भारत की पहली बुलेट ट्रेन ने पकड़ी रफ़्तार – Mumbai Ahmedabad Bullet Train
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मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना (Mumbai Ahmedabad Bullet Train project) को लेकर वर्तमान सरकारें अत्यंत तीव्रता के साथ कार्य कर रही है। सबसे पहले बात करेंगे बुलेट ट्रेन परियाेजना में प्राप्त की गई उपलब्धियों की।
Mumbai-Ahmedabad Bullet Train project : बता दें कि भारत के प्रथम बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के पहले चरण का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। 100 किमी लंबा पुल पूरा हो चुका है और 250 किमी से अधिक के पिलर खड़े किए जा चुके हैं। यह बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलेगी और 508 किमी की यात्रा मात्र तीन घंटे में तय करेगी।
निर्माणाधीन हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का वीडियो दर्शाते हुए बता दें कि कैसे भारत का पहला बुलेट ट्रेन टनल व पहाड़ों को चीरते हुए गुजरेगा। जी हां, गुजरात के वलसाड जिले में 350 मीटर की पहली पहाड़ी सुरंग और सूरत में 70 मीटर लंबा पहला स्टील पुल बनाया जा चुका है।
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इसके अतिरिक्त बता दें कि बुलेट ट्रेन का 7 किमी का भाग मुंबई में समुद्र के नीचे से गुजरेगा। कुल 508 किमी के मार्ग में से 351 किमी गुजरात और 157 किमी महाराष्ट्र से होकर गुजरेगा। इसमें 92% अर्थात 468 किमी का ट्रैक ऊंचा होगा और 25 किमी का मार्ग सुरंगों से होकर जाएगा।
अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस प्रोजेक्ट में 173 बड़े और 201 छोटे पुल बनाए जाएंगे। बुलेट ट्रेन 70 हाईवे और 21 नदियों को पार करेगी। आरंभ में 35 बुलेट ट्रेनें चलेंगी, प्रत्येक में 10 डिब्बे होंगे। इन ट्रेनों के प्रतिदिन 70 फेरे लगाने की योजना है।
परियोजना की वर्तमान परिस्थिति की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार परियोजना के लिए आवश्यक संपूर्ण 1389.49 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है।
तथा हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने भी बताया है कि उसने मुंबई-अहमदाबाद रेल कॉरिडोर के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और दादर और नगर हवेली में भूमि अधिग्रहण का कार्य 100 प्रतिशत पूरा कर लिया है। और मुंबई और अहमदाबाद के मध्य हाई स्पीड रेल लाइन बनाई जा रही है।
निर्माण कार्य की अधिक जानकारी हेतु बता दें कि एनएचएसआरसीएल के अनुसार परियोजना के लिए सभी सिविल ठेके गुजरात और महाराष्ट्र के लिए दिए गए हैं। और इनमें अबतक 120.4 किलोमीटर गर्डर लॉन्च किए जा चुके हैं और 271 किलोमीटर घाट ढलाई का कार्य भी पूर्ण हो चुका है।
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बता दें कि एमएएचएसआर कॉरिडोर ट्रैक सिस्टम के लिए जापानी शिंकानसेन में प्रयोग किया जाने वाला पहला प्रबलित कंक्रीट (आरसी) ट्रैक बेड बिछाने का कार्य सूरत और आणंद में आरंभ हो गया है। यह भारत में पहली बार जे-स्लैब गिट्टी रहित ट्रैक प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है।
एनएचएसआरसीएल ने कहा कि उसने गुजरात के वलसाड जिले में जरोली गांव के पास स्थित 350 मीटर लंबी और 12.6 मीटर व्यास की पहली पर्वतीय सुरंग को केवल 10 महीनों में पूरा करने के साथ एक उल्लेखनीय मील का पत्थर प्राप्त किया है।
पहला स्टील पुल, जो 70 मीटर तक विस्तारित है और जिसका वजन 673 मीट्रिक टन है, सूरत में एनएच 53 पर बनाया गया था, और 28 में से 16 ऐसे पुल निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। एमएएचएसआर कॉरिडोर पर 24 नदियों में से छह पर पार (वलसाड जिला), पूर्णा (नवसारी जिला), मिंधोला (नवसारी जिला), अंबिका (नवसारी जिला), औरंगा (वलसाड जिला) और वेंगानिया (नवसारी जिला) में पुल का निर्माण पूरा हो गया है। नर्मदा, ताप्ती, माही और साबरमती नदियों पर काम चल रहा है।
