इस Advanced तकनीकी से हो रहा है अयोध्या में श्री राम मंदिर के द्वितीय चरण का निर्माण कार्य

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आज हम पुनः अयोध्या के श्री राम मंदिर निर्माण की वर्तमान परिस्थिति विशेष जानकारी लेकर के आए हैं जैसे कि राफ्टिंग कैसे हो रही है व कब तक पूर्ण होगी, पत्थर तराशी का कार्य कौन करेगा व कबसे होगा, तथा श्री राम मंदिर निर्माण में लगने वाले ईंटों व जलों की जानकारी।

मित्रों जैसा की हम सभी जानते हैं कि देश के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल अर्थात अयोध्याजी की पावन धरा पर वर्तमान समय में भगवान श्री राम चंद्र के भव्य मंदिर के नींव निर्माण का विशेष कार्य हो रहा है।

तथा जैसा की हमने आपको पिछली वीडियो में बताया था कि नींव निर्माण में 48 लेयरों के ढालने का कार्य पूर्ण हो चुका है तथा इसके अगले चरण अर्थात द्वितीय चरण में अब राफ़्ट का कार्य होशा है जिसके लिए कार्य संचालित है।

बता दें की श्री राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए राफ्ट बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है मंदिर निर्माण के लिए निर्माण स्थल पर बने 400 फुट लंबे 300 फुट चौड़े क्षेत्र में नींव का निर्माण किया गया है जिस पर राफ्ट का निर्माण 15 भागों में बांट कर किया जा रहा है। जिसके लिए पहले प्लाई के टुकड़ों से शटरिंग किया गया है। जानकारी के लिए बता दें की ढलाई का कार्य सबसे पहले गर्भगृह की दिशा से किया जा रहा। क्योंकि वह सबसे महत्वपूर्ण है तथा मंदिर परिसर में जल निकासी के ढाल के लिए अलग-अलग दिशा दिया गया है।

जानकारी के लिए बता दें की राम जन्म भूमि पर मंदिर निर्माण के लिए 48 लेयर से फाउंडेशन का निर्माण किया जा चुका है। जिसमें कि इंजीनियरिंग फील्ड मैटेरियल्स का सूखा मसाला होता था जिसमें पानी नाम मात्र ही रहता था परंतु अब राफ्ट निर्माण में इसके विपरीत गीले मसाले से ढलाई किया जा रहा है। इसके लिए फाउंडेशन पर अलग-अलग ब्लॉक बनाकर उसमें मसाला भरकर पूरा सूखने के लिए छोड़ दिया जाना है। तथा यह कार्य विधिवत 1 अक्टूबर से आरंभ हुआ है।

बता दें की राम जन्मभूमि परिसर में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण के लिए अगले वर्ष अप्रैल से पत्थरों को लगाए जाने का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। परंतु उसके पहले मंदिर निर्माण के फाउंडेशन को तैयार करने का कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है। निर्माण स्थल पर 40 फुट गहरे नींव भराई के पश्चात 1.5 मीटर ऊँचे राफ्ट का निर्माण किया जा रहा है। जिसे की इसी अक्टूबर माह तक पूरा कर लिया जाएगा तो वही नवंबर माह से प्लिंथ निर्माण का कार्य भी आरंभ कर दिया जाएगा जिसे 4 माह में पूरा करने का दावा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने किया है। जिसके पश्चात मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ होगा।

बता दें की वर्तमान में मंदिर की नींव निर्माण दूसरे चरण के अंतर्गत राफ्ट का कार्य चल रहा है जिसके लिए बहुत बड़ी मशीनें आई हुई हैं। जो कि लगभग 10 घंटे में 285 घन मीटर कंकरीटिंग कर दिया है। यह पूर्णतः ऑटोमैटिक है। सामान्यताः 10 मिनट में एक कंटेनर अर्थात 6 क्यूबिक मीटर कंकरीटिंग कर रही हैं। तथा यहाँ पर ऐसे 5 कंटेनर चल रहे हैं।

बता दें की एक रात्रि के भीतर एक ब्लॉक का राफ़्टिग की महत्वपूर्ण ढलाई किया जा रहा है तथा संपूर्ण राफ़्टिग का कार्य जो कि 15 ब्लॉक में बाँट कर किया जा रहा है और यह संपूर्ण कार्य इस प्रकार से योजना बनाकर किया जा रहा है ताकि वह अक्टूबर में ही पूरा कर लिया जाए और इस प्रकार 30 अक्टूबर तक राफ्ट निर्माण का कार्य पूरा हो जाएगा। जिसके पश्चात पत्थरों का कार्य प्रारंभ होगा।

