भारत के इस परियोजना से चीन में हड़कंप- Rishikesh Karnprayag Rail Project

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Rishikesh Karnprayag Rail Project : New India की विकास वाली तस्वीर को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगी भारत की चार धाम रेलवे परियोजना जो यात्रा को ही सुलभ नहीं बनाएगी अपितु भारत में धार्मिक यात्रा को और भी बढ़ावा देगी।

Rishikesh Karnprayag Rail Project
Rishikesh Karnprayag Rail Project

Rishikesh Karnprayag Rail Project : हिंदू धर्म के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है छोटा चार धाम, जिसमें केदारनाथ बद्रीनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री चार प्रमुख तीर्थ सम्मिलित हैं। वर्तमान समय में यहां आने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन एवं दुर्गम यात्रा करना पड़ता है जिसमें कई दिनों का समय, अत्यधिक परिश्रम व कठिनाइयों से श्रद्धालुओं को गुजरना पड़ता है।

भारतवर्ष में छोटा चार धाम यात्रा की महत्व को समझते व श्रद्धालुओं को सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से उत्तराखंड एवं केंद्र सरकार का यह प्रयास है कि श्रद्धालुओं के इस तीर्थ यात्रा को रेलवे के माध्यम से पहुंचाकर उसे सुविधापूर्ण बनाया जा सके। क्योंकि उत्तराखंड की यह संपूर्ण परिक्षेत्र ऊंची व दुर्गम पहाड़ियों, चट्टानों तथा वादियों से घिरी हुई है।

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बता दें कि वर्तमान समय में भारतीय रेलवे के अंतिम पहुंच ऋषिकेश तक ही है जिसके आगे केवल और केवल सड़क के माध्यम से ही यातायात संभव है। और इन पहाड़ियों पर रेलवे को पहुंचाना, रेलवे मार्ग को बनाना भी एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है। परंतु तीर्थ यात्रा को सुगम बनाने के लिए सरकार द्वारा चार धाम रेलवे परियोजना पर कार्य संचालित है। जिसके अंतर्गत सबसे पहला रेलवे स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश बन करके श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध हो चुका है। और यही होगा चारधाम रेलवे परियोजना का आरंभ बिंदु।

चार धाम रेलवे परियोजना की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि लगभग 327 किमी लंबी इस परियोजना से उत्तराखंड स्थित यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ को रेल मार्ग से जोड़ा जाएगा। लगभग 45 हजार करोड़ से अधिक की इस परियोजना पर कार्य संचालित है। चारधाम रेल परियोजना में 21 रेलवे स्टेशन व 61 टनल भी प्रस्तावित हैं।

Rishikesh Karnprayag New Rail Line Project
Rishikesh Karnprayag Rail Project

चार धाम रेलवे में दो अलग-अलग वाई-आकार की रेलवे लाइन हैं, जिनमें:

एक गंगोत्री-यमुनोत्री स्पर होगा, मुख्य स्पर 131 किमी लंबा होगा जो गंगोत्री तक जाएगा तथा एक और स्पर जो उत्तरकाशी-पालार तक का 22 किमी लंबा मार्ग होगा जो यमुनोत्री तक जाएगा। मनेरी से गंगोत्री 84 कि.मी. दूर है और पलार से यमुनोत्री 42 कि.मी. दूर है।

इसके अतिरिक्त दूसरा रेलवे लाइन है केदारनाथ-बद्रीनाथ स्पर। इसमें मुख्य स्पर कर्णप्रयाग-साईकोट-सोनप्रयाग केदारनाथ रेलवे के 99 किमी लंबा है जो केदारनाथ तक जाएगा तथा दूसरा है सैकोट-जोशीमठ बद्रीनाथ का 75 किमी लंबा लाइन जो बद्रीनाथ को जाएगा। यह रेलवे नेटवर्क को बारा होती घाटी के भारत-चीन सीमा क्षेत्र के निकट ले जाएगा, और सीमा चौकी पर उपकरण और सैनिकों की आपूर्ति करना भी सरल बना देगा।

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परियोजना पर प्रगति की जानकारी देने हेतु बता दें कि वर्तमान समय में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग तक एक निर्माणाधीन नया रेलवे लिंक विस्तार कार्य संचालित है।

