कानपूर के भविष्य का निर्माण, Kanpur Metro Inauguration & Extension
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Kanpur Metro Inauguration & Extension : किसी भी देश को विकसित होने के लिए वहां की आधारभूत संरचनाओं का सुदृढ़ होना अत्यंत आवश्यक है। और इसकी महत्ता को समझते हुए देश की वर्तमान सरकार भारत के विभिन्न आधारभूत संरचना का अभूतपूर्व विकास कर रही है। इस समय संपूर्ण भारत में हर ओर कोई ना कोई विकास कार्य संचालित है जिसका अनुभव आप स्वयं भी अपने क्षेत्र में रहकर कर रहे होंगे।

इसी क्रम में आज हम आपको उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी कानपुर नगर में निर्माणाधीन कानपुर मेट्रो परियोजना की विशेष जानकारी देने हेतु बता दें कि कानपुर मेट्रो एक नगरी मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस) है, जो उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीएमआरसीएल) द्वारा उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर में 2 लाइनों और 30 स्टेशनों के साथ निर्माणाधीन है।
परियोजना की जानकारी हेतु बता दें कि इसकी आधारशिला 8 मार्च 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी। परियोजना पर निर्माण दो चरणों में होना है और प्रथम चरण के कानपुर मेट्रो के 8.7 km लंबे प्रायोरिटी कॉरिडोर (आईआईटी कानपुर – मोती झील) का उद्घाटन भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 दिसंबर, 2021 को कर किया था। कानपुर मेट्रो के भूमिगत भाग अर्थात अंडरग्राउंड सेक्शन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 24 अप्रैल 2025 को किया जा रहा है।
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निर्माण कार्य की वर्तमान परिस्थिति की छवि दर्शाते हुए बता दें कि इस मेट्रो प्रोजेक्ट को Uttar Pradesh Metro Rail Corporation (UPMRC) द्वारा बनाया जा रहा है, जो इससे पहले लखनऊ मेट्रो को भी सफलतापूर्वक बना चुका है।
कानपुर मेट्रो में कुल मिलाकर दो कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं —
1. IIT से Naubasta तक
– कुल लंबाई: 23.8 किलोमीटर
– स्टेशन: कुल 22
– पहला सेक्शन: IIT से Motijheel — 9 स्टेशन पूरी तरह तैयार व संचालित हैं

2. सीएसए से बर्रा-8 तक
– कुल लंबाई आठ किलोमीटर

परियोजना में हुए अब तक के विकास की जानकारी देने हेतु बता दें कि दिसंबर 2021 से IIT से मोतीझील तक मेट्रो का संचालन आरंभ हो चुका है, और आम जनता इसका प्रयोग कर रही है। मेट्रो ट्रेनों को Alstom कंपनी द्वारा बनाया गया है और इनमें डिजिटल डिस्प्ले, ऑटोमैटिक डोर, सीसीटीवी कैमरा, जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं।
अब यदि कानपुर मेट्रो परियोजना के भविष्य की योजना की जानकारी दें तो आपको हम बता दें कि उत्तर प्रदेश के कानपुर मेट्रो के विस्तार की योजना तैयार की गई है। इसको लेकर कानपुर मेट्रो के एमडी ने कानपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के उपाध्यक्ष और नगर आयुक्त को कार्ययोजना भेजी है। कार्ययोजना के अंतर्गत दो चरणों में सात नए कॉरिडोर पर मेट्रो के परिचालन की योजना है। इससे नगर की ट्रैफिक व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन आएगा। योजना के अंतर्गत अगले 10 वर्षों में कानपुर में मेट्रो का विस्तार 75 किलोमीटर के सीमा में होगा। इस प्रकार नगर के 107.3 किलोमीटर क्षेत्र मेट्रो से कनेक्ट हो जाएंगे। इससे नगरवासियों को बिना ट्रैफिक जाम यात्रा करने की सुविधा मिल सकेगी। नगर के विस्तार और विकास में भी यह बड़ी सहायक हो सकती है।
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अधिक जानकारी हेतु बता दें कि इस कानपुर मेट्रो के सात नए कॉरिडोर में 10 वर्षों पश्चात 75 किलोमीटर और मेट्रो के दौड़ाने की योजना तैयार की गई है। कानपुर मेट्रो के एमडी ने इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मोबिलाइजेशन प्लान के अंतर्गत विकसित भारत 2047 की कार्ययोजना तैयार की है। इस कार्ययोजना में सात नए कॉरिडोर का पूरा खाका बनाया गया है। योजना के अंतर्गत वर्ष 2030 तक मेट्रो के 44 किलोमीटर के तीन कॉरिडोर बनाए जाएंगे। वहीं, वर्ष 2035 तक 31 किलोमीटर के चार कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना से कानपुर नगर के विकास की गति में तेजी आएगी।
बता दें कि कानपुर मेट्रो में अभी आईआईटी से नौबस्ता तक 23.8 किलोमीटर के दायरे में मेट्रो का काम चल रहा है। इसमें से 8.6 किलोमीटर अंडरग्राउंड और 15.2 किलोमीटर एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण होगा। वहीं, सीएसए से बर्रा आठ तक 8.4 किलोमीटर के दायरे में भी मेट्रो परियोजना का काम चल रहा है। इस कॉरिडोर में 4.2 किलोमीटर अंडरग्राउंड और 4.4 किलोमीटर एलिवेटेड निर्माण होगा। सात नए कॉरिडोर के निर्माण से नगर में 107.3 किलोमीटर भाग में मेट्रो का परिचालन होने लगेगा।