अब यदि श्री राम जन्मभूमि परिसर में मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों के तराशने इत्यादि की जानकारी दें तो बता आपको बता दें की नींव निर्माण से लेकर पत्थरों की तराशी का कार्य व मंदिर निर्माण में पत्थरों को लगाए जाने का कार्य भी अब एलएंडटी के द्वारा ही किया जाएगा। जिसकी पुष्टि राम मंदिर के आर्किटेक्ट आशीष सोनपुरा ने की है उनके अनुसार आर्किटेक्ट इंजीनियर केवल मंदिर निर्माण डिजाइन अनुसार हो सके। इसके लिए वे सुुपर विजन का कार्य करेंगे। तथा राम जन्म भूमि परिसर में मंदिर निर्माण को लेकर एलएंडटी फाउंडेशन के निर्माण किया जा चुका है। जिस पर राफ्ट बनाये जाने का कार्य भी संचालित है। जिसके पश्चात मिर्जापुर के पत्थर व ग्रेनाइट से बेस प्लिंथ का निर्माण किया जाएगा जिसके लिए मिर्जापुर के सुमित्रा मेसर्स के साथ 19 छोटे कॉन्टैक्टर को भी सम्मिलित किया गया है। तो वहीं मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के कारीगरों के द्वारा तराशी का कार्य किया जाएगा जिसके लिए राजस्थान के भरतपुर में कई अन्य कंपनियों से एलएंडटी द्वारा संपर्क किया गया है। तथा राम मंदिर के निर्माण में लगने पत्थरों का कार्य भी अब कार्यदायी संस्था एलएंडटी कराएगी। उसी के द्वारा राजस्थान में कार्यशाला भी प्रारंभ किया जाएगा। तो वही अयोध्या राम घाट क्षेत्र में स्थित मंदिर निर्माण कार्यशाला मी कारीगरों द्वारा की जाएगी धीरे-धीरे कार्य की गति को तेज किया जाएगा अभी बरसात का मौसम है इसके पश्चात कारीगरों की भी संख्या बढ़ाई जाएगी जिससे कार्य की गति आए। तथा आवश्यकतानुसार मशीनों से कटिंग का कार्य भी किया जाएगा।

तथा विशेष जानकारी के लिए बता दें की पहली बार, प्लिंथ के निर्माण के लिए कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर जंगली कोल्लेगल क्षेत्र के खदानों से काले ग्रेनाइट पत्थरों को भी श्री राम मंदिर के निर्माण के लिए भेजा जा रहा है। तथा मिर्जापुर से लाल बलुआ पत्थर और राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से गुलाबी संगमरमर भी लाया जा रहा है।

राम भक्तों द्वारा दी गई और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा तीन दशक लंबे मंदिर आंदोलन के दौरान देश भर से जमा की गई 2 लाख से अधिक ईंटों का इस्तेमाल अब राम जन्मभूमि स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण के लिए किया जाएगा.

इसके अतिरिक्त आपको बता दें की 1989 के ‘शिलान्यास’ के समयावधि में कारसेवकों द्वारा जो राम जन्मभूमि पर पत्थर रखे गए थे। जिसमें से कम से कम, 2 लाख पुरानी कार्यशाला में रह गए हैं, इन सभी को अब निर्माण स्थल पर स्थानांतरित भी किया जाएगा। बता दें की ईंटों पर भगवान राम का नाम लिखा है और यह करोड़ों भारतीयों के हृदय में भगवान राम के प्रति उनकी आस्था का प्रमाण है।

अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि मंदिर की नींव के लिए दूसरे चरण का कार्य आरंभ हो गया है।तथा राफ्टिंग से लेकर प्लिंथ तक का कार्य 4 माह में पूरा हो जाएगा। जिसके पश्चात राम मंदिर का आधार फाउंडेशन का कार्य समाप्त हो जाएगा और पत्थरों के उपयोग के साथ भगवान श्री राम के मंदिर के प्रथम तल निर्माण का कार्य आरंभ हो जाएगा।

आपको बता दे कि प्लिंथ 15 फिट ऊंची होगी, जिसमें डेढ़ फिट भूमि की सतह से नीचे होगी और साढ़े 13 फिट भूमि की सतह से ऊपर होगी। फरवरी तक प्लिंथ का कार्य पूरा होने के पश्चात तराशे गए पत्थरों को जोड़कर मंदिर का आकार देना आरंभ कर दिया जाएगा।

इसके अतिरिक्त आपको बता दें की इसके अतिरिक्त आपको बता दें की मंदिर निर्माण में उपयोग के लिए सात महाद्वीपों के 115 देशों से पवित्र धाराओं, नदियों और समुद्रों के जल को प्राप्त कर लिया गया है। यह जल सभी धर्म के लोगों द्वारा एकत्र किया गया है। तथा सभी 115 देशों से पानी तो एकत्र करके अयोध्या पहुंचा दिया गया है।

अधिक जानकारी के लिए विडियो देखें:

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