अधिक जानकारी हेतु बता दें की केदारनाथ और बद्रीनाथ रेल कनेक्टिविटी कर्णप्रयाग स्टेशन से आरंभ होगी जो 125 किमी लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग नई BG रेल लाइन प्रोजेक्ट का भाग है। वहीं दूसरी ओर गंगोत्री और यमुनोत्री रेल कनेक्टिविटी वर्तमान डोईवाला (Doiwala) स्टेशन से आरंभ होगा। और रेलवे इस संपूर्ण 327 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के माध्यम से उत्तराखंड में चार धाम स्थलों को जोड़ने के लिए एक बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा है।

चार धाम रेलवे लाइन का विकास कर्णप्रयाग को ऋषिकेश और उत्तरकाशी को देहरादून से जोड़कर चरणों में किया जाएगा। उसके पश्चात आगे प्रत्येक धाम के लिए 4 रेल मार्ग आरंभ किए जाएंगे।

Char Dham Rail Project
Char Dham Rail Project

आइए अब हम आपको ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन परियोजना की विस्तृत जानकारी देते हैं। योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन इसके प्रारंभिक बिंदु है। बता दें कि रेल मंत्रालय के अनुसार, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतर्गत 125 किमी लंबी नई रेल लाइन बनाई जा रही है। इस 125 किमी रेल मार्ग में से 105 किमी (लगभग 84%) भूमिगत होगा और इसके अंतर्गत 12 रेलवे स्टेशन, 17 सुरंगें और 18 पुल होंगे। 

ऋषिकेश और कर्णप्रयाग को जोड़ने वाली 125 किमी लंबी रेलवे लाइन राज्य के पांच जिलों: देहरादून, टिहरी, पौरी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और चमोली तक फैलेगी। राज्य के स्वामित्व वाली रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) 125 किमी लंबी इस रेलवे लाइन का कार्यान्वयन कर रही है।

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आपको हम इस मार्ग पर हो रहे निर्माण कार्य के दृश्य दर्शाते हुए बता दें कि इस ऋषिकेश और कर्णप्रयाग परियोजना में देवप्रयाग, श्रीनगर, गौचर, रुद्रप्रयाग और कर्णप्रयाग मार्ग पर सबसे महत्वपूर्ण नगर हैं। और इस लाइन के बीच कुल 12 स्टेशन बनाए जाने हैं। इनमें योग नगरी ऋषिकेश, मुनि की रेती, शिवपुरी, मंजिलगांव, साकनी, देवप्रयाग, कीर्ति नगर, श्रीनगर, धारी देवी, रुद्रप्रयाग, घोलतीर और कर्णप्रयाग हैं।

यही नहीं देवप्रयाग और जनासू के मध्य 15 किमी तक फैली भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंग भी इस महत्वाकांक्षी 125 किमी लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज लाइन का भाग होगी।

Rishikesh Karnprayag Rail Project
Rishikesh Karnprayag Rail Project (Tunnel)

आपको हम परियोजना के एक्सक्लूसिव ग्राउंड रिपोर्ट दर्शाते हुए अधिक जानकारी हेतु बता दें कि रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) और एलएंडटी, एचसीसी, एनईसी, मेघा आदि जैसे कई कंपनियों द्वारा 12 स्टेशनों के साथ उत्तराखंड में निर्माणाधीन 125 किलोमीटर की सिंगल-ट्रैक रेलवे लाइन का निर्माण कार्य संचालित है। जो अब पूर्णता की ओर अग्रसर है।

इस परियोजना पर 16,200 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। तथा हजारों नौकरियों का सृजन भी। इस परियोजना पर कार्य वर्ष 2019 में आरंभ हुआ था तथा वर्ष 2025 में इसे पूर्ण करने का लक्ष्य है।

यह भी बता दें कि इस ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का दूसरा चरण कर्णप्रयाग से जोशीमठ तक नहीं, अपितु जोशीमठ से 35 किलोमीटर पहले पीपलकोटी तक ही होगा।

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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर कितना हुआ निर्माण कार्य पूर्ण यदि आप यह जानना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि इस परियोजना पर लगभग 75 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। सरकार ने 2025 में इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

अधिक जानकारी हेतु बता दें कि राष्ट्रीय व सामरिक महत्व की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना में सुरंगों की खोदाई का कार्य लगभग 70 प्रतिशत पूर्ण हो गया है। रेलवे विकास निगम का कहना है कि इस वर्ष तक सुरंगों की खोदाई का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। आरवीएनएल का दावा है कि 2026 के अंत तक रेल चलनी आरंभ हो जाएगी।