यही नहीं मेट्रो का विस्तार कैंट से उन्नाव, चकेरी, गंगा बैराज, रमईपुर बिधनू और पनकी तक होगा। कानपुर मेट्रो के एमडी ने कानपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के उपाध्यक्ष और कानपुर नगर निगम के नगर आयुक्त को पूरी कार्ययोजना भेजी है। अभी दो कॉरिडोर पर मेट्रो का कार्य संचालित है। 7 और कॉरिडोर के निर्माण के पश्चात इनकी संख्या 9 हो जाएगी। वहीं, पनकी से केंद्रीय विश्वविद्यालय कैंट और नौबस्ता से चकरी वाले दो कॉरिडोर को छोड़कर बाकी पांच में मेट्रो के एलिवेटेड ही दौड़ाने की तैयारी की गई है।
वर्तमान के उद्घाटन की जानकारी देने हेतु बता दें कि कानपुर मेट्रो को कॉरिडोर-1 (आइआईटी से नौबस्ता) के अंतर्गत मोती झील से कानपुर सेंट्रल स्टेशन तक यात्री सेवाओं के विस्तार के लिए मेट्रो रेल संरक्षा आयुक्त ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। पिछले माह 20 और 21 मार्च को सीएमआरएस ने कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के उक्त सेक्शन का निरीक्षण किया था, तत्पश्चात उन्होंने यह स्वीकृति प्रदान की थी।
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विस्तृत निरीक्षण प्रक्रिया के समयावधि में मेट्रो ट्रैक, टनल, स्टेशनों, रैम्प, वायाडक्ट, टनल वेंटीलेशन सिस्टम, सिग्नलिंग सिस्टम आदि का निरीक्षण किया गया था। इसके अतिरिक्त, मोतीझील से कानपुर सेंट्रल के बीच ट्रेन का स्पीड टेस्ट भी किया गया था। मुख्य रूप से, मेट्रो परिसरों और ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों और व्यवस्थाओं का मूल्यांकन किया गया जिसके आधार पर कानपुर मेट्रो को यात्री सेवा के विस्तार के लिए अपना अनुमोदन प्रदान किया गया है।
यह भी बता दें कि कानपुर मेट्रो मोती झील से कानपुर सेंट्रल के बीच भी पहले दिन से ही ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) मोड पर चलाई जाएगी। आमतौर पर आरंभ में मेट्रो ट्रेनों को ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) मोड पर चलाया जाता है। पर्याप्त तैयारियों और ट्रायल प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही ट्रेन एटीओ मोड में चलाई जाती है। कानपुर मेट्रो ने मोती झील से कानपुर सेंट्रल के बीच यात्री सेवाओं के विस्तार से पहले ही ये तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस मोड में संचालन से जुड़ी अधिकतर क्रियाएं ऑटोमैटिक होने की कारण से किसी भी प्रकार की मानवीय भूल से दुर्घटना की संभावना लगभग ना के बराबर हो जाती है। इस मोड में कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंटोल सिस्टम (सीबीटीसी) सिग्नलिंग प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। विदित हो कि आईआईटी से मोती झील के बीच भी कानपुर मेट्रो ट्रेनें एटीओ मोड पर ही चलाई जाती हैं।

महत्वपूर्ण है कि कानपुर मेट्रो केवल एक ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट नहीं है अपितु ये नगर के विकास, पर्यावरण संरक्षण और बेहतर जीवनशैली की ओर एक बड़ा कदम है। तो क्या आपने कानपुर मेट्रो में यात्रा किया है? कैसा रहा अनुभव? नीचे कमेंट्स में हमें अवश्य बताएं।

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