत्थर रामनगरी पहुंचा है पूजा-अर्चना के लिए राम भक्तों का तांता लगा हुआ है। लाखों की संख्या में पहुंचे भक्त प्रभु श्रीराम का स्वरूप मानकर आपने आराध्य को प्रणाम कर रहे हैं। भक्ति कर रहे हैं, आशीर्वाद ले रहे हैं।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको राम मंदिर में लगने वाली भगवान रामलला की प्रतिमा की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में अपने गांव अथवा जिले का नाम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
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