विज्ञप्ति के अनुसार, संचालन के समयावधि में ट्रेन और नागरिक संरचनाओं की ओर से उत्पन्न शोर को कम करने के लिए पुल के दोनों ओर ध्वनि अवरोधक लगाए जा रहे हैं। यह भारत की पहली सात किलोमीटर लंबी समुद्र के नीचे रेल सुरंग के लिए कार्य आरंभ हो गया है, जो महाराष्ट्र में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स और शिलफाटा के बीच 21 किलोमीटर लंबी सुरंग का भाग है। इसके अतिरिक्त मुंबई एचएसआर स्टेशन के निर्माण के लिए खुदाई का कार्य भी आरंभ हो चुका है।
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एनएचएसआरसीएल के अनुसार गुजरात के वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, आणंद, वडोदरा, अहमदाबाद और साबरमती में एचएसआर स्टेशन निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। बुलेट ट्रेन परियोजना के एक अहमदाबाद के साबरमती में एक मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब भी बनाया गया है। जो तैयार हो चुका है। हाई-स्पीड रेल लाइन जापान की शिंकानसेन तकनीक का उपयोग करके बनाई जा रही है, और परियोजना का उद्देश्य लोगों को हाई फ्रिक्वेंसी सार्वजनिक यातायात सुविधा उपलब्ध करवाना है। इस परियोजना को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) की ओर से जापान से 88,000 करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन के साथ वित्त पोषित किया गया है।
यह भी बता दें कि 1.10 लाख करोड़ रुपये की इस परियोजना के पहले 2022 तक पूरा होने की आशा थी, परन्तु भूमि अधिग्रहण में बाधाओं का सामना करना पड़ा। जिस कारण से सरकार ने दक्षिण गुजरात के सूरत और बिलिमोरा के मध्य बुलेट ट्रेन के पहले चरण को 2026 तक चलाने का लक्ष्य रखा है।
आपको बता दें कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच कुल 508 किलोमीटर लंबी परियोजना में से 272 किलोमीटर की लंबाई पर वायाडक्ट बनाया गया है। इस रूट पर आठ नदियां हैं और उनमें से पांच पर पुल बनाए गए हैं। सूरत और बिलिमोरा के बीच 50 किलोमीटर लंबे सेक्शन को पूरा करने की समय सीमा 2026 है और काम तय कार्यक्रम के अनुसार ही चल रहा है।
बुलेट ट्रेन की क्षमता और भविष्य की योजना की जानकारी देने हेतु बता दें कि इस एक बुलेट ट्रेन में 750 लोग बैठ सकेंगे तत्पश्चात 16 डिब्बों वाली ट्रेनें होंगी, जिनमें 1200 लोग बैठ सकेंगे। 2050 तक इन ट्रेनों की संख्या बढ़ाकर 105 करने की योजना है।
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बता दें कि मुंबई- अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर में महाराष्ट्र, गुजरात और दादरा और नगर हवेली में 508 किलोमीटर की दूरी तक फैले 12 स्टेशन सम्मिलित हैं। यह मार्ग महाराष्ट्र में 155.76 किमी को कवर करेगा, जिसमें मुंबई उपनगरीय में 7.04 किमी, ठाणे में 39.66 किमी और पालघर में 109.06 किमी सम्मिलित हैं, जबकि गुजरात में 348.04 किमी की मार्ग लंबाई होगी, और दादरा और नगर हवेली का मार्ग 4.3 किमी लंबा होगा।
इस कॉरिडोर पर हाई-स्पीड ट्रेनें मुंबई में 26 किलोमीटर की दूरी को छोड़कर भूमि से 10-15 मीटर की ऊंचाई पर एक एलिवेटेड वायाडक्ट पर चलेंगी, जिसे तीन मेगा टनल बोरिंग मशीनों (टीबीएम) का उपयोग करके भूमिगत बनाया जाएगा। बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) स्टेशन को छोड़कर, सभी स्टेशन एक एलिवेटेड मार्ग पर स्थित होंगे।
कितना हुआ परियोजना में निर्माण कार्य पूर्ण यदि आप यह जानना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि अब तक लगभग 45 प्रतिशत की समग्र भौतिक प्रगति हो चुकी है।
मित्रों हम आशा करते हैं कि आपको मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना की जानकारी पसंद आई होगी, तो कमेंट बाॅक्स में अपने गांव अथवा जिला का नाम अवश्य लिखें एवं यदि कोई सुझाव हो वह भी बताएं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें:-