Char Dham Yatra by Railway
Char Dham Yatra by Railway

मुख्य व सहायक सुरंगों की कुल 213 किमी में से 153 किमी खोदाई हो चुकी है। मुख्य सुरंगों की कुल लंबाई 104 किमी है। जिसमें से 75 किमी की खोदाई हो चुकी है। तथा सभी सहायक सुरंगें हाईवे से जोड़ी जाएंगी। जिससे कि आवश्यकता पड़ने पर यात्रियों को सीधे हाईवे पर निकाला जा सके।

अब सुरंगों में फिनिशिंग व उन्हें मौसम की दृष्टि से मजबूत बनाने का काम चल रहा है। भारी बारिश व भूकंप का असर भी यहां नहीं होगा। ट्रैक को इस प्रकार बनाया जा रहा है कि ट्रेन 100 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ सके।

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यही नहीं यह प्रयास किया जा रहा है कि जून माह तक पटरी बिछाने का कार्य आरंभ कर दिया जाए। पटरी बिछाए जाने के लिए निविदा प्रक्रिया जारी है। 20 फरवरी को तकनीकी बिड खाेल दी गई है। बता दें कि परियोजना में कुल 16 रेलवे पुल भी हैं जिनमें से चंद्रभागा, गूलर, लक्ष्मोली व श्रीनगर के रेलवे पुल बन कर तैयार हो चुके हैं। शेष 12 पुलों का निर्माण कार्य भी 50 प्रतिशत से अधिक पूर्ण हो चुका है।

इसके अतिरिक्त परियोजना में कुल 12 स्टेशन हैं। जिनमें से वीरभद्र और योगनगरी रेलवे स्टेशन बन कर तैयार हो चुके हैं। अब 10 स्टेशन बनने हैं। स्टेशन निर्माण के लिए अगस्त तक टेंडर प्रक्रिया पूर्ण हो जाएगी। बड़े स्टेशनों में श्रीनगर व कर्णप्रयाग सम्मिलित हैं। जनासू व देवप्रयाग स्टेशनों का कुछ भाग टनल के भीतर है। बाकी सभी स्टेशन टनल के बाहर हैं।

Char Dham Railway Project
Char Dham Railway Project

इस परियोजना की वर्तमान में सबसे बड़ी प्राप्त उपलब्धि की जानकारी देने हेतु बता दें कि खांकरा से डूंगरीपंथ के मध्य पैकेज-7 ए में लगभग पांच किमी की एस्केप टनल का ब्रेक थ्रू भी हो गया है। जो परियोजना में एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है।

बता दें कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 9 पैकेज में कार्य चल रहा है। जिससे पैकेज-7ए पर ही सबसे पहले 2 किमी की एस्केप व मेन टनल का ब्रेक थ्रू किया था। और अब 5.1 किमी एस्केप टनल का ब्रेक थ्रो हुआ है।

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ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेलवे लाइन केवल यात्रा को सुगम नहीं बनाएगी अपितु पिछड़े क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। तथा इससे इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी लाभ होगा।

महत्वपूर्ण है कि इस रेल मार्ग के खुलने के पश्चात कई स्थानों की यात्रा का समय बचेगा। ऋषिकेश से पड़ने वाले कई धार्मिक स्थलों की यात्रा छोटी और सुविधाजनक हो जाएगी। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग की ओर जाने में 7 घंटे के स्थान पर 2 घंटे का ही समय लगेगा। इसी प्रकार से ऋषिकेश से बद्रीनाथ जाने वाले लोग केवल 4 घंटे में यात्रा पूरी कर लेंगे। जिसमें वर्तमान में 11 घंटे लगते हैं। तथा कर्णप्रयाग से बद्रीनाथ की यदि यात्रा करनी है तो इस रेल लाइन के खुलने के पश्चात यात्री मात्र 4.00 घंटे में अपनी यात्रा पूरी कर पाएंगे।

Char Dham Railway Project
Char Dham Railway Project

महत्वपूर्ण है कि यह एक ऐसी परियोजना है जो न केवल धार्मिक यात्रा को सरल व सुविधायुक्त बनाएगा अपितु भारत को सामरिक दृष्टि से और मजबूती भी प्रदान करेगा जो चाइना से आपातकालीन स्थिति में भारतीय सेना को बल प्रदान करेगा।

मित्रों यदि दी हुई चार धाम रेलवे परियोजना की जानकारी आपको पसंद आई हो तो कमेंट बाॅक्स में हर हर महादेव अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।

अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